आजकल अमिता दिवाली की सफाई में लगी हुई थी।तीन वर्ष के बेटे विशु के संग काम करना बेहद मुश्किल हो जाता है।जरा आँख बची कि विशु सामान फैलाने लग जाता था,डाँटने पर मासूमियत से अपनी थोड़ी तोतली आवाज में कहता,"मम्मा, डाँतो मत,मैं भी तो थपाई कल लहा हूँ।"सुनकर उसे बेटे पर प्यार उमड़ आता।वह स औऱ र का साफ उच्चारण नहीं कर पाता है, वैसे बेहद बातूनी है, उसके प्रश्नों का पुलिंदा हमेशा खुला ही रहता है।
कई सालों से दिवान की सफाई नहीं कर सकी थी, क्योंकि विवाह के बाद शीघ्र ही विशु उनकी जिंदगी में आ गया था।इस बार उसमें जगह बनाने के लिए दिवान से सामान निकालकर पुराने एवं बेकार चीज़ों को अलग कर रही थी।पेपर के नीचे एक लिफाफे में कुछ खत रखे हुए थे, उत्सुकतावश उन्हें खोलकर पढ़ने लगी।कुछ पति के दोस्तों के,कुछ रिश्तेदारों के थे,लेकिन एक पत्र पर प्रेषक की जगह 'आपका एक हितैषी' लिखा देखकर कोतुहलवश पत्र पढ़ने लगी।
पत्र में लिखा था कि आपकी भावी पत्नी किसी औऱ से बेहद प्रेम करती है लेकिन उसके परिवार वाले जबरन उसका विवाह आपके साथ कर रहे हैं।वह उसे कभी भी नहीं भूलेगी, जिसका दुष्परिणाम यह होगा कि वह सिसकती हुई पूरी जिंदगी तो आपके साथ गुजार देगी,लेकिन दिल से आपको कभी प्यार नहीं कर सकेगी।अतः आप भी वास्तविक प्रेम से हमेशा महरूम रहेंगे।इसलिए भलाई इसी में है कि आप इस विवाह से इनकार कर दें।जिससे तीन जिंदगियां बर्बाद होने से बच जाएंगी।
अमिता पत्र को पढ़कर बेचैन हो गई।अपने कॉलेज के दोस्तों के बारे में गम्भीरता से विचार करने लगी कि ऐसी बेहूदी हरकत कौन कर सकता था।लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी कोई चेहरा, कोई नाम निकलकर सामने नहीं आया।शाम को पति के घर आते ही उनके सामने वह पत्र रखकर प्रश्नवाचक दृष्टि से उनकी तरफ देखने लगी कि आपने कभी इसके बारे में नहीं बताया।
पति ने हँसते हुए मजाकिया लहजे में कहा कि इसमें बताने जैसा क्या था?अब तुम इतनी खूबसूरत हो तो किसी दिलजले आशिक़ ने तुम्हें मुझसे छीनने के लिए एक कोशिश कर डाला।फिर किंचित गम्भीर स्वर में कहा कि अब मैं इतना बेवकूफ तो था नहीं कि एंगेजमेंट के पश्चात तुम्हारे चेहरे एवं आँखों में अपने लिए नजर आने वाले प्यार को न महसूस कर सकूँ एवं एक अजनबी सिरफिरे की बातों में आकर रिश्ता तोड़ दूँ।फिर मासूम सा चेहरा बनाकर कहा कि हाँ अगर तुम मना कर देती तो फ़िर मैं भला क्या कर पाता।
अमिता अपने समझदार पति को प्यार से निहारती चाय बनाने चली गई।इस बार जब दौज पर वह मायके गई तो माँ को उस पत्र के बारे में बताने लगी।तब माँ ने चौंकते हुए अलमारी से एक पत्र निकालकर उसके हाथों में थमाते हुए बताया कि विवाह तिथि से 8-10 दिन पूर्व ही यह पत्र आया था लेकिन एक तो कार्ड भी बंट गए थे, फिर तुम 5-6 महीने से वर से बातचीत कर रही थी, कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा था, इसलिए तुम्हें इस बारे में नहीं बताया।लेकिन थोड़ा मन चिंतित अवश्य हो गया था।जब सकुशल तुम्हारे विवाह को 7-8 महीने व्यतीत हो गए, तब जाकर हम निश्चिंत हो सके थे।समझ गए थे किसी ने ईर्ष्यावश विवाह तुड़वाने के लिए यह ओछी हरक़त की है।
अमिता ने पत्र पढ़ा।लिखा था कि आप जिस लड़के से अमिता का विवाह करना चाहते हैं, उसमें बहुत सारे ऐब हैं, वह शराब-सिगरेट पीता है।उसके घर वाले बेहद लालची हैं,अभी तो महानता दिखाते हुए दहेज़ के लिए मना कर दिया है लेकिन बाद में आजीवन आपकी बेटी को परेशान करते रहेंगे।इस विवाह को तोड़कर अपनी बेटी की जिंदगी को बर्बाद होने से बचा लीजिए।प्रेषक वही आपका हितैषी।
अमिता समझ रही थी कि इन खतों से दोनों पक्ष कितने मानसिक तनाव में रहे होंगे।खैर, अब जबकि सबकुछ अच्छा चल रहा था तो सोचकर बेकार दिमाग़ ख़राब करने से क्या फायदा।लेकिन अफसोस होता है कि ऐसे लोग अपने स्वार्थ एवं ईर्ष्या के कारण ऐसी घटिया हरकत करते हैं और उसपर यह औऱ दुःखद होता है क्योंकि निश्चित तौर पर वह व्यक्ति कोई परिचित ही होगा।
********