creepy witch of mountains in Hindi Horror Stories by HDR Creations books and stories PDF | पहाड़ों की खौफ़नाक चुड़ैल किचकंडी

Featured Books
Categories
Share

पहाड़ों की खौफ़नाक चुड़ैल किचकंडी

बात आज से करीब पाँच साल पहले की | मै पेशे से एक ट्रक डराईवर हूँ | और अकसर मेरी नाइट डयूटी ही रहती हैं | सर्द जाड़े का मौसम | मै उस सुनसान रास्ते में अकेले चले जा रहा था | आगे की लेफ्ट साईड वाली खिड़की टुटी हुई थी | जिसके वजह से गाड़ी चलाते समय ठंडी हवाएँ मुझे पुरा हिला दे रही थी | जिसके वजह से मै ठिक से गाड़ी नही चला पा रहा था |

पहाड़ी रास्ता होने के कारण जैसे जैसे मै पहाड़ी चढ़ रहा था
ठंड भी बढ़ते जा रही थी | दोनों साईड से वह रास्ता जंगलों से घिरा हुआ था |

मै ठंड को झेलते हुए आगे बढे़ जा रहा था | रास्ता एक दम सुनसान और हर तरफ अंधेरा छाया हुआ था | ट्रक की हेडलाइट ही एक सहारा थी जो उस रास्ते में थोड़ी रौशनी कर रही थी |

और मै उसी के सहारे आगे बढे़ जा रहा था | मै पहाड़ी रास्ते को पारकर एक हाईवे में पहुँच गया था | जो हर तरफ से जंगलों से घिरा हुआ था |

गाड़ी की हेडलाइट की वजह से मुझे पेंड़ पर उल्टे लटके चमगादड़ों के दरसन हो रहे थे | बीच बीच में कुछ चमगादड़ उड़ते हुए भी दिख रहे थे

मै आगे अपनी मंजिल की तरफ बढ़े जा रहा था | और बीच बीच में मेरी नजर चमगादड़ों पर पड़ रही थी |

तभी मेरी नजर हाईवे के साईड झुकी एक पेंड़ पर पड़ी
उस पेड़ पर मुझे एक औरत जो चमगादड़ों की तरह उल्टा लटकी हुई थी उस पर पड़ी
मैने एक जोरदार ब्रेक मार दी | और गाड़ी उस हाईवे में घसिटें खाते हुए पलट गई
मुझे काफी गहरी चोटें आए थी

और ठंड की वजह से मेरा शरीर भी मेरा साथ नही दे रही थी

मै ट्रक के अंदर ही बेसुध पड़ा रहा | और उस पेड़ की तरफ देखने लगा

वह कोई भी चीज थी मुझे तो नही पता | पर वो अभी भी पेड़ पर वैसे ही उल्टी लटकी हुई लगातार मेरे तरफ ही देखे जा रही थी

मेरी हालत एकदम खराब हो गयी थी | मै एैसी हालत में आ गया था की मेरा पुरा शरीर ही काम करना बंद कर दिया था
उसकी आँखे मुझे नही दिख रही थी | आँख की जगह एक काला होल दिख रहा था | जो एक दम गहरा दिखाई दे रहा था | पर भल उसकी आँखों में देखनें पर मुझे एैसा लगा की मानो मेरे शरीर से मेरी आत्मा निकल रही हो
मेरा पुरा हलक जाम हो गया उसे देखकर |

लगातार उसका मेरी तरफ देखना और उसका वह डरावना चेहरा मेरी जान निकाल रहा था

मै मन ही मन खुद से बोले जा रहा था | की आज ये मेरी आखरी रात है | फिर मैंनें अपनें मन को शाँत किया और ट्रक से निकलने की कोशिश करने लगा ईस दौरान मेरी नजर उस पेंड़ पर ही थी

एक हाँथ से अपने पुरे शरीर का भार संभालना कोई आसान काम तो था नही फिर मै खुदको विश्वास दिलाते हुए निकलने की कोशिश किए जा रहा था

थोड़ी देर में मै पुरी तरह असमर्थ होकर थक हार कर ट्रक में ही पड़ा रहा

फिर जब मैंनें उस पेंड़ की तरफ देखने के लिए घुमा तो देखा वह मेरी ही तरफ बड़े जा रही थी | उसका पैर जमीन से काफी उपर था
उसके चेहरे में एक अलग ही गहराई ना चाहते हुए भी मेरी नजर उसके आँखों पर पड़ रही थी | जिसे देखकर मुझे लग रहा था की मानों मै कोई अंधेरी खाई में गीर रहा हूँ

उस डरावने मंजर को देख मेरी एक जोरदार चिख निकली | मेरा पुरा शरीर ठंडा पड़ चुका था | उसके बाद मुझे खुद याद नही

जब मेरी आँख खुली तो मैने खुदको एक अस्पताल में पाया
मुझे अस्पताल तक कौन लाया पता नही मेरी नजर जब अस्पताल में लगे क्लेनडर पर पड़ी तो मै एक दम हैरान हो गया | क्युकी आज पुरे 18 दिन गुजर गए थे | मै सोच में पड़ गया की कैसे वह 18 दिन बीत गए | और कौन मुझे अस्पताल तक लाया | मेरे घर वालो को खबर भी नही थी |

क्युँकी मै एक दुसरे Country के अस्पताल में था

उसके बाद मैंने अस्पताल से ही अपने घर में फोन लगाया और अपना हाल उन्हें बता दिया

उसके बाद मेरे घर वाले आकर मुझे ले गए | पर आज भी मुझे ईसका जवाब नही मिला के आखिर कौन मुझे अस्पताल तक लाया हो गा

मेरे साथ घटी वो घटना मुझे आज भी रातों को सोनें नही देती है
मेरी जिंदगी का वो एक काला सपना बन गया है | जिसे मैं चाहकर भी नही भुला सकता

मै ट्रक का काम छोड़कर कुछ और कर रहा हूँ

और हमेशा यही चाहता हुँ के मै वह सब भुल जाऊँ