14 फरवरी 2019 in Hindi Moral Stories by Damini books and stories PDF | 14 फरवरी 2019

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14 फरवरी 2019

पीली-पीली सरसों के खेतों के बीच भागती सुनीता माँ- बापू को आवाज़ें लगा रही थी।

"अम्मा-अम्मा फोन आया है भाई का फोन आया है।"

सावित्री खेतों में काम करते हुए हंसिया से खरपतवार हटा रही थी। बेटी की आवाज़ कानों में जाते ही सावित्री काम छोड़कर खड़ी हो गई।

"क्या हुआ लड़की? क्यों आसमान सिर पर उठा रही है?"

अपनी अम्मा की दोनों बाहों को पकड़ कर सुनीता उसे गोल-गोल घुमाने लगी।

"अम्मा बूझो तो सही, क्या खबर लाई हूँ?"
" अरी छोड़ लड़की चक्कर आ रहे हैं। "सावित्री अपना सिर पकड़कर वहीं जमीन पर बैठ गई।

" अम्मा बापू कहाँ है। "

" उधर चारपाई पर बैठे सुस्ता रहे हैं। "

" बापू-बापू इधर आओं खुशखबरी है। "

" आ रहा हूँ बिटिया काहें इतना हल्ला-गुल्ला कर रही हैं।"

कहते ही किसन, सुनीता और सावित्री के पास जाकर खड़े हो गए।

" बापू खबर ही ऐसी है। अभी-अभी भाई का फोन आया था।"

"क्या कह रहा था? कहाँ पर हैं, कब आएगा, कुछ बताया क्या? साल हो गया छोरे की शक्ल को देखे हुए। "एक सांस मे किसन ने सुनीता पर सवालों की बौछार लगा दी।

" बापू..... बीच-बीच में सांस तो भर लो, भैया कह रहे थे अभी तो किसी नई जगह पर पोस्टिंग हुई हैं जम्मू-कश्मीर के पास, नाम भी कुछ बताया था, याद ना आवे अभी। "

" बिटिया किती बार तोसे कहूँ जब भी उसका फोन आवे उसकी बात ध्यान से सुना कर।"नाराजगी जताते हुए किसन सुनीता से कहने लगा।

"बापू, मैंने सब ध्यान से सब सुना था।"रूंआसी होते हुए सुनीता कहने लगी।

" सब ध्यान से सुना था तो पूरी बात काहें समझ नहीं आई, सारा दिन बस फोन को कान से लगाकर गाने सुनती रहती है। " उलाहना देते हुए सावित्री ने सुनीता से कहा।

" अम्मा काहें बिना बात की बात बना रही है।भैया के आने की बात बता किसने बताई।"

" चल छोड़ सावित्री, बिटिया तू बता और क्या बोला सारी बातें विस्तार से बता? "किसन ने कहा।

" बापू ज्यादा बात कहाँ हुई, बस यही कहा कि अम्मा को कह दे होली पर आऊँगा। पूरे 15 दिन की छुट्टी मिली हैं बस फोन रखता हूँ, अभी सुमन से भी बात करनी हैं। कह कर फोन बंद कर दिया।"

आँखों में आए आँसुओं को अपनी साड़ी के छोर से पौछते हुए सावित्री की आँखों में चमक आ गई।

"सच कह रही हैं छोरी कोई मज़ाक तो नहीं कर रही म्हारे से। "

"अम्मा कैसी बातें कर रही है भैया की बात पर मज़ाक करूंगी थारे से। "

"सुनो जी मैं क्या सोचूँ? इस बार मैंने कौशल्या से कह देना है विदा करदे अब अपनी बिटिया को। अब का आया फिर ना जाने कब आएंगा। क्या कहते हो जी आप? इस बार तो बहू को घर ले आना हैं मैंने। "

" जैसी तेरी मर्ज़ी, जो जी में आएं कर, बेटा भी तेरा बहू भी तेरी आनी है। "

"क्यों आपका कोई ना लागे रमेश? "

"लागे क्यों ना पर प्यार तो म्हारे से ज्यादा थारे को करे है ना। "

"तुम ना समझो माँ - बेटे के प्यार को, प्यार तो तुमसे बहुत करे बस उसे जताना नहीं आता, रमेश के बापू, जल्दी करो यहाँ से सीधे कौशल्या के घर चलते हैं सारी बातें तय कर लेते हैं। " सावित्री मिट्टी से सने हाथों को झाड़ते हुए उठ खड़ी हुई।

"अरी बावरी हो गई है बेटे के आने की खुशी में, समधन के घर जाना हैं ऐसे जाएंगी मिट्टी से सने हुए हैं हाथ-पैर लेकर , पहलें घर चल कर मुँह-हाथ धोकर कपड़े बदलने दे फिर जाएंगे । "

" ठीक है जैसा कहों, चल बिटिया पहलें घर चलते हैं। "

घर पहुँचते ही कुएं से पानी खींचकर किसन वहीं आंगन में बिछी चारपाई पर बैठ गए। और सुनीता से कहने लगे।

" जा बिटिया साफ जोड़ा निकाल कर ले आ।"

"अभी निकालती हूँ बापू।"

कहकर सुनीता अन्दर चली गई। हाथ मुँह धोकर किसन ने कपड़े बदल लिए और सावित्री से कहने लगे।

"रमेश की माँ मैं बाजार से मिठाई ले आता हूँ ,तब तक तू बहू के लिए सामान इकट्ठा कर ले। " कहकर बाजार जाने के लिए उठ खड़े हुए।

"आप ठीक कह रहे हो जी, खाली हाथ तो मैं भी नही जाऊँगी बहू की विदाई की बात करने, अरी सुनीता जा ऊपर रखे संदूक में जो पाज़ेब बनवा के रखी है तेरी भाभी के लिए ले आ और साथ वो गुलाबी रंग की साड़ी भी संदूक से निकाल ले। "

" कौन सी साड़ी अम्मा। "

" अरी वही जो तेरा भाई तुम दोनों के लिए जयपुर से लाया था। "

" माँ वो लहरियां वाली। "

" हां-हां वहीं कह रही हूँ। "

" अम्मा बस अभी सारा समान इकट्ठा कर देती हूँ तुम चिंता मत करो। "

" कोई चिंता नहीं है मेरे को, ला मेरे लिए भी साफ जोड़ा निकाल दे, तेरे बापू तो आने से पहले मै कपड़े बदल लू। "

"अम्मा मैं क्या पहनूँ।"

" कुछ भी पहन ले छोरी, सब भला लागे थारे पे। "

अपनी माँ की बात सुनकर सुनीता तैयार होने चली गई। कुछ ही मिनटों में तैयार होकर माँ के सामने आकर खड़ी हो गई। और अपनी माँ से पूछने लगी

" बता तो अम्मा, कैसी लग रही हूँ। "

बेटी को देखकर सावित्री का एक मुँह खुला का खुला रह गया।
माथे पर हाथ मारते हुए उससे कहने लगी।

" ये क्या किया? छोरी, सफेद रंग का जोड़ा कोई और रंग का जोड़ा नही मिला तुझे, शादी-ब्याह की बात करने जा रहे हैं ये कैसी अपशकुनी फैला रही है, जा अभी के अभी बदल कर आ।इत्ती बड़ी हो गई है पर अभी अक्ल धेले की नहीं है । "कहते हुए सावित्री का चेहरा गुस्से से तमतमाने लगा।

" अम्मा.....गुस्सा काहे हो रही है। , रूंआसी होते हुए सुनीता माँ से कहने लगी, "भैया ही तो लाया था पिछली बार यही सोच कर पहन लिया तू परेशान मत हो अभी कोई दूसरा जोड़ा पहन लेती हूँ। "

"जो करना है छोरी जल्दी कर, तेरे बापू आ गए तो गुस्सा करेगें।"

" अम्मा दो मिनट में आती हूँ। "कहकर सुनीता कपड़े बदलने चली गई। कपड़े बदलकर आते ही सुनीता देखती है कि उसकी माँ आंगन के चक्कर लगा रही है।

" अम्मा देर नही कर दी बापू ने नुक्कड़ तक तो जाना था। "

"मैं भी यही सोच रही हूँ, तू ही जरा बाजार तक देख कर आ कहाँ रह गए हैं तेरे बापू। "

"अम्मा कोई मिल गया होगा राह में, उसी से बतिया रहे होंगे। "

" बतियाने का भी कोई टैम होवे, यहाँ सारी तैयारी करके बैठे हैं और भला हो उनका कहाँ गायब हो गए। "

"अम्मा गुस्सा थूक दे, अभी देख कर आती हूँ बापू को कि कहाँ बैठे बतिया रहे हैं। "

अभी सुनीता ने घर की दहलीज़ भी पार नहीं की कि उसका फोन बज उठा।

" अब इस वक्त किसका फोन आ गया है, जब देखो वक्त बेवक्त ये मुआ बजता रहता है। "

खीजते हुए सावित्री बोली।

"अम्मा देखने तो दे, काहें इतना बड़बड़ा रही है, अरे भाभी के घर से ही फोन हैं, हैलो कौन राम-राम मौसी, हां-हां अभी करती हूँ, जरा ठहरो मौसी, देखने तो दो आपको किसने बताया, हां-हां नहीं-नहीं मौसी ऐसा नहीं हो सकता आपको गलतफहमी हो रही होगी।" बात करते हुए सुनीता की आवाज धीमी हो गई।

"अरी क्या हुआ? ये टीवी क्यूँ चला रही है, वैसे ही देर हो रही है अब तूने क्या देखना है? बंद कर बापू भी तेरे आने वाले होंगे।" "

"अम्मा...... जरा रूक तो सही, कौशल्या मौसी कह रही है, टीवी में खबर आ रही है मिलट्री की बस को आतंकवादियों ने उड़ा दिया है।"

"आतंकवादियों ने?" हाय राम, नाश हो इन लोगों का कोई दया धर्म नहीं है इनका।

"अम्मा.... दबी जुबान मे सुनीता अम्मा कहते हुए सावित्री के गले लग गई। अम्मा अपने रमेश भैया भी उस बस में हैं। "

"चुपकर नासपीटी क्या अनाप-शनाप बोल रही है, कहते हुए उसे अपने से अलग करने लगी। कौशल्या उसे कैसे पता रमेश उस बस में हैं । "कहते हुए सावित्री की जुबान घबराहट से लड़खड़ाने लगी।

" अम्मा, भैया भाभी से फोन पर बात कर रहा था कि एक जोर सा धमाकेदार आवाज़ सुनाई दी।"कहते ही सुनीता फूट-फूटकर रोने लगी ।

"सुनीता बेटा जरा थैला तो पकड़ बेटा, सारे सामान के साथ इसे भी रख दे।"

कहते हुए किसन कमरे में दाखिल हुए और सामने सुनीता और सावित्री के आँसुओं से भीगे हुए चेहरों को देखकर उनके होश उड़ गये। टीवी पर आती हुई खबर को सुनते ही उनके हाथों से सामान छूटकर जमीन पर बिखर गया।

अभी-अभी खबर मिली है कि आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर हाईवे पर पुलवामा के पास मिलट्री की बस पर हमला किया हैं किसी के भी बचने की कोई उम्मीद नहीं है। कुछ दृश्य आपको विचलित कर सकते हैं।

" रमेश की बापू अपना रमेश.....