देखो भारत की तस्वीर 9
(पंचमहल गौरव)
काव्य संकलन
समर्पण-
परम पूज्य उभय चाचा श्री लालजी प्रसाद तथा श्री कलियान सिंह जी एवं
उभय चाची श्री जानकी देवी एवं श्री जैवा बाई जी
के श्री चरणों में श्रद्धाभाव के साथ सादर।
वेदराम प्रजापति मनमस्त
भाव सुमन-
पावन धरती की सौंधी-सौंधी गंध में,अपनी विराटता को लिए यह पंचमहली गौरव का काव्य संकलन-देखो भारत की तस्वीर के साथ महान विराट भारत को अपने आप में समाहित किए हुए भगवान राम और भगवान कृष्ण के मुखार बिन्द में जैसे-विराट स्वरुप का दर्शन हुआ था उसी प्रकार इस पंचमहल गौरव में भी विशाल भारत के दर्शन हो रहे हैं भलां ही वे संक्षिप्त रुप में ही क्यों न हों।
उक्त भाव और भावना का आनंद इस काव्य संकलन में आप सभी मनीषियों को अवश्य प्राप्त होंगे इन्हीं आशाओं के साथ संकलन ‘‘देखो भारत की तस्वीर’’ आपके कर कमलों में सादर समर्पित हैं।
वेदराम प्रजापति मनमस्त
गायत्री शक्ति पीठ रोड़ डबरा
जिला ग्वालियर (म.प्र)
मो.9981284867
नदियां
छवि गाओ पंचमहल की, नदियों के बरदान।
सिंध, पार्वती, नौन अरू, सूखा, मैंगरा, शांन।
सूखा मेंगरा, शांन, सूखली, मघई, मकौड़ी।
चीनौरिया की तान, आपनी बान न छोड़ी।
छम-छम चलै छचूंद, खेड़ी नाला पै आओ।
पंचमहल मनमस्त, टुकी लिढि़मा छवि गाओ।। 315।
हो गई भूम पिछोर की प्यारी, रणभेरी घहराय।
राज्य जाटशाही रहा-ध्वजा कीर्ति फहराय।
ध्वजा कीर्ति फहराय, देख कालिन्द्री माई।
बाबा कन्हरदास इन्हीं की सफल कमाई।
गंगा प्रादुर्भाव किया भुईं धन्य हो गई।
बालाजी हनुमान, धरा मनमस्त हो गई।। 316।
मंदिर धाम
मढ़ धूमेश्वर, चिटौली, सांटेश्वर, गुरूद्वार।
गोलेश्वर, मकरध्वज, लखेश्वरी, गिरराज।
मगरौरा हनुमान, जैन मंदिर, मुक्तेश्वर।
गायत्री, सन्यास, स्यावरि, बन खण्डेश्वर।
अमरौली दरबार, शीतला, मात रतनगढ।
हो जाओ मनमस्त, देख कालिन्द्री के मढ़।। 317।
मस्त ठिकानो रानीघाटी, पाताली हनुमान।
देख विहारी मंदिरम, मकरौनी कर ध्यान।
मकरौनी कर ध्यान, ककरधा माता जाओ।
जौरासी हनुमान, कटारे मठ पै आओ।
राजन का दरबार, बली बाबा सच जानो।
सुरईं सिमिरिया ताल, मस्त मनमस्त ठिकानों।। 318।
मस्त बनाओ तिलकरा, भुंडेश्वर सा धाम।
देख सालवई गनपती, बागवई हनुमान।
बागवई हनुमान, अनौटेश्वर सुख आछा।
नौंन नदी बजरंग, ईदगाह देख पलाछा।
पहाड़ भोजला देख, नौंन बंधा पर आओ।
टैकनपुर छविधाम, सबै मनमस्त बनाओ।। 319।
बामन गढि़यां
जाने माने गढ़-गढ़ी, पंचमहल में देख।
गढ़ पिछोर इतिहास में, लिखे अनूठे लेख।
लिखे अनूठे लेख, सौर्य के सुभम द्वारे।
धरती के श्रंगार, वीर भूमी के नारे।
कोट, कंगूरे, कलश, हुलस के गीत सुहाने।
छिपे नहीं मनमस्त, सभी के जाने माने।। 320।
सहोना, अकबई, हथनोरा, गढ़ी, भगेह, किटोरा जाव।
कैथोदा, चीनोर, लख, मगरौरा में आव।
मगरौरा मे आव, बेर बर बेरू पाओ।
छीमक, खेरी देख, लौट खड़वई में आओ।
जन जीवन कल्याण, कर्म कल्याणी करना।
है मनमस्त पुकार, शंख की सफल सहोना।। 321।
पहुंनाई मोहनगढ़ करो, ईंट ईंटमा देख।
पद्मावती पबांय है, गोहिन्दा अभिलेख।
गोहिन्दा अभिलेख, कैरूआ देख कुम्हर्रा।
गुंजन सुनो गुंझार, तान सुन लेउ गिजोर्रा।
जम जाओ जरगांव, तजो मेहगांव न भाई।
सदां रहो मनमस्त, गढ़ी खेरी पहुंनाई।। 322।
लौट भितरवार सुख लहो, साख सांखनी छान।
मस्तूरा मनमस्त मन, सालवई सुख खान।
सालवई सुख खान, इटायल लोहगढ़ आछा।
चलो सिमिरिया ताल, देवगढ़ देख पलाछा।
डबरा गांव निहार, निघोना नित्य जाइये।
हो पिछोर मनमस्त, लदेरा लौट आइये।। 323।
गवइया सिरोही सदां से, खेड़ी रायमल बीच।
चांद चांदपुर देखिये, अंत आंतरी सींच।
अंत आंतरी सींच, बरोठा बैठ बड़ैरा।
करो देवगढ़ दर्श, अजयगढ़ कल्याणपुर घेरा।
शुक्लहारी, भेंसनारि समाया चलो करहिया।
बैठो बर की सरांय, सदां मनमस्त गवइया।। 324।
सड़कें (रोड़़)
अपनाओ डबरा ग्वालियर, झांसी रोड़ पिछोर।
भितरवार-नरवर चलो, पकर करहिया डोर।
डबरा करहिया रोड़, सांखनी-करियावटी से।
देवरी कांक्षा चलो, मिलै रानी घाटी से।
अबुल मकबरा बैठ, आंतरी होते जाओ।
महक पान मनमस्त, बिलौआ की अपनाओ।। 325।
अंदर डबरा बुजुर्ग मग-पहुंच बड़ैरा जाव।
भितरवार से करैरा, मग सीहौर दिखाव।
मग सीहौर दिखाव, देवरा को छीमक से।
चीनौर-आंतरी रोड़, चले जाना भोरी से।
बीच मिलै बनवार चलो चीनौर-ग्वालियर।
करलो कुछ मनमस्त, सैर पंचमहली अन्दर।। 326।
बांध
सुहाना गौरव बांध सा, हरसी बांध निहार।
सस्य श्यामलम झलक में, मिलता जीवन प्यार।
जिसका जीवन प्यार, मोहनी बांध देखना।
टेकनपुर की छवि-लेख, आलेख लेखना।
नौंन बांधा की झलक, शुगरमिल डबरा पाना।
छिदा बांध की छबी सवै मनमस्त सुहाना।। 327।
पुल
सुन्दरताई सिन्ध नदी, गोराघाट के पास।
दो पुल बने विशाल हैं, मोटर रेल निकास।
मोटर पाय निकाश, सिन्ध पुल नरवर जाना।
नोंन नदी हो पार मसूदपुर को पहिचाना।
टेकनपुर चटसाल पास पुल देखो भाई।
कर देती मनमस्त यहां की सुन्दरताई।। 328।
बाना पहनत पार्वती, भितरवार पुल पार।
सिंध पार को वैघवां पुल से होना पार।
पुल से होना पार, रामगढ़ पुल डबरा में।
नौंन नदी के पार बना पुल एक छिदा में।
उन्नति करें किेसान, सुगम है आना जाना।
पंचमहल मनमस्त पुलों के पहने बाना।। 329।
मिल (कारखाने)
जब आओ डबरा सुघर, डबरा शुगर विशेष।
स्लीपर मिल है आंतरी, रेल स्लीपर लेख।
लाई, प्लास्टिक, ईंट कारखाने, बहुतेरे।
जूता चांवल, तेल, कारखानों के डेरे।
दाल बने पचमेलि, बर्फ की सिल्लीं पाओ।
हो जाओ मनमस्त, पंचमहली जब गाओ।। 330।
तीर्थ-धाम
आज दिखाओ तीर्थ सब, धूमेश्वर महादेव।
रानी घाटी, ककरधा, लखेश्वरी कर सेब।
लखेश्वरी कर सेब, मकरध्वज देख करहिया।
गोलेश्वर भी यहीं, दर्श करलो मेरे भइया।
कालिन्द्री को देख, रतनगढ़ माता जाओ।
सांटेश्वर को देख सभी को आज दिखाओ।। 331।
विकासखण्ड
गौरव बरसें धरनि पर, कार्य राज्याधीन।
पंचमहल की उन्नति, खण्ड विकासाधीन।
खण्ड विकासाधीन, प्रथम डबरा को जानो।
भितरवार को लेख, अंश निखर कुछ मानो।
जय खण्डों में बटो देव तीनों ज्यों भाई।
कार्य करें मनमस्त, रहें गौरव बरसाई।। 332।
तहसीलें
उन्नति पाई भूमि यह, क्षेत्र सुनो तहसील।
डबरा की गणना प्रथम, करलो सब तफसील।
करलो सब तफसील अंश नरवर कुछ आया।
करो आंतरी लेख पिछोर ने पौरूष पाया।
भितरवार मनमस्त बनी तहसीलें भाई।
शासन के उदगार-देश ने उन्नति पाई।। 333।
जनपद पंचायतें
नामा लिख उत्थान का, शासन विविध विचार।
जनपद पंचायतें बनीं, प्रेम मेल, व्यापार।
प्रेम, मेल, व्यापार प्रथम डबरा को जानो।
भितरवार के साथ अंश नरवर का मानो।
गौरव पाती भूमि करो जब मिलकर कामा।
सुयश मिलै मनमस्त, कमाओ जग में नामा।।334।
थाने
मस्त वितानौ समय तो, , डबरा, करहिया, चीनोंर।
बेलगढ़ा, भितरवार संग, गिन लीजे सीहोर।
गिन लीजे सीहौर, आंतरी और बिलौआ।
फिर पिछोर, कुछ अंश गिनो मगरौनी दउआ।
गहरा गौरव मिलै-गिजोर्रा को थाना जानो।
चलै व्यवस्था न्याय-समय मनमस्त वितानों।। 335।
व्यापारिक हाटें
कमाई व्यापारिक हाटें, पंचमहल की शान।
चलकर डबरा देखलो, गैहूं सरसों धान।
गैहूं सरसों धान खरीदो भितरवार में।
धनियां लहसन मिरच, करहिया के बजार में।
पीछा करो पिछोर, मिलो मगरौनी भाई।
सब बस्त यहां विकैं, करो मनमस्त कमाई।। 336।
पशु हाटें
कमाओ पशुओं हाट से, पंच महल के बीच।
गढ़ पिछोर की धूम है, जिला ग्वालियर बीच।
जिला ग्वालियर बीच, गिनो छीमक को भाई।
डबरा मंडी चलो शुगर मिल देखो आई।
पशु बेचो और लेउ ग्राम डबरा में आओ।
हो जाओ मनमस्त, गमा कर फेर कमाओ।। 337।
रेलवे स्टेशन
छवि पाई रेल गाडियां करो यात्रा खूब।
डबरा स्टेशन मिलौ, जो सबको अनुकूल।
जो सबको अनुकूल, सिमिरिया ताल सुहानों।
अंतपेठ मिल जाउ, आंतरी को पहिचानो।
संदलपुर की संधि अहा मनमस्त दिखाई।
स्टेशन की धूम पंचमहली छवि पाई।। 338।
वायरलैस
तारे बेवस रिपीटर, गढ़ पिछोर की शान।
पंचमहल की भूमि पर, भारत को अभिमान।
भारत को अभिमान, मिला डबरा से भाई।
मौसम की तशतीफ, डांकखाने में आई।
लग गये वायरलैस, लैस है सब कुछ प्यारे।
धरती कर मनमस्त, उगत उन्नति के तारे।। 339।
ट्रेझरी (कोषालय)
मानो लक्ष्मी बसत है, कोषालय में जाय।
जिसे ट्रेझरी भी कहें, गार्ड लगा जहां पांय।
गार्ड लगा जहां पांय, खजाने की सब लीला।
डबरा में रही ब्राज, विना उसके सब ढीला।
सच मानो मनमस्त, मस्त उससे जग जानो।
कोउ न पूंछे बात विना लक्ष्मी के मानो।। 340।
रपटें
दिखाई देती झीलनद, रपटें होने पार।
हरसी वियर निहारिये, फेर सांखरी पार।
करो सांखनी पार, नौंन बंधा पर आओ।
लोहगढ़ रपटें गिनो, पहुंच डबरा में जाओ।
चल पिछोर के पास, छछूंद रपट बनाई।
घोघे के सब लोग, सदां मनमस्त दिखाई।। 341।
मण्डियां
डबरा मंडी कर रही, फसलों का व्यापार।
पिछोर, आंतरी, बिलौआ, भितरवार गिन यार।
भितरवार गिन यार, चलो मगरौनी भाई।
लगै करहिया भीड़, चीनौर देखो जाई।
छीमक भी कुछ ठाम, मुख्य डबरा।
व्यापारिक परिक्षेत्र विश्व में गाता डबरा।। 342।
फसलें
गैहूं गन्ना धान संग सरसों को भी जोड़।
अलसी, सोहा, मूंगफली, राई करती होड़।
राई करती होड़, मूंग और उड़द जानिए।
लाहा-सोयाबीन, चना भी खास मानिए।
अरहर, हर हर करै, सनई भी कहती मैं हूं।
अमई गिन लेउ, मुख्य में गिन लो गैहूं।। 343।
गुफाएं
झरना आमखो देखिए, पास देवगढ़ जाय।
कहे कहानी पुरातन, दिव्यधाम कहलाय।
दिव्यधाम कहलाय, रतनगढ़ माता देखो।
सुन्दर सा स्थान, दिव्यता इसकी लेखो।
कर मनमस्त विचार, ध्यान हृदय में धरना।
देव संत स्थान, दर्श कर आमखो झरना।। 344।
चलो दूध खो धाम पर, संत करे मन मौज।
दर्शन जैसे चन्द्रमा, पाबन चन्द्रा दोज।
पाबन चन्द्रा दोज, संत जहां दूधा हारी।
भुण्डेश्वर को लखो, भिण्डी ऋषि भूमि प्यारी।
चमन ऋषि का धाम,यहाँ पर ही तो चलो।
अतिपाबन यह भूमि, देर क्यों चलो चलो।।345
पाबन अनोटेश्वर धाम है, ऋषियों का स्थान।
तप से तपती यहां मही, गौरव की पहिचान।
गौरव की पहिचान, तिलकरा खोह निहारो।
आम खो धमनिका निकट, दर्श पा मनहि निखारो।
रहा ताडि़का निवास, भूमि तब रही अपाबन।
यज्ञ हुयी कई एक, भूमि हो गई है पाबन।। 346।
गंगा बहती यहां पर, देख हिड़ायला जाय।
मोती-गंग देब यहां, पूजन कर हरषाय।
पूजन कर हरषाय, इमली खोह देखिए।
पास लदेरा यही, ध्वजा ठड रही लेखिये।
ध्वजा रही लहराय, नर्मदेश्वर है चंगा।
झरना गड़रा खोह, बह रही जहां पर गंगा।। 347।
ऋषि मतंग की सिद्ध खोह, अतिपाबन है धाम।
पास बिलौआ ग्राम के, जहां विराजे बाम।
जहां विराजत बाम, पलीखन खोह जाइये।
निकट आंतरी यहीं,शान्ति मन यहीं पाइए।
कन्हरे झील पर पहुंच, लोग करते हैं कृषि।
अति पाबन यह धाम, जहां रहते हैं ऋषि।।348
शीतला माता खोह है, घन झाड़ी के बीच।
गजा खोह भी देख लो, मन सांतऊ में सींच।
मन सांतऊ में सींच, शान्तानंद खोह निहारो।
माता खोह कहाय, यहां का तय है न्यारो।
चूना, मद्दा खोह पूज, पैर आगे को चला।
जौरासी के सिद्ध पूज भी यहां शीतला।। 349।
पंचमपुरा झरना विकट, रहा सिद्ध स्थान।
देख भदाना-भदभदा, भनिज देबन मान।
भनजा देबन मान, वैजनाथ बाबा का धामा।
बाबा होरे बाले का भी, यहां सत कामा।
मकरध्वज कर दरस, हनू सुत है यह सच्चम।
दुबहा ग्राम के पास, देखता है यह पंचम।। 350।
गोलेश्वर के दर्श कर, ग्राम करहिया पास।
झरना झरता पहाड़ से, कर इस पर विश्वास।
कर इस पर विश्वास, बीलूनी झाड़ी जाओ।
पास करहिया यही, शान्ती को यहां पर पाओ।
राम-जान की धाम, रानी घाटी के जो ईश्वर।
पाबन गंगा वहै, पूज लो यहां गोलेश्वर।। 351।
लखेश्वरी माता लखो, ग्राम चिटौली पास।
ऊंचे पर्वत ब्राज रहीं, ले चल मन विश्वास।
ले चल मन विश्वास, आस सब पूरी करतीं।
है जीबन स्तम्भ, हुलसती यहां की धरती।
टपकेश्वर को देख, ब्राजे हैं यहां हरी।
खोह यहां की देख, लौट आओ जहां हरी।। 352।
तपोधरा श्रृंगी ऋषी, खोह तसोमो देख।
सिद्धपुरा के पास में, पाबन भू यह लेख।
पाबन भू यह लेख, करो दह देख आरोली।
बड़ा सिद्ध स्थान, जहां की बोली भोली।
फजलपुरा के पास गुब रधा क्षेत्र हरा भरा।
सिद्ध खोह लख यहां, गंग प्रकटै तपो धरा।। 353।
जमरोह खाड़ी-सिद्ध की, छतुरी सिद्ध स्थान।
विश्वा मित्र तपो भुमी, जमरोह निकट ही जान।
जमरोह निकट स्थान, झिल मिल यहां निहारो।
तानसेन के पास, सिद्ध गुरू धाम है प्यारो।
अंजनी माता पूज, काशी बाबा की भी है खोह।
ताड़का बन भी लखो, लौट आ फिर जमरोह।। 354।
माता चण्डी देवगढ़, सिद्ध बाबड़ी देख।
हनुमान यहां पूजिए, जिनके गहरे लेख।
जिनके गहरे लेख, स्याबर माता आओ।
मंदिर बना विशाल, ध्वजा यहां पर फहराओ।
कालीदह के सिद्ध, नागदा की सतचण्डी।
सनकुआ पूजन करो, पूज फिर माता चण्डी।। 355।