Ek bund Ishq - 8 in Hindi Love Stories by Sujal B. Patel books and stories PDF | एक बूंद इश्क - 8

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एक बूंद इश्क - 8

८.पुरानी यादें

रुद्र अपनें कमरें में आकर अपनें दादाजी की तस्वीर के सामने खड़ा हो गया। अचानक ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गई। वह अतीत की यादों में खो गया। जहां वो अपनें दादाजी की गोद में सिर रखकर सो रहा था।
"दादू! क्या मैं आपके साथ आश्रम नहीं आ सकता?" रुद्र ने मासूमियत से पूछा।
"आ सकते हों। मगर मेरी एक बात मानोगे?" दादाजी ने प्यार से रुद्र का सिर सहलाते हुए पूछा।
"जरुर मानूंगा।" रुद्र ने कहा।
"तुम मेरे साथ आश्रम आकर रहो। उसमें मुझे कोई एतराज़ नहीं है। लेकिन तुम्हारे पापा को लगेगा कि मैं इस बार भी तुम्हें उनके खिलाफ करके उनसे दूर ले गया। देखो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। जब भी तुम्हें मेरी जरूरत हो। तुम बेझिझक मुझे बता देना। लेकिन पहले तुम अपने पापा के सपने पूरे करो। अपने सपने पूरे करो। बाद में तुम चाहो तो मैं तुम्हें अपने साथ आश्रम ले जाऊंगा। तुम्हारे पापा को लगता है कि तुम कभी कोई काम ढंग से या वक्त पर नहीं कर सकते। इसलिए उनकी इस बात को ग़लत साबित करों। उनको लगता है फोटोग्राफी में तुम्हारा कोई करियर नहीं है। तो बिजनेस के साथ-साथ तुम फोटोग्राफी में भी अपना एक अलग से करियर बनाओ। सब को ग़लत साबित कर दो। फिर मैं तुम्हें आश्रम ले जाऊंगा। क्यूंकि ये सब किए बिना तुम मेरे साथ आ गए। तो तेरे पापा की बात सच हो जाएगी कि तू कभी कुछ कर नहीं सकता। इसलिए तुम्हें उनको ग़लत साबित करना है कि तुम बहुत कुछ कर सकते हो और उनसे भी बेहतर कर सकते हो। और ये तुम्हें किसी को कुछ साबित करने के लिए नहीं करना है। ये सब तुम्हें अपने लिए करना है। क्यूंकि जो मुसीबत से भागते है उन्हें लोग कायर कहते है और मेरा रुद्र कायर नहीं है। ना ही निकम्मा या नाकारा है।" दादाजी ने बड़े ही प्यार से रुद्र को समझाया तो वो तुरंत समझ गया।
वह अभी तक उनकी गोद में सो रहा था और दादाजी उसके सिर में प्यार से हाथ फेर रहे थे। तभी उसका फ़ोन बजा। रुद्र ने देखा तो कोई माया उसे फोन कर रही थी। लेकिन उसने देखकर भी अनदेखा कर दिया तो दादाजी पूछने लगे, "फोन क्यूं नहीं उठा रहे?"
"वो ऐसे ही मुझे परेशान करने के लिए फोन कर रही है। आपको नहीं पता ऐसी तो बहुत सारी लड़कियां मेरे पीछे पड़ी है।" रुद्र ने अचानक ही दुबक कर बिस्तर पर बैठते हुए कहा।
"तो उनमें से तुम्हें कोई पसंद आई या नहीं?" दादाजी ने इंटरेस्ट दिखाते हुए पूछा।
"नहीं, मुझे मेरे टाइप की कोई मिली ही नहीं।" रुद्र ने मुंह बनाकर कहा।
"वो इसलिए क्यूंकि तुम्हें वहीं लडकी पसंद आयेगी जो तुम्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं करेगी।" दादाजी ने मुस्कुराकर कहा।
"वो मुझे पसंद नहीं करेगी तो हम दोनों की जोड़ी कैसे बनेगी?" रूद्र ने मासूम सी शक्ल बनाकर पूछा।
"जब ऐसी कोई लड़की मिलेगी तब तुम्हें खुद-ब-खुद समझ आ जायेगा। लेकिन हां वो लड़की होगी बड़ी बहादुर वो जब तुम्हारी जिंदगी में आयेगी तो तुम्हारी सारी मुसीबतें दूर हो जाएगी। लेकिन तुम्हें पाने के लिए उसे बहुत संघर्ष करना पड़ेगा। क्यूंकि तू शिवा है और तुझे जो मिलेगी वो कोई पार्वती ही होंगी। अब शिव को पाने के लिए पार्वती को थोड़ी बहुत तपस्या तो करनी ही होगी न।" दादाजी ने कहा।
"लेकिन दादाजी आजकल के जमाने में कौन-सी लड़की ऐसे लड़के के लिए तपस्या करेगी जिसे वो पसंद तक ना करती हो?" रुद्र ने पूछा।
"पहले पसंद नहीं करेगी लेकिन जैसे-जैसे वो तुम्हे जानने लगेगी। वैसे-वैसे पसंद भी करने लगेगी। फिर तो तेरे साथ रहने के लिए तपस्या करनी ही होगी न।" दादाजी ने रुद्र के सिर पर हल्की चपत लगाकर कहा और दोनों हंसने लगे।
रुद्र अपनी ही हंसी सुनकर वर्तमान में आ गया। वह दादाजी की तस्वीर के सामने खड़ा हंस रहा था। सात महिनों पहले दादाजी से हुई इसी बात की वजह से रुद्र घर छोड़कर नहीं गया था। फिर दो दिन पहले तो उनकी कही दूसरी बात भी सच हो गई। रुद्र की जिंदगी में आख़िर ऐसी लड़की आ ही गई जो उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी। पहली मुलाकात से ही दोनों के बीच लड़ाई होनी शुरू हो गई थी। हां, वो लड़की हमारी अपर्णा ही थी। अब ये देखना बाकी था कि रुद्र और अपर्णा की लवस्टोरी कैसे शुरू होती है? वो रुद्र की मुसीबतों को उससे कैसे दूर करती है?
रुद्र पुरानी यादें ताज़ा करके, कपड़े बदलकर सोने ही जा रहा था। तभी उसके दोनों भाई बहन विक्रम और स्नेहा उसके कमरे में आएं और उद्धम मचाने लगे। रुद्र ने ये सब देखकर थोड़ा गुस्सा होकर कहा, "ये सब क्या है? आप दोनों सोने के वक्त पर मेरे कमरे का नक्शा क्यूं बिगाड़ रहे हों?"
"वो इसलिए क्यूंकि आपने हमें अभी तक बनारस की फोटोग्राफी नहीं दिखाई है।" स्नेहा ने अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखकर कहा।
"कल सुबह दिखा दूंगा। अभी सोने दो।" रुद्र ने बिस्तर पर बैठकर कहा।
"जी नहीं, तुम हमें अभी के अभी सारे फोटोग्राफ्स दिखाओगे। वर्ना मैं बड़े पापा से कह दूंगा कि तुम वहां किसी प्रोजेक्ट के लिए नहीं बल्कि सिर्फ बनारस घूमने के लिए गए थे।" विक्रम ने धमकी भरे स्वर में कहा।
"ये आपका अच्छा है। मैं आपको सभी बातें बताता हूं। इसलिए आपको मुझे ब्लेकमैल करने का मौका मिल जाता है। चलिए कोई नहीं। कभी आपकी भी बारी आएंगी।" रुद्र ने उठकर अलमारी से अपना कैमरा निकालते हुए कहा।
"तुने ये बात तो झूठ कहीं। तू मुझे सारी बातें नहीं बताता है। अभी एक बात है जो तुने मुझे नहीं बताई है।" विक्रम ने रुद्र के पास बैठते हुए कहा। वो उसे बनारस के फोटोज़ दिखाने लगा।
"वो कौन-सी बात भैया जो भाई ने आपको नहीं बताई है?" स्नेहा ने पूछा। लेकिन फोटोज़ देखते ही दोनों उसमें इतना खो गए कि विक्रम ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर भी रुद्र या स्नेहा किसी ने विक्रम को दोबारा कुछ नहीं पूछा। रुद्र को खुद को हैरानी हो रही थी कि उसने इतनी खुबसूरत फोटोज़ खींची थी। लेकिन सारा कमाल सिर्फ उसकी फोटोग्राफी का नहीं था। कुछ कमाल बनारस के खुबसूरत घाट और गलियों का भी था। जिनकी ख़ाक छानकर रुद्र ने सारे फोटोग्राफ्स खींचे थे।

(क्रमशः)

_सुजल पटेल