Tere Mere Darmiyan yah rishta anjaana - 24 in Hindi Fiction Stories by Priya Maurya books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -24) आदित्य की जलन

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -24) आदित्य की जलन








पंखुडी किसी तरह चलते हुये कुछ दूर पर आती है तभी उसका ध्यान सामने खड़े रौनक पर जाती है जो सारंगी से किसी बात पर लड़ रहा था।
पंखुडी गुस्से से उसके पास आते हुये पीछे से बाल पकड घुमा देती है।
रौनक -" आआआआआ ,,, क्या यह चुडैल कम थी क्या जो तुम भी आ गयी।"
पंखुडी -" आज तो मन कर रहा है भाई आपको इतना मारू की ,,,,, की आप चुडैलो के देश पहुंच जाओ।"
रौनक कराहते हुये -" आ ,,,,,आ,,,, तुम दोनो के रहते मुझे चुडैलों के देश नही जाने की जरुरत ,,, तुम दोनो तो खूद मे ही चुडैलों की माँ हो।"
पखुडी -" पहले यह बताओ मुझे छोड कर क्यू गये।"
रौनक -" मैने तो पहले ही बोला था मै तुम लोगो के साथ जाऊँगा बस,, कोई मदद का काम नही करने वाला ,,,,, अब छोड़ो मेरा बाल और जल्दी बैठो गाड़ी मे नही तो चाची बहुत डांट लगाएंगी ।"
पंखुडी उसका बाल छोड जीप मे बैठते हुये -" इस औरत ने तो सबके जिन्दगी को जह्नुम बना के रखा है।"
सरंगी - "कौन औरत । "
पंखुडी -" आदित्य भाई की अम्मा और कौन।"

सारंगी हँसते हुये जीप मे जाकर बैठ जाती है और रौनक भी।
रौनक जीप चला रहा था तभी सारंगी बोलती है -" पंखुडी वैसे तुम वहाँ से बच कैसे आई।"
पंखुडी शर्माते हुये -" वो क्या है ना वो बगीचा हमारे सपनो के राजकुमार का था ।"
रौनक और सारंगी दोनो ही उसे घुरने लगते है ।
पंखुडी उन्हे ऐसे देखते हुये -" ऐसे क्या देख रहे हो तुम दोनो,,,, सब एक दुसरे को पसंद करते है तो हम भी करते है उनको।"
रौनक खासते हुये -" मतलब वो भी तुम्हे पसंद करता है,, ( फिर थोडा उदास होते हुये ) तुम्हारा तो सही है वो क्षत्रिय ही है और तू भी मेरा और आदित्य का क्या होगा ?"
पंखुडी उसकी बात पर ध्यान देते हुये -' क्या बोला तुम्हरा और आदित्य का क्या होगा ,,,,,,, ।"
रौनक हकलाते हुये -" कुछ तो नही।"
सारंगी -" अब आगे देख कर गाड़ी चलाओ नही तो खूद भी यमराज के पास जाओगे और हमारा भी टिकट करवा दोगे।"
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अस्मिता और आदित्य वाणी के साथ राधिका के हल्दी मे जाती है।
राधिका बैठी हल्दी लगवा रही थी। सारी लड़कियाँ और औरते बारी बारी से आ मोथे ( एक घास जिससे शादी में हल्दी लगाते हैं ) से हल्दी लगा रही थी। वही कुछ औरतें बैठी हल्दी का गाना गा रही थी।

कोरे कोरे कागज
नीली नीली श्याही
हल्दी के दाग लगाए रंग बरसेगो
रंग बरसे कछु अमृत बरसे
और बरसे कस्तूरी रंग बरसेगो
लिख लिख चिठिया भेजू रे बिरन पे
बिरन भात ले आइओ रंग बरसेगो
एक लाख को जेवर लाइओ
सवा लाख थाली में रंग बरसेगो


अस्मिता आकर वहीं सबके बीच बैठ राधिका को हल्दी लगाने लगती है। राधिका हँसते हुये अस्मिता के नाक पर हल्दी लगा -" हमें नही लगा था की तुम भी आ जाओगी हमारी शादी मे,,,,, यह लो लगा दिया हल्दी अब हमारी शादी के बाद तुम्हारी ही शादी होगी।"
अस्मिता अपनी नाक से हल्दी साफ करते हुये -" क्या दीदी आप भी ना लगा दिया यह।"
तभी वाणी बीच में टपकते हुये -' राधिका दीदी आपको नही पता अस्मिता ने शादी कर ली है ,,,अब आपके बाद तो भगवान की कृपा रही तो हमारी शादी हो ही जायेगी।"
राधिका की काकी आते हुये एक चपत वाणी के सिर पर मार -" ई लड़की को बहुत जल्दी है शादी को ,,, अभी तुम्हरे बाऊ से बोले की अपनी बिटिया की शादी करा दो बहुत जल्दी है उसको।"
वाणी -" अरे नही नही काकी ऐसा मत करना नही तो बाऊजी हमको मार मार के सही कर देंगे और हमरी अम्मा भी ,,, बोलेगी इसी लिये पढ़ा लिखा रहे हैं क्या।"
अस्मिता और राधिका के साथ साथ सभी औरते हंसने लगती हैं । वाणी अस्मिता को हँसता देख कटोरे से हल्दी निकाल उसके पूरे चेहरे पर लगाते हुये -" लो बन जाओ बंदरिया अब।"
इतना बोल वो वहाँ से भाग जाती है।
अस्मिता हाथ मे हल्दी ले उसके पीछे पीछे भागते हुये -" आज तो हम भी तुमको नही छोड़ने वाले।"
वही दूर खड़ा आदित्य उसे देख हस रहा था । अचानक से वाणी आदित्य के पीछे आ जाती है और अस्मिता आदित्य से लड़ जाती है और उसके हाथ की सारी हल्दी उसके सफेद शर्ट पर लग जाती है ।
अस्मिता उसे यूं अपने सामने देख -" देख कर नही चल सकते क्या आप लंगूर कहीं के।"
अदित्य धीरे से -" थोडी तो इज्जत दे दो इस वक्त तुम्हारा पति हुं मैं।"
इधर अस्मिता को ऐसे बोलता देख वाणी जोर जोर से हंसने लगती है।
वाणी -" मै भी कहूं की अस्मिता कैसे बदल गयी ,,,, लेकिन यह कहाँ बदली है पूरी की पूरी पहले की तरह ही तो है ,,,, उस बार जब राज ने तुम्हे शादी के लिये बोला था तब भी ,,,,,,,,।"
अभी इससे ज्यादा वो कुछ बोल पाती की अस्मिता उसका मुह बंद कर खींच कर ले जाती है।
आदित्य मन मे -" यह किस राज की बात कर रही थी और अस्मिता मुझसे क्या छिपा रही है।"

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शाम तक अकेले ही अस्मिता घर आती है क्योकि आदित्य पहले ही आ चुका था । अस्मिता धीरे धीरे दरवाजा खोल अंदर आती है और देखती है की आदित्य अंदर नही है तभी अचानक से दरवाजा बंद हो जाता है।
अस्मिता झटके से पीछे मुडती है और आदित्य से टकरा जाती है ।
अस्मिता -" आऊ ,,,,, यह क्या ,,,, ऐसे कौन आता है।"
आदित्य बिना कुछ बोले बस उसके नजदीक आता चला जा रहा था ।
अस्मिता -" य,,,, ये ,,, यह क्या कर रहे हो आप ।"
अस्मिता पीछे दीवार से जा लगती है।
आदित्य अपना एक हाथ दिवार पर रख दुसरे हाथ से अस्मिता का हाथ पकड उसको बस देख रहा था ।

अस्मिता डरते हुये -" क ,,,,,क्या हुआ आज ऐसे क्यू बर्ताव कर रहें हैं आप।"
आदित्य - " पहले यह बताओ की यह राज कौन है ।"
अस्मिता -" मतलब ,? ,,,,,,, कौन राज।"
आदित्य चिढ्ते हुये -" कौन राज ,,,, जिसकी बात आपकी दोस्त कर रही थी।"
अस्मिता मन में -" अच्छा तो यह जनाब जल भुन रहें हैं ,,,, कोई नही क्यों ना इनको थोडा और जलाया जाये।"
अस्मिता बहुत प्यार से मुस्कुराते हुये मानो कुछ सोच कर बहुत खुश हो रही हो -" वो राज ,,,, राज ,,, ।"
आदित्य -" हाँ याद आया ना बताओ क्या चक्कर है यह सब।"
अस्मिता बनते हुये -" हम उसके बारे में नही बता सकते किसी को ,, वो हमारे लिये खुबसूरत सपने जैसा था।"
आदित्य चिढते हुये -" सपना ही रहे तो सही है क्योकि हकीकत हम है ,,,, कान खोल कर सुन लो।"
फिर आदित्य उसके चेहरे के एकदम पास आते हुये -" और हाँ आप मेरी हो ,,, थी और हमेशा रहोगी यह बात दिमाग मे बैठा लिजिये जितना जल्दी हो और जिस दिन कोई लड़का आपके करीब आया तो समझ जाना उसका हाथ पैर टूटने वाला है और आप किसी और लड़के के करीब जाने की सोची भी तो उसी दिन आपकी माँग में हमारे नाम का सिन्दूर भर जायेगा।"
इतना बोल वो जाकर गुस्से से बैड पर बैठ जाता है।
अस्मिता अभी सहमी सी वहीं खड़ी थी। अस्मिता मन में -" अरे बाप रे यह तो बहुत ज्यादा गुस्सा हो गये और धमकी तक दे डाला ,,,, क्या करुँ अब ।"
तभी अस्मिता के दिमाग मे एक खुरापाती आइडिया आता है।
अस्मिता जाकर आदित्य के पास -" आआह्ह्ह्ह्ह मुझे चक्कर आ रहा है ,,, मै गिरने वाली हुं ।"
लेकिन आदित्य को कोई असर नही पड़ा। अस्मिता -" आआआ मै बस अब गिरी ये,,,,,,,, गिरी।"
आदित्य उसकी नौटंकी देख -" अब शान्त रहिये हमें पता है नौटंकी कर रही है नही तो कोई बता कर नही गिरता है की मुझे चक्कर आ रहा है।"
अस्मिता उसकी बात सुन पैर पटक उसके बगल मे बैठते हुये -" तो इतना गुस्सा काहे हो रहे हैं ,,, वो राज तो हमसे शादी करना चाहता था जिसके लिये मासी के घर तक आ गया था फिर हम उसको खूब चप्पल चप्पल मारे तो भाग गया ,, ।"
आदित्य उसकी बात सुन कुछ राहत महसूस कर रहा था । अस्मिता देखती है की आदित्य अभी कुछ नही बोल रहा है तो वो जल्दी से उसके गालों को चूम लेती है और मन मे -" आदित्य बाबू इसके बाद तो आप मान ही जायेंगे।"
और यह सच भी था क्योकि आदित्य ने कभी सोचा भी नही था की अस्मिता कभी ऐसा करेगी।
अस्मिता आदित्य को अपनी तरफ देखता देख उठने लगती है लेकिन अब कैसे बच सकती थी आदित्य से । आदित्य जल्दी से उसका हाथ पकड उसे बैड पर खींच लेता है और उसके ऊपर आ उसके चेहरे को ध्यान से देखते हुये करीब आने लगता है ।
अस्मिता -" यह क्या कर रहे हैं आप।"
आदित्य धीरे से -" शुरु तो अपने ही किया था ।"
अभी इसके आगे कुछ होता की एक बार फिर वाणी दरवाजे के अंदर आते हुये -" अस्मिता ,,,,,,, वो ,,,,,,ओओओ ।"
अस्मिता चिल्लाते हुये आदित्य को धक्का दे देती है ।
और आदित्य भी अपना सर खुजलाते हुये इधर उधर देखने लगता है।
आदित्य वाणी को देख मन मे -" यह लड़की भी ना हमारे प्रेम कहानी की मन्थरा लगती है हमेशा गलत समय पर आती है।
वाणी -" कम से कम दरवाजा अंदर से बंद तो कर लेते ,,,, ।"
अस्मिता -" तू क्यू आई है अब ।"
वाणी अपना कन्धा उचकाते हुये -" मुझे कौनसा शौक है यहां आने का वो तो काकी ने बोला 2 घण्टे मे आ जाना संगीत के लिये इसलिये बुलाने आई थी लेकिन यहां तो अलग ही चल रहा था ।"
इतना बोल वाणी वहाँ से बडबड़ाते हुये निकल जाती है।


क्रमश:

मेरे प्यारे प्यारे रीडर्स क्या आप लोगो को कहानी अच्छी नही लगती ? कुछ गलती हो तो बता दिया करिए ,,, लेकिन प्लीज रतिंग्स और समिक्षा दिया करिए ,,, समिक्षा रेटिंग नही आती तो हमारा भी मन नही करता है लिखने का ,, और यह लोग जो भी है ना रतिंग्स गिराते है उनको क्या बोलू 😣😣😣😣 अगर आपको कहानी मे कोई कमी लगती है तो बताईये हम सुधार करेंगे ,,, और नही लगती तो रतिंग्स मत गिरायिये क्योकि बहुत मेहनत लगती है लिखने में हम लोग पढाई करते है घर का काम भी करते है फिर समय निकाल कहानी भी लिखते है बस आप लोगो के लिये लेकिन आप लोग हमें कुछ नही मिलता है यहां लिखने से 😞😞