Surmayi Aankho wali - 5 - Last Part in Hindi Women Focused by Jyoti Prajapati books and stories PDF | सुरमयी आंखों वाली - 5 - अंतिम भाग

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सुरमयी आंखों वाली - 5 - अंतिम भाग

अबतक मैंने जिस सुरमयी को जाना था ये उससे बिल्कुल अलग थी ! इतना दुखद और भयावह अतीत ! सुनकर ही दिल मे अजीब सी घबराहट मच गई ! जब पढ़कर ही हम सबका ये हाल था तो सुरमयी पर तो ये सब बीती थी! उसका क्या हाल हुआ होगा...??"
मैं अपनी सोच में ही मगन था और प्रांजल ने मुझे झंझोड़ा ! मैं चौंककर अपनी सोच से बाहर आया !

प्रांजल ने पूछा, " क्या हुआ भाई..?? अब क्या करेंगे आप..??"

मैं क्या जवाब दूं प्रांजल को समझ ही नही आ रहा था ! गलत तो हुआ था सुरमयी के साथ, बिना किसी दोष के ही उसे इतनी सज़ा मिली थी ! लेकिन इस समय मैं क्या करूँ...? कुछ नही समझ पा रहा था! मैंने दीप से पूछा, " तू क्या करता भाई ऐसी सिचुएशन में...??"

दीप ने कुछ समय लिया सोचने में ! फिर बोला , " देख भाई... वो अगर अकेली होती तो मैं रिस्क ले सकता था पर एक बेटा भी है उसका और वो बोल भी नही सकती ! और मैं अपने माँ बाप की इकलौती औलाद ! तो सबकी सम्मति से ही निर्णय लेता, जो भी लेता !!"

दीप की बात में दम लगा मुझे ! सुरमयी से पहली नज़र का प्यार हुआ था मुझे ! बिना उसके बारे में जाने ही इतना चाहने लगा था मैं उसे ! अब जब उसके बारे में सब कुछ जान गया हूँ तो दिल और दिमाग के बीच जंग सी छिड़ गई । दिल कहता उसे अपना ले और दिमाग कहता घरवालो के खिलाफ जाकर, कुछ भी करना गलत है !!
इतना तो मैं अपने पैरेंट्स को जानता ही हूँ कि गए लोग सुरमयी को कभी नही अपनाएंगे !!! मैं अपनी ही उधेड़बुन में लगा था कि प्रांजल ने पूछा, " क्या चाहता है तू भाई..??"

मैंने प्रांजल से भी उसकी राय जानना जरूरी समझा ! दो वजह थी। एक तो वो मेरी बहन दूसरी ये की वो एक लड़की थी। इन मामलों में लड़कियो की सोच बिल्कुल अलग होती है !! जाने कितने ही पहलुओं पर सोचकर ये लोग बात करती हैं ऐसे।मामलों में ! ये बात मैंने मम्मी को देखकर जानी है !!

सो इसलिए मैंने प्रांजल से ही पूछा , " तू बता, मुझे क्या करना चाहिए..??"

"सबसे पहले पापा-मम्मी को बताओ और उससे पहले भी सुरमयी के मन मे क्या है ये पता लगाओ...!!" प्रांजल ने एकदम सटीक सा जवाब दिया । मुझे दूसरा प्रश्न पूछने की जरूरत ही नही लगी।
मैंने खुदको तैयार किया सुरमयी से बात करने के लिए ! मन मे हज़ारों आशंकाएं उमड़ घुमड़ रही थी ! पता नही वो क्या सोचेगी मेरे बारे में !!

मैं शाम को सुरमयी के आने का वैट कर रहा था ! जब वो आयी तो मुझे देखकर इग्नोर करते हुए निकल गयी। उसकी ये हरकत मुझे बड़ी अजीब लगी।

थोड़ी देर बाद मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया ! सुरमयी नर मुझे महाकाल मंदिर आने को कहा शाम के समय ! मुझे तो इतनी जल्दी थी कि मैं शाम को क्या दोपहर में ही पहुंच गया !
सुरमयी के साथ प्रांजल भी थी !! मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ ! और फिर लगा, " चलो अच्छा है हर, मुझे भी थोड़ी हिम्मत रहेगी और सुरमयी को भी कुछ गलत नही लगेगा मेरा कुछ भी कहना !!"
मैं जैसे ही सुरमयी के पास पहुंचा प्रांजल बोली, "भाई... मैंने सबकुछ बता है है इन्हें !!"

मैं हैरान रह गया सुनकर ! "सब बता दिया मतलब..??" मैं भौंचक्का से कभी प्रांजल तो कभी सुरमयी को देखता !
दरअसल मेरे मन की सारी बातें, प्रांजल सुरमयी से कह चुकींथि !! सही भी था.... एक लड़की के मन की बात लड़की ही अच्छे से समझ सकती है ! और वैसे भी मैं सुरमयी को इतने परफेक्ट तरीके से नही कह पाता जैसे प्रांजल ने बताया होगा !!!

प्रांजल ने हम दोनो को वहीं मंदिर प्रांगण में अकेले छोड़ा और बाकी के मंदिर में माथा टेकने चली गयी ! मैंने उसी की बात छेड़ते हुए सुरमयी से कहा, " देखो सुरमयी.. गलत मत समझना ! पर मैं नही जानता कैसे ये सारी फीलिंग्स कब कैसे मेरे मन मे आई... पर प्रांजल ने जो भी कहा सब सच है !!"

अपनी बात कहकर मैं चुप हो गया और सुरमयी के जवाब की प्रतीक्षा करने लगा ! जब काफी देर तक मुझे उसकी कोई प्रतिक्रिया नही मिली तो मैं फिर उससे बोला, " मैं जानता हूँ तुम्हारे मन मे भी मेरे लिए फीलिंग्स है ! पर.....

सुरमयी ने हाथ के इशारे से मुझे चुप होने को कहा और आगे कुछ भी नही कहने के लिए सिर हिलाया। प्रांजल आ गयी तबतक ! और मैं सुरमयी के दिल मे क्या है..? ये समझ ही नही पाया!

हम लोग घर आ गए ! पूरे रास्ते हम तीनों के बीच खामोशी छाई रही ! घर पहुंचते ही मैं प्रांजल को अपने साथ खींचते हुए रूम में लेकर गया ! वो मुझे गाली देते हुए बोली, " क्या है कुत्ते..? सब्र तो ले ले थोड़ी ! बोल क्या बात है..?"

"क्या कहा तूने सुरमयी से और उसने तुझसे..??" मैंने बड़ी ही बेताबी से पूछा।

प्रांजल बोली, " भाई... मैंने ना आपसे एक बात छुपाई है..!!"

मेरा दिल धक से रह गया ! भगवान जाने इसने क्या छुपाया होगा..?? मैं डरते हुए बोला, " क्या छुपाया है ??"

"वो डायरी में सुरमयी के रूम से चोरी छुपे नही लाए थी बल्कि उसी ने मुझे दी थी! जब मैंने उसको..... आप..के बारे में.... सब बता दिया था !!" इतना कहकर प्रांजल ने अपना सिर झुका लिया और मैं वही जमीन पर सिर पकड़कर बैठ गया ! गुस्सा तो इतना आ रहा था मुझे प्रांजल पर की क्या बताऊँ..?

मैं कुछ बोलता उसके पहले ही उसकी रिकॉर्डिंग चालू हो गयी...," भाई.... उस वो डायरी मिलने वाले दिन मेरे मुंह से बातों ही बातों में निकल गया कि भाई आपको पसंद करते हैं !! फिर मैंने तुरंत ही सफ़ाई भी दे दी थी कि एज़ ए फ्रेंड पसन्द करते हैं ! पर शायद वो समझ गयी थी ! इसलिए उसने अपनी डायरी उठाकर मुझे दे दी !! और मैं उसे लेकर आपके पास आ गयी थी !!"

क्या हो रहा था कुछ समझ नही पा रहा था ! सबकुछ सिर के ऊपर से जा था ! थोड़ी देर बाद मम्मी आई ! एक लिफाफा था उनके हाथ ! मम्मी प्रांजल को देते हुए बोली, " ये ले.. सुरमयी देकर गयी है तेरे लिए !!"

प्रांजल को लिफाफा देकर चली गयी ! मैं और प्रांजल दोनो एक दूसरे की शक्ल देखने लगे ! प्रांजल ने लिफाफा खोलकर देखा ! कुछ लेटर्स थे उसमे ! प्रांजल ने लेटर निकाला और पढ़ने लगी,

" डियर प्रांजल... बहुत कुछ कहना चाहती हूँ मैं तुमसे और अर्चित से ! खूब सारी बातें करना चाहती हूँ! पर शायद किस्मत में नही है ये सब ! ना बोल पाना भी मेरी ज़िंदगी के सबसे बड़े दुखों में से एक है !
मैं जानती हूँ तुम्हारे और अर्चित के दिल मे इस समय क्या चल रहा होगा !! दोनो यही सोच रहे होंगे ना कि मैंने कोई जवाब नही दिया..! नही दिया तो क्यों नही दिया...??
जवाब तुम लोग जानते हो शायद...!!! मैं यहां अपने और अपने बेटे के लिए आई थी ! ताकि उसे एक सुरक्षित भविष्य दे सकूँ !! लेकिन एक बात ये भी तय है कि अपने बेटे के भविष्य को संवारने के चक्कर मे मैं तुम्हारे भाई का भविष्य खराब नही कर सकती !!"
कितनी ही बार बातों ही बातों में आंटी जी ने तुम्हारी और अर्चित की शादी के लिए जो सपने देखे हैं, सब बताया उन्होंने मुझे...!!"
अर्चित एक बहुत ही अच्छा लड़का है ! और अगर तुम दोनो भाई बहन अगर अपने पैरेंट्स को मनाओगे तो वो मान भी जाएंगे !!"
लेकिन प्रांजल... मैं अर्चित शादी करके अंकल आंटी को धोखा नही दे सकती ! बेटे की शादी के कितने अरमान है उनके ! एकलौता बेटा है तो कुछ उम्मीदें उनकी अपने बेटे से भी होंगी ! जब उन्हें मेरे बारे में पता चलेगा तो वो मुझे उतना सहज स्वीकार नही कर पाएंगे जितना अपनी पसंद की लड़की को करेंगे ! एक लड़की जिसके साथ ज्यादती हुई, जो शादीशुदा है, एक बच्चे की माँ है, और तो और बोल भी नही सकती..!!! मेरे घरवालो के बारे में भी क्या बिताउंगी में उन्हें..???"
जबसे मै अपने शहर से भागी हूँ, तबसे भाग ही रही हूँ ! मेरे ससुराल वाले मुझे रातदिन ढूंढते रहते हैं !! पता नही कब मुझतक पहुंच जाए..?? मैंने अब तक अपने बेटे को सबसे छुपा कर रखा है !! मेरी जान है वो ! नही खो सकती मैं उसे !! एक शादीशुदा लड़की होकर दूसरी शादी नही कर सकती मैं !!"
"महाकाल ने मुझे इतनी शक्ति और हिम्मत दी है कि मैं अपने बेटे को अकेले अपने दम पर पाल सकती हूँ ! बड़ा कर सकती हूँ !!"
अर्चित से मैं बस इतना ही कहना चाहूंगी... एक आकर्षण या मीठी-कड़वी सी कोई याद समझ कर भूलने की कोशिश करना !! आसान फो नही होगा पर करना पड़ेगा !! माता पिता के प्यार के आगे मेरा प्यार तो कुछ नही है ना../?? तो उन्ही की खातिर !!"
प्रांजल, तुमने जब उस दिन मुझे भाभी कहकर संबोधित किया तो मैं बता नही सकती कितनी ख़ुशी हुई थी मुझे अंदर ही अंदर !!! लेकिन साथ ही ये अहसास भी था कि ये गलत है !!
जब मेरे माता पिता ने मुझे धोखा दिया तो मुझे समझ आया कि एक धोखे का दर्द कितना बड़ा और असहनीय होता है! तो फिर मैं तुम लोगो के माता पिता को धोखा कैसे दे दूं ??"
मैं अर्चित की पत्नी या तुम्हारी भाभी तो नही बन सकती, पर तुम दोनो की दोस्त जरूर बनना चाहूंगी !! तुम्हारी दोस्ती मिलना मेरे लिए ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत उपहार होगा..!
बोलो... दोगे न मुझे ये उपहार...??"

तुम्हारी दोस्त
सुरमयी

प्रांजल की आंखों में आन्सू आ गए !! वो बोली, " कितनी समस्याएं होती है यार एक लड़की की ज़िन्दगी में !! मतलब अगर लड़के के दो बच्चे भी होते हैं ना.... तो भी लोग कुंवारी लड़की से शादी करवा देते हैं! लेकिन लड़की के साथ कुछ गलत हो जाये या वो डिवोर्सी हो, बच्ची की माँ हो तो इस समाज का पूरा नज़रिया ही बदल जाता है उनके प्रति !!

प्रांजल की बात में दम लगा मुझे !! समाज हर इंसान के लिए, हर वर्ग के लिए अलग नज़रिया और सोच रखता है !! किसको कितनी इज्जत देनी है ये बात वो लोग सबका स्टेटस देखकर तय करता है !!

मुझे और प्रांजल को साथ देखकर मम्मी को बड़ा आश्चर्य होता ! होना भी चाहिए , क्योंकि हमदोनो साथ तब ही होते टूट जब कोई गड़बड़ होती या फिर दोनो की वाट लगने वाली होती ! मम्मी ने पूछा भी , ओर हम दोनो ने ही बहाना बनाकर टाल दिया!!

रात को प्रांजल ने मेरे पास आकर कहा, " भैया... तुझे सुरमयी को अपना लेना चाहिए ! उनके साथ जो कुछ भी हुआ इसमें उनका तो कोई दोष नही है ना..??"

ये प्रांजल का तू, तुम, आप मुझे कभी समझ ही नही आता ! कभी तो वो अचानक से इतनी रेस्पेक्ट देने लगती तो कभी इतनी घनघोर बेइज्जती करती के आदमी मुंह दिखाने के काबिल न रहे !

मैंने उससे कहा , " मैं तो अपना लूँ.... पर पापा मम्मी का क्या??"

प्रांजल मुंह पर उंगली धरते हुए बोली, "मम्मी पापा को मनाना पड़ेगा उसके लिए... बड़ा भारी काम है ये तो..!!"
ज़िन्दगी में इतनी उलझन कभी नही हुई थी! दिल दोहरा हुआ जीसस रहज था ! दो मत बना लिए थे दिल ने भी ! एक कहता माता पिता जो चाहे वो ही कर तो दूसरा कहता, सुरमयी को चुनो !
ना जाने रात को कब तक मैं करवट ही बदलता रहा ! मेरे रूम की लाइट जलती देख प्रांजल और मम्मी दोनो ही आई मेरे पास ! मम्मी सिर सहलाते हुए बोली, ' क्या हुआ बेटा...? आजकल तू कुछ परेशान से लग रहा है! कोई परेशानी है क्या? बोल तू !"

मैं प्रांजल को देखा फिर मम्मी से बोला, "कुछ नही मम्मी ! बस ऐसे ही नींद नही आ रही थी !! आप सो जाइये, मैं भी सो रहा हूँ !!"

मम्मी और प्रांजल चली गयी ! मुझे बहुत रात तक नींद नही आने के कारण सुबह उठने में देरी हो गयी !! प्रांजल ने ही उठाया मुझे ! वो मुझे ऐसे झंझोड़ कर उठा रही थी जैसे कोई तूफान आ गया हो या भूकंप !! में उठकर बैठा हुआ ! समय देखा तो ग्यारह बजने की थे!
प्रांजल पर झल्ला गया मैं ! " क्या है तुझे..? वैसे ही आधी रात तक नींद नही आयी ! अभी जब अच्छी नींद आ रही थी तो तू सोने मत दे !!!"

प्रांजल मुझे वापस धक्का देते हुए बोली, "अरे कुत्ते..... तू सोता रह कुम्भकर्ण की तरह ! वहां सुरमयी रूम खाली कर के चली गयी !!"

मेरे होंश उड़ गए सुनकर ! मैं झटके से उठकर बैठ गया ! और सीधा छत पर भगा! देखा तो रूम की बाहर से बन्द था ! मैं अंदर गया तो कुछ नही था ! जो टेबल मम्मी ने सुरमयी को दी थी और हमारा पलंग जो छत पर ही रखा रहता था बस वही थे उस रूम में ! सुरमयी के पास था भी क्या ? दो बैग्स बस ! पर सुरमयी गयी कब??
मैं अपना टूटा से दिल लेकर नीचे आया ! मम्मी बोली, " मुंह धो ले मैं चाय बना देती हूँ !"

प्रांजल ने मम्मी से पूछा , " मम्मी ये सुरमयी कब चली गयी यहाँ से??"

मम्मी ने जवाब दिया, " आज सुबह छह सात बजे के लगभग ! सुबह ही उसने कहा कि वो दूसरे शहर में जॉब के लिए अप्लाई की थी ! रात को ही वहां से कॉल आया कि अगले दिन दस बजे तक जॉइन कर सकती हो तो आ जाओ ! बस इसलिए उसने सुबह ही जब मैं टहलने के लिए गई तब बताया मुझे ! बोल रही थी कि वहीं पर स्टाफ के रहने की भी व्यवस्था भी है !! तो चली गयी सुबह जल्दी ! सामान भी कुछ ज्यादा तो था नही उसके पास ! इसलिए दिक्कत नही आई उसे रूम खाली करने में !! अच्छा है... लड़की की ज़िंदगी सुधर जाएगी थोड़ी !! बस कोई अच्छा सा जीवन साथी भी दे दे महाकाल उसे तो बड़ी कृपा होगी !!"

मम्मी बोले जा रही थी और मैं गुस्से से उबल रहा था। एक बार बताना भी जरूरी नही समझा सुरमयी ने मुझे ! आखिर क्यों?

प्रांजल ने बातों ही बातों में मम्मी के मन को टटोलने का प्रयास किया, " अच्छा सा जीवन साथ।मतलब ??? अपने अर्चित जैसा !! अरे मम्मी इसी की शादी करवा देते उससे, अच्छा रहता !!"

मम्मी ने गुस्से से प्रांजल को घूरकर देखा ! मम्मी की नज़रो से ही हमदोनो को अपना जवाब मिल चुका था!!

सुरमयी मम्मी को जिस कम्पनी और शहर का एड्रेस देकर गयी थी वहां मैंने अपने सोर्सेस से पता लगवाया ! शायद सुरमयी का पता लग जाये !! पर नही चला....कुछ भी पता नही चला ! क्योंकि सुरमयी मम्मी को गलत एड्रेस बताकर गयी थी !!"


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"फिर ........ फिर क्या हुआ मामू...?? सुरमयी चली गयी ! वापस नही आई ??"
अर्चित की गोद मे बैठी सात साल की छोटी प्रांजल यानी प्राची ने बड़े ही उत्सुकता से पूछा ! जो अबतक अर्चित से उसकी लव स्टोरी सुन रही थी।

अर्चित ने बड़े ही प्यार से प्राची का सिर अपने सीने से लगाया और कहा, " नही आई बेटा.... अभी तक नही आई और ना ही उसका पता चला ! उसके बारे में पता लगा सकूँ इसके लिए ही तो अलग अलग शहरों जॉब के नाम पर उसे ढूंढ रहा हूँ ! जाने कहां होगी वो इस समय !!"

"होगी कहीं पर.... कब तक उसका इंतजार करेगा तू..?? मम्मी पापा की तो सोच तेरे हमेशा के बहाने सुन सुनकर पक चुके हैं सब !! जॉब कर लूं पापा, सेटल हो जाऊं पापा.... लाइफ में कुछ बन जाऊं पापा !! बस यही करते रहना !
मैंने उस दिन तुझसे कहा था अपना ले उसे ! पर नही ! कभी कभी लाइफ सिर्फ एक ही चांस देती है अर्चित जिसे तूने खो दिया !!
और सुरमयी सब छोड़कर इसलिए गयी ताकि तुम पापा मम्मी से दूर न हो जाओ उसकी वजह से ! उसका सोचना भी सही था ! यूँ कब तक उसके इंतज़ार में ज़िन्दगी बिताओगे...?? उसके पास तो उसका बेटा है पर पापा मम्मी की उम्मीद तो मत तोड़ भाई !!" प्रांजल ने कुछ गुस्सा तो प्यार जताते हुए कहा।

"हां ना मामू... कर लो न शादी ! हमे भी मामी के साथ मस्ती करनी है !!" प्राची ने इतने प्यार से कहा कि मैं एकबार में ही तैयार हो गया शादी के लिए।
सही है यार..... सुरमयी एक हवा के झोंके सी आई थी मेरी लाइफ में ! और वैसे ही चली भी गयी !!
पर उसकी वो सुरमयी सी आंखे हमेशा ही मेरी आँखों मे बसी रहेगी !!



(समाप्त)


किसी के जीवन की वास्तविकता है ये कहानी ! जिस लड़के ने मुझे बताई मैंने उस हिसाब से लिख दी !