Unsolved Questions (Part 7) in Hindi Short Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अनसुलझा प्रश्न (भाग 7)

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अनसुलझा प्रश्न (भाग 7)

19--उपलब्धि
वह रेलवे से चालीस साल की सेवा पूरी करके निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो रहा था।अपने सेवाकाल के दौरान उसे अनेक अफसरों के आधीन काम करने का मौका मिला था।।लेकिन वह किसी का भी न विश्वास जीत पाया न विश्वासपात्र बन पाया।हर अफसर ने उसे शक की नज़र से देखा।इसी का नतीजा था कि उसके साथी पदोन्नत होकर अफसर बन गए लेकिन वह इंस्पेक्टर ही रह गया।किसी भी अफसर ने उसे जिम्मेदारी के पद पर नही रखा।
न वह साथी कर्मचारियों का विश्वास जीत पाया न ही मातहत कर्मचारियों को खुश रख पाया।साथियों को प्रताड़ित और मातहतों को दंडित कराने का उसने कोई मौका नही छोड़ा।इसी का नतीजा था कि सेवानिवृत होने पर कोई पार्टी नही दी गयी।उसके जाने पर लोग खुश थे।
20--डर
"सेठजी मेरा बच्चा भूखा है।कुछ दे दो भगवान भला करेगा,"कार से उतरते ही सेठ लीला धर के आगे हाथ फैलाकर एक भिखारन गिड़गिड़ाने लगी।उसकी गोद मे बच्चा रो रहा था।
"भीख क्यो मांगती हो?बच्चे के बाप से क्यो नही कहती पैसे कमाए,"सेठ लीला धर बोले"कौन हरामी है इसका बाप?"
"आप जैसे ही कई शरीफो ने रात के अंधेरे में मेरे साथ मुह काला किया था।पता नही कौन है इसका बाप?"
भिखारन की बात सुनकर सेठ को उस रात की याद आ गयी।उसके दोस्त जबरदस्ती एक औरत को कार में डाल लाये थे। दोस्तो के साथ उन्होंने भी--
कही भिखारन उन्हें पहचान न ले इस डर से दस का नोट फेंककर चलते बने।
21--चाहत
पुश्तेनी मकान के एक हिस्से में वह और दूसरे में उसकी विधवा भाभी अपने बेटे के साथ रहती थी।
वह रोज देखता।उसका भतीजा अपनी माँ की क्या दुर्गति करता है।फिर भी सोचता।अगर निसन्तान न होता,तो पत्नी की मौत के बाद उसे अकेले न रहना पड़ता।
22--रफ्तार
"पापा दिल्ली आज ही चलते हैं?
शाम लाल का बेटी के साथ कल दिल्ली जाने का प्रोग्राम था।लेकिन बेटी ने आज ही चलने के लिए कहा तो वह बोले,"आज ही क्यो?"
"पापा यमुना एक्सप्रेस वे आज आधी रात तक टोल टैक्स फ्री है।आज ही दिल्ली हो आते है तो हज़ार डेढ़ हजार बच जाएंगे।"
आगरा से नोएडा के बीच यमुना एक्सप्रेस वे का निर्माण हुआ था।इसके बन जाने से दिल्ली आगरा के बीच की दूरी पचास किलो मीटर कम हो गयी थी।अब दिल्ली दो घण्टे में पहुंचा जा सकता था।एक्सप्रेस वे पर पांच सौ रु टोल टैक्स रखा गया था।बेटी की बात सुनकर शाम लाल आज ही जाने के लिए तैयार हो गए थे।
राष्ट्रीय राजमार्ग से कार से दिल्ली जाने में पांच छह घण्टे का समय लगता था ।रास्ते मे जाम हो तो और ज्यादा समय भी लग जाता था।इसलिय शाम लाल जब भी दिल्ली जाते ट्रेन से जाना ही पसंद करते थे।
शाम लाल बेटी के साथ चल दिये।कार राधा चला रही थी।एक्सप्रेस वे पर कार सौ किलो मीटर की गति से दौड़ रही थी।कार ड्राइविंग में आनंद आ रहा था।न जाम।न अन्य कोई रुकावट।अचानक कार का अगला पहिया न जाने कैसे निकल गया।और कार लुढ़कती हुई एक पेड़ से जा टकरायी।
शाम लाल तो इस दुर्घटना में बच गए लेकिन उनकी बेटी राधा इस दुर्घटना में नही बच पायी।कहते है-मौत जहाँ लिखी होती है,वह आदमी को वहीं ले जाती है।