Wo Ankahi Baate - 33 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - 33

Featured Books
Categories
Share

वो अनकही बातें - 33

दूसरे दिन सुबह शालू बेबी के रोने की आवाज सुनाई दी तो उठ गई और फिर बेबी को लेकर घुमाने लगी पर समीर को नहीं जगाया। समीर अपने समय से उठा और देखा कि शालू बेबी को लेकर घुम रही थी और उसकी आंखों में नींद थी। समीर ने कहा अरे बाबा कब से जाग रही हो जगाया क्यों नहीं मुझे? शालू ने कहा हां गहरी नींद सो रहे थे कैसे जगा देती। समीर ने कहा अच्छा ठीक है अब जाओ सो जाओ मैं उसे सम्हाल लेता हूं। शालू ने कहा ना जी ना।सो गई है मैं भी सो जाती हुं। फिर शालू ने बेबी को पालना में सुला कर खुद भी सो गई। समीर ने कहा ओह मेरी जान कितनी समझदार हो गई है। फिर समीर अपना तैयार हो गया और फिर सीधे नीचे पहुंच कर नाश्ता करके निकल गया। इधर शालू और बेबी देर तक सो रहे थे फिर मालिश करने आई मौसी ने ही जगाया। दोनों की अच्छी तरह से मालिश करने के बाद शालू नहाने चली गई और फिर मौसी ने बेबी को नहलाया।
फिर विनय काका ऊपर ही शालू का नाश्ता देने आ गए। शालू ने कहा काका समीर चला गया। विनय काका ने कहा हां बेटा। फिर शालू ने नाश्ता कर लिया और फिर आफिस का सारा काम को अपडेट करने लगी।
फिर इसी तरह से दिन बीतने लगे। शालू को ज्यादा से ज्यादा समय बेबी को सम्हालने में चला जाता था। समीर भी अब ज्यादा समय नहीं दे पाता था।अब इनकी जिंदगी बहुत ही बदल गई थी। सब अपने अपने में व्यस्त हो गए थे एक दूसरे के लिए जरा सा भी समय नहीं मिल पा रहा था।
आज बेबी एक महीने की हो गई थी और आज उसका नामकरण था। समीर ने सब तैयारी कर लिया था। विकास ने कहा कि चार पुरिया बना कर उठाओ। समीर हंसने लगा और बोला अरे बाप ये सब शालू नहीं मानेगी। फिर पंडित जी आ गए और फिर बोले कि बच्चे को तैयार करके ले आइए। फिर शालू बेबी को लेकर आ गई। पंडित जी ने समीर को कहा बिटिया को लेकर बैठें। फिर दोनों बैठ गए। पंडित जी ने मंत्र उच्चारण करते हुए उसके कुंडली के अनुसार नाम देने को कहा और द अक्षर से नाम। समीर और शालू एक दूसरे को देखने लगें फिर दोनों ने एक साथ ही कहा दानी । विकास ने कहा अरे वाह तुम दोनों ने एक ही नाम सोचा ‌समीर और शालू हंसने लगे। फिर पुजा बहुत ही अच्छे से हो गया। फिर सबने नाश्ता किया और फिर समीर और विकास निकल गए। शालू भी दानी को लेकर कमरे में आ गई कुछ देर बाद ही नायरा भी आ गई और उसने नाश्ता किया और फिर शालू के साथ बात करने लगी कि कैसे काम करेंगी? शालू ने कहा सोमू और मैं दोनों ही चाहते हैं कि बेबी को ही अब देखना है काम नहीं करना है।नायरा ने कहा हां ठीक है यार बेबी जब बड़ी हो जाए तो कर लेना। शालू ने कहा हां यार अब तो समय का पता नहीं चल पाता है कब दिन होता है कब रात हो जाती है।नायरा ने कहा हां मां। शालू ने हंसते हुए कहा तेरी भी मां बन गई।नायरा हंसने लगी।
नायरा ने कहा चलो अब चलते हैं। शालू ने कहा कुछ देर रूक ना।नायरा ने कहा नहीं यार फिर मिलती हुं। फिर शालू भी बेबी को लेकर सो गई।
इसी तरह दानी अब छ महीने की हो गई है। दानी सबको पहचानने लगीं थीं। रहती थी पुरे समय मां के साथ पर जब सोमू को देखती है पागल सी हो जाती है। ये बात शालू ने फोन पर नायरा को कहा और तभी सोमू हंसने लगे और फिर बोलें हां बिल्कुल तुम्हारी तरह जैसे कालेज में तुम मेरे लिए पागल थी। शालू ने कहा हां, हां पर अब क्या कम पागल हुं मैं मेरे सोमू। पता है मुझे तो जलन सी होने लगती है दानी से।सोमू ने कहा नहीं बाबा तुम भी ना दानी तो हमारी परी है। शालू ने कहा हां रात को एक बार उसके लिए जाग कर दिखाओ। समीर ने कहा क्या कह रही हो कितनी बार जागा है पर तुमको नहीं जगाया उसे लेकर लोरिया सुनाता और फिर सो जाती तो मैं भी सो जाता। शालू सब सुनकर आश्चर्य हो गई। समीर ने कहा अरे बाबा चलो खाना खा ले। शालू ने कहा तुम जाओ मैं आती हूं। समीर ने कहा दानी को लेकर आओ। शालू ने कहा अरे बाबा सो गई अब। समीर ने कहा ओके मैं चलता हूं। समीर चला गया। शालू भी तैयार हो गई कुछ देर बाद तेल मालिश करने वाली मौसी आ गई। दानी को तेल मालिश करने के बाद नहला दिया और फिर दानी रोने लगी। मौसी ने कहा बहु तु इसे मां का दुध पिलाया कर ये भूखी रहती है। शालू ने कहा पर मौसी मेरा फिगर तो जाएगा है ना। मौसी ने कहा हां पर बेटी जब तक उसे मां का दूध नहीं मिलेगा तब तक ये तुझे कैसे पहचान पाएंगी।मां का प्यार, ममता क्या होता है उसे ये एहसास कैसे होगा। शालू ने कहा हां शायद आप ठीक कह रही हो।पर मैं क्या करूं मुझे कुछ पता ही नहीं। मौसी ने कहा इसलिए दानी रोती रहती है उसे नींद भी नहीं आती है। शालू ने कहा अच्छा अब से इसे रोने नहीं दुंगी। मौसी हंसने लगी। और फिर चली गई। शालू को एक मातृत्व का एहसास हुआ ही नहीं था वो तो एक मां का फर्ज ही निभा रही थी। फिर शालू ने अपने गोद में उठा लिया दानी को और उससे बात करने लगी और फिर बोली देखा मौसी कितनी समझदार है। उसने मुझे सिखाया कि मां होने का सही एहसास। दानी को पुचकार कर दुध पिलाया और फिर दानी सो गई। शालू ने शायद ये पहली बार एहसास हुआ कि उसके अन्दर एक मां है जो अपने गर्भ में शिशु को रखतीं हैं और जब जन्म लेता है तो उसे क्या क्या करना पड़ता है। फिर शालू भी सो गई और शायद आज बहुत ही आराम से हो गई। शाम को दोनों ही उठ गए जब समीर दानी से बात करने लगा। शालू ने कहा अरे सोमू कब आए तुम? सोमू ने कहा अभी आया तो देखा बड़े आराम से सो रहे थे दोनों। शालू ने कहा अच्छा तो चाय पीने चलें। समीर ने कहा हां ठीक है और दानी क्या खाएंगी? शालू ने कहा अरे शेरलेक दुंगी। फिर तीनों नीचे पहुंच गए। विनय काका ने सबको चाय और नाश्ता करने को दिया और दानी के लिए शेरेलेक।। फिर दानी भी शालू के गोद में बैठ कर खाने लगीं। फिर शालू ने मौसी की सारी बातें बताई। समीर ने कहा देखा मौसी कितनी समझदार है उनको हर एक चीज का पता है। शालू ने कहा हां आज खुद को बहुत ही रिलिफ महसूस कर रही हुं। एक अजीब सी खुशी मुझे मिली है। समीर ने कहा हां मैं समझ सकता हूं।
फिर तीनों तैयार हो कर बाहर निकल आए। समीर ने कहा चलो आज कहीं बाहर घूमने चले। काफी समय हो गया तुम कहीं भी नहीं गई।
शालू ने कहा हां चलो फिर। आकाश ने गाड़ी निकाल लिया और फिर तीनों पीछे बैठ गए। दानी भी बहुत खुश नजर आ रही थी अपने पापा के गोद में।
फिर वो लोग फन पार्क गए। दानी ने वहां पर बहुत ही मजा किया तरह-तरह के खिलौने और फिर मिकी माउस क्लब हाउस के सारे सदस्य। समीर ने कहा देखो अपनी दानी कितना इन्जाय कर रही है।
फिर काफी कुछ शापिंग करने के बाद ये लोग घर वापस आ गए। दानी सो गई थी।सोमू ने उसे ले जाकर सुला दिया। फिर दोनों डिनर करने के बाद बेडरूम में आकर दानी को देखते हुए बोलें की हम दानी की शादी करेंगे पर घर जमाई बना लेंगे। शालू हंसने लगी। फिर शालू ने कहा बिटिया हमेशा पराई क्यों होती है।हम सब क्यों पुरी जिंदगी अपने मां बाप के साथ नहीं रह पाते? समीर ने कहा हां वो इसलिए कि फिर बहु की भूमिका अहम नहीं हो सकता है ना।। शालू ने कहा सोमू हम दानी की शादी नहीं देंगे। समीर ने कहा अरे वाह ऐसा क्यों? क्यों कि शादी के बाद वो हमें भूल जाएंगी। समीर ने कहा नहीं ऐसा कैसे हो सकता है दानी हमें कभी नहीं भूल सकती है। शालू ने कहा अरे शादी के बाद तो उसकी जिम्मेदारी बढ़ जाएगी ना।सोमू ने कहा अरे मेरी जान ऐसी बात है कि अभी से ये सोच कर क्यूं जी जलाना। हमें सिर्फ अच्छी परवरिश देनी होगी जिससे दानी को कभी कोई तकलीफ़ नहीं होगी।वो जो बनना चाहती है वो ही बने हम कभी कोई उम्मीद नहीं करेंगे। बच्चों को कभी जबरदस्ती कुछ नहीं करना चाहिए वरना वो ग़लत रास्ते पर चले जाते हैं। शालू ने हां सोमू ठीक कहा तुमने।पर घड़ी को देखो तो क्या बज रहा है।। हां ठीक है चलो अब सो जाते हैं। समीर ने कहा हम दानी का बर्थ डे पार्टी अपने रिसोर्ट पर देंगे। शालू ने कहा अरे बाबा सोमू तुम तो कमाल हो। समीर ने कहा हां सच में।इस बात पर एक किस हो जाएं। शालू ने कहा ना बाबा मुझे सोना है अब। समीर ने कहा हां ठीक है सो जाओ। फिर दोनों सो गए। इसी तरह समय निकलता गया। आज दानी का वेक्सीनेशन है।सोमू ने कहा। शालू ने कहा हां याद है डाक्टर नीरजा के चेंबर पर जाना है एक बजें। समीर ने कहा हां कार्ड लेकर जाना और आगे का भी पुछ लेना। शालू ने कहा हां ठीक है। फिर समीर अस्पताल निकल गए। फिर शालू तैयार हो कर दानी को लेकर नीचे पहुंच गई और फिर विनय काका को बोली काका मैं निकलती हुं।

कमश: