Nikhil in Hindi Drama by SHAMIM MERCHANT books and stories PDF | निखिल

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निखिल


"मयंक, आज अगर निखिल होता, तो एम. बी.ए. के कौनसे वर्ष में होता?"
माही ने चिट्ठी लिखने से पहले, अपने पति से पुष्ठि करने के लिए पूछा। मयंक माही को देखता रहा। यह औरत किस मिट्टी की बनी थी? इतने गहरे दर्द और गम को बर्दाश्त करने के लिए, इतना बड़ा दिल कहाँ से लाई? प्रेम के साथ मयंक का हृदय अपनी पत्नी के प्रति गर्व और सम्मान से भर गया। उसने धीरे से कहा,
"शायद दूसरे वर्ष में होता।"

एक पल के लिए माही काँप गई। उसने अपने आँसू छिपाने के लिए जल्दी से मयंक से निगाहें फेर ली और पत्र लिखना शुरू किया।

"मेरी प्यारी माँ,
आशा करता हूँ कि तुम्हारी सेहत पहले से बहेतर होगी। माफ़ करना, इस बार पत्र लिखने में ढील हो गई। कॉलेज में एक नया प्रोजेक्ट मिला है। उसे पूरा करने में दिन रात एक कर रहा हूँ। लेकिन तुम मेरी चिंता मत करना। खाना समय पर खाता हूँ। तुम्हारे हाथ के बने छोले भटूरे बहुत याद आते हैं। दीदी से कहना कि मुझे तुम्हारी वाली रेसिपी भेजे, मैं बनाने की कोशिश करूंगा। लेकिन मुझे यकीन है, के तुम जैसे तो बिल्कुल नहीं बनेंगे।

माँ, तुम अपना बहुत ख्याल रखना, और दवाई समय पर नियंत्रित रूप से लेती रहना। तुम्हे जल्दी ठीक होना है, हम सब के लिए। कहने की ज़रूरत नहीं है, मैं जानता हूँ, की तुम्हारा प्यार और आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है।

तुम्हारा लाडला बेटा,
निखिल."

स्वर्गीय छोटे भाई का नाम लिखते वख्त, आखिरकार, माही इस कदर भावनाओं में बह गई कि रोके हुए आंसू छलक आए।

दो साल पहले, उसका छोटा भाई, निखिल, बहुत सारी महत्वकांक्षाओ के साथ लंदन पढ़ने गया था। माँ उसके जाने पर बहुत नाराज़ हुई थी। लेकिन निखिल ने वचन दिया कि पढ़ाई पूरी होते ही, वह वापस चला आएगा।
"माँ, तुम चिंता मत करो। मैं वहाँ सिर्फ और सिर्फ पढ़ने जा रहा हूँ। न नोकरी और न छोकरी के पीछे भागूंगा। मुझे तो अपनी प्यारी माँ के पास रहना है।"

परिवार की निखिल के साथ यह आखरी मुलाकात थी। छः महीने पहले उसकी कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई। एक तरफ निखिल की मौत हुई, और दूसरी तरफ माँ की बीमारी के बारे में पता चला। माही पूरी तरह से तूट गई, लेकिन उसे औरों को संभालना था। वह बिखर नहीं सकती थी।

पत्र को मयंक के हाथ में देते हुए, वह रो पड़ी। मयंक उसके पास आकर बैठा और अपनी बाहों में समेट लिया। वह उसे क्या आश्वासन देता? उसकी खुद की आंखे नम हो गई थी। माही के बाल सहलाते हुए, उसने धीरे से पूछा,
"माही, ऐसा कब तक चलेगा? तुम निखिल के कार दुर्घटना की खबर, माँ से कब तक छुपाओगी?"

माही ने अपने आंसू पोछते हुए, दर्द भरी आवाज़ में कहा,
"जब तक माँ की साँसे चल रही है, तब तक। वैसे भी, डॉक्टर ने कहा है कि वह सिर्फ चंद महिनों की महमान है। तुम जानते हों कि वह निखिल का ग़म बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। निखिल के नाम से लिखे गए खत, उनकी उम्मीद को बांधे रखता है।"

मयंक ने माही के माथे को चूमा और कुछ देर के लिए उसे अपनी बाहों में ही रखा।
"मयंक, वो तो अच्छा है, की माँ सुन नहीं पाती, वरना अगर वह फोन पर निखिल से बात करने की ज़िद करती, तो उस बारे में हम क्या करते?"
मयंक ने अपनी सहमती देते हुए कहा,
तुम ठीक कहती हो माही। शायद यह तुम्हारे पत्र ही है, जो माँ के इंतज़ार को मायने देते हैं।"

तीन महीने बाद, माँ इस उम्मीद के साथ इस दुनियां से चली गई, की जल्द जी उसका बेटा वापस लौट कर आएगा।

शमीम मर्चन्ट, मुंबई
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