Chai pe charcha - 3 in Hindi Fiction Stories by राज कुमार कांदु books and stories PDF | चाय पर चर्चा - 3

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चाय पर चर्चा - 3

अजय भी पीछे हटने के मूड में बिलकुल नहीं था। वह इन देहातियों के मन से मोदी सरकार के प्रति पैदा हुई गलतफहमी को किसी भी तरह से दूर करना चाहता था।

बोला, ”आप लोगों ने देखा ? चीन और पाकिस्तान भी अब मोदीजी से खौफ खाते हैं। सीमा पर हमारे जवान अब गोली का जवाब गोलों से देते हैं।”

रामू काका के तेवर थोड़े ढीले दिखे, बोले, "ठीक कहते हो बेटा ! यही तो राजनीति है। हम तो इहै जानते हैं की चीन पहले भी अपने देश में मुँह उठा के घुस जाता था और अब भी कभी कभी घुस जाता है। कुछ भी नाहीं बदला है...और रही बात गोली और गोले की तो हम तो एक ही बात जानत हैं की इ पाकिस्तान ससुरा बात का नाहीं लात का ही आदमी है और हमारी सभी सरकारों ने इसे लतियाने का कउनो मौका छोड़ा नाहीं है।”

इदरीश जो अब तक खामोशी से सारी बहस ध्यान से सुन रहा था बोला, ”रामू काका ! इ अजय भैया जो कहे हैं की सीमा पर हमारी सेना गोली का जवाब गोले से दे रही है, इ तो बहुत बढ़िया बात है लेकिन हम महसूस कर रहे हैं की सीमा पर तो हालात पहिले से भी ख़राब हो गया है। हमारी तरफ के कई गाँव जो सीमा पर थे डरकर गाँव छोड़कर लोग और कहीं रहने चले गए हैं। ..हमरे इ बात पल्ले नहीं पड़ रही है कि इ सरकार कौनसे गोले से पाकिस्तान का जवाब दे रही है कि वो मानता ही नाहीं है। हम एक उदाहरण देते हैं कि मान लो कोई सींकिया पहलवान किसी बात पे बहुत कूद रहा है और समझो आपने अगर कसके उसके कान के निचे रख दिया तो क्या वो फिर से उठ के आपसे झगडा करेगा ? पाकिस्तान के साथ ऐसा ही करना चाहिए।"

अजय बोल पड़ा, ”काका ! ... वैसा भी होगा। थोडा धीरज तो रखिए। देश विकास की राह पर बड़ी तेजी से चल पड़ा है।”

” अजय बाबू !..देश विकास की राह पर चल रहा था लेकिन अब विनाश की राह पर चल पड़ा है। इ भाई भाई को आपस में लड़ाने से विकास होता है का ? हमको अपने ही देश में डर कर जीना पड़ता है। मुसलमान के मोहल्ले में हिंदू डरता है तो वहीँ हिंदू लोगन के बिच में रहनेवाला मुसलमान भी डरता है। तुम लोगन ने ऐसा माहौल ख़राब कर दिया है की अब तो हमको बाजार से घर के लिए बकरे का गोश्त लाने में भी डर लगता है।” कहते हुए इदरीश का इशारा साफ साफ अखलाक हत्याकांड की तरफ लग रहा था।

कलुआ भी कब तक चुप रहता ? बोल पडा, "सही कह रहे हो इदरीश भाई ! इ पता नाहीं किसकी नजर लग गयी है हमारे समाज को। बचपन से सब साथ साथ खेले कूदे और इ नेता लोगन की चाल में आकर आपस में खूनखराबा कर लेते हैं और हमरी आज की सरकार दंगा करानेवाले को सम्मानित करती है, उनको विधायक और मंत्री भी बनवा देती है ई कितने शर्म की बात है।"

रामू काका बोले, ”तू सही कह रहा है कलुआ। इ नेता लोगन बहुत ही चालबाज हैं, चाहे कौनो सरकार हो। अपना भला बुरा सोचना तो जनता के ही हाथ में है। नेता लोगन तो हर मुद्दा पर राजनीति ही करेंगे। अब उ कांग्रेस का कौनो नेता है जो पाकिस्तान जाकर उन लोगन से कहता है कि हमको भारत में सत्ता दिला दो हम पाकिस्तान से शांति का माहौल बना देंगे। अब बताओ केतना निचपना है। उ पाकिस्तानी लोग आके हिंदुस्तान में कांग्रेस का सरकार बनवायेगा ?”

कलुआ बोल उठा, ”सही कहे हो रामू काका ! इ नेता लोगन हर तरह से जनता को बेवक़ूफ़ बनाते हैं। अब चुनाव के दौरान मोदीजी जनता की भावना से कौनो कम खेलवाड किये ? उ हमारा एक जवान सीमा पर शहीद हो गया था.. का नाम था उसका ? ठीक से याद नहीं आ रहा.. अरे वही जिसका पाकिस्तानी कुत्ते लोगन सर काटकर उठा ले गए थे ……!”

रामू काका सुधारते हुए बिच में ही बोल पड़े, ” शहीद हेमराज नाम है उ जवान का !”

कलुआ दिमाग पर जोर डालते हुए बोला, ” हाँ काका ! सही बोले हैं आप। शहीद हेमराज नाम है उसका। पूरे देश में लोगन का खून खौल उठा था उसकी विभत्स तरीके से हत्या किये जाने पर ..और केतना शर्म की बात है कि एक शहीद की शहादत पर भी जम कर राजनीती हुई है। मोदीजी कहे थे अगर हमारी सरकार बनी तो हम एक के बदले दस सिर ले आयेंगे और पता चल रहा है कि पाकिस्तानी उत्पात तो कम होने की बजाय और बढ़ ही गया है।"

तभी हरीश जो अब तक ख़ामोशी से सब सुन रहा था बिच में ही टपक पड़ा, ”याद है न रामू काका, हम तो तभी कह दिए थे की इ तो खाली बयानबाजी है। होना जाना कुछ भी नहीं है चाहे कौनो सरकार हो। अरे मोदीजी इतने ही बहादुर थे तो 1999 में कारगिल की लड़ाई के शुरू में ही शहीद सौरभ कालिया का सिर जो पाकिस्तानी काटकर उठा ले गए थे आज तक काहें नाहीं वापस ले आये ? घटना के वकत तो इनकी ही सरकार थी।" कुछ पल साँस लेने के बाद उसने आगे कहना शुरू किया, "और तो और जब 2001 में बांग्लादेश के फौजियों ने हमारे ग्यारह जवानों के नाक कान काट के ताबूत में भर के भेज दिया था तब उसका क्या बदला लिया था तब की हमारी बहादुर सरकार ने ?”

अजय अब बचाव की मुद्रा में आ गया था, लेकिन वह अभी भी उन ग्रामीणों को समझाने से बाज नहीं आया, "अरे भाई ! हर बात लड़ाई से ही नहीं तय किया जा सकता। हमारा देश एक जिम्मेदार देश है। जिस तरह देश में होने वाले गुनाह के लिए हमारी सरकार सजा देने के लिए अधिकृत है वैसे ही देशों के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय नियम और कानून बनाये गए हैं।”

कलुआ हँसते हुए बोला, “सही कहते हो पत्रकार महोदय, लेकिन नियम कानून तो तब के लिए होते हैं न जब आप सत्ता में होते हैं। यही नेता जब विपक्ष में होते हैं तब कुछ और बोलते हैं और सत्ता पाते ही कुछ और। अब ई कांग्रेस को ही ले लो। जब सत्ता में थी, तब वो सब काम काहें नाहीं किए जो ये अब करने का दावा करते हैं ?"

क्रमशः