Basanti ki Basant panchmi - 7 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | बसंती की बसंत पंचमी - 7

Featured Books
Categories
Share

बसंती की बसंत पंचमी - 7

श्रीमती कुनकुनवाला के ज़रा सा कानों पर ज़ोर देते ही उनकी किस्मत ने भी उनका साथ दिया। शायद हवा से जॉन के कमरे की साइड वाली खिड़की थोड़ी खुल गई। अब उसकी आवाज़ उन्हें बिल्कुल आराम से सुनाई दे रही थी। मज़े की बात ये कि उस दूसरी खिड़की को जॉन ने बंद भी नहीं किया। बंद क्यों करता, अब मम्मी श्रीमती कुनकुनवाला उसे दिख तो रही नहीं थीं। वो तो दूसरी ओर की खिड़की पर थीं।
और अब जाकर श्रीमती कुनकुनवाला को अपनी शंका का समाधान मिला।
वो कई दिनों से बेचैन थीं न, कि लड़के इतनी इतनी देर तक आपस में भला क्या बात करते हैं! तो लो, पता चल गया उन्हें। उनका लाड़ला जॉन किसी लड़के से नहीं बल्कि लड़की से बातचीत में मशगूल था।
अरे पर ये शंका का समाधान कहां हुआ? ये तो शंका उल्टे और बढ़ गई। लड़का लड़की से बातचीत क्यों कर रहा है? कौन है लड़की? चिंता और बढ़ गई।
जाने दो, होगी कोई। कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के के दोस्तों की कोई कमी थोड़े ही होती है। और इस उम्र में तो दोस्त लड़के भी होते हैं, लड़कियां भी। श्रीमती कुनकुनवाला कोई पुराने ज़माने की माताश्री तो थीं नहीं, जो इतनी सी बात पर कुपित हो जाएं। उल्टे उन्हें तो मन में गुदगुदी सी होने लगी, कि लड़का लड़कियों से घुल- मिल कर बात करने जितना बड़ा हो गया।
हाय, पर जब कॉलेज महीनों से बंद है तो इतनी इतनी देर तक क्या बात कर रहा है? कहीं वीडियोकॉल न हो।
अरे नहीं - नहीं, वो भी क्या सोचने लगीं। सारी दुनिया के बच्चे भय से, बीमारी से डरे हुए हैं, ऐसे में थोड़ा मन बहलाव करें तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा, जाने दो।
अरे पर है कौन? लड़की इतनी देर से ...

अब श्रीमती कुनकुनवाला की दिनचर्या में रोज़ के कामों में अलावा ये एक काम और जुड़ गया कि वो जॉन पर नज़र रखें।
लॉकडाउन के बीच ऐसा तो कुछ हो ही नहीं सकता था कि लड़का घर से बाहर कहीं जाए या कोई लड़की उससे कहीं मिलने आ जाए। इस बात का ध्यान खुद सरकार और पुलिस रख ही रही थी। गली - गली में कर्फ्यू था। एक गली खुलती तो दूसरी बंद हो जाती। सड़क पर चिल्लाती हुई पुलिस वैन घूमती कि घर से बाहर न निकलें।
ऐसे में जॉन की निगरानी रखना कोई मुश्किल काम नहीं था। मगर इस उम्र के लड़के को अगर एक बार लड़की से बात करने का चस्का लग गया तो बात ख़तरनाक भी हो सकती थी। आजकल मोबाइल फोन भी तो एक खतरा है, जाने बच्चे कब क्या कर बैठें। लड़का लड़की दिन भर बातें करेंगे तो गाड़ी पटरी से उतरने में देर ही कितनी लगेगी?
लेकिन दिन भर में वैसे ही दस समस्याएं हैं। ये क्या नया झमेला लेकर बैठ गईं श्रीमती कुनकुनवाला!
सारे घर में झाड़ू, पोंछा, बर्तन, कपड़े, नाश्ता, खाना चाय दूध... और ऊपर से अकेले कमरे में हाथ में मोबाइल लिए ये जवान छोकरा जॉन! और फ़ोन के दूसरी तरफ़ लड़की!
खतरा तो है।
जब श्रीमती कुनकुनवाला काम से थक कर चूर हो जाती तो उनका दिमाग़ कहता - अरे जाने दो बाबा! लड़का अपने घर में है न? और लड़की उसके घर में।
क्या कर लेंगे ज़्यादा से ज़्यादा? फ़ोन ही तो है।
अरे, पर ... इतनी देर क्या बात... उनकी कनपटी तप जाती।
और आज तो ग़ज़ब ही हो गया।