Chhal - 8 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 8

Featured Books
  • બોલો કોને કહીએ

    હમણાં એક મેરેજ કાઉન્સેલર ની પોસ્ટ વાંચી કે  આજે છોકરાં છોકરી...

  • ભાગવત રહસ્ય - 114

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૪   મનુષ્યમાં સ્વાર્થ બુદ્ધિ જાગે છે-ત્યારે તે...

  • ખજાનો - 81

    ઊંડો શ્વાસ લઈ જૉનીએ હિંમત દાખવી." જુઓ મિત્રો..! જો આપણે જ હિ...

  • સિક્સર

    મેથ્યુ નામનો વ્યક્તિ હોય છે. તે દૈનિક ક્રિયા મુજબ ઓફિસથી આવત...

  • જીવન ચોર...ભાગ ૧ ( ભૂખ)

    ભાગ ૧  : ભૂખ મહાદેવી શેઠાણી: એ પકડો એને... પકડો.. મારા લાખો...

Categories
Share

छल - Story of love and betrayal - 8

एक रात प्रेरित बैठा अपने बीते दिनों के बारे में सोच रहा था तभी भैरव ने पूछा,

"क्या बात है साब, लगता है आपको अभी जेल में सोने की आदत नहीं पड़ी, इसलिए तो आप रात रात भर जागते रहते हैं" |

प्रेरित ने गहरी साँस लेते हुए कहा - "पता है…..बचपन में जब पापा मुझे डांट दिया करते थे या कोई जिद पूरी नहीं करते थे तो मैं चाचा जी के पास चला जाता था और वह मेरी हर बात मानते थे | पापा जब छुट्टियों से वापस आर्मी ड्यूटी पर चले जाते थे तो वही घर को संभालते थे बिल्कुल अपने बेटे की तरह रखते थे तब मैंने कभी महसूस ही नहीं किया कि वह शातिर इंसान ही मेरा असली बाप है" |

प्रेरित गुस्से में अपने आंसू पोछने लगा | भैरव सिंह ने चौंक कर पूछा,"
क्या?? लेकिन ऐसा कैसे?? "

प्रेरित ने भैरव को अपनी मां से जो सच्चाई पता लगी थी वह सब बता दी|

भैरव ने बात खत्म होते ही कहा," तो साब आपने अपने चाचा को खलास कर दिया "|

प्रेरित (गुस्से में) , “हां मैंने उसे उसके ही घर में जिंदा जला दिया, उसका पूरा घर और वह जलकर खाक हो गया जो मेरे नाम था, मुझे तो लगता था कि आर्मी के शुरुआती दिनों में ही जंग में उसका एक पैर कट गया था इसलिए उसने आर्मी से रिटायरमेंट ले लिया और शादी नहीं की या फिर वह करना नहीं चाहता था क्योंकि वो पूरी जिंदगी किसी के सहारे का मोहताज हो, ऐसा उसे बिल्कुल पसंद नहीं था, उसका कोई ना होने के कारण उसने मेरे और प्रेरणा के नाम अपनी सारी जायदाद कर दी, मैं भी खुश था कि मुझे पिता के बाद भी पिता की कमी महसूस नहीं हुई, पर वह सब झूठ था, फरेब था एक छल था, वह सब मेरे लिए इसलिए कर रहा था क्योंकि मैं उस की नाजायज औलाद था लेकिन मैंने उसे भगवान के पास भेज दिया, हा हा हा हा हा " |


प्रेरित पागलों की तरह हंसने लगा |

" साब आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था, आखिर वो थे तो आपके बाप ही, कई बार हमारे बड़ो से ऐसी गलतियां हो जाती हैं की उनका पछतावा उन्हे पूरी जिंदगी भर रहता है लेकिन वो किसी से कह नही पाते" ।
भैरव ने दुख व्यक्त करते हुए कहा |

प्रेरित बिल्कुल खामोश हो गया, भैरव उसके पास जाकर बोला –
" साब मैं आपके जैसा पढ़ा लिखा तो नहीं लेकिन यह जरूर जानता हूं, जो हुआ वह सब वक्त का खेल था साब, जो भी उन दोनों के बीच हुआ उसे भुलाकर माफ कर देते, उन्होंने गलती की लेकिन आपको अपने बेटे जैसा भी तो माना" |

प्रेरित को भैरव की बात सुनकर एक पल को लगा कि उसने सच में कितनी बड़ी गलती कर दी, वह मन ही मन पछताने लगा, उसने कभी ये बात क्यूँ नहीं सोची, अब उसे प्रेरणा और नितेश को मारने का भी मलाल होने लगा, आखिर वो प्रेरणा को तलाक भी तो दे सकता था, पर उसने तो …. वह बेचैन हो उठा और सोचने लगा लेकिन अब क्या हो सकता था |