parental division in Hindi Motivational Stories by shama parveen books and stories PDF | माता पिता का बटवारा

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माता पिता का बटवारा

आज संडे है इसलिए शाइनी और एलिस देर तक सो रही है क्योंकि संडे इस दा हॉलीडे। आज दोनों बहने संडे का पूरा लुत्फ उठा रही है।

तभी एलिस के कानो में किसी की आवाज़ आती है तो वो शाइनी को उठाती है की दी उठो मेरी एक बात सुनो । तो शाइनी कहती हैं की क्या हुआ मैं नही उठ रही। तभी एलिस कहती हैं कि दी मुझे लग रहा है की आज मामा जी आए हैं।

तभी शाइनी कहती है की चल पागल तू अभी नींद में है तूने कोई सपना देखा होगा तो एलिस कहती हैं की नही दी मेने कोई सपना नही देखा है। बाहर चलो एक बार देख के आते हैं। तभी दोनों बाहर जाते हैं और क्या देखते है की सच में उनके मामा जी होते है । वो दोनों खुशी खुशी से उनके पास जाते हैं और उन्हें नमस्ते बोलते है।

तभी वो दोनों देखते है की मां और मामा जी का चेहरा लटका हुआ होता है। मामा जी बोलते है की बेटा अभी तुम दोनों अंदर जाओ म अभी तुम्हारी मां से कुछ जरूरी बात कर रहा हु। तभी दोनों अंदर चले जाते हैं और कमरे के पास खड़े हो कर बाते सुनने लगते हैं

मां - देखो नरेश तुम ये गलत कर रहे हो । तुम बड़े भाई हो अगर राजेश
कुछ गलत करता है तो उसे तुम्हे समझाना चाहिए । मगर तुम भी
उसकी हा में हा मिला रहे हो
मामा - दीदी इसमें गलत ही क्या है। उसने सही तो बोला है की हम दो
दो भाई है एक मां को रख लेगा और एक पिता जी को।
मां - नरेश तुम्हे इसमें कुछ भी गलत नही लग रहा है।
मामा - नही इसमें क्या गलत है दीदी। हम तो देखो अपने मां बाप को
रख भी रहे है। तुम्हे पता नही की चाचा जी के बच्चों ने अपने मां
बाप के साथ क्या किया।
मां - अरे वाह नरेश क्या सोच है तुम्हारी । तो तुम भी मां पिता जी के
साथ वही करना चाहते हो।
मामा - नही दीदी तुम ये क्या बोल रही हो। मेने ऐसा कब बोला।
मां - तो तुम कोनसा अच्छा काम कर रहे हो। मां पिता जी को अलग
करके। तुम्हे बिलकुल भी शर्म नही आती है । ऐसा करते हुए।
मां पिता जी के परवरिश में ऐसी क्या कमी रह गई थी। जो तुम ऐसे
बन गए हो की तुम्हे अपने ही मां बाप का दर्द दिखाई नही देता है।
मामा - दीदी तुम मुझ पर इल्जाम तो ऐसे लगा रही हो की में उन्हे
वृद्धा आश्रम भेज रहा हूं।
मां - तुम्हारा बस चले तो तुम वहा भी भेज दो उन्हे।
मामा - दीदी तुम्हे पता है की अभी मेरे उपर पेसो का कितना कर्जा है
ऊपर से मेरा भी तो अपना परिवार है बीवी बच्चे ।
मां - अच्छा नरेश। तुम्हारा परिवार सिर्फ तुम्हारे बीवी और बच्चे ही है
मां पिता जी नही। तुम कितना बदल गए हो नरेश तुम ऐसे तो नही
थे। मां पिता जी आज तुम्हें बोझ लग रहे हैं। वो तो सिर्फ दो ही है
मगर उन दो ने तो हम चार बच्चों को पाला है। तब उन्हे हम बोझ
नही लगे । किस तरह उन्होंने हमे पाला खिलाया और हमे पढ़ाया है
पिता जी की एक ही छोटी मोटी नोकरी से हम चार बच्चो को खिला
के आज उन्होंने सब को अपने पैरो पे खड़ा कर दिया है।
मामा - दीदी तब की बात अलग थी और अब की बात अलग है तब
इतनी महंगाई नही थी। आज देखो महंगाई आसमान छू रही है
मां - नरेश ये वक्त और हालात कि बात नही है। ये इंसान की बात है
वक्त नही बदला सिर्फ इंसान और उसकी सोच बदल चुकी है।
मामा - दीदी तुम्हे पता नही चलेगा क्योंकि तुम्हारी कोई सास नही है
और ना ही ससुर तुम चार लोग ही हो तो तुम्हे क्या पता । जीस पर
पर होता है उसी को पता चलता है।
मां - अरे वाह अब तुम मुझे ताना मार रहे हो। मां पिता जी तुम्हे अब
इतने बुरे लगने लगे हैं। सच में नरेश तुम शादी के बाद बहुत ज्यादा
ही बदल गए हो। तुम्हे मां पिता जी को रखने में गरीबी छा रही है।
और तुम्हारे ससुराल वाले जो तुम्हारे घर में ही पड़े रहते है उनसे
उनसे तुम्हे कोई कोई परेशानि नही होती । तुम सोचते हो की मुझे
कुछ पता ही नही की तुम क्या क्या करते हो। तुम्हारी बीब की बहन
तुम्हारे घर में ही रहती है और उसकी पढ़ाई का खर्चा भी तुम ही उठा
ते हो। वो खर्चा तुम्हारे लिए खर्चा नही सिर्फ मां पिता जी ही तुम्हें
बोझ लग रहे हैं। शायद तुम भूल रहे हो तो तुम्हे मै एक बात याद
दिला दू की आज तुम जिस पोजीशन पर हो वो मा और पिता जी की
वजह से है ना की तुम्हारे ससुराल वालो की वजह से जिनकी वजह
से आज तुम मां और पिता जी का बटवारा कर रहे हो।

इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है की इस दुनिया मे हमे मां पापा से ज्यादा कोई भी प्यार नही करता । और अपने बच्चो के लिए मां बाप सब कुछ करते है अपने सारे सपने तोड़ देते है ताकि बच्चे कोई परेशानी
को कोई परेशानी ना हो और यही बच्चे बड़े हो कर अपने मां बाप को तोड़ देते है।