Phool bana Hathiyar - 17 in Hindi Fiction Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | फूल बना हथियार - 17

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फूल बना हथियार - 17

अध्याय 17

अक्षय की आंखों में बहुत ज्यादा डर बैठ गया। मोबाइल को बंद करके उसे हथेली में रख परशुराम को देखा।

"अंकल! ललकारने वाला कौन है पता नहीं चला?"

"वह आज रात को 11:00 बजे तिल्लैय गंगा नगर में एक पुराने चर्च पर आने को कहा है...?"

"वह पक्का आएगा ऐसा आप सोचते हो क्या अंकल ?"

"पक्का आएगा.... यामिनी और दूसरी दो लड़कियों और वॉचमैन ईश्वर को किडनैप करने वाले का ब्लैकमेल करने का उद्देश्य रुपए छीनना होगा...."

"अंकल यह ईश्वर का काम क्यों नहीं हो सकता...?"

'व्हाट्सएप' में रिकॉर्ड हुआ वॉइस ईश्वर का नहीं था ."

"उसने दूसरे के साथ पार्टनरशिप करके किडनैप का काम किया होगा....?" कहकर अक्षय ने दीर्घ श्वास छोड़ा।

"अब हम क्या करें ?"

"इसमें सोचने के लिए कुछ नहीं है अक्षय। समस्या आने के बाद उसे हमें फेस ही करना पड़ेगा । इस तरह की समस्याएं मैंने अपने जीवन में देखा है और उसे फेस करके जीता भी हूं। तुम्हारे अप्पा कोदेण्डन आज दोपहर को दिल्ली से चेन्नई आ जाएंगे। इस तरह के समय में कैसे काम करें तुम्हारे अप्पा हो अच्छी तरह से मालूम है।"

"मुझे अप्पा के होने का ही हिम्मत है....!" कहकर अक्षय माथे को पकड़कर दीवार के किनारे पर पड़े हुए ऑरेंज रंग के कुर्सी में थक कर बैठ गया।

पुलिस कमिश्नर ऑफिस के सामने आदमी और महिलाएं ऐसे 40 पत्रिकाओं के पत्रकार तपती दोपहर में गर्मी की परवाह किए बिना नारे लगा रहे थे। वे हाथों में बोर्ड को लिए हुए थे। उसमें स्केच पेन से नारे लिखे हुए थे।

'सुरक्षाकर्मी पत्रिका के व्यवसाय को बचाओ...!

"गायब हो गए यामिनी को हमारे आंखों के सामने लाकर खड़ा करो !"

"भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों को दबा के रखो !"

"नहीं तो हमारी लेखनी बंदूक में बदल जाएगी।

पत्रिका वालों के साथ मिलकर नकुल भी गले के नसों के फूलने जैसे उद्घोष कर रहा था। पुलिस इंस्पेक्टर एक पत्रकारों के सामने आकर खड़े हुए।

"कृपा करके नारे लगाए बिना चुपचाप बैठ जाइए.... कोई पांच लोग सिर्फ अंदर आकर कमिश्नर से मिलिए। लड़की पत्रकार यामिनी के गायब होने की हमें भी आप लोगों से ज्यादा चिंता है और हमारा कर्तव्य भी अधिक है। यामिनी को ढूंढने के लिए इस तरह के नारेबाजी करने के बदले आप लोगों को हमारा साथ उसे ढूंढने में देना चाहिए। आप लोगों का साथ ही हम पुलिस वालों को चाहिए।।"

भीड़ चुप हो गई।

"धन्यवाद आप में से कौन पांच जने कमिश्नर से मिलने आ रहे हैं...?"

भीड़ में पहले कतार में बैठे लोगों में चार जने और नकुल कमिश्नर रामामृथम को देखने अंदर गए। ए.सी. चल रहें कमरे के अंदर गए।

चेहरे में फिक्र के साथ रामामृथम दिखाई दिए। सबको बैठने के लिए कह कर धीरे से बोलना शुरू किया।

"गायब हुई यामिनी को ढूंढने में आप लोगों को जितनी जल्दी और उत्साह है मुझे भी उतनी ही है। कल रात को भी मैं नकुल के साथ एक सूचना मिलने पर इदम ट्रस्ट पर जाकर संदेह के नाम से तलाशी ली। पर कोई फायदा नहीं हुआ।

एक पत्रकार बोला "सर ! यह जरूर एक भ्रष्टाचारी राजनीतिक का ही काम होगा। यामिनी इस तमिलनाडु के भ्रष्ट राजनीतिकों के बारे में सच्चे-सच्चे लेख लिखकर 'यह समाज के पापी हैं' ऐसे शीर्षक पर लिखती थी। फेसबुक पर हर हफ्ते स्टेटस भी डालती थी। मैं भी एक दिन यामिनी को देखकर पेन में स्याही के बदले एसिड को डालकर मत लिखो यामिनी कहा था। तुम्हारा गुस्सा बिल्कुल सही है। परंतु उसको बाहर निकालने के तरीके में थोड़ा सुधार करो मैंने बोला था। उसके लिए यामिनी बोली ‘चूहे को देखकर शेर को डरना नहीं चाहिए’...."

नकुल बीच में बोला "मैंने भी इस विषय में यामिनी को कई बार वार्न किया था सर। परंतु वह नहीं मानती.... 'मैं एक वन वीमैन आर्मी !' मेरी शरीर में जब तक जान है अन्याय को मैं सहन नहीं करूंगी। उसके विरुद्ध लड़ूंगी वह ऐसा बोलती । यामिनी के ऐसे बोलते समय एक तरफ मुझे डर लगता तो दूसरी तरफ गर्व होता। आज तमिलनाडु में कोई भी राजनीतिज्ञ इस भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। जिस भ्रष्ट राजनेता से यामिनी ऐसी विपत्ति में आई है उसे हम कैसे ढूंढ सकेंगे?"

कमिश्नर रामामृथम अपने स्थान पर ही रखें एक फाइल को खोलें। मेरा संदेह चार राजनीतिको के ऊपर है। एक पहले के मंत्री उनका नाम पंचवर्णम, दूसरे रिटायर हुए एक न्यायाधिपथी जंबूलिंगम। यह लोग राजनीतिक दोषियों की तरफ से अपना फैसला देकर करोड़ों रुपया जमा कर रखा है। तीसरा आदमी लड़के और लड़कियों के मामले में अपराधों के बारे में न्याय वाले ढंग से कई मामलों में बोले हैं। इसलिए यामिनी नीलकमल पत्रिका में दो हफ़्ते पहले 'नए असुर' नामक शीर्षक से दो शब्दों में एक लेख लिखा था। लिस्ट में जो चौथा आदमी हैं योजना कमिश्नर के दंडायुद्धम। भ्रष्टाचार का यह सुपरस्टार है। ऐसा एक पत्र तैयार करके पोस्ट से यामिनी ने उनके पते पर भेजा था। इन चार लोगों में से यामिनी के गायब होने में किसी एक का हाथ होगा। इसलिए इन लोगों के ऊपर निगाह रखने के लिए एक 'शैडो स्क्वाड' को बनाया है। किसी भी तरह यामिनी को दो दिन के अंदर खोज लेंगे ऐसी मुझे आशा है। इसलिए यह विरोध की जरूरत नहीं। इस ऑफिस के सामने गला फाड़कर चिल्ला कर नारे लगाने से कोई फायदा नहीं...."

"यामिनी को दो दिन में वापस ले आओगे सर ?"

"पक्का"

"यदि कहीं नहीं ढूंढ पाए तो...?"

"इस तरह के 'नेगेटिव अप्रोच' प्रश्नों का मैं जवाब नहीं दे सकता। एक दोषी को ढूंढ सकते हैं ऐसा विश्वास के साथ ही पुलिस डिपार्टमेंट अपने काम करती है !"

नकुल अपनी आंखों में आंसू चमकते हुए कमिश्नर से बोला "सर! मैं चार दिन तक देखूंगा। उसके अंदर मेरी यामिनी मेरे आंखों के सामने होनी चाहिए। नहीं तो आपके ऑफिस के सामने मुझे मरने तक भूख हड़ताल करना पड़ेगा !" शांत स्वर में कहकर उस कमरे से नकुल बाहर आ गया।

दोपहर के 3:00 बजे!

दिल्ली से चेन्नई वापस आए अक्षय के अप्पा कोदंडन गुस्से में एक आग के गोले जैसे बदले, उनके सामने बैठे हुए अक्षय, परशुराम, डॉक्टर उत्तम रामन तीनों लोगों को जलाने जैसे निगाहों से देखा।

"डॉलर की वर्षा होने वाले समय में ऐसा एक बिना जरूरत की एक समस्या को पैदा कर दिया.... टीवी में किसी भी चैनल को बदलो तो यमिनी का मैटर ही आता है.... हम किसी के ऊपर भी हाथ रख सकते हैं। परंतु पत्रकारों से किसी तरह की कोई शत्रुता नहीं रखनी चाहिए।"

परशुराम सिर को झुका कर बोले।

"सॉरी.... कोदंडन....! वह यामिनी लड़की अपने ट्रस्ट में आई थी तब हरिदा के डेड बॉडी को ले जा रहे थे उसको उसने पता नहीं कैसे देख लिया!"

"तुम कितनी असावधानी से रहे....! कोई भी समस्या आए तो उसे दूर करने के लिए मैं एक हूं ऐसा एक लापरवाही है तुम में...!"

अक्षय बीच में बोला।

"अप्पा ! जो हो चुका उस विषय के बारे में बात करके अब कोई फायदा नहीं है। अपनी इन कार्यवाहियों का किसी को पता चल गया है और हम उसके चंगुल में फंस गए हैं। उसे कैसे संभाले यह एक बड़ी फिक्र है.... आज रात को 11:00 बजे नंगानल्लूर के पास जो तिल्लैय गंगानगर में एक पुराने चर्च में आने के लिए बोला है। जाना है... या नहीं जाना है?"

"जाना ही पड़ेगा.... वह जो कोई भी है वह पुलिस में जाना नहीं चाहता। उसके लिए रुपए ही मुख्य है। उसके मांगे रुपयों को देकर इस समस्या को गुपचुप रूप से ही खत्म करना है !"

डॉक्टर उत्तम रामन हिचकते हुए बीच में बोले।

"वह बहुत बड़ा अमाउंट मांगे तो...?"

"देना पड़ेगा.... उससे सौदा नहीं कर सकते। क्योंकि उसने हमें सिर्फ पाँच मिनट का समय दिया है।"

"हमारे देने के बाद भी वह जैसे बोलें वैसे करेगा क्या ?"

"अक्षय ! तुम्हारे पास तो उसका मोबाइल नंबर है। उसको फोन करके देखो...!"

"उसने सिम कार्ड बदल दिया। पुराने नंबर को ट्रेस करके देखा। 'अननोन' की ही आवाज आ रही थी।"

कोदंडन अपने माथे को पकड़ा। सब जानने वाला आदमी है लगता है..... आज रात को उसे मीट करना ही पड़ेगा।"

"उस पुराने चर्च में कौन-कौन जाने वाला है ?"

"हम चारों !" ऐसा कह कर कोदंडन अक्षय की तरफ देखा। तिल्लैय गंगा नगर में पुराना चर्च कहां है जाकर देखा?"

"देखा अप्पा ! वहां कोई मकान नहीं है । वह सुनसान एरिया में है। बहुत सारे पेड़ों के बीच घिरा चर्च पुराने खंडहर जैसे खड़ा है । दोपहर के समय डर लग रहा था। उस चर्च को बनाए 100 साल से ज्यादा हो गया होगा ऐसा वहां एक बुजुर्ग खड़ा था उसने बोला। उनसे कुछ देर बात करने पर एक बात उन्होंने और बताई। उसको सुनने के बाद मेरे मन के अंदर धक-धक होने लगी....."

डर से जमे हुए चेहरे के साथ तीनो लोगों ने अक्षय की तरफ देखा तो अक्षय बोलने लगा।

"उस चर्च को वहां के लोग 'डेविल चर्च' बोलते हैं।

"डेविल चर्च ?"

"हां.... 100 साल के पहले बनाए गए उस चर्च में जो फादर लोग थे वहां वे सभी लोग किसी न किसी कारण से आत्महत्या करके मरे। ऐसे ही 45 घटना घटने से चर्च के निर्वाही ने चर्च को बंद कर दिया। चर्च के कन्वीनर देवसहायम अमेरिका जाकर 'सेटल' हो जाने से इस चर्च के बिना देखभाल के कारण सब कुछ खराब हो गया पेड़ों के बीच में खड़ा हुआ है... अच्छी दोपहरी में भी यहां कोई आता-जाता नहीं।"

"सौदा करने के लिए ठीक जगह को सेलक्ट किया है।"

कोदंडन बोलकर खत्म भी नहीं किया कि अक्षय का मोबाइल बज उठा। कौन बोल रहा है अक्षय ने उठाकर देखा।