love ignorant of religion - 6 in Hindi Fiction Stories by shama parveen books and stories PDF | धर्म से अंजान प्यार - 6

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धर्म से अंजान प्यार - 6

अब रेहान और मेने ज्यादा मिलना कम कर दिया था ताकि किसी को हम पर शक ना हो। अब हम स्कूल में भी ज्यादा बात नहीं करते थे। हमे लगा की धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा। एक दिन में घर में बैठी बैठी अपना स्कूल का काम कर रहीं थीं तभी बाहर से पिता जी आए और उन्होंने मां को अंदर कमरे में बुलाया ।

में भी पीछे पीछे चुपक से मां के पीछे गई और। उनकी बाते सुनने लगी। पिता जी मां से कह रहे थे की गांव का माहोल अभी कुछ ठीक नही चल रहा है तुम अभी कुछ दिनों के लिए रोशनी का स्कूल जाना बंद कर दो। ये सुन कर मानो जैसे की मेरे पैरो तले तो जमीन ही खिसक गई।

मगर मां ने कहा की एसा कुछ नही है मेरी बेटी ऐसी नही वो एसा वैसा कुछ नही करेगी जिससे की हमे किसी के आगे शर्मिंदा होना पड़े। मां ने पिता जी को समझाया की आप यूंही परेशान हो रहे हैं। व ऐसा वैसा कुछ नही करेगी।

फिर मां मेरे पास आई और बोली की देख बेटा तू ऐसा कुछ मत करियो की जिससे मुझे और तेरे पिता जी को लोगो के सामने शर्मिंदा होना पड़े। मै बस हा हा बोलती गई। ओर अंदर अपने कमरे मे चली गईं। ओर यही सोचती रही की अब पता नही क्या होगा । फिर मैने सोचा की मुझे ये बात रेहान को बतानी चाहिए।

फिर मै शाम को बाज़ार के बहाने से रेहान से मिलने गई। फिर मैने रेहान को बाजार में देखा और उसे बुलाया और फिर हम दोनों चुपके से बाजार के पीछे के पेड़ नीचे जाकर बैठ गए।

फिर मैने रेहान को सारी बात बताई की किस तरह आज पिता जी ने मां से मेरे बारे में कहा की मेरा स्कूल जाना बंद करवा दो। तब किसी तरह मां ने किसी तरह पिता जी को समझाया और सारी बात संभल गई।

मगर मुझे बहुत ही डर लग रहा है। की पता नही की ये लोग हमारा रिश्ता होने भी देंगे या नही । मगर देखो मै कह देती हू की मै शादी करूंगी तो तुमसे ही करूंगी वरना नही करूंगी। अगर ये लोग मेरे साथ ज्यादा जबरदस्ती करेंगे तो हम दोनों ये गांव छोड़ के ही कही चले जायेंगे।

तब रेहान ने मुझे समझाया की ये सब इतना आसान नही है जितना की तुम सोच रही हो । तुम्हे क्या लगता है की ये सब गांव वाले हमे इतनी आसानी से जाने देंगे। देखो मै तुम्हे बोल रहा हु ना की तुम परेशान मत हो। में कुछ ना कुच सोचूंगा तुम बस मुझे थोड़ा सा समय दो । तब तक तुम्हे बस किसी से कुछ नही बोलना है।

हम बात कर ही रहे थे की अचानक हमे वहा बैठे हुए मुंशी जी ने देख लिया । अब तो हम दोनों की सास ही अटक गई की ये क्या हो गया ?

तब मुंशी जी मेरे पास आए और बोले की रोशनी तुम तो बाज़र गईं थी ना तो फिर तुम इस लड़के के साथ यहां क्या कर रही हो मै डर के मारे एकदम चुप की अब मैं क्या बोलूं ।