Hansi ke Baare Men Kitna Jaante Hain in Hindi Health by S Sinha books and stories PDF | हँसी के बारे में आप कितना जानते हैं

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हँसी के बारे में आप कितना जानते हैं

हँसी के बारे में आप कितना जानते हैं


आपने सुना होगा फनी बोन के बारे में - नाम फनी बोन पर जरा सी लगी नहीं कि सब फन भूल कर रूला देती है यह बोन . आईये जानते हैं फनी बोन के बारे

हमारे शरीर में कुछ बातें ऐसी हैं जो फनी ( मजाकिया ) लगती हैं , जैसे किसी को हँसते देख खुद हँस पड़ना , किसी को यॉनिंग ( जम्भाई लेते ) देख खुद जम्भाई लेना . पर हमारे शरीर का एक अंग ऐसा है जिसे फनी तो कहते हैं पर यह फनी नहीं है क्योंकि इसमें लगी हल्की चोट भी असहनीय होती है , जिसे फनी बोन कहते हैं . इस दर्द को फनी किसी कीमत पर नहीं कहा जा सकता है फिर भी जिसे लगी है उसे फनी बोन कहा जाता है .

फनी बोन क्या है - सबसे फनी बात तो यह है कि यह बोन ( हड्डी ) है ही नहीं .यह एक नस है जिसे मेडिकल भाषा में अलनर नर्व कहते हैं . यह स्पाइन का एक एक्सटेंशन है जो एल्बो जॉइंट के पीछे से होते हुए पिंकी ( कनिष्ठा ) और रिंग ( अनामिका ) फिंगर तक जाती है . इसके चलते हमारे फोरआर्म , पिंकी , रिंग फिंगर में संवेदना होती है और हमारे हाथ और कलाई की मूवमेंट में मदद करता है .

इसमें चोट ज्यादा क्यों महसूस होती है - हमारे एल्बो जॉइंट के पास एक संवेदनशील बिंदु है जो बोन और त्वचा के बीच में स्थित है . अलनर नर्व एल्बो के पास टिश्यू से बनी एक टनल से हो कर गुजरती है . पर इस ख़ास बिंदु पर जब एल्बो मुड़ी हो ,इस नस के पास किसी टनल , टिश्यू या मस्ल का सुरक्षा कवच नहीं रहता है . जब किसी कारणवश इस बिंदु पर हल्की सी कोई चोट लगती है तो नस पर दबाव पड़ता है और जोरों की टिंगलिंग या झनझनाहट होती है . यह खास कर तब होता है जब एल्बो मुड़ी होती है क्योंकि उस स्थिति में यह संवेदनशील बिंदु असहाय रहती है , इसके ऊपर सिर्फ त्वचा का कवच रह जाता है . नस पर प्रेशर पड़ने के चलते कुछ पल के लिए इसका सम्पर्क मस्तिष्क से टूट जाता है जिसके चलते फोरआर्म से लेकर नीचे अँगुलियों तक दर्द और नंबनेस होती है .

फिर इसे फनी बोन क्यों कहते हैं - हालांकि यह बोन नहीं फिर भी इसे फनी बोन क्यों कहते हैं , इसके पीछे दो सिद्धांत हैं . पहली थ्योरी के अनुसार एक अजीब सा अहसास जो एल्बो की एक खास बिंदु पर चोट लगने से होता है . फनी इसलिए कि यह दर्द आम नर्व पेन या हड्डी के दर्द से बिलकुल अलग है , जैसा बिजली से झटका वाला अहसास , टिंगलिंग या नंबनेस . दूसरी थ्योरी दरअसल शब्दों का फेर है . इस शब्द का उच्चारण अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषा में काफी मिलता है . अलनर नर्व एल्बो की हड्डी के पास से गुजरती है जिसे मेडिकल भाषा में ह्यूमरस ( अंग्रेजी में स्पेलिंग humerus ) कहते हैं जो अंग्रेजी के ह्यूमरस ( humorous ) से बहुत मिलता जुलता है .अंग्रेजी में ह्यूमरस का मतलब फनी हुआ .

अब बात करते हैं कि हँसी के बारे में आप कितना जानते हैं -

हँसी सभी को अच्छी लगती है . हँसी के बारे में कुछ रोचक बातें क्या आप जानते हैं -


1 . हँसी सिर्फ मज़ाक नहीं है - आप किसी वयस्क से जोक या मज़ाक के बारे में पूछें तो अक्सर यही कहेगा कि हाँ उसे अच्छा लगता है और उन्हें सुन कर हँसता है . पर आदमी सबसे ज्यादा अपने दोस्तों से बातें कर हँसता है . मेरीलैंड यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर रोबर्ट प्रोविन के अनुसार जब आदमी दोस्तों और लोगों के बीच होता है तब सूक्ष्मता से देखें तो वार्तालाप के दौरान जोक नहीं भी हो तो उनके वक्तव्य और टिप्पणी पर हँसते हैं भले ही उनमें हंसने की कोई बात नहीं हो . यह एक संवाद का जरिया है न कि सिर्फ जोक पर प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया .


लाफ्टर साइंस के अनुसार हँसी जोक से ज्यादा सोशल बिहेवियर है जो इस बात का संकेत है कि हम सामने वाले को पसंद करते हैं और उसे समझते हैं .


2 . आपका दिमाग नेचुरल और बनावटी हँसी में अंतर समझता है - ब्रेन के इमेज का अध्ययन कर कहा जा सकता है कि किसी की हँसी बनावटी है या नेचुरल . बनावटी हँसी सुन कर ब्रेन के एक हिस्से “ एंटीरियर मेडियल प्रिफ्रोंटल कोर्टेक्स “ में तेज हलचल होती है . यह भाग हँसने वाले की मनोभावना पढ़ने में सक्षम है और नकली या जबरन हँसी को स्वतः पहचान लेता है .


3 . हँसी संक्रामक होती है - हँसी कोई रोग नहीं है पर संक्रामक जरूर है . ब्रेन के स्कैन से यह पता चलता है कि हँसी संक्रामक है .इस संक्रमित हँसी से भी स्वाभाविक हँसी और बनावटी हँसी का अंतर समझा जा सकता है .ब्रेन स्कैनिंग के दौरान नेचुरल या बनावटी हँसी में अंतर् उस व्यक्ति के चेहरे की मांसपेशियों में होने वाले रेस्पोंस से समझा जा सकता है .


4 . लोगों को कॉमेडियन पसंद है - किसी की हँसी देख कर किसी अन्य को भी हंसी आती है .किसी स्टेज प्रोग्राम में कॉमेडियन अपने परफॉर्मेंस के दौरान बीच बीच में लोगों को वार्म अप कर दर्शकों का एनर्जी लेवल बनाये रखने का प्रयास करता है .कॉमेडियन द्वारा सुनाये गए जोक या चुटकुले पर लोगों को ज्यादा हँसी आती है .


5 . हँसी आपको फिटनेस नहीं देता - आपने सुना होगा या पढ़ा होगा कि हँसी स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है . इंटरनेट पर इस बारे में अनेकों पोस्ट मिलेंगे . क्या आप जानते हैं कि दौड़ने से ज्यादा कैलोरी हँसने में जलती है .हंसने से एनर्जी की खपत और हार्ट रेट 10 - 20 प्रतिशत बढ़ जाते हैं , यह प्रति 10 - 15 मिनट तक हँसने पर 10 - 40 कैलोरी एक्स्ट्रा जलाती है


6 . हँसी से रिश्ते बेहतर होते हैं - बर्कली यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के प्रोफेसर बॉब लेवेंसन के अनुसार आपस में एक दूसरे की भावना समझ कर , हँसने और मुस्कुराने से रिश्ते बेहतर और ज्यादा टिकाऊ होते हैं .


7 . हँसी , लाफ्टर की सही टाइमिंग होनी चाहिए - वार्तालाप के दौरान लोग वाक्य के समाप्त होने पर हँसते हैं . आपने देखा होगा कि साइन लैंगुएज में भी जब कोई बात करता है तो वाक्य या संवाद की समाप्ति पर हँसता है हालांकि वह चाहे तो बीच में हँस सकता है .


किसी मंझे हुए कॉमेडियन को यह कला आनी चाहिए कि वह अपने दर्शकों और श्रोताओं को हंसने का समय दे और बीच में थोड़ी देर के लिए वह रुक जाए .


8 . अजनबी की हँसी आकर्षक होती है - देखा गया है कि हमारे जोक पर अगर कोई अजनबी हँसता है तो वह ज्यादा ही आकर्षक लगता है .


9 . आपके हँसने की गारंटी - किसी भी कॉमेडियन के पास ऐसा जोक नहीं है जो लोगों को सर्वत्र और बहुत देर तक आकर्षक और हास्यपद लगे .फिर भी कुछ बातें हैं जो हँसाने में किसी कॉमेडियन के जोक से ज्यादा असरदार हैं , जैसे किसी ऐसे व्यक्ति का विडिओ क्लिप देखें जिसमें वह आदमी अपनी हँसी छुपाने के प्रयास में परेशान हो क्योंकि उस जगह पर हँसना असभ्य या वर्जित है .