भागती हुई निया, ब्लूहार्ट कैफे पहुंची तो देखा, की एक सीट लिए नीतू वहां बैठी हुई थी।
हाथ में किताब लिए नीतू कुछ पढ़ ही रही थी, जब एक महिला, उसके कंधे पे हाथ रखते हुए हाय बोल कर, साथ आकर बैठ जाती है।
जाऊ या इंतजार करूं की कश्मश में निया जब थोड़ी दूर खड़े होकर उन्हें निहार रही होती है, तो पीछे से ध्रुव आते हुए बोलता है।
"क्या मैडम? फिर से भागने का इरादा है क्या?"
"ना। अब ऐसी छोटी मोटी जगह नहीं भागना, अब तो सीधा मैराथन में ही भाग के दिखाना है।", निया ने मज़ाक के लहजे में जवाब देते हुए बोला।
"हाहाहा.. वैरी फनी. चले अब.. सारी नौटंकियां हो गई हो तो?", ध्रुव निया के आगे हाथ बढ़ाते हुए बोला।
"हां", निया हामी भरते हुए आगे बढ़ी।
वो दोनो टेबल की तरफ़ जा ही रहे थे, की सामने से कुछ देख कर, दोनो फट से पीछे मुड़ गए।
"ये यहां क्या कर रहे है?", निया ने ध्रुव को कोहनी मारते हुए पूछा।
"भगवान जाने।" अपनी तरफ़ आते हुए बेफिक्र सुनील को देख कर, ध्रुव बोला।
"कहीं ये यहां नीतू के साथ तो नहीं आए??"
"ना.. ये कैसे..... या ये ही??..", वापस से पीछे मुड़ कर सुनील को नीतू की और पास जाते हुए देख ध्रुव कहता है।
"हां हां.. ना ना, ये नहीं है.. और हम बच गए", मुस्करा कर निया के कंधे पे हाथ रखते हुए ध्रुव बोला।
"ओए.. ", दूसरी तरफ़ एक टक देखते हुए, निया ध्रुव को बुलाती है।
"क्या हुआ??", उसके चेहरे की ओर देखते हुए ध्रुव ने पूछा।
"वो.. वो चंचल नहीं लग रही?"
"चंचल.. चंचल यहां कैसे होगी? तुम्हें वहम हो रहा होगा।"
"नहीं, वो देखो, एक दम सेम कपड़े है।", उनकी ओर पीठ करके बैठी एक महिला को देखते हुए निया बोली। "एक बार चल के देखे?"
"हां चलो.. और क्या कहोगी वहां जाकर? हाय चंचल.. आप बाहर भी आते हो क्या, मुझे नहीं पता था, की आपकी अपनी भी कोई लाइफ है??"
"हह..", निया गुस्से से ध्रुव की तरफ देखती है।
"जो करने आए है, वो करने चले पहले?"
"हां. बस एक बार नज़र मार ले, की सुनील यही कहीं आस पास तो नहीं।", निया चारो तरफ़ घूमते हुए धीरे से बोलती है।
"दिख तो नहीं रहे", ध्रुव हर तरफ़ नजर मारने के बाद बोलता है।
"बढ़िया.. बस अब एक बार चंचल का भी पक्का कर लेते है।", निया वापस से सामने होते हुए बोली, और तभी उसने दिया की वो महिला भी जा चुकी थी।
"चलो रास्ता एक दम साफ़ है।", ध्रुव निया के आगे हाथ बढ़ाता हुआ बोला।
"हां", निया नीतू की टेबल पे जाने के लिए आगे बढ़ी।
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"हाय नीतू..", निया और ध्रुव दोनो नीतू के पास जाते हुए बोले।
"हाय.. तुम दोनो यहां.. ??", उन्हें देख कर कुछ समझ नहीं आते हुए नीतू बोली।
"वो हम.. हम यहां.."
"वो हम ही पहली बारिश कमिटी से है, और यहां आपसे मिलने आए है।", निया की बात को खत्म करते हुए ध्रुव बोला।
"सब रट के बैठा है क्या, पता नहीं रोज़ कितनी बार करता है ये।", निया ध्रुव को देखते हुए खुद से बोली।
"अच्छा.. बैठो।", नीतू अजीब से चेहरा बनाते हुए बोली, और फिर अपनी सहेली को बोली, "अगर इनसे मिलवाना था, तो मैं इनसे रोज़ मिलती हूं, अब चले?"
"यार.. तू सुन तो ले क्या कह रहा है, फिर देखते है।", नीतू की सहेली उससे कहती है।
"ठीक है.. फटाफट बताओ, क्या है ये सब?", नीतू बोली।
"तो हमारी ये जो कमिटी है ना, वो पहली बारिश के बारे में है। पहली बारिश जो है ना..."
"पहली बारिश जो है ना, ये सब कुछ नहीं है, बकवास है। मैं तो कहती हूं, की आप घर जाओ और बिना ज्यादा कुछ सोचे आराम से सो जाओ। कल नहीं तो परसों आपके बॉयफ्रेंड को अकल आ ही जाएगी।", अपने फोन में कुछ देखती हुई निया फट से ध्रुव को काटते हुए बोली।
"उसे भी कई सालों से उसके सुधरने का ही इंतजार है। और ये इंतजार खत्म करने के लिए ही मैंने आप लोगो से बात की थी। " नीतू की सहेली टोकती हुई बोली।
"मतलब?", ध्रुव ने एकदम से पूछा।
"नीतू का ब्रेकअप कुछ सालों पहले हुआ था, लगभग इसी महीने की पहली बारिश थी वो, पर ये अभी भी उसे भूल नहीं पा रही है। और अब आप भी ये सब बकवास बोल रहे हो।"
"मै"म.. आप मेरी बात सुनिए", अपनी आखें नीचे करके बैठी निया को बड़ी आंखों से देखता हुआ ध्रुव नीतू को बोला।
"मुझे कुछ भी सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं है। तू आ रही है या मैं जाऊ?", अपनी सहेली की तरफ़ देखते हुए नीतू, गुस्से से खड़े होकर बोली।
उसकी तरफ़ से कोई जवाब ना आने पे, वो वहां से चल दी।
उनके जाते ही, निया भी खड़ी हुई, और बोली।
"मुझे भी ज़रूरी काम है, तो मैं भी चलती हूं।"
"आप मुझे पूरी बात बताओगे क्या? मैं सचमुच में नीतू मै"म की मदद करना चाहता हूं।" , निया की बात को दरकिनार करते हुए ध्रुव बोला।
"ठीक है...", नीतू की सहेली भी बोली।