Tere Mere Darmiyan yah rishta anjaana - 20 in Hindi Fiction Stories by Priya Maurya books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -20) आदित्य- अस्मिता की

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग -20) आदित्य- अस्मिता की








आदित्य की हवेली --

हवेली मे आज पहले से कुछ ज्यादा ही चहल पहल थी।उधम सिंह और कामिनी देवी अपनी बेटी पन्कुडी के साथ आज लगभग 10 साल बाद आये थे।
बड़े से शाही मेज पर सभी आदमी बैठे खाना खा रहे थे। और सबके साथ मे पन्कुडी भी क्योकि घर की बेटी जो थी। सभी औरते -- कामिनी देवी, राजेस्वरी देवी और ममता अभी नही खा रही थी। यह उनके यहां का रिवाज था घर के सभी आदमियों के खाने के बाद ही औरतों को अन्न ग्रहण करना चाहिये।
उधम सिंह अपने कडक आवाज मे भान प्रताप से पूछता है -" भान आदित्य बाबा नहीं दिख रहे है कहाँ हैं? और हमने सुना उन्होने क्या किया था ,,, एक छोटे वर्ग की लड़की के लिये आपसे लड़ गये वो ,,,, आपने यही संस्कार दिये हैं उन्हे।"
भान प्रताप सिर झुकाये सुन रहे थे वो बोलते हैं -" भाईसाहब वो शहर गये है वकालत के सिलसिले में।"
उधम खाना खाते हुये -" थोड़ा लगाम लगाईये अपने लड़के पर।"
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इधर अस्मिता - आदित्य से लड़े जा रही थी।
अस्मिता बैड पर फैलते हुये -" आप अपना ठिकाना खोज लिजिये कहाँ सोना है आपको ,,,, हम तो यही सोयेंगे।"
आदित्य भी बैड पर बैठते हुये - आप जाईये जहाँ सोना है आपको। आपके मौसी के घर बस एक ही बैड पर पूरा खानदान सोता था क्या।"
अस्मिता उसको ऊँगली दिखाते हुये -" हमारी मौसी के खानदान पर मत बोलिए कुछ ,,,,,, फिर कुछ सोचते हुये ,,,, वैसे मौसी के यहां दो बैड था ,,, तो एक कहाँ गया।"
आदित्य उसको ऐसे सोचता देख मन में -" आधी रात हो गयी है अभी पता नही इसके मन में क्या खिचड़ी पक रही है ,,,,, हे भगवान बचालो इससे ।"
अभी उसके मन मे बातें चल ही रही थी की उसे अस्मिता की चीखने की आवाज आती है ।
अस्मिता तेजी से -" बुढे,,,,,,,,,,,,,,,।;
आदित्य उसका मुह बंद करते हुये -" अरे चुप हो जाओ पगाल लड़की रात को ऐसे कौन चिल्लाता है।"
अस्मिता शान्त होते हुये गुस्से से -" उस रंगीले बुढे को मै छोडुंन्गी नहीं ,,,, उसने मेरी मौसी की एक चौकी हड़प ली है।"
आदित्य अपने सर पर हाथ रखते हुये -" चुप ,,, बिल्कुल चुप अभी के लिये।"
अस्मिता शान्ति से -" तो क्या सोचा आपने कहाँ सोयेंगे।"
आदित्य जल्दी से बैड के एक तरफ लेटते हुये - हम तो यहीं सोयेंगे।"
अस्मिता दुसरी तरफ लेट कर -" हम भी यहीं सोयेंगे।"
आदित्य शरारत से मुस्कुरा उसकी तरफ मुड़ कर अपने बाल मे लेटे लेटे ही हाथ फेरते हुये -" फिर रात मे कुछ ,,,,,,,।"
अस्मिता उसकी बात सुन डरते हुये -" क क क्या कुछ।"
आदित्य हंसकर -" कुछ भी नही।"
अस्मिता अपनी ऊँगली से ही बैड पर अपने और आदित्य के बिच एक रेखा खीचते हुये -" इसके उस पार आपका और इधर मेरा। इस लाईन के इस पार आने की जुर्रत भी मत करियेगा।"
आदित्य उसकी आँखो मे देखते हुये -" अगर यह लाईन ही मिट गयी तो।"
आदित्य की बात सुन अस्मिता अपना मुह दुसरी तरफ घुमा कर -" शुभ रात्रि ,,, सो जायें अब सुबह जल्दी उठना है।"
देखते ही देखते 10 मिनट मे ही अस्मिता सो जाती है।
आदित्य उसको सोता देख बोलता है -" उफ्फ ,,,, अब शान्ति हुई थोडा ,,, इनसे अगर शादी हो गयी तो हमारी जिन्दगी में भूचाल आना निश्चित है और शादी भी इन्ही से करनी है अजीब दुबिधा है।"
इतना बोल वो फिर लेट जाता है लेकिन नींद नजाने कहाँ गायब थी उसकी आँखो सें।"
खिडकी से चांदनी रात की रौशनी अस्मिता के चेहरे पर पड़ रही थी जिससे उसका गोरा रंग और निखर चमक रहा था।
कुछ देर बाद आदित्य को जब नींद नही आती है तो वह उठ अस्मिता का चेहरा देखने लगता है। बाहर हवा भी चल रही थी जिससे उसके बालों की लट मुँह पर बार बार आ जा रहीं थी। आदित्य उसके चेहरो को देखते हुये लटों को हटाते हुये-

ऐ हसीन हवा अपने झोकों को इतना बहाया न करो

और नादान जुल्फो पाकर इनका साथ इतना
तडपाया न करो

दीदार करने दों ना इस खुबसूरत नजारे का

यूं चांद के ऊपर ढक कर इसको छिपाया न करो।


वो अभी अपनी खुलीं आँखो से सपने देख रहा था की उसे अस्मिता नींद मे बडबडाते हुये दिखी।
वो अपना कान उसके नजदीक ले कर गया तो सुनकर अपने सिर पर हाथ रख लेता है।
अस्मिता बड़बड़ाते हुये -" बुढे तुमने मेरी मौसी की बैड को कहाँ रखा है बता दो नही तो अभी यह इट तुम्हारे सिर पर लगेगी बोलो जल्दी ।"
अस्मिता की बात सुन आदित्य -" हेय भगवान किस मिट्टी की यह बनी है ,, कुछ तो सतबुद्धि दो इसे।"
अभी वो बोल रहा था की अस्मिता सोते हुये ही अपना पैर जोर से चलाते हुये आदित्य को मारती है जिससे आदित्य सीधे बैड के नीचे गिर जाता है।
आदित्य गिरते हुये -" आआआआ ,,,, मेरी कमर।"

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रात के लगभग 1 बजे चादर मे मुह छिपाये एक औरत जल्दी जल्दी कदमों से चलते हुये उत्तरी टोले की ओर जा रही थी।वो एक जाने पहचाने घर के सामने रुक धीरे से दरवाजा खटखटाती है।
अंदर से अनुराग जवाहिँ लेते हुये दरवाजा खोलता है और अपने सामने पूजा को देख -" अरे पूजा आप यहां वो भी इतनी रात को।"
पूजा जल्दी से घर के अंदर आ दरवाजा बंद करते हुये अनुराग के गले लग फुट फुट कर रोने लगती है।
अनुराग उसकी पीठ पर थपथपाते हुये -" क्या हुआ बताईये तो सही।"
पूजा सुबकते हुये -" अनुराग हमारी शादी हो रही है ।"
अनुराग यह सुन एकदम सकपका जाता है। और जल्दी से उसको अलग करके दोनो हाथों से पकड़ते हुये -" कब कहाँ और किससे।"
पूजा -" वो आदित्य के बाऊजी को जानते हो ना उनके बड़े भाई साहब आज आयें थे तो हमारे बाऊजी भी मिलने गयें थे।"
अनुराग -" तो क्या आपकी शादी आदित्य से हो रही है।"
पूजा -" नही ,,,, वो आदित्य के काका साहब के कोई मीटर हैं उनका बेटा शहर मे रहता है उसी को देख लेन्हे बाऊजी फिर शादी पक्की ।"
अनुराग -" मतलब अभी पक्की नही हुई है।"
पूजा -" लेकिन हो जायेगी क्योकि सबको पसंद है वो पारस ,,,,, हमें बहुत डर लग रहा है।"
अनुराग उसको गले से लगाकर बालों को सहलाते हुये -" सब ठीक होगा आप चिंता न करें और अभी अपने घर जाये नही तो कोई देख लेगा तो और बात बिगड़ जायेगी।"
पूजा सुबकते हुये -" हम मर जायेंगे आपके बिना।"
अनुराग कुछ देर उसे गले लगाने के बाद वापस उसे हवेली भेज देता है।


क्रमश: