Phool bana Hathiyar - 14 in Hindi Fiction Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | फूल बना हथियार - 14

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फूल बना हथियार - 14

अध्याय 14

बंगले के अंदर से कांच के बर्तन के जोर से नीचे गिर कर टूटने की आवाज को सुनकर अक्षय और डॉक्टर उत्तम रामन दोनों के चेहरे पर परेशानी उभरी और एक दूसरे को देखने लगे।

वॉचमैन ईश्वर डर कर थूक को निकलने लगा। ऐसे ही.... आज शाम से ऐसे ही कोई आवाज अंदर से आ रही है। मैंने भी डर कर अंदर जाकर देखो तो कोई नहीं होता है। जो सामान जहां रखा था वह वैसा ही था....!"

"अभी कोई कांच के टूटने की आवाज आई।"

"ऐसे ही आवाज आती है साहब। परंतु अंदर जाकर देखो तो टूटा कोई भी सामान नहीं होता।"

"दरवाजे को खोलो अंदर जाकर देखते हैं।"

ईश्वर चाबी के गुच्छे के साथ पोर्टिको के सीढ़ियों से चढ़कर बाहर के दरवाजे में लटके हुए ताले को खोला। अक्षय पहले अंदर गया तो उत्तम रामन भी उसके पीछे गए। उसके कान में गुनगुनाया "थोड़ा सावधानी से रहते हैं। कोई अंदर छिपा हो सकता है...."

ईश्वर बाई तरफ से चलकर दीवार पर जो स्विच था उसे ऑन किया। बंगले में सी.एम.एल. बल्ब लगे हुए थे चारों तरफ उस बड़े हॉल में रोशनी फैल गई और सारे सामान साफ दिखाई दिया। नीले कलर का वेलवेट का सोफा उसके बीच में चमकता हुआ रोजवुड का टेबल था। उसके ऊपर कांच का फ्लावर पार्ट्स उसमें प्लास्टिक के फूल रखे हुए थे।

अक्षय हॉल के बीच में खड़े होकर आसपास चारों तरफ देखा। "वह तीनों लड़कियां अंडर ग्राउंड के कमरे में ही है ना?"

"हां साहब!"

हॉल से मिले हुए मिले हुए सभी कमरों में जाकर अच्छी तरह से देखकर डायनिंग हॉल की तरफ आए।

डाइनिंग टेबल के ऊपर रखी हुई वस्तुएं वैसी की वैसी थी। पानी भरा हुआ कांच का जग टेबल पर ही रखा था।

"इस बारे में बताऊं अक्षय?"

"क्या है अंकल?"

"ऐसे अकेले बंगले में तेज हवा चले तो कांच की खिड़कियों के अंदर हवा आती-जाती है। उस समय छोटी-छोटी आवाज भी निशब्द रात्रि में तेज सुनाई देती है और कई तरह की आवाज निकलती है। उदाहरण के लिए ईश्वर कह रहे बंगला में कोई चलने की आवाज, दौड़ने की आवाज, कुर्सी को खिसकाने की आवाज ऐसे कई आवाज आने का कारण हवा ही हो सकती है। यह फिजिक्स का सच्चा नियम है.…"

"मुझे कुछ संदेह है अंकल!"

"यह देखो! 'डरे हुए आंखों को जो दिखता है भूत' ऐसा कहते हैं। यहां हमारे सिवाय और किसी का यहाँ आना संभव ही नहीं है। पहले वह तीनों लड़कियां किस हालत में है देखते हैं। विशेष रूप से उस पत्रकार लड़की यामिनी.... आओ... चलते हैं।"

वॉचमैन ईश्वर दोबारा हॉल में घुसकर सीढ़ियों के नीचे जो सामान था उसे सरकाकर टाइल्स में फंसे उस मेन होल स्विच को पकड़ कर उठाया। अंदर हल्की रोशनी वीडियो में दिखाई दी।

ईश्वर ने पूछा।

"साहब! अंदर उतरें?

"पहले तुम उतरो...!"

ईश्वर हाथ में जो टॉर्च था उसे ऊंचा करके उतरने लगा तो अक्षय और उत्तम रामन भी धीरे-धीरे उसके पीछे जाने लगे।

अगले कुछ देर में कमरे के फर्श का पता चला। गली से चलकर ताले लगे कमरे के दरवाजे के सामने आकर खड़े हुए ईश्वर बोला "नई लड़की यामिनी इस कमरे में हैं!"

"खोलो..."

ईश्वर अपने पास जो चाबी का गुच्छा था उसमें से एक चाबी को निकाल कर दरवाजे के लगे ताले को खोला। भारी दरवाजा सरकर रास्ता हुआ। अंदर जीरो वाट बल्ब से रोशनी चमक रही थी जो पूरे कमरे में फैली थी। दीवार के किनारे पलंग पर यामिनी बिना हिले हुए सीधी दिखाई दी। अक्षय धीरे से चलकर उसके पास खड़ा हुआ।

"आज सुबह के तोड़े हुए गुलाब जो दूसरों को परेशान किया। अब मुरझा कर अपनी स्वयं के होश के बिना लेटे हुए को देख कर एक विकृत मुस्कान अक्षय ने दिया। डॉक्टर उत्तम रामन मुड़कर देखा।

"अंकल! यही है वह घमंडी यामिनी!"

उत्तम रामन अपनी निगाहों को उसके शरीर के पूरे भागों पर डालकर अपने चश्मे को उतार कर उसे आंख मारी। सुंदर कबूतर... इस जाति के कबूतरों की अपने प्रोजेक्ट में जरूरत है....."

"इसके शरीर में जान रहने तक, खून की एक-एक बूंद रहने तक यूज कर सकते हैं अंकल..... अब इस यामिनी को अपने आखिरी दिन इसी जगह पर गिनना पड़ेगा।"

उसके बोलते समय ही कुत्ते के भौंकने की आवाज आई।

अक्षय, ईश्वर को मुड़कर देखा।

"रोजर भौंक रहा है?"

"क्यों पता नहीं चला...."

"रात को खाना खाया?"

"अच्छी तरह ही खाया।"

उत्तम रामन बीच में बोले।

"अक्षय रोजर का भौंकना थोड़ा अलग है..…"

"अलग.... क्या अलग है...?"

"एक चोर को, किसी अन्य को देखकर भौंकना नहीं है यह?"

"फिर?"

"वह अपनी जान के लिए लड़ रहा जैसे लग रहा है..."

"अंकल! आप क्या कर रहे हैं?"

"यह रोजर की मृत्यु की आवाज है.... उसे किसी ने कुछ कर दिया है.... आइए जाकर देखते हैं...."

"तीन और लोग यामिनी को भूलकर कमरे से बाहर आ गए। ईश्वर कमरे के दरवाजे का ताला लगाया।

रोजर के भौंकने की आवाज बराबर सुनाई पड़ रही थी अक्षय दौंड कर गया। "ईश्वर टॉर्च मुझे दे दो।"

उसने दे दिया।

दूसरे ही क्षण हॉल के बाहर आ गए। हॉल से दौड़कर पोर्टिको आए तो रोजर्स कार के पास दिखाई दिया। परेशान होकर इधर से उधर भाग रहा था।

"रोजर!"

अक्षय पोर्टिको के सीढ़ी पर खड़ा होकर उसको आवाज दी तो वह मुड़ कर देख भाग आया।

थका हुआ दौड़ा। जोर-जोर से सांस लेता हुआ अक्षय के ऊपर जाने लगा। उसे वैसे ही उसने गले लगाया। उसके पीठ को सहलाया। "तुझे क्या हुआ.... क्यों ऐसा चिल्ला रहा है? अक्षय के पूछते समय ही रोजर वैसे ही फिसल कर नीचे गिर गया।

उसी समय उसके नाक से और मुंह से खून बहने लगा।

ईश्वर रोजर को क्या हुआ देखो।"

ईश्वर घुटने के बल बैठकर कुत्ते को पलटने लगा। उसका शरीर अब नहीं हिला। उसकी आंखें स्थिर थी और जीभ बाहर निकल गई। आंखों में आंसू लिए खड़ा था ईश्वर।"

"साहब अपना रोजर चला गया...."

"अक्षय दुखी होकर डॉक्टर को देखा। कैसे अंकल.... हम अंदर आए तब तो रोजर्स स्वास्थ्य ही था?"

"सरको ईश्वर.... मैं देखता हूं....." कहकर टॉर्च की रोशनी में कुत्ते का परीक्षण किया। एक मिनट दीर्घ श्वास लेकर सीधे हुए।

"सांप ने काटा है.... इसीलिए ब्लड क्लॉट होकर मर गया।"

"साहब...!"

'क्या?"

"अपने बंगले के एरिया के अंदर सांप नहीं हैं... मैं यहां काम पर नया आया उस समय एक-दो सांप थे। उसे भी मार दिया। उसके बाद एक साँप भी दिखाई नहीं दिया...."

"तुमने देखा नहीं होगा.... एक अच्छा कुत्ता चला गया बहुत बुरा हुआ... ईश्वर!"

"साहब....?"

"इसे बंगला के बाहर कहीं भी गहरा खड्डा खोदकर दफना दो..."

"ठीक है साहब...!" सिर को हिलाकर कुत्ते को दोनों पीछे के पैरों से पकड़ कर खींच कर ले जाने लगा।

"क्या सोच रहे हो....?"

"विपरीत अंकल"

"क्या विपरीत?"

"इस पन्नैय बंगले में कुछ तो विपरीत है ऐसा मेरे मन में लग रहा है..... कुत्ते के मरने में सांप का काटना कारण नहीं होगा मुझे लगता है.....!"

"कोई दूसरा क्या कारण होगा सोचते हो?"

"मैं बोल नहीं पा रहा हूं अंकल.... हमें कोई सूंघ रहा है ऐसा मुझे लग रहा है।"

"कोई मतलब कौन... पुलिस?"

"पुलिस होती तो इस समय तक हम सब लॉकॲप के अंदर बैठे होते?"

"फिर कौन..….?"

"जिसका चेहरा मालूम नहीं शत्रु"

"यह देखो अक्षय! अभी कुत्ते की मृत्यु से संबंधित घटना से कुछ भी कल्पना मत करो। कल तुम, परशुराम और मैं तीनों लोग यहां पर आकर और क्या होना है, क्या करना है इसके बारे में देखेंगे।"

उत्तम रामन बोल रहे थे तभी अक्षय का मोबाइल बजा।

डॉक्टर उमैयाल का फोन था।

"क्या है आंटी....?"

"तू अभी तक सोया नहीं अक्षय..... 12:00 बजने वाले हैं..."

"नींद नहीं आई आंटी.... अम्मा की याद आ रही है। अम्मा अभी कैसी हैं?"

"थोड़ा बैटर है..... इसीलिए तुम्हें फोन किया। अम्मा की यादाश्त किसी भी समय वापस आ सकती है। हो सके तो हॉस्पिटल में आ जाओ.... नहीं तो... कल सुबह आ जाना...."

"अभी तुरंत मैं नहीं आ सकूंगा आंटी। नींद नहीं आई इसीलिए दो नींद की गोली मैंने ले ली। गुड नाइट!"

दूसरी तरफ से डॉक्टर उमैयाल के फोन रख देने से अक्षय ने मोबाइल बंद किया।

उत्तम रामन, अक्षय को देख कर मुस्कुराए। बिल्कुल सूटेबल एक झूठ बोल दिया। अब हमें यहां नहीं रहना है रवाना हो...."

एक दीर्घ श्वास छोड़ता हुआ अक्षय सिर हिलाया।

दूसरे दिन सबेरे 7:00 बजे।

अपने सोने के कमरे के दरवाजे को धीरे से खटखटाने की आवाज आई तो अक्षय ने आंखें खोली। रात में ठीक से नींद ना होने के कारण उसकी आंखों में मिर्ची ने छुआ जैसे जलन हो रही थी। ओढ़े हुए चादर को हटाकर दरवाजे को खोला।

बाहर आकर खड़ा हुआ ।

"साहब!"

"क्या है वेणु?"

"आपसे मिलने के लिए कोई 6:00 बजे से यहाँ आकर बैठे हैं। कोई जरूरी बात है बताया। मैंने उन्हें एक घंटे बाद आने को कहा। वे बराबर 7:00 बजे आ गए। उन्हें बाहर बैठा दिया।

"उनका नाम क्या है पूछा क्या?"

"नकुल बोला!"