47--जगह
"क्या बात है,सुस्त लग रहे हो?"
अभिषेक के पिता का स्वर्गवास हो गया था।रविवार का दिन मण्डल कार्यालय की छुट्टी थी।जिन्हें जल्दी समाचार मिल गया वे लोग अभिषेक के घर पहुंव गए थे।जिन्हें देर से पता चला वे सीधे श्मसान पहुंचे थे।केशव भी श्मसान पहुंचा था
केशव मण्डल टिकट निरीक्षक था।वह हंसमुख स्वभाव का था।हर समय मस्ती,मजाक करते रहना उसकी आदत थी।उसको कभी इस तरह चुप गुमसुम नही देखा था।इसलिए उससे पूछा था।
"यह जगह ही ऐसी है।अगर यहां हंसी मजाक करूँगा,तो लोग कहेंगे साथी का बाप मर गया और इसे मजाक सूझ रहा है,"केशव बोला,"यहां आकर तो अच्छे अच्छो की बोलती बंद हो जाती है।"
केशव ने सही कहा था।श्मसान में ही आदमी को जीवन की क्षण भंगुरता का एहसास होता है।
48--वंशबेल
"शादी करूँगा तो सिर्फ सरिता से ही करूँगा।"
नीरव,सरिता से प्यार करता था और उसे अपनी जीवन संगनी बनाना चाहता था।सरिता पिछड़ी जाति की थी इसलिए नीरव के माता पिता उसे अपनी पुत्रवधु बनाने के लिए तैयार नही थे। लेकिन बेटे की जिद्द के आगे माँ बाप की नही चली और उन्हें अपने इकलौते बेटे की शादी सरिता से करनी पड़ी।
प्रेमी प्रेमिका के पति पत्नी बनते ही उनके बीच से प्रेम गायब हो गया।प्रेम की जगह कलह ने ले ली।शादी से पहले जो सरिता हंसती मुस्कराती रहती थी।शादी के बाद बात बात पर नीरव से झगड़ने लगी।रोज रोज के झगड़ो से परेशान होकर नीरव ने आत्महत्या कर ली।
पति की मौत के बाद सरिता मायके चली गयी।नीरव के मां बाप तो पहले ही उसे अपनी बहू बनाना चाहते थे।बहु बनते ही इकलौते बेटे को खा गई थी।इसलिय वह मायके चली गयी तो उन्हें बुरा नही लगा।सास श्वसुर ने बहु की और बहू ने सास श्वसुर की खबर नही ली।
सरिता ने मायके में बेटे को जन्म दिया।यह बात पता चलते ही सास श्वसुर बहु के मायके जा पहुंचे।उन्होंने बहु को समझाया पर वह ससुराल जाने के लिए तैयार नही हुई।तब श्वसुर बोले,"तुम चाहे जहाँ रहो तुमहारी मरजी, लेकिन वंशबेल मेरे हवाले कर दो।"
49--पत्नी
रितेश की शादी लाजो से हुई थी।शादी के बाद रितेश कार से लाजो को विदा करा कर ले जा रहा था।
रास्ते मे कार का ट्रक से एक्सीडेंट हो गया।
रितेश ने उसकी मांग में सिंदूर तो भर दिया था लेकिन पत्नी का दर्जा देने से पहले दुनिया से चला गया था।
48---सही या गलत
"इसे क्यो लाये हो?"दीना मिस्त्री के साथ उसके बारह वर्ष के बच्चे को देखकर में बोला
"बाबूजी मेरे साथ काम करेगा।"दीना मिस्त्री बोला।
"वह अभी नाबालिग है।इसकी अभी काम करने की नही स्कूल जाने की उम्र है,"उसकी बात सुनकर मैं बोला,"तुम इसे स्कूल क्यो नही भेजते?"
"बाबूजी कई बार स्कूल में भर्ती करा चुका हूँ।इसका पढ़ने में मन ही नही लगता।स्कूल जाता ही नही।मारपीट लिया।और क्या करूँ?"
"लेकिन छोटे बच्चों से मजदूरी कराना कानूनी जुर्म है।इसे घर पर ही छोड़कर आया करो।"
"घर पर रहकर गली के लड़कों के साथ जुआ खेलता है।बीड़ी सिगरेट पिता है।माँ की सुनता नही।दिन भर आवरागर्दी करता है,"दीना बोला,"मेरे साथ रहेगा तो गलत सोहबत के लड़कों से बचा रहेगा।मेरे साथ रहेगा तो काम भी सीखेगा।"
दीना की बात सुनकर मैं सोच रहा था--बाल मजदूरी का कानून गलत है या दीना।या फिर दोनों ही अपनी जगह सही है।