election conspiracy in Hindi Fiction Stories by shivani singh books and stories PDF | चुनावी षड्यंत्र

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चुनावी षड्यंत्र

भोलराम आज फिर ज्यादा पी कर नाली में डला है, उसे न कुछ होश है न खबर , सन्न सा पड़ा है। लोबिन लाल वहीं खड़ा देख रहा कि यह आदमी जिंदा है या मरा वो बड़ा अचंबित था उसने
ऐसा हुलिया बाला आदमी कहीं देखा पर कहाँ उसे यह ध्यान नहीं आ रहा था , क्योंकि लोबिनलाल को भूलने की बीमारी से ग्रसित था। उसे बहुत देर बाद कुछ ध्यान आता इतनी देर बाद कि ..।
इस कारण वह अपनी पत्नी रूपा से अनेक बार अलग हो गया। क्योंकि वह उसे पहचानता ही नहीं । और उससे कहता तुम कौन हो ?रुपिया कहाँ चली गई? , वो जब तक ध्यान करता रूपा अपने मायके चली जाती थीं..।

'वह अभी तक वहां खड़ा हुआ देख रहा था। कुछ देर बाद भोला राम की कराहने की आवाज आई इतने में ही लोबिन लाल ने उसे पहचान लिया , अरे ! ये तो भोला है, क्यों तू यहां क्या कर रहा है । उसने भोला को उठाया अक्सर भोला के नाम मे जितना भोला पन है उतना उसके खाने पीने में नहीं वो इतना खाना ठूसता है, कि उसे अपना होश ही नही रहता और ज्यादा खाने से उसके आयतन में जो वृद्धि हुई है उसे तो इस वक़्त लोबिन जी ही महसूस कर सकते है क्योंकि उनके उठाने से तो बो उठने से रहे। लोविन ने किसी तरह उन्हें नाली से निकालकर वही पास में एक पेड़ के नीचे लेटा दिया ।
थोड़ी देर बाद भोला को होश आया । और उसने पास लोविन को बैठा देखा , अरे! लोविन में यहाँ कैसे आया..?

लोविन- भोलूराम तुम ज्यादा चढ़ा गए थे। वो तो अच्छा हुआ आपको भाभी जी ने नाले में पड़ा हुआ नही देखा नही तो आपकी...।
अच्छा वो मैंने आज ज्यादा पी ली थी ,
क्या करे आजकल दारू की लत ज्यादा ही लग गई है
हाँ भोलू वो तो साफ दिख रहा है।
और सब ठीक है ?
हाँ सब ठीक है अब तो चुनावी माहौल आ गया।

लोविन- हाँ भाई आ तो गया , पता नहीं किसकी सरकार बनेंगी
भोला राम - किसी की भी बने क्या फायदा
जो हमें पैसा और पीने के लिए देगा वही को वोट देंगें..।
बैसे को अपनो भलो कर रहो , वो तो जे चुनाव आ जाते है तासो।
लोविन -ठीक कह रहा है भोला तू।
जा बेर बैसे 'मटरू 'और 'गयादीन' दोनो खड़े हो रहे है।
मटरू तो गयादीन से बहुत छोटो है बाये का अबे ज्ञान होगो।।
हां ये तो तुम सही कह रहे हो लोविन और रुपया भी नहीं होगो बाके पास गयादीन जितनो। देखो को जीतेगो।
इधर मंगलराम इन दोनों की बात सुन रहा था
मंगलराम की सकल तो पंचर टायर की तरह है , लेकिन उसका दिमाग इतना तेज जिससे बात करता उसका मंगल दोष निकाल देता ।मंगल राम की उम्र कुछ ज्यादा नही तकरीबन। तीस साल होगी । वो अलग बात है वो दिखने में 40 का लगता है ।मंगल राम कहता है कि भाई भोलाराम जेब भरने की पड़ी है और पीने की तुम जैसे लोगों के कारण ही तो ऐसे ऐसे नेता मिलते है जो भाषण में कुछ और बोलते हैं और बनने के बाद करते कुछ और है, तुम लोग पीने के चक्कर में अपने वोट को बेच देते हो । जिस कारण ऐसा नेता बनता है कि सबका बंटादार कर देता है , गयादीन ने पहले भी बड़े बड़े वादे किए थे और आज तक हमारे गांव का हाल बैसा ही है कुछ बदला है, ?
हाँ बस उसने एक हैंडपंप जरूर लगवाया है, लेकिन उस पर भी इतना भेदभाव होता है कि तुम तो शायद इससे परचित होंगें।
वहाँ पर गयादीन के आदमी पहले खुद पानी भरते हैं बाद में आम जनता उसके बाद अगर वह पानी छोड़ गया तो अपनी
बहु बेटी उसके आने के इंतजार में बैठी रहती है। उन लोगो को अपनी ही पड़ी रहती है।
लोविन- मंगल तू सही तो कह रहा है जा बेर मटरू को देख लेते है का पतो वो थोड़ा हमारी सुने।
हां हां देख लियो अपने हिसाब से ,
काये भोला भैया तुम्हें कछु समझ मे आओ के अभी भी
बोतल के नशा में सुन रहे हो।
शांत रहे तू मंगल कल का आया हमे राजनीति सिखायेगा।
तभी तो यहां है, आज गयादीन का पी. ए. ।बन जातो तो तेरी
ये बोलती बंद हो जाती फिर उसकी ही पूजा करता।
भोला भइया पूजा करो आप ।हम तो उसके ..... भी न बने।
चलो अब हम चलते है । हां जा जा।
लोविन- भोला तू भी जा घर अब में भी चलता हूँ अब तो कल वोट डालेंगे तब मिलेंगे ।
हां कल मिलेंगे।

गयादीन पूरे गांव में पैसे बाटने की नई योजना बना रहा है ।
इस बार उसे अपनी जितने की आशंका ज्यादा नही दिख रही
क्योकि अब गांव में सब जागरुक हो गए है।
लेकिन उसे इस बात पर घमण्ड था कि पैसे से तो कुछ भी खरीदा जा सकता है फिर ये वोट का चीज़ है।
इधर मटरू लगे हुए ,ये विचार करने में की जितने पैसे थे सब तो प्रचार में खत्म हो गए । अब अगर कहीं किसी ने मांग लिए तो चुनाव से पहले ही मेरा नाम खराब हो जाएगा ,
लेकिन उसने विचार अब जो होगा सब काले बाबा सम्भाल लेंगे।
काले बाबा पर उसे इतना विश्वास था । की वह इस चुनाव उसे अवश्य जितवाएँगे।
रात हो गई अब वो सुबह आने बाली है जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था, कुछ लोग सो गए और कुछ लोग इस आश में जाग रहे थे, की अभी कोई न कोई पार्टी का तो पैसे बाटने आएगा। जो जाग रहे उनकी यह आश सच हो गई गयादीन ने अपने कुछ आदमी इस काम के लिए भेज दिए थे और वो लोग अपना काम भकूबी निभा रहे थे। ठंड के मौसम में भी लोग जाग रहे थे। क्योंकि जो पैसा मिल रहा था वह उनकी सर्दी काम कर रहा था।
सुबह हो गई सभी लोग जो वयस्क थे जो वोट डालने में
सक्षम थे तैयारी कर रहे थे, ओर कुछ लोग यह कह कर जाने के लिए मना कर रहे थे कि वो क्या हमारे ही वोट से जीतेगा ।
बैसे भी बे का जीतने के बाद हमें सनात करेंगे।
जहाँ पर वोट डल रहें थे वहां पर मंगलराम ,गयादीन की सच्चाई बता रहा था जिस पर शायद कोई ध्यान नहीं देता।
अर्थात सबको उसकी काली करतूत के बारे में बता रहा था। वो लोगो को जागरूक कर रहा था न कि मटरू का प्रचार । वो सबको बो बात , बता रहा था जिसका ज्ञान सबको होना था।
इधर गयादीन के आदमीयों ने मंगल को यह सब करते देख लिया और गयादीन को खबर कर दी , उन लोगो ने कुछ षडयंत्र रचा...।
मंगल जैसे ही उस जगह से दूर गया जहां पर ज्यादा भीड़ नही थी शायद वह कुछ काम से जा रहा था।
लेकिन जैसे ही वह थोड़ी दूर पहुँचा........।
वोट डाल के सभी लोग लौट रहे थे तबी उन्होंने देखा कि कोई है हो बेसुद पड़ा है शायद वह मर चुका हो पर कौन..?
थोड़ी पास जाकर जब लोगो ने देखा तो ये तो मंगल है।
सब लोगो के मुहं की हवाईया उड़ गई । सब लोग आपस में बाते करने लगे । मंगल तो उस गांव का वह नौजवान था जिसकी किसी से लड़ाई तक नहीं होती फिर उसका यह हाल कैसे लोग उसकी हालत देख कर समझ तो गए कि इसकी किसी ने हत्या करि है पर किसने.......?
थोड़ी देर बाद पुलिस आई उसने लोगों को ऐसे करके पाठ पढ़ाया की सबको यह यकीन दिलाने की कोशिश की उसने अपनी आत्महत्या की है।
पर उसी समय लोविनलाल आया उसने कहा साहब ऐसा नही हो सकता मंगल ऐसा कभी नही कर सकता आप
जांच पड़ताल कीजिये।
पुलिस- तुम्हें कुछ ज्यादा पता है चलो इसको ही अंदर डालो क्या पता इसने ही इसकी हत्या कर दी हो......।
पुलिस लोविन को ले गई ।