Tantrik Rudrnath Aghori - 13 in Hindi Horror Stories by Rahul Haldhar books and stories PDF | तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 13

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तांत्रिक रुद्रनाथ अघोरी - 13

श्राप दंड - 2

अभी - अभी घर लौटा। बाप रे बाप रास्ते पर कितना जाम है। केवल एक पार्सल पहुंचाने में इतना वक्त लग जाएगा ऐसा मैंने नहीं सोचा था।
Covid है या कुछ और। बाहर तो लोगों का हुज़ूम उमड़ पड़ा है। ना जाने कितने लोगों ने मास्क तक नहीं लगाया है।
एक सेकेण्ड , आप शायद मुझे नहीं पहचान पा रहे हैं। मैं आपसे ' देवादिदेव का खेल ' कहानी में मिला था। मैं जयदत्त मिश्रा के बेटे का बेटा नितिन हूं। पोस्ट ऑफिस मेरे घर से काफी दूर है। एक पार्सल भेजनें के लिए वहां जाना पड़ा । केवल कुछ कागज थे। पहले बात हुई थी कि मेल करके ही भेज दो लेकिन फिर कहा कि असली पेपर ही भेजो। डिजिटल फॉन्ट में उसका अहमियत नहीं समझा जा सकता। ना जाने क्या रिसर्च करना है, इसलिए असली कागज को ही ठीक से पार्सल कर आया। लेकिन मेरे पास पहले से ही उसका पूरा कॉपी रेडी है। मेरे दादाजी सचमुच एक बहुत ही असाधारण मनुष्य के संगति में थे । आज विशेष कोई काम नहीं है इसीलिए सोच रहा हूं कि पूरे कॉपी को फिर से एक बार पढ़ूंगा। हाँ , अगर कोई विशेष बात नहीं होगा तो बीच में नहीं आऊंगा।

***

ना जाने क्यों जब भी तांत्रिक रुद्रनाथ के घर के पास आता हूं , तभी घर में कुछ ना कुछ आश्चर्य दृश्य अवश्य देखनें को मिलता। आज भी वही हुआ। सुबह कदालिभा काक्न्त्र कल्प हुआ और इस वक्त उनके घर के पास आते ही मैंने देखा कि आँगन के ठीक पूर्व की ओर बेल की पेड़ के नीचे जमीन पर तांत्रिक रुद्रनाथ का कटा हुआ सिर गिरा है। यह देख मेरा पूरा शरीर कांप गया। यह कैसे संभव है? कटे हुए सिर का आंख बंद है। केवल कटा हुआ सिर ही मानो किसी नें मिट्टी के ऊपर रख दिया है। लेकिन उस कटे हुई सिर के आसपास खून नहीं दिख रहा। तो क्या किसी नें उनका खून कर......?
मैं थोड़ा और आगे गया। दूर से अच्छी तरह नहीं दिख रहा। सूखे पत्तों पर चलने की आवाज को सुनकर कटे हुए सिर ने अपनी आँख को खोला । मैं आश्चर्य होकर फिर रुक गया। इसके बाद जब मैंने ध्यान दिया तो देखा कि तांत्रिक का कटा हुआ सिर धीरे-धीरे मुस्कुरा रहा है। यह क्या बता है ? कहीं कोई भूत - प्रेत जैसा तो कुछ नहीं ?
इस आदमी के लिए यह सब पैरों की धूल जैसा है।
इसके बाद मैंने देखा कि कटे हुए सिर के नीचे के जमीन की मिट्टी धीरे-धीरे हिल रही है। कोई मानो मिट्टी के अंदर से बाहर निकलना चाहता है। मैं क्या करूं यह समझ नहीं पा रहा।
कुछ ही मिनटों बाद एक शरीर मिट्टी के अंदर से निकलकर मेरी ओर आने लगा। पूरे शरीर पर मिट्टी लगा है। उन्होंने केवल एक काले रंग की धोती ही पहना है।
मेरे सामने आकर थोड़ा सा हंसते हुए बोले ,
" तुम जाकर अंदर बैठा हूं मैं स्नान करके आता हूं। "
मैं आश्चर्य होकर बोला ,
" क्या हुआ है ? आपके गले की आवाज क्यों बदल गई है? आपकी आवाज को सुनकर ऐसा लग रहा है कि मैं किसी दूसरे आदमी से बात कर रहा हूं। अगर आप सामने नहीं होते तो मैं विश्वास ही नहीं करता कि यह आप ही हैं। आखिर बात क्या है? "

" तुम जाकर बैठो , मैं स्नान करने के बाद तुम्हें सब कुछ बताता हूं।"

मैं जाकर बैठ गया। मन में कई सारे प्रश्न दौड़ने लगे । आखिर तांत्रिक बाबा जमीन के अंदर क्या कर रहे थे ? उनके गले का आवाज भी पूरी तरह बदल गया है ? मुझे देखने के बाद वो जरा सा भी
विचलित नहीं हुए ।
जहां पर मैं बैठा हूं उसके दाहिने तरफ तांत्रिक बाबा के मंदिर का दरवाजा हुआ है। एक बार बाहर की ओर देखा और अचानक ही मेरे मन में एक बात आई। मैं इस वक्त बाएं तरफ देख रहा हूं कि वहां आँगन में बेल का पेड़ है। जिसके नीचे गड्ढे के अंदर तांत्रिक बाबा अब तक घुसे हुए थे। और दाहिने तरफ देखने पर सीधा मंदिर व उसके अंदर की देवी मूर्ति। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि देवी मूर्ति के आँखों की नजर सीधे बेल के पेड़ पर ही है। देवी मूर्ति का चेहरा बाहर से आती हल्की रोशनी में बहुत ही सुंदर लगा रहा है। देवी मूर्ति के दाहिने हाथ में पीतल की खड़ग चमक रही है।
मैं देवी मूर्ति के तरफ की कुछ देर देखता रहा।

तांत्रिक बाबा की आवाज को सुनकर देवी मूर्ति से नजर हटी।
" देवी की तरफ इतने ध्यान से क्या देख हो ? देवी के माया में मत खो जाना। "

मैंने तांत्रिक बाबा की तरफ देखा। अब उन्होंने लाल धोती पहन लिया है। आधा भीगा हुआ जटा कंधे पर झूला है।
उन्होंने मुझसे फिर कहा,
" तुम्हारा चेहरा ऐसा क्यों दिख रहा है ? शायद तुम कुछ सोच रहे हो । "

कुछ देर सोचने के बाद फिर बोले ,
" अरे तुम डरो नहीं। यह भी एक प्रकार का योगाभ्यास ही है। लेकिन मैं समझ गया हूं कि मेरे आवाज को लेकर तुम बहुत ज्यादा सोच रहे हो। "

अद्भुत बात है कि उन्होंने मेरे मन के बात को जान लिया है। मैं बोला ,
" बाबा जी आप भी बहुत ही अद्भुत हैं। मैं तो डर ही गया था। "

" इसमें डरने की कोई जरूरत नहीं है। आज से नहीं , मैं यह पिछले कई वर्षों से कर कर रहा हूं। "

" इस योग मुद्रा से क्या होता है? "

" इससे क्या होता है , मैं तुम्हें मुँह से बोलकर समझा नहीं सकता। मुझे मिले हुए शक्तियों को हर वक्त अपने अंदर बनाए रखने के लिए यह करना जरूरी है। इसे करने से दिन पर दिन आवाज में भी बदलाव आते रहते हैं। आज सुबह तक तुमने मेरे जिस आवाज को सुना था अब से वो आवाज और नहीं रहेगा। यह सब तंत्र मंत्र की गुप्त बातें हैं। सब कुछ तुम्हें नहीं बता सकता। अगर बता भी दिया तो तुम समझ नहीं पाओगे। अब तक मेरे उस आवाज को सुनकर तुम्हें उसकी आदत हो गई थी इसलिए तुम इतना हैरान हो। अब मेरे इसी आवाज को सुनते हुए इसका भी आदत पड़ जाएगा। आवाज बदलने से , मैं थोड़ी ना बदल जाऊंगा। मैं अभी तांत्रिक रूद्रनाथ अघोरी ही हूं। "

यह सब सुनने के बाद मेरा मन शांत हुआ। और कुछ भी ना सोच पाने के कारण मैंने अचानक उनसे पूछ लिया ,
" अच्छा! क्या आप जानते हैं कि नदी किनारे वाले उस बड़े झाड़ी के पास एक साधु नें डेरा डाला है? मैंने उन्हें एक दिन देखा था। "

मेरे मुंह से यह बात सुनकर , तांत्रिक बाबा कुछ देर मेरे चेहरे की ओर देखते रहे। उनकी आंख विचलित हो गई थी। मेरे चेहरे से नजर हटा कर तांत्रिक बाबा केवल बोले ,
" ओह समझा! "

" तांत्रिक बाबा आपके चेहरे का भाव क्यों बदल गया? शायद आप उस साधु के बारे में कुछ ना कुछ जरूर जानते हैं? उस दिन साधु को देखकर मैं थोड़ा हैरान ही हुआ था। वह आदमी कितना लंबा चौड़ा है! "

तांत्रिक बाबा के हंसमुख चेहरे पर अब परिवर्तन आ गया था। उन्होंने अब उत्तर दिया।

" उस साधु ने वहां पर डेरा डाला है यह बात मैं पिछले 3 सालों से जानता हूं। पहले नदी के किनारे वाला वह झाड़ी अब के जितना पतला नहीं था। बड़े-बड़े पेड़ व झाड़ियों नें उस जगह को बाहर की दुनिया से दीवार बनाकर अलग रखा था। उसी के अंदर पिछले 3 सालों से वह व्यक्ति रह रहा है। पिछले 3 सालों से वह व्यक्ति ठंडी पड़ने से पहले यहां गढ़मुक्तेश्वर चला आता है और ठंडी बीतते ही फिर गायब हो जाता है। उस आदमी का गढ़मुक्तेश्वर के प्रति बहुत ही प्रेम है। वैसे इस व्यक्ति से मैं 10 साल पहले मिला था लेकिन उस बारे में मैं तुम्हें नहीं बताना चाहता। छोड़ो इस बारे में बात ना ही करें तो सही है। "

" नहीं बताएंगे! इसका क्या मतलब हुआ? "

" इस बारे में सुनकर ना जाने तुम क्या सोच लोगे। इसीलिए रहने ही देते हैं। "

" अरे नहीं तांत्रिक बाबा , आप ऐसा कभी मत सोचिएगा। आप बताइये। मैं इस बारे में जानने को उत्सुक हूं। "

तांत्रिक बाबा कुछ देर शांत रहने के बाद फिर बोले ,
" तुम्हें मैं एक ही शर्त पर यह बात बता सकता हूं। अगर तुम मुझसे वादा करो कि यह बात तुम किसी को नहीं बताओगे। "

मैंने उनसे वादा किया। इसके बाद उन्होंने बताना शुरू किया।.....

क्रमशः.....