वैसे तो आज हम इक्कीस वी सदी में जी रहे है और खुद को सभ्य और मॉर्डन बता रहे है। हम पिछली उन सब बुराइयों से दूर है जिन्हे पहले लोग अपनी शानो शौकत मानते थे। जैसे जाति में भेद भाव ऊंच नीच या लड़का लड़की में भेद भाव। मगर ऐसा बिल्कुल भी नही है आज भी कई लोगो की सोच इसी पर अटकी रहती है की वो ऊंची जाति का है और वो नीची जाति का। इसके घर में लड़का हुआ है बड़ा ही किस्मत वाला है। अरे इस बेचारे की तो किस्मत ही फूट गई है क्युकी इसके घर में लड़की हुई है।
और ना जानें क्या क्या बोलते है इस समय के सभ्य लोग। आज साइंस ने इतनी तर्रकी कर ली है , लोग चांद पे पहुंच गए है, रोबोटिक्स मशीनें आ गई है मगर..... कुछ लोगों की सोच अभी भी बिलकुल भी नहीं बदली है । आज 21वी सदी में भी लोग लड़का लड़की में भेद भाव कर रहे हैं। भ्रूण हत्याएं हो रही है। और जाने क्या क्या हो रहा है।
इसी से संबंधित आज में आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रही हु जिसमे की एक सास को सिर्फ अपनी बहु से एक बेटे की चाहत होती है वो भी किस लिए की वंश को आगे बढ़ाने के लिए।
एक शहर में एक बड़ा ही प्यारा परिवार रहता था। उस परिवार में एक माता पिता और उनके दो बच्चे थे। एक बड़ा लड़का और एक छोटी बेटी। परिवार में सब पढ़े लिखे थे। तथा उनकी सोच रूढ़िवादी नही थी। वो लोग काफी मॉर्डन थे। वो लडका लडकी में भेद भाव नही करते थे।
परिवार में सबसे बड़े पिता जी थे जिनका नाम राकेश था और उनकी बीवी का नाम रमा था। बेटे का नाम आदित्य और बेटी का नाम अदिति था। आदित्य की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी तो वो अपने पिता के साथ बिजनेस संभालता था। और बेटी का एम. ए का आखिरी साल चल रहा था। अदिति बहुत ही सीधी सादी सी लड़की थी । और आदित्य भी काफी सीधा सादा लड़का था। राकेश ने अपने दोनों ही बच्चो को बड़ी ही अच्छी परवरिश दी थी जिससे की दोनों बच्चे बड़े ही सीधे थे तथा उनमें कोई भी ऐब नही था।
राकेश की फैमिली बहुत ही खुशमिजाज थी। वो कभी भी किसी से लड़ाई या झगड़ा नही करते थे। पुरा मोहल्ला इनके परिवार की तारीफ करता था। रमेश के भाई और बहन भी थी जिनसे रमेश के अच्छे संबंध थे। अब अदिति की पढ़ाई का भी आखिरी साल चल रहा था । लोगों की निगाह अब अदिति पे थी की अब इसकी पढ़ाई भी पूरी हो जायेगी । तो इसके भी हाथ पीले करने होंगे । क्युकी चाहे लड़की कितना ही क्यों ना पढ़ ले कितने ही अमीर बाप की बेटी क्यू ना हो शादी तो एक ना एक दिन करनी ही पड़ती है। और ये कोई बाहर के लोग नही सोच रहें थे ये अदिति के अपने ही लोग थे जो ये सोच रहे थे। उनमें से एक अदिति की बुआ जी भी थी जिन्हे अदिति की शादी की पड़ी थी......
क्रमशे.........