सार्थक अपने कमरे मे बिस्तर पर दोनो हाथ सिर के पीछे रख ऊपर छत को देख रहा था। उसके चेहरे पर रह रह कर मुस्कान आ जा रही थी आखिर आये भी क्यो ना पखुडी के ख्यालो में जो खोये थे जनाब।
पंखुडी का बार बार उसपर हक जमा कर लड़ना उसको अंदर तक बेचैन कर रहा था।
सार्थक मन में -" यह लड़की भी ना अजीब है कब क्या करती रहती है समझ नही आता और इतना लडती क्यू है शायद पिछ्ले जन्म की कोई बहुत बड़ी योद्धा रही होगी - रानी लक्ष्मी बाई की तरह ,,,,, पर जो भी बोलो है तो बहुत प्यारी।"
तभी अचानक से उसके कमरे मे उसकी दोनो भाभिया मीरा और राधा आ जाती है।
मीरा अंदर आकर राधा से --- ये छुट्की तुमको नही लगता देवर जी किसिके ख्यालों मे खोये हैं।
राधा -" हाँ बडकी , लग तो ऐसा ही रहा है।"
सार्थक उन दोनो को देख उठकर बैठ जता है और बोलता है -" भाभी आप दोनो यहां कब आईं।"
मीरा -" जब आप किसिके ख्यालों मे खोये थे।"
सार्थक झेंप कर इधर उधर देखने लगता है।
राधा उसके करीब जाकर कां में बोलते हुये -" वैसे बहुत है आपकी होने वाली दुल्हनिया।"
इतना बोल दोनो हँसते हुये वहाँ से निकल जाती हैं।
सार्थक तेजी से -" अरे वो हमारी कुछ नही है आप लोग गलत समझ रहीं है।"
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इधर अस्मिता शाम को तैयार होकर संगीत मे आ चुकी थी आदित्य घर पर ही था लेकिन जब उसका मन नही लगा तो वो भी अस्मिता को पूछते पूछते वहाँ तक आ गया।
इधर जब आदित्य आता है तो देखता है ढेर सारी औरतें ढोल नगाडो के साथ बैठी थी जिन्के बीच मे राधिका थी और वहीं अगल बगल बैठी थी उसकी सहेलिया ।
आदित्य की नजरे तो बस अस्मिता को खोज रही थी । अभी उसे अस्मिता मिलती उससे पहले ही वाणी ने एक कैसेट मे गाना लगा दिया ।
अचानक से आदित्य का ध्यान लड़कियो के बिच मे उठती हुई अस्मिता पर जाती है । इधर गाना भी शुरु हो जाता है।
पिया तोसे नैना लागे रे, नैना लागे रे
जाने क्या हो अब आगे रे, नैना लागे रे
पिया तोसे नैना लागे रे, नैना लागे रे
( गाने की धुन के साथ ही अस्मिता अपना दुपट्टा बाँधते हुये उठती है और राधिका को उठाते हुये औरतो के बिच आ जाती है )
हो, जग ने उतारे हो, धरती पे तारे,
पर मन मेरा मुरझाये
हो, उन बिन आई हो, ऐसी दीवाली
मिलनेको जिया तरसाये, आ साजन पायल पुकारे
झनक झन झन झनक झन झन, पिया तोसे
पिया तोसे नैना ...
( अस्मिता खूद नचाते हुये सबको धीरे धीरे लाकर नाचने लगती है। गाने के हर बोल पर इस तरह नाच रही थी की कुछ लडकियां खड़ी हो कर बस उसे ही देखे जा रही थी और यही हाल आदित्य बाबू का भी था।)
भोर की बेला सुहानी, नदिया के तीरे
भर के गागर जिस घड़ी मैं चलूँ धीरे धीरे
तुम पे नज़र जब आई, जाने क्यों बज उठे कंगना
छनक छन छन छनक छन छन, पिया तोसे
पिया तोसे नैना ..
( अचानक से अस्मिता का ध्यान भी आदित्य पर जाता है जो की कुछ दर खड़ा उसे ही देख रहा था दोनो की नजरें आपस मे टकराते ही अस्मिता उसे इशारे से पूछती है की क्या हुआ जिसपर आदित्य ना मे गर्दन हिला देता है।)
हो, आ, हो, आई होली आई हो, सब रंग लाई
बिन तेरे होली भी न भाए, हो
भर पिचकारी, हो, सखियों ने मारी
भीगी मोरी सारी हय हय,
तन-बदन मेरा कांपे थर-थर
धिनक धिन धिन धिनक धिन धिन, पिया तोसे
पिया तोसे नैना ...
( इधर वाणी की नजर जैसे ही दोनो पर पड़ती है वो धीरे से सबके बीच से निकल आदित्य के पास आ जाती है ।)
वाणी आदित्य के पास आते हुये - क्यू जीजू जी अस्मिता के बिना थोडा भी मन नही लगता क्या जो यहां आप चले आये।"
आदित्य तो अभी अस्मिता को ही देख रहा था। वाणी आदिटय को कंधे से मारते हुये -" आप जाईये यहां से यहां आदमी नही आ सकते।"
आदित्य उसकी बात सुनकर -" क्या ,,, ?"
वाणी उसको बाहर लेकर आते हुये -" जाईये आप इधर सिर्फ औरतों और लडकियों का काम है।"
आदित्य -" क्या साली साहिबा पहले से हमारी प्रेम की लंका जलाने आ जातीं हैं आप अब यहां से भी निकाल रही है।"
वाणी मुह बनाते हुये वहाँ से चली जाती है।
आदित्य भी थोडी देर वहाँ रुकता है फिर खाना वहीं खाकर वापस घर चला आता है क्योकि सबको आज वहीं खाना खाना था।
लगभग आधी रात तक संगीत का कार्यक्रम चलता है सभी जब नाच गा कर थक जाती है तो खाना खा जहाँ जगह मिलती है वहीं सो जाती हैं और अस्मिता वापस घर आ जाती है।
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अस्मिता घर के अंदर आकर देखती है तो आदित्य बैड पर ही सो गया था अस्मिता एक बार उसको देखती है फिर आकर घर के बाहर सीढियो पर बैठ असमान देखने लगती है ।
असमान चांद तारों से भरा तो था लेकिन बादल भी थे जैसे लग रहा था अभी बारिश हो जायेगी।
अस्मिता तारों को देखते हुये अपनी जिन्दगी के बारे मे सोच रही थी की क्या कभी सच मे आदित्य की शादी उससे हो पायेगी भी या नही।
शायद इसका जवाब उसको अच्छे से मालुम था यही सोच आँखो से आँसू भी आ रहे थे तभी अचानक उसे अपने कंधे पर किसीका हाथ महसूस होता है ।
अस्मिता पीछे मुड़ देखती है तो आदित्य था । आदित्य जैसे ही अस्मिता का चेहरा देखता है घबराते हुये वही बगल मे बैठ कर -" यह क्या आप रो रही हो।"
अस्मिता अपने आँसू पोछते हुये -" नही तो कहाँ।"
आदित्य अपने दोनो हाथो को उसके गालो पर लगाकर -" सच सच बताओ आप क्यू रो रहीं थी कुछ हुआ है ,,, या किसी ने कुछ बोला ,,,,,, खैर कोई आपको बोल कर चला जाये और आप उसका सिर ना फोड़े ऐसा हो सकता है क्या ,,, तो चलिये अब बताईये क्या हुआ।"
अस्मिता पहले मुह फूलाते हुये -" कुछ नही।"
आदित्य हसकर -:" अच्छा बुरा लग गयी क्या बात ( कान पकडते हुये ) लिजिये माफ कर दिजीये ।"
अस्मिता -" अरे यह क्या कर रहे हैं ,,,,।"
आदित्य -" -" अब बताईये क्यू रो रही थी।"
अस्मिता -" वो हमारी अगर शादी नही हुई तो।"
आदित्य इस बार एकदम गम्भीर होते हुये -" इधर देखीये ,,,, आपको किसने बोला की आपकी शादी हमसे नही होगी ,,,, भगवान भी आ जायेंगे ना फिर भी किसी की इतनी हिम्मत नही की हमें अलग कर दे।"
अस्मिता -" कोई नही मानेगा ,,,, तो क्या आप सबको छोड देंगे।"
आदित्य -" नही ।"
अस्मिता उसकी तरफ ध्यान से देखते हुये -' तो हमको छोड देंगे ।"
आदित्य गुस्से से थोड़ा -" अभी एक चपत लगाऊंगा ,,,,, ऐसा बोली भी तो ,,,,, मै किसीको नही छोड सकता और हमारा समाज कब तक ऐसे रूडवादी विचारधारा , उंच-नीच के बेदियोँ मे जकड़ा रहेगा किसीको तो कदम उठाना पड़ेगा ना इनसे ऊपर उठने के लिये कब तक लोग अपनी खोखली इज्जत के लिये प्रेम संबंधों को ठुकरायेंगे ,,, आप चिंता ना करो आप हमारी रहोगी हमेशा ,,, और हम शादी जरुर करेंगे और सिर्फ आपसे ही करेंगे ;,,, कुछ समय बाद सब ठीक हो जायेगा और शादी के बाद सब मान भी जायेंगे।"
अस्मिता उसकी जूनून से भारी आँखो को देखते हुये कंधे पर सिर रख वहीं सो जाती है।
आदित्य जब कुछ देर बाद देखता है की अस्मिता सो गयी है तो उसे लाकर अंदर बैड पर सुला देता है और खूद अपने जगह सो जाता है।
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इधर आधी रात हुये किसिकी नींद चेन सब कुछ छिन सा गया था । जुदाई का गम इस कदर सता रहा था की आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे।
पूजा अनुराग के घर के अंदर बस रोए जा रही थी ।
अनुराग उसे किसी तरह चुप कराने की कोशिश कर रहा था । पूजा रोते हुये -" अनुराग अब हम क्या करे हमारे बाबा ने तो शादी भी तै कर दी दशहरे के मेले के बाद ही है ,,,,, अब हम क्या करेंगे।"
अनुराग भी परेशान था उसने बोला -" एक इन्सान हमारी मदद कर सकता है।"
पूजा एक आस से अनुराग को देखते हुये -" कौन।"
अनुराग -" आदित्य बाबा।"
पूजा घबराते हुये -" नही नही हम उससे मदद नही ले सकते ,,, आखिर है तो भान प्रताप का ही बेटा ,,,, अगर उसने यह बात किसी से बता दी तो हमारे बाबा हमें जिन्दा जमीन मे गाड़ देंगे।"
अनुराग -" ऐसा कुछ नही होगा ,,, आदित्य बाबा को हम जानते है वो जरुर मदद करेंगे हमारी ।"
पूजा -" पहले इसके बारे में हमे सोच लेना चाहिये फिर किसी से मदद लेनी चाहिये।"
अनुराग -" अच्छा सुनो ,,, आप ना अब ऐसे चोरी छिपे मत आया करो ,,,, अभी हम बिल्कुल भी नही मिलेंगे ,,, मर्ले मे आना तभी मिल कर कुछ सोचेंगे की क्या करना है।"
पूजा अपने आँसू पोछ्ती है लेकिन कम्बख्त आँसू रुक ही नही रहे थे । पूजा अनुराग से देर तक गले मिलने के बाद रात के अन्धेरे मे अपने हवेली की तरफ नही निकल जाती है।
क्रमश: