Chhal - 4 in Hindi Moral Stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | छल - Story of love and betrayal - 4

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छल - Story of love and betrayal - 4

अपनी मां पुष्पा के मुंह से यह सब सुनकर प्रेरित बिल्कुल अचेत सा हो गया और मां का हाथ हटाकर खिड़की के पास खड़ा हो गया । उसके हाथ पैर कांप रहे थे, उसे अपने आप पर शर्म रही थी तो दूसरे पल मां पर क्रोध और फिर तीसरे ही पल उसमें बदले की आग भड़क उठी तभी पुष्पा ने रो कर कहा,

" बेटा.. मुझे माफ कर दो, मैं जा रही हूं" |

प्रेरित ने कुछ देर सोचा फिर अपनी मां को गले लगाकर जोर जोर से रोने लगा और बोला,

" माँ सिर्फ मां होती है, चाहे जैसी हो, जब बच्चे की हर गलती माँ माफ कर देती है तो फिर बेटा मां की गलती क्यों नहीं माफ कर सकता और वैसे भी इसमें आपकी कोई गलती नहीं, आप मेरी मां हो और हमेशा रहोगी" |

यह सुनकर पुष्पा थोड़ा मुस्कुराइ और हाथ बढ़ाकर कहा,
" बेटा……. "

और फिर वह हमेशा के लिए चुप हो गई |

अब घर में मातम छाया हुआ था पर प्रेरित के दिल में सवालों जवाबों का तूफान आ रहा था, उसकी आत्मा से कहीं नाजायज तो कहीं अनाथ और न जाने क्या-क्या आवाजें आ रही थी | वो इसी कशमकश में डूबा हुआ था और मां के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा था, वो अपने चाचा रंजन को रोता देख गुस्से से पागल हुआ जा रहा था लेकिन अपने ऊपर काबू करके वो बस सही वक्त का इंतजार कर रहा था । पुष्पा के अंतिम संस्कार के बाद प्रेरित परेशान रहने लगा ।

अब प्रेरित न किसी से बात करता ना उसका काम मे मन लगता, बस चुपचाप रहता | धीरे-धीरे उसका बिजनेस भी कम होता चला गया और प्रेरणा बहुत परेशान रहने लगी, प्रेरित उस पर बात बात पर गुस्सा करने लगता, प्रेरणा अक्सर वर्मा जी यानी प्रेरित का दोस्त नीतेश वर्मा से प्रेरित के बारे में पूछती जो कि प्रेरित का सबसे अच्छा दोस्त था लेकिन उसको भी इस बारे में कोई बात पता नहीं थी और ये बात प्रेरित भी अच्छे से जनता था कि प्रेरणा उसके लिए कितना परेशान है |

एक दिन नीतेश प्रेरित के घर गया, प्रेरणा सो रही थी, नितेश पूरे घर में ढूंढने के बाद बेडरूम में गया और प्रेरणा को जगाया फिर दोनों वहीं बैठ कर बातें करने लगे |

उधर प्रेरित मीटिंग के लिए शहर से बाहर जा रहा था पर उसके कानो मे माँ से सुनी सच्चाई बार बार गूंज रही थी, वो नफरत की आग मे जल रहा था, वो एयरपोर्ट से ही वापिस आ गया और सीधा मिस्टर रंजन यानी अपने चाचा जी के यहाँ गया |

प्रेरित को देखते ही चाचा जी बोले, "अरे प्रेरित बेटा, इस समय.., अरे अच्छा ही हुआ जो तुम आ गए, ना जाने आज सुबह से बड़ी बेचैनी और घबराहट सी हो रही है" |

प्रेरित गुस्से में बोला - "अच्छा…. भला ऐसा भी क्या, शायद तुझे आभास हो रहा होगा कि तेरे साथ क्या होने वाला है लेकिन चिंता मत कर बुड्ढे, आज तेरी बेचैनी खत्म हो जाएगी, हमेशा के लिए" |

मिस्टर रंजन ये सुनकर चौंक गए और बोले, "ये क्या कह रहे हो बेटा, क्या हुआ तुमको"|