कुछ लोगों ने मोहब्बत जैसे पाक रिश्ते को इस हद तक बदनाम कर रखा है की मोहब्बत का नाम सुनते ही लोगों के मन में GF_BF वाली इमेज बनने लगती है... मुझे नहीं लगता ये सही है। दो टके के ये रोड़ साइड आशिक जानते तक नहीं की मोहब्बत किस चिड़िया का नाम है। और हरकते ऐसी की भगवान भी मोहब्बत करने से डरे। पर मुझे लगता है मोहब्बत एक बहुत प्यारा और मजबूत सा बंधन है... हाँ अगर एक लाइन में कहना चाहे तो राधा और कान्हा की मोहब्बत।बस इसके अलावा जिस मोहब्बत की बात हो वो छलावा है।मोहब्बत हमेशा पाक थी और पाक रहेगी हाँ ये अगल बात है की लोग अपने अपने हिसाब और जिन्दगी के अनुभवों के आधार पर इसकी परिभाषा देते रहते है...पर सही मायनों में मैं यही मानती हु की दुनियाँ में आज तक दो आदर्श प्रेमी जोड़े हुए है। एक भगवान शिव जिन्होंने अपनी मोहब्बत के लिए बरसो इंतज़ार किया और जब तक उन्हें अपनी जीवनसंगिनी वापस नहीं मिल गयी तब तक उन्होंने सारी दुनिया का त्याग कर दिया। वो सती की याद में सन्यासी बन गए। पूरी सृष्टि से दूर हो गए। और उनकी मोहब्बत की खातिर सती को पार्वती बन लौट आना पड़ा। जबकी दूसरी तरफ हमारे आज कल के प्रेमी जो कहते है की उन्हें मोहब्बत है पर 4 दिन के इंतज़ार में ही उन्हें नई प्रेमिका चाहिए। दूसरा कान्हा और राधा। जिनका प्रेम इतना पावन था कि भारतीय संस्कृति में उन्हें ही बिना शादी के स्वीकार किया गया। वरना तो आज के जमाने में केवल शादी ही मोहब्बत का पर्याय बन गया है। अगर शादी की है तो मोहब्बत है वरना ना जाने क्या क्या राय बना ली जाती है। पर मुझे लगता है कुछ रिश्ते शादी के बाद भी मोहब्बत के बंधन में नहीं बंध पाते। शादी केवल एक सर्टिफिकेट है जो समाज और परिवार के लोगो द्वारा दिया जाता है जिसके बाद कुछ भी अनुचित नहीं रह जाता... यहाँ तक की पति द्वारा पत्नी को प्रताड़ित करना भी स्वीकृत है।जबकि प्रेम अनंत है उसे चंद शब्दों में बयाँ करना आसान नहीं है। पर यहाँ जो जितना समझ पाया है उसने अपने शब्दों में प्रेम को परिभाषित किया है। मै अपनी समझ के हिसाब से कहती हू... प्रेम इंतज़ार है.... वो दुनिया के हर रिश्ते से परे है...। मेरी ये समझ शिव पार्वती और राधा कान्हा के प्रेम से उत्पन्न हुई है। जिनसे यक्तिगत रूप से मैं बहुत प्रभावित हु।और ये प्रेम आज की युवा पीढी के प्रेम से बहुत अलग है....मोहब्बत शब्द जितना सरल है निभाना उतना ही मुश्किल। हाँ ये बात अलग है की अब जब किसी के सामने ये बाते की जाए तो वो हँसता है पर उसका हँसना जायज भी है क्युंकि इस पावन शब्द को इस कदर बदनाम किया गया है... बिना जाने..बिना समझे लोग किसी भी अहसास को मोहब्बत का नाम दे देते है।जैसा की मैंने पहले बताया प्रेम अनंत है.... कोई भी श्रणिक अहसास कभी प्रेम का रूप नहीं ले सकता और दो दिन में भुलाया जा सकने वाले रिश्ते कभी प्रेम के वास्तविक स्वरूप को नही पहचान सकते। प्रेम सत्य है एक ऐसा सत्य जिसे हर कोई न तो समझ सकता है और न ही स्वीकार कर सकता है।
जिसे तुम कहते हो वो तो कभी प्रेम नहीं हो सकता।
प्रेम में हर पल हसीन नहीं होता... ये फूलों का नहीं बल्कि शूलों का सफर है... जिसे पार कर ही अपनी मंजिल को पाया जा सकता है। कृष्ण की तरह बिना किसी बंधन के राधा को चाहना प्रेम है। शिव की तरह बिना किसी उम्मीद के सती का इंतज़ार करना प्रेम है।