"हमे उसके बारे में पता चल गया है। उसका नाम 'सैमुअल मैथ्यू' है," लाउड स्पीकर पर बात करते हुए अभय सिंघम की आवाज़ आ रही थी दूसरी ओर से।
"गुड! पर क्या ये पता चला की वोह कहां भागा था?" देव ने अपने बड़े भाई अभय से फोन पर बात करते हुए पूछा।
"अभी नहीं! देव। पर हम जल्द ही पता लगा लेंगे।" अभय ने जवाब दिया।
अभय और उसकी पत्नी अनिका अभी भी सैन फ्रांसिस्को में ही थे उस लापता आदमी का पता लगाने के लिए।
"तुम्हे लगभग वहां दो हफ्ते हो चुके हैं अभय।" देव की आवाज़ में झुंझलाहट थी। "मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है अभय, मुझे वोह आदमी चाहिए बस चाहिए। उससे मुझे बहुत से सवालों के जवाब चाहिए।"
देव को अभी भी यकीन नही हो रहा था की "रायडू" जो उसके पेरेंट्स के साथ ही उस मंदिर कांड में मारा गया था वो अभी भी ज़िंदा है। रायडू ना ही सिर्फ उसकी मां का पर्सनल बॉडीगार्ड था बल्कि उसके पिता का अच्छा दोस्त भी था। अभय ने दो हफ्ते पहले रायडू को देखा था। तभी से देव और अभय उसे पकड़ने की कोशिश कर रहें थे जो इतने सालों से बच कर छुप रहा था।
"हमारे आदमी हर मुमकिन कोशिश कर रहें हैं उसका पता लगाने के लिए, देव।" अभय ने कहा।
देव जनता था की अभय सही कह रहा है। क्योंकि देव ने भी एक खुफिया जासूस लगा दिया था रायडू के पीछे और उसने रायडू की कई तस्वीरें ली थी जिसमे अभय रायडू का पीछा करते हुए भी एक तस्वीर थी जिसमे रायडू एक टैक्सी में बैठ कर चला जाता है और वोह उस टैक्सी का नंबर भी नोट करता है।
लेकिन दुर्भाग्यवर्ष, वोह टैक्सी एक पब्लिक प्लेस पर रुकती है और उस भीड़ में रायडू गायब हो जाता है। पर लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की वजह से कैमरे में को रायडू की तस्वीर खींचती है उससे रायडू की पहचान पता चल जाति है।
"हम जानते हैं रायडू कहां काम करता है और कहां रहता है। जिससे हम उसके बारे में आसानी से पता लगा सकते हैं वोह कहां जा सकता है।" अभय ने आगे कहा।
"ठीक है! में अपने आदमियों को कहता हूं की वोह नई टेक्नॉल्जी से ये पता लगाए की वोह भेस बदलने के बाद कैसा दिख सकता है और फिर पिक्चर्स प्रिंट कराके तुम्हे भेजता हूं। उन्होंने कुछ पुरानी पिक्चर्स भी मुझे भेजी है। देव ने कहा।
कुछ देर चुप रहने के बाद अभय ने पूछा, "क्या तुमने वोह कंपनी खरीद ली है?"
"यस! मैने खरीद ली है और कल ही सारे पेपर वर्क पूरे कर लिए है क्योंकि मुझे बाद में कोई बखेड़ा नही चाहिए प्राइवेसी इश्यूज की वजह से।" देव ने जवाब दिया।
"कंग्राटुलेशंस"
"थैंक यू! लेकिन मुझे नही पता की इतना सब करने के बाद भी क्या हम जल्द से जल्द रायडू को पकड़ पाएंगे या नहीं।"
"हम जरूर उसे ढूंढ लेंगे।" अभय आत्मविश्वास से कहा।
देव भी अभय की तरह ही कॉन्फिडेंट था लेकिन उसकी तरह धैर्य उसमे नही था। "मैने कहा है अपनी इन्वेस्टिगेटिंग टीम से की रायडू की बैंक डिटेल्स और क्रेडिट कार्ड की भी जांच करे शायद उससे हमे कोई क्लू मिल जाए।
"हम्म! वोह पहले ही कर रहें है वोह काम।" अभय ने कहा।
"मालिनी की खोज का क्या हुआ?" अभय ने आगे पूछा।
"जहां तक मुझे लगता है उसे अपने पिता के बारे में कुछ भी नही पता। उसे ये भी नही पता की वोह जिंदा है। मैने उसके कमरे की अच्छे से तलाशी करवाई थी। कुछ नही मिला। उसके बैंक अकाउंट से भी कुछ पता नहीं लगा। सिंघम एस्टेट के दिए हुए चेक्स के अलावा कभी कोई पैसा उसके अकाउंट में नही जमा करवाया गया है।"
"हम्मम! अनिका ने सही ही गैस किया था।" अभय ने थके हुए स्वर में कहा।
"अनिका कैसी है?" देव ने पूछा।
कुछ दिनों पहले ही अभय और अनिका ने उसे फोन कर के आने वाली खुश खबरी के बारे में बताया था की वोह चाचा बनने वाला है। अनिका बहुत ही खुश थी और देव उसे चिढ़ा रहा था की अभय को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी सेवा से कहीं मेरी ही तरह ये नन्हा भी दुबला पतला नही पैदा हो। जिसपर अनिका खिलखिला कर हस पड़ी थी फिर तो ये जरूर ही दुबला पतला पैदा होगा।
अभय बहुत खुश था उन दोनो के लिए। वोह दोनो से ही बहुत प्यार करता था। आखिर बस यही दोनो तो रह गए थे उसके परिवार के नाम पर।
"अनिका ठीक है, अपने परिवार को बहुत याद करती है। जब हम वापिस आयेंगे तो बच्चे के जन्म से पहले सबको बुलाएंगे।" अभय ने जवाब दिया।
"डेट्स गुड! तुम्हे पता है दोनो परिवारों के लोग पागल हो जायेंगे प्रजापति और सिंघम के होने वाले वंश की खुशखबरी पा कर।"
"हां! सही कह रहे हो। हम जब वापिस आयेंगे तब सबको बता देंगे।" फिर कुछ देर रुक कर अभय ने आगे कहा "ये तीसरी पीढ़ी होगी मुझे डर है की कहीं ये दुश्मनी तीसरी पीढ़ी तक भी ना पहुंच जाय।"
"वोह तो होगा ही, सिर्फ तुम्हारी वजह से में रुका हुआ हूं वरना कबका में उन प्रजापतियों को अपनी तरीके से सबक सीखा चुका होता।"
"हां तुम्हारा तरीका क्या है में अच्छी तरीके से जानता हूं। सबको एक बार में ही जान से मार डालो। ये कोई समस्या का हल नहीं है, देव।"
देव भी समझता था की ज्यादा तर अभय सही ही होता है।
"क्या सेनानिस फिर कोई परेशानी खड़ी कर रहें हैं साइट पर?" अभय ने आगे पूछा।
"हां! लेकिन हमारे पास बहुत से आदमी है और..... प्रजापति भी पूरा साथ दे रहें है बाउंड्री पर दीवार खड़ी करने के लिए जो की सुरक्षा के तहत बहुत जरूरी है।"
अनिच्छा से ही सही देव भी मानने लगा था की सिंघम के लोगों की तरह ही प्रजापति के लोग भी कुशल और सक्षम कर्मी है। सिंघम और प्रजापति ने मिल कर सेनानी के सभी वार विफल कर दिए थे।
"बहुत अच्छे! और बाकी का काम कैसा चल रहा है सब सही से तो है ना। आई होप सब सही ही चल रहा था ना।" अभय ने पूछा।
"सब सही चल रहा है।" देव ने ज्यादा जवाब ना देते हुए बस इतना ही कहा।
जब देव ने ज्यादा कुछ जवाब नही दिया तोह अभय ने फिर पूछा "ठीक से बताओ देव, ये हमारे लिए बहुत जरूरी है। उम्मीद करता हूं सबिता के साथ काम करने में तुम्हे कोई प्रॉब्लम नही है......"
"मैं...." देव बोलने में बहुत असहाय महसूस कर रहा था, उसने कोशिश करते हुए आगे कहा। "मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं अपनी मॉम के कातिल की बेटी के साथ ठीक से काम करने की।"
"देव!" अभय ने चेतावनी देते हुए आवाज़ में कहा।
जब देव ने कुछ नही कहा तो अभय बोला "देव तुमसे कितनी बार कहा है की सबिता प्रजापति अब हमारे परिवार का हिस्सा है। हमारे लोगों के लिए ये कोलेबोरेशन बिलकुल ठीक है। और अगर इतनी ही नफरत है तुम्हे उससे क्योंकि वो हमारी मां की खूनी की बेटी है तो अनिका का क्या? वोह भी तो उसी परिवार से है। उसके साथ तो तुम शुरू से ही अच्छे से बरताव करते हो, हस हस कर बातें करते हो।"
"अनिका की बात अलग है। उसने कभी भी मेरे खिलाफ कोई चाकू या गन नही उठाया। वोह तो लोगों की मदद करती है।" देव की आवाज़ में अनिका के लिए तरफदारी थी।
"वोह इसलिए देव क्योंकि उसकी परवरिश अलग तरह से हुई है। उसने कभी सबिता की तरह चाकू या बंदूक नही छुआ तुम्हारे सामने क्योंकि कभी तुमने उसे उकसाया भी तो नहीं जैसा तुम सबिता के साथ करते हो।"
अब देव को इन बातों से चिढ़ होने लगी थी। "हम ये बात यहीं खत्म करते हैं, अभय। रात के दो बज रहे हैं यहां और मैं बहुत थक गया हूं नींद आ रही है। बाद में बात करता हूं तुमसे सुबह।"
उधर से कुछ पल के लिए शांति बन गई ना देव ने आगे कहा ना अभय ने कोई जवाब दिया। इसी तरह कुछ पल बीत जाने के बाद अभय बोला "ठीक है, टेक केयर। गुड नाईट।" अभय ने प्यार से कहा और फोन कट कर दिया।
फोन कटने के बाद देव अपने फोन को घूर रहा था। वोह जानता था की अभय उसकी बहुत चिंता करता है। अभय उन गिने चुने लोगों में से एक था जो देव के बारे में सब कुछ जानता था अच्छा भी और बुरा भी। अभय के सामने वो असली देव था कोई बनावटी या मिलावटी नही। और एक अभय ही था जो देव को संभाल सकता था उसे रोक सकता था उसके गुस्से को दबा कर रख सकता था।
देव बहुत गिल्टी महसूस कर रहा था। वोह नही चाहता था की वोह अभय को इन सब में इंवॉल्व करे की उसका छोटा भाई अभी भी खानदानी दुश्मनी के पीछे पड़ा हुआ वोह भी जब, जब उसे संभालने के लिए अभय या नही है। वोह नही चाहता था उसका भाई उसकी इतनी चिंता करे वोह भी जब उसकी खुद की लाइफ में इतनी बड़ी खुशखबरी आने वाली है। वोह चाहता था की अभय अपने बाप बनने की खुशी को एंजॉय करे अपनी खूबसूरत पत्नी के साथ ना की उसके लिए परेशान होता रहे।
देव जानता था कि अभय हमेशा सोचता है कि उसका छोटा भाई हिंसक है क्योंकि उसने कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था। जो केवल आंशिक रूप से सच था। लेकिन देव ने अपने बड़े भाई से एक ऐसा रहस्य छुपाया था, जिसके बारे में केवल उनकी दादी देवसेना को ही पता था।
वोह वजह ही एक मात्र वजह थी देव का हिंसक होने के लिए।
देव को अपने सामने अपनी बीते हुए कल में उसके माता पिता के मौत के वक्त जो भी घटनाएं घटी थी याद आने लगी। उसे जलती हुई राख की गंध महसूस होने लगी। इससे पहले की उसकी आंखों में और गुस्सा उतरता उसने अपना सिर झटका और उन बातों को याद करने लगा जो अभी उसने अभय के साथ की थी।
देव याद करने लगा की अभय ने उससे कहा था की वोह अपने माता पिता के खून का बदला सबिता से क्यों ले रहा है। उसने तो कुछ नही किया। कसूरवार तो सबिता के पिता थे जो अब मर चुके हैं तो बदला बेटी से क्यों। पर बहुत कोशिश करने के बाद भी वोह सबिता से अपनी नफरत को कम नही कर पा रहा था। और ऐसा नहीं था की सबिता उसे माफ करना चाहती थी वो भी उससे नफरत ही करती थी।
वोह इस बात से बहुत परेशान था की ज्यादा तर लड़ाइयों में सबिता ही जीतती थी। और जब भी वो दोनो आमने सामने होते थे हर बार वो उससे बच कर निकल जाती थी और देव उसका कुछ ज्यादा बुरा नही कर पाता था।
सबिता प्रजापति उसके दिमाग में ही खलबली नही मचाए हुए थी बल्कि उसके शरीर में हलचल करे हुए थी।
उस रात जब सबिता ने देव को चाकू की नोक पर डराया था उसके बाद से ही देव किसी लड़की के साथ फिजिकल रिलेशनशिप में नही बंध पाया था। जब भी वो किसी लड़की के साथ होता या उसे किस करता तो उसे सबिता का चहरा याद आ जाता जो उसमें जोश भी भरता और साथ ही डराता भी।
उस समय उसमे डर और गुस्से से इतना जोश भर जाता की उसे ध्यान ही नही रहता की उसकी वजह से सामने लड़की को चोट पहुंच रही है। वैसे तो बैड पर देव लड़कियों के साथ प्यार से ही पेश आता था लेकिन उस रात के बाद से वोह थोड़ा वाइल्ड हो गया था। लड़कियां उसके बरताव से डर कर भाग जाती थी और जी लड़कियां उसकी वाइल्डनेस को पहले एंजॉय करती वोह बाद में ज्यादा देर तक उसका बरताव सह नही पाती थी और वो भी बाद में भाग जाती थी।
देव को लगता था की सबिता उसके दिल, दिमाग और शरीर सबको बर्बाद कर रही है।
देव को वोह रात याद आने लगी जब उसने सबिता को अभय को अपनी तरफ खींचने के उसके प्लान को बर्बाद कर दिया था। उस रात देव ने उसे किस भी किया था। देव ने उसे वैसे ही किस किया था जैसा वोह चाहता था और सबिता ने भी पहले तो उसका साथ दिया था। पर बाद में जब उसे ये एहसास हुआ की वोह कौन है और उसके साथ ये सब क्या कर रही है तो उसे फसा के चाकू उसकी थाईज में घोंप दिया था।
उस रात की बाद याद करते हुए देव ने महसूस किया की उसकी सांसे उखड़ने लगी है। उसकी सांसे तेज हो चली थी। उसे दर्द का एहसास होने लगा था।
वोह बैड से उठ खड़ा हुआ और अपने शरीर में महसूस कर रहे बदलाव को नज़र अंदाज़ कर वोह अपने आप को शांत करने के लिए कमरे के चक्कर लगाने लगा। लेकिन वो अपने आप को शांत नहीं कर पा रहा था। उस रात की याद उसके ज़ेहन में छाई हुई थी। उसकी तस्वीर उसके आंखों के सामने आने लगी उसके शरीर की खुशबू उसके शरीर का ताप उसका एहसास सब उसे याद आने लगा।
उसे इस बात से और भी ज्यादा नफरत हो रही थी की वोह इस कदर अपनी दुश्मन को याद कर रहा है और उसे अपने पास अपनी बाहों में लेने के लिए तड़प रहा है।
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