Some bonds also happen like this. in Hindi Poems by Aziz books and stories PDF | कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

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कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

जो प्यारे से जज़्बात से जुड़े,
ओर महोब्बत तक का सफर तय करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

जो उम्मीद बने तब जब रब भी तुमसे रूठे,
हाथ थामे तुम्हारा तो उम्मीद बाँधा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

रूठ ले पूरी दुनिया फिर भी कोई फर्क नही,
पर उसके रूठने से हम खुद से नाराज हुआ करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

हँसने का चाहे मन न हो फिर भी अपनी,
एक मुस्कान से मेरे होंठो पे हँसी लाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

याद कभी न रही दुनिया और, उसे कभी भूले नही;
याद करने को वजह नही हम याद, बेवजह किया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

आँसू न आये पलको से जो दुनिया मे कुछ हो जाये,
तुम्हे चुभे कांटा भी तो अश्रु आया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

नही किसी की परवाह हमे जग जाहिर था ये,
आज तेरी परवाह में हम फिर दुआ पढ़ा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

माफी कभी न मांगी मैंने दुनिया मे किसी से भी;
सिर्फ मनाने खातिर तुजे, माफी के लिए कान पकड़ा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

जुकाते नही सर अपना कही किसी के आगे,
पर तेरे सामने खुशी से घुटनों पर सर जुकाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

नही थी जान की फिक्र रोने को कहाँ कोई था,
पर अब जान की परवाह में खुद को बचाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

कुछ भी पहने ओर चल दिये देखन को कोई न था,
पर अब तेरे लिये क्या पहने हररोज सोचा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

रो न पाते थे कभी किसी के आगे,
अब दर्द तेरी आग़ोश में रो कर बांटा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

रोक ले कोई हमे ये किसी की हिम्मत न थी,
पर अब सिर्फ तेरे इशारे से रुक जाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

कभी किसी रब से दुआ ही नही की हमने,
अब सिर्फ तेरी दुआ कबुल हो ये दुआ किया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

की नही उम्मीद तक कभी किसी से मिलने की,
आज इंतजार में तुमसे मिलने के वक़्त बिताया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

कभी न रात जाग के गुजारी किसी की याद में,
आज तेरी यादों में हम यूँ हर रात जागा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

चाह न थी कुछ बनने की कभी किसी के लिए,
आज तेरे खातिर कुछ बनने की कोशिश किया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

ख्वाब क्या होते है? कभी सोच के न देखा,
आज हर ख्वाब हम सिर्फ तेरे लिए पुरा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

गुस्से में हम, अपने किसी की न सुनते थे;
सिर्फ आँख जो दिखाये तू हम चुप हो जाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

रोक ले हमे तु अपनी एक नज़र से,
हम तो सब कुछ तभी हार जाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

दर्द हो तुजे तो तकलीफ हम लेले,
आँसू आये तेरे उस से पहले हम रो जाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

जिंदगी की दौड़ में तुम्हे कभी नही भूले,
तुम्हारे होने से ही उठ कर जिंदगी से लड़ जाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

मुश्किल में नही थी किसीके साथ कि आश,
पर आज तेरे साथ पर विश्वास जताया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

हिम्मत है मेरी, तु कोई कमजोरी नही;
तेरे होने से ही तो हम गिर कर उठ जाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

टकटकी लगाए बैठे रहते है कभी तेरी गली में,
कँही दिख जाए झलक भर तु हम इस बात पे पलके न झपकाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

आँखों मे यु देखकर कभी नही शरमाये थे,
तेरी आँखों मे देखकर अब तुमसे बाते किया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

पढ़ ले तु खामोशी मेरी बिना किसी अल्फ़ाज़ के,
मिला हमको ऐसा कोई इस बात पर झूम जाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

रिश्ते क्या निभाते हम? जब रिश्तों से वास्ता नही,
आज तुजसे सिख कर सारे रिश्ते निभाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

कभी किसी की झलक के लिए यू तरसे न थे,
देखे जो तेरी झलक बादल महोब्बत बरसाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

आहट क्या होती है? ये हमे पता न था।
अब आहट से तेरे आने की खबर पाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

लाखो को यकीन नही तो हमे कोई गम नही,
पर तेरे एक सवाल से ही हम सहम जाया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

रूह की आवाज पहले कभी सुनी न थी,
तुजे मिले तो अब हम रूह से बाते किया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

जलन क्या होती है? कभी न हमने जाना था,
जो देख ले कोई एक नजर तुजे हम रूह से जला करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

जिंदगी जीना है क्या? हमें ये इल्म न था,
आज तेरे साथ हम ये खूबसूरत जिंदगी जिया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

माँगने को कुछ होता नही था मेरे पास कभी,
आज तुजे माँगने के अलावा कोई दुआ न किया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

रिश्ते कई इस जग में, जो हो न हो कोई फर्क नही;
पर तुमसे जो रिश्ता नही तो फिर हम मरा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

यकीन नही होता कभी अपनी तकदीर पर,
फिर देख तुजे हम अपनी तकदीर पर इतराया करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

कहने को इस रिश्ते का कोई नाम नही,
पर पाक इस रिश्ते को महोब्बत कहा करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

कोई भी तेरे जैसा मिलेगा,
सोचा न था, अज़ीज महोब्बत के फ़ूल यूँ खिला करते है।
कुछ बंधन ऐसे भी हुआ करते है।।

राह थी मंजिल नही, इस राही की दास्तान रही;
आने से तेरे, मंजिल पर महोब्बत की दास्तान मुक्कममल हुई।।

- अज़ीज