Ek Anokha Rishta - 4 in Hindi Short Stories by Lalit Raj books and stories PDF | एक अनोखा रिस्ता। - 4

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एक अनोखा रिस्ता। - 4

राज और रिया एक कमरे में होते हैं जहां वो एक खिडक़ी के पास खड़े होते हैं,खिड़की से बहार प्रकृति का सुंदर नजारा दिख रहा था।

रिया की नजर खिड़की से बहार की ओर थी और तभी राज जो उसके पास खड़ा होता है अब और उसके करीब आजाता है,एक दम राज के इतने करीब आने से रिया झिझकती है और राज कि तरफ देखने लगती है।

राज और रिया एक दूसरे को प्यार भरी निगाहों से देखते हैं और देखते ही देखते राज अपने होठ रिया के होठों के करीब ले जाता है इतने में रिया राज के सीने पर हाथ रखती उसे अपने से दूर रखने के लिऐ।

राज उस हाथ के दवाब से महसूस कर लेता है कि वो सिर्फ प्रेम से किया स्पर्श है न कि उसे धकेलने का अब राज अपने सीने पर रखे रिया के हाथ को कोमल तरीक़े से पकड़ कर उसे किस करता है और फिर उस हाथ से रिया को अपने बिल्कुल करीब खीच लेता है।

अब वो इतने करीब होतें हैं कि उनकी सांसें एक दूसरे से टकराने लगती हैं,राज रिया को अपनी मजबूत बाहों से कस लेता है और रिया का एक हाथ राज के कंधे पर और दूसरा हाथ से राज के चेहरे को सहला रही होती है।

राज अब रिया के होठों पर अपने होंठ रख देता है और आहिस्ता आहिस्ता वो एक दूसरे को किस करते हुऐ मदहोश होजाते हैं।

किस करते वक्त राज और रिया की आँखें बंद थी,तभी रिया की आँखें खुल जाती हैं लेकिन उन आँखों में गुस्सा साफ झलकता है और उनमें खून साफ दिखता है जिससे रिया की आँखें लाल दिख रही थी।

रिया की नजर पास रखी टेबल पर रखे पेन पर पढती है और वो अपने एक हाथ से पेन उठा लेती है और रिया अपने होंठ राज के होठों से दूर करती है वैसे ही वो पेन रिया उस राज की गरदन में घुसा देती है।

राज दर्द से तड़प रहा होता है और रिया उसकी तड़प को देखकर मुस्कराने लगती है।

तभी फोन रिंगटोन से राज अपने इस भयानक सपने से बहार आता है और वो उठता है तो वह अपने फोन कि तरफ देखता है तो उसमें उसके दोस्त अजय की कॉल आ रही होती है।

राज सपने से इतना डरा हुआ था कि उसकी सांसें काफी तेज चल रही थी।

राज अजय की कॉल रिसीव करता है।

राज, हा अजय बोल क्या बात है।
अजय , राज तूने जिस काम के लिऐ मुझसे बोला वो हो गया।

राज, अच्छा तो फिर चलते हैं।
अजय, आज ही चलना हैं क्या।

राज, आज नहीं अभी चलना है मै रेड्डी होकर आ रहा तू मेरे घर आजा जल्दी।

अजय, ठीक है मै आता हूँ।
राज, और सुन आशिक ये बात न मीना को न बताना क्योंकि अभी में उसपर भरोसा नहीं कर सकता ठीक है।

अजय, अरे नहीं बता रहा यार चल अब रखता हों।

राज बहार जाने के लिऐ तैयार होता है और अपने कमरे से बहार निकलकर गैस्ट रूम में आजाता है।

वहां सोफे पर उसके पिता बैठे होते हैं वो अपने पिता से गुड मोरनिंग कहता है और उसके पिता भी जवाब देते हैं गुड मोरनिंग ज उनके सामने बैठ जाता है उसके पितते हैं तभी राज अपने पिता से कहता है, डैड में किसी काम से बहार जा रहा।

पिता, ठीक बेटा लेकिन वो टेबल पर पैपर रखें हैं उनपर अपने सिग्नेचर करते जाना।

राज उन पैपर को बिना पढे सिग्नेचर कर देता है और जल्दी में वहां से निकल आता है और वो अपनी कार लेकर घर से बहार निकलता है तो उसे अजय भी मिल जाता है।

अजय कार में बैठ जाता है और तभी राज अजय से पूछता है कहाँ जाना हैं।

अजय कहता है, हमें मथुरा जाना हैं।
राज हैरान होकर कहता है,मथुरा क्यों?

अजय, क्योंकि हमारे सभी सवालों के जवाब मथुरा में ही हैं।

राज, मथुरा में कौन है जो हमें हमारे सवालों का जवाब दे सकेगा।

अजय , अवे अब चल तो सही सारे बातें में चलते चलते बता दूंगा।

राज और अजय कार से मथुरा की ओर निकल पढते हैं,और रास्ते में राज अजय से पूछता रहता है और वो मथुरा क्यों जा रहा हैं और मथुरा में ऐसा कौन है।

अजय राज को उस पते के अनुसार एक गांव में ले आता है जिसके बारे राज कहे अनुसार रिया के आसपास लोगों पर नजर रख कर उनसे पूछकर ये पता निकलवाया।

जब राज कार से निकलकर गांव कि जमीन पर पांव रखता है तो वो गांव हरे भरे पेड़ों और आसपास सजे कच्चे पक्के छोटे मकानों को देखता है तो वो मोहित हो जाता है और अपने चारों तरफ देखता रह जाता है।

वहां हर किसी के मकान पर भगवान श्रीकृष्ण आकृति या तस्वीर लगी हुई है और चारों ओर शांत सा माहौल और कानों में एक मंदिर से घंटी की आवाज सुनाई देने लगती है।

राधे राधे स्वर चारों ओर गूंज रहा था।

तभी अजय एक आदमी को रोकता और वो आदमी अजय को देखकर मुस्कराकर राधे राधे कहता है और अजय भी उसे राधे राधे बोलता है।

अजय उस आदमी से पूछता है, भाईसाहब ये राजाराम का घर किधर है।

वो आदमी उनसे कहता क्या तुम पंडित राजाराम से मिलने आये हो।

अजय जानने के उत्सुकता मे कहता है,हा हा उनहीं से मिलने आये हैं।

वो आदमी कहता है चलो मेरे पीछे पीछे और राधे राधे बोले जाओ।

राज और अजय दोनों उस आदमी के पीछे पीछे जाते हैं,

और पंडित राजाराम जी के घर पहुंच जाते हैं।

वहां एक बुजुर्ग महिला उनको अंदर बुलाती है और एक तखत पर बैठने को कहती है।

राज और अजय दोनों तखत पर बैठते हैं और राज की नजर अपने चारो तरफ पढती है और वो देखता है दिवारों पर सजावट और भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीरे और रंगों से कलाकृति बनी हुई हैं।

राज कि नजर जैसे ही अपने पीछे की दीवार पर जाती है तो वो देखकर हैरान रह जाता है।

अजय देखता है की राज की नजर पीछे की दीवार पर रहती है और बहुत देर से उस ओर ही देख रहा होता है जब अजय उस दीवार लगी तस्वीर को देखता है तो वो अजय की तरह हैरान रह जाता है।

अजय राज के कंधे पर हाथ रखता है और राज से कहता है ये तो तुम्हारी माँ की तस्वीर है।

राज और अजय उस तस्वीर को देखते देखते खड़े हो जाते हैं।