16--पैसा परिवार
वह मजदूर था।काम करना चाहता था।लेकिन गांव छोटा होने की वजह से काम कम था।कभी कभी उसे कई दिनों तक काम नही मिलता था।ऐसा होने पर किसी दिन घर मे चूल्हा भी नही जलता था।उसे ही नही पत्नी और बच्चों को भी भूखा रहना पड़ता था।
वह चाहता था उसे रोज काम मिले ताकि पत्नी और बच्चों को भूखा नही रहना पड़े।और परिवार का अच्छी तरह भरण पोषण हो सके।
उसके गांव के कई लोग दिल्ली चले गए थे।वहां जाकर वे लोग खुश थे।एक दिन वह भी पत्नी और बच्चों को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गया।
रास्ते मे उसकी ट्रेन का एक्सीडेंट हो गया।ट्रेन दुर्घटना में अनेक लोग मारे गए थे।उनमें उसकी पत्नी और दोनो बच्चे भी थे।सरकार ने मरने वालों को पांच लाख रु देने की घोषणा की थी।उसे भी पन्द्रह लाख रु मिले थे।
जब उसके पास परिवार था,तब पैसे नही थे।पैसे आये तो परिवार नही रहा था।
17--विरोध
एम जी रोड पर प्रशासन ने ऑटो बन्द करके नगर बस सेवा शुरू कर दी थी।एम जी रोड पर तीन हज़ार से ज्यादा ऑटो चलते थे।जिसकी वजह से जगह जगह जाम लगता रहता था।जाम की वजह से मिनटों की दूरी घण्टो में तय होती थी।नगर बस सेवा चलने से लोगो को रोज लगने वाले जाम से निजात मिल गयी थी।हज़ारो ऑटो हट जाने से एम जी रॉड साफ सुथरा और खुला नज़र आने लगा था।
प्रशासन के इस कदम की व्यापारिक और सामाजिक संगठनों के अलावा आम जनता भी प्रशंसा कर रही थी।लेकिन विपक्ष के विधायक ने ऑटो वालो के समर्थन में प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।एक पत्रकार ने विधायक से प्रश्न किया,"जब व्यापारी,सामाजिक संगठन और आम जनता प्रशासन के इस कदम का समर्थन कर रहे है,तो आप विरोध क्यों कर रहे है?"
"हम विरोधी दल के है।सरकार का विरोध करना हमारा धर्म है"।
18--आज की औरत
"दीपक तुम्हारेअंश ने मेरे पेट मे जगह बना ली है"।
"क्या?"माला की बात सुनकर दीपक सकपका गया,""क्या तुम सावधानी नही बरतती थी?"
"नही",माला ने गर्दन हिलाकर न में जवाब दिया था।
"कोई बात नही,"दीपक,माला की बात सुनकर बोला,"मेरे साथ डॉक्टर के पास चलना एबॉर्शन करवा दूंगा"।
"मैं बच्चा नही गिराउंगी।"माला ने एबॉर्शन करने से साफ इंकार कर दिया था।
"जानती हो कुंवारी मां बनोगी तो कितनी बदनामी होगी?"माला की बात सुनकर दीपक बोला।
"कुंवारी मां क्यो बनूंगी?पहले तुमसे शादी करूंगी।फिर बच्चे को जन्म दूंगी।"
""मैने कब कहा था कि तुमसे शादी करूँगा।अछूत को मेरे घर की देहरी लांघने की इजाज़त नही है और तुम शादी करके हमेशा को घर मे घुसने का सपना देख रही हो,"दीपक बोला,"मुझसे शादी का ख्याल अपने दिल से निकाल दो।"
"शादी के नाम पर मैं अछूत हो गयी।लेकिन मेरी देह से खेलते समय कभी तुम्हे ख्याल नही आया कि मैं अछूत हूँ।"
"मैने कौनसा नया काम किया है।सदियों से जो मेरे पुरखे करते आये है उसी परम्परा का निर्वहन किया है।"
"तुम ठीक कह रहे हो।तुमने अपने पुरखों की परंपरा को निभाया है।तुम्हारे पुरखो से आबरू लुटाकर हमारी जाति की औरते चुप रह जाती थी।लेकिन मैं ऐसा नही करूंगी,"माला तिलमिला कर बोली,"तुम्हे मुझसे शादी करनी ही पड़ेगी।"
"अगर नही की तो?"
"बलात्कार की रिपोर्ट लिखवा दूंगी।"माला गुस्से में बोली।
माला के तेवर देखकर दीपक सहम गया।दलित स्त्री की पहली हुंकार थी।