Basket of complaints in the name of God in Hindi Short Stories by ArUu books and stories PDF | शिकायतों की टोकरी भगवान जी के नाम

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शिकायतों की टोकरी भगवान जी के नाम

भगवान जी
प्रणाम
वैसे तो बात करनी नहीं थी आपसे पर आपने इतने सारे ई मेल कर दिया की उनका जवाब देने के लिए मुझे बाध्य होना पड़ा। और प्रणाम तो करना नहीं था क्युकी मैं आपसे नाराज हु पर क्या करू आप हो भी इतने अच्छे इतने दिल के करीब की सर झुके बिना रह ही नहीं पाता। चलो अब ढेर सारा आशीर्वाद दे देना ताकि संजो के रख सकु। क्या पता वापस कब आप याद फरमाये।
यूँ तो शिकायते हज़ारों है आपसे पर इस बार बस इतना पूछना है की मुझे भी तो आपने बनाया है ना
फिर क्यों में दुसरो जैसी नहीं हु
क्यों सब लोग ही मुझे नापसंद करते है
और जब कोई मुझे अच्छा लगने लगे तो उसे आप मुझसे छीन लेते हों।
क्यों नहीं खुश देख पाते मुझे आप।
आप तो कहते हो न की तु बहुत खास सी बच्ची है मेरी।
तो फिर क्यों मुझसे मेरी मम्मी को छीन लिया?
अभी तक तो नादान थी में जरूरत थी मुझे अपनी माँ की उस सबसे जरूरी वक़्त पे आपने मुझसे मेरा सहारा छीन लिया।
हाँ जानती हु की अच्छे लोगों की आपको जरूरत है.... और आप भी उनका साथ चाहते है।
तो क्या मैं इतनी बुरी हु की मुझे अब तक लेने नहीं आये आप... कब से इंतज़ार कर रही की मैं वापस अपनी मम्मी से मिल पाऊ पर आप है की हर बार दिलासे देते है बस।
आप तो कहते है की हर पल मैं तेरे पास हु फिर क्यों नहीं समझ पाए की मैं उस ममतामयी मुरत के बिना कैसे अपनी जिंदगी बिता पाऊँगी।
हर रोज़ मैं बस यह चाहती हु की मैं दोबारा अपनी माँ से मिल पाऊ।
पर आप है की हर बार मुझे अनसुना कर देते है और फिर भी चाहते है की मैं आपसे बात करू।
याद होगा आपको उन दिनों कैसे रात भर जाग जाग के बस आपसे अपनी माँ को मांगती थी।
मैं तो बस इतना चाहती थी की मेरी मम्मी हॉस्पिटल से जल्दी घर आ जाये।
दिया जला के हर टाइम बस आपसे दुआ करती थी की मुझसे मेरी माँ का आँचल मत छीनना।
मुझे याद है उन दिनों मै सो नहीं पाती थी जब आँखें खुलती यही दुआ आती की मेरी मम्मी जल्दी से ठीक हो कर घर आ जाये। पर आपने क्या किया।
मेरे सारे निवेदन को अनसुना कर दिया और मुझे इस भीड़ भरी दुनिया में अकेला कर दिया।
उसके बाद मेने चाह की कभी आपसे बात न करू कभी आपके दर पर सिर न झुकाउ।
आप तो भगवान हो न
आपके पास कहा कमी होगी मेरे जैसे लोगो की।
पर मैं इंसान हु। मेरे पास तो मेरी माँ जैसा अब कोई नहीं।
आपको सोचना था न की आप कैसे किसी से उसके जीने का सहारा छीन सकते है।
मैने कहा था न की उनके बदले में मुझे ले जाओ पर आपने कहा सुननी होती है अपने सिवा किसी की भी।
बहुत नाराज हु आज भी आपसे पर आप हो की अभी तक मुझे अपने पास नहीं बुलाते।
क्योंकि मै गंदी बच्ची हु न इसलिए।
फिर बार बार मुझे परेशान क्यों करते हो।
चलो अब बहुत हुआ
मै आपके आने का इंतज़ार करूँगी
आपकी बच्ची
.....