love ignorant of religion - 7 in Hindi Fiction Stories by shama parveen books and stories PDF | धर्म से अंजान प्यार - 7

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धर्म से अंजान प्यार - 7

मै चुप चाप हु ही खड़ी रहीं मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था। तभी वहा पे बलिया काका भी आ गए । और बोलने लगे की बिटिया तुम यहां क्या कर रही हो वो भी इस लड़के के साथ। तो मैने बोला की में बस यही से गुजर रही थीं तभी मुझे यहां अचानक रेहान मिला तो मै इससे स्कूल के बारे मे पूछने लगीं। क्यू क्या हुआ काका मेने रास्ते में रुक के कुछ गलत कर दिया।

मै एकदम सीधी साधी लड़की बन गईं जैसे की मै रेहान को जानती ही नही। तब फिर में जल्दी जल्दी घर गईं और मै सीधा पिता जी के पास गई। और उनसे बोलने लगी की पिताजी मैं बाजार गई थीं तो रास्ते में मुझे मेरी क्लास का एक लड़का मिला तो मै उससे स्कूल की पढ़ाई के बारे में पूछने लगीं।

तभी वहा मुंशी काका और बलिया काका आ गए और मेरे से बोलने लगे की तुम इस लड़के के साथ क्या कर रही हो। मै तो बस पढ़ाई के बारे में पूछ रही थीं क्योंकि वो लड़का हमारे ही स्कूल का था और पढ़ने में अच्छा था और उसके पिता जी भी स्कूल के टीचर है। तो मैने उससे पढ़ाई के बारे में पूछ लिया तो क्या गलत किया।

तभी पिता जी को बहुत गुस्सा आया और वो गुस्से में मुंशी काका और बलिया काका के पास गये और बोले की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी से इस तरह बात करने की। बलिया तुमने मेरी बेटी को अपनी बेटी की तरह समझा हे क्या।

एक बात ध्यान से सुन लो तुम दोनों आज वो मेरी बेटी है वो ऐसा वैसा कुछ नही करने वाली । आज से अगर दोबारा किसी ने उसे कुछ बोलने की कोशिश की तो में उसे इस गांव में रहने लायक नही रहने दूंगा।

फिर पिता जी घर आ गए। और में चुप चाप धर में चली गई। और बैठ के घंटो तक सोचती रही की अगर आज किसी को मेरे और रेहान के बारे में पता चल जाता तो पता नही क्या होता।

फिर मै अगले दिन स्कूल गई और रेहान को सारी बात बताई की कल क्या क्या हुआ और किस तरह मैने सब कुछ संभाल लिया। वरना पता नही क्या होता। तब रेहान ने मुझे समझाया की देखो अब हमे और ज्यादा सतर्क रहना होगा क्योंकि गांव के मुंशी काका और बलिया काका ने हमे देख लिया है।

इसलिए अब हम कुछ दिनों तक बिलकुल भी नही मिलेंगे। ये कह कर रेहान चला गया। अब मै भी घर चली गई और चुप चाप खाना खाके पढ़ने लगी।

कई दिन बीत गए मगर हम अब बिल्कुल भी नही मिलते थे। तभी एक दिन पता चला की रेहान की तबियत बहुत ही खराब है। मै ये सोच कर बहुत परेशान हुई। की पता नही रेहान को क्या हो गया है। म उससे मिल भी नही सकती।

अगले दिन में स्कूल गई तब मैने रेहान के छोटे भाई को देखा तो मैने उससे पूछा की रेहान केसा है तब उसने बताया की वो अब ठीक है ये सुन कर मेरी सास में सास आई। और फिर में थोड़ा हल्का महसूस करने लगी।

फिर दो दिन बाद रेहान भी स्कूल आने लगा । फिर मुझे क्या पता चला की अगले हफ्ते रेहान का जन्मदिन है ये सुन कर में बहुत खुश हुई और फिर मै सोचने लगीं की कुछ भी हो जाए रेहान का जन्मदिन तो में मना के रहूंगी।