Vo Pehli Baarish - 20 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 20

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वो पहली बारिश - भाग 20

डिनर से घर वापस आकर हॉल में बैठे हुए, निया रिया से बोली।

"तुम्हें पता है, ध्रुव को लगता है, इस रिश्ते में कुछ गड़बड़ है।"

"हां, पता है। और ये भी पता है, की तुम लोग कुछ करने वाले हो, की इन दोनो के रिश्ते को तोड़ने के लिए।"

"हां.. पहली बारिश या बारिश के मौसम में बाहर ले कर आने वाले है।"

"अच्छा।"

"हां, तुम मनाओगी नहीं, पर ध्रुव को लगता है, की अगर सिर्फ़ पहली बारिश के बादलों की छाया भी इनपे पड़ गई तो इनका रिश्ता खत्म।"

"सही है।"

"सही है? तुम्हें लगता है, ऐसा सच में होगा?"

"ध्रुव के पास डाटा है, इसे प्रूफ करने के लिए।"

"ये डाटा तो बस बन जाता है, ये तो मैं तुम्हें तब भी ला दूंगी, अगर तुम्हें साबित करना हो की हर महीने की 3 तारीक को सबसे ज्यादा लोग बीमार होते है।"

"पता नहीं.. देखते है क्या होगा, मैं तो चली सोने।" रिया हॉल में पड़े गद्दे पे से उठ कर अपने कमरे की ओर सोने चल दी।

अपने कमरे में सोते जाती रिया, अपने फोन में आज की खींची हुई चारो की सेल्फी निकालती है और धीरे से बोली।

"ऑल दी बेस्ट ध्रुव.. मैं तुम्हारे साथ हूं।"

और फिर बिस्तर पे लेटी रिया के आगे, जैसे कुछ टाइम पहले का नज़ारा चलने लग गया।

"यार राघव, मैं अभी जा कर घर पहुंची हूं, तुम्हें ऐसा क्यों लगता है की मैं तुम्हारे फोन का जानबूझ के जवाब नहीं दे रही थी, तुम्हें तो बताया था ना मैंने की हमे अंदर फोन नहीं ले जाने देते है..", रिया फोन पे अपने बॉयफ्रेंड राघव से बात कर रही थी।

"हां, पर जैसे ही मिला, वैसे तो कर सकती थी ना?", सामने से आवाज़ आती है।

"जैसे ही फोन उठाया तो मम्मी का फोन आया हुआ था, और तुम्हें तो बताया था ना कल पापा की तबियत ख़राब थी, तो उनका पता करना पहले ज़रूरी था।"

"हां, पर मुझे भी तो कुछ ज़रूरी काम हो सकता था ना। तुम एक बार पहले पता तो कर लेती।"

"यार..", रिया अभी बोल ही रही होती है, की साइड में खड़ा हुआ ध्रुव उसे कुछ बोलने लगता है।

"लिफ्ट.. लिफ्ट आ गई.. साथ वाली लिफ्ट ख़राब है, अभी नहीं चढ़े, तो आपको नौ फ्लोर तक चल के जाना पड़ सकता है।"

"हह.. हां, मैं आई।", रिया फोन पकड़ के अंदर आती है और फिर कुछ बोलती उससे पहले ही सिग्नल के कारण उसका फोन बंद हो चुका होता है।

लिफ्ट नौवें फ्लोर पे रुकी और रिया के साथ ध्रुव भी वहां उतरा ही था, की सामने से दूसरी लिफ्ट भी वहां आ गई।

"एक मिनट..", रिया लिफ्ट को देखती ही पीछे मुड़ कर बोली। "तुमने तो कहा था की लिफ्ट ख़राब है, फिर ये? और वैसे भी एक लिफ्ट चली जाती तो दूसरी आ जाती। तो तुमने ऐसा क्यों कहा?"

"वो मैं ना... मुझे अभी जाना होगा, जरूरी कॉल है", अपने फोन में आते हुए कॉल को दिखाते हुए ध्रुव बोला और फ्लैट के अंदर भाग गया। और रिया फिर से फोन करके, लग गई राघव को समझाने।

उस दिन के बाद, दो-तीन दिन तो जहां ध्रुव रिया की नजरों से बचता फिर रहा था। वहीं एक दिन अपने फ्लैट का दरवाज़ा खोलती हुई रिया को देख कर, ध्रुव बाहर आते हुए बोला।

"वो उस दिन के लिए आई एम सॉरी.. उसकी भरपाई करने के लिए, मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है।"

"हां?"

"ये एक फूड मेला हो रहा है, उसकी टिकट्स है।"

"और तुम मुझे क्यों दे रहे हो, खुद क्यों नहीं जा रहे?"

"वो मैं.. मैं जाने वाला था, पर ये कुनाल है ना, इसने कहीं और मूवी के टिकट करा दिए तब के, अब हम दोनो जगह तो नहीं जा सकते ना। ले लो यार, मेरा सॉरी भी हो जाएगा, और तुम्हारा घूमना भी, अपने राघव को ले जाना साथ। मुझे पक्का पता है की तुम आकर मुझे थैंक यू ही बोलोगी।"
रिया थोड़ा हिचकिचाई तो, पर उसने ध्रुव से टिकट्स ले लिए।

*********************

फूड फेस्टिवल से वापस आई रिया लिफ्ट से उतरी ही थी, की उसने देखा ध्रुव और कुनाल बाहर खड़े कुछ बात कर रहे थे।

"यार ध्रुव.. तू पागल है क्या? तू किसी से भी पंगे ले लेता है। इतनी मुश्किल से तो एक दोस्त बनाई थी मैंने, और अब तू उसका ब्रेकअप कराने चल दिया।"

"यार वो लड़का रिया के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं था, बस इसलिए।"

"एक मिनट.. क्या किया तुमने?", पीछे खड़ी रिया फटाफट से बोली।

"रिया वो.. खाना कैसा था?", कुनाल ने रिया को रोकते हुए पूछा।

"पता नहीं, कुछ गले से नीचे उतरा हो तो मैं बताऊं। राघव ने वहां आते ही मुझसे ब्रेकअप करने को कह दिया।"

"क्या? पर क्यों?", कुनाल ने पूछा।

"यहीं तो मैं तुमसे पूछना चाहती हूं, की तुमने ऐसा क्या किया है ध्रुव, बताओ मुझे।"

"कुछ नहीं, बस तुम्हें फूड मेला की टिकट्स दी।", ध्रुव ने बोला

"ध्रुव तुम प्लीज मुझे सच सच बता दो की क्या किया है तुमने और क्यों, इतना जानने का हक तो है मेरा और तुमसे किसने कहा ये बताने के लिए की वो मेरे लिए अच्छा नहीं है।", आंखों में आंसू लिए रिया बोली।

"मैं सच कह रहा हूं, मैंने बस तुम्हें टिकट्स दिए है, बाकी का काम तो हमारी पहली बारिश ने कर दिया।", ध्रुव फिर से बोला।

"हह.. कुनाल तो प्लीज इससे सब पूछ कर मुझे बताएगा। मैं फ्लैट पे जाकर, राघव से बात करके आई।"

रिया के जाने के थोड़ी देर बाद, कुनाल उसके पास जाता है।

"कैसी है अब तू?", रिया के दरवाज़ा खोलते ही वो पूछता है।

"तू मुझे साफ़ साफ़ बता, तेरे दोस्त ने बता दिया की क्या हुआ है?"

"हां रिया.. उसने बस तुझे टिकट्स दी, और कुछ नहीं।"

"उससे ऐसा कैसे हो गया?"

"वो ध्रुव है ना, उसका मानना है की ये जो महीने की, सीज़न की पहली बारिश होती है ना, उस में लोगो के ब्रेकअप हो जाते है, तो बस इसलिए उसने तुझे वहां भेज दिया।"

"कुछ भी।" रिया ने कुनाल को कहा।

"शायद कुछ भी है.. मैं तुझे कह भी नहीं रहा, की तू ये मान। पर तुझे टिकट्स देने के अलावा ऐसा कुछ नहीं है, जिसके लिए तू ध्रुव को कसूर वार ठहराए।"

"ठीक है। मैं राघव से ही बात करती हूं फिर।"

"ठीक है, तू कर बात उससे भी, पर तूने मुझसे एक ज़रूरी बात नहीं पूछी।"

"क्या?"

"कि ध्रुव के मन में ऐसा क्यों आया। उसने ऐसा कुछ तेरे बारे में क्यों सोचा?"