Udaan - 2 in Hindi Fiction Stories by ArUu books and stories PDF | उड़ान - 2

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उड़ान - 2

दोनों चाय लेकर लोन में टहलने के लिए आ जाते है।
काव्या का घर शहर से थोड़ा दूर शान्ति वाले इलाके में है... घर से बाहर निकलती सड़क के उस पार एक गार्डन बना है। जो उसके कमरे के बाहर बने लोन से साफ दिखता है।
बड़े से घर में उसका कमरा दूसरे माले में है। उसे गार्डन में खेलते बच्चे, हाथ थामे दंपती साफ दिख जाया करते जिसे वह घंटों तक देखा करती। वह विनी के साथ भी यही बैठे कर बाते किया करती। लोन में एक मनी प्लांट लगी थी जो दीवार के सहारे लगी रस्सी से उपर जा रही थी। हालांकि रस्सी बहुत नाज़ुक थी पर बेल के उपर जाने का सहारा थी वो।
उसे देख कर काव्या अक्सर ये सोचा करती की जब ये रस्सी टूट जायेगी तो बेल कैसे धड़ाम से नीचे गिर पड़ेगी। सचमुच आज वही हालत काव्या की थी

आज बहुत अकेला महसूस कर रही थी खुद को
वह विनी से भी नज़र मिलाने से बच रही थी।

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"देख ना वो जो बाग में बुड्डे अंकल आंटी बैठे है... कितना प्यार है न उनमें... मै रोज़ उन्हें यहाँ बैठे देखती हु"
दोनों घंटों तक यहाँ बैठे रहते है साथ मे... जाने कहाँ पर घर है इनका। काव्या ने कहाँ।

"अच्छा" विनी ने शायद उसकी बात बिना सुने कह दिया या वो किसी दूसरे ख्याल में उलझी थी

"तुम्हें पता है यहाँ की शाम मुझे सुकून देती है" काव्या ने कहा
विनी ने नजर भर उसे देखा
उसे पता था की उसकी आवाज़ में दर्द है पर वह इस टाइम उसे कुछ ब पूछने के मूड में नहीं थी
क्युकी उसे पता था की कुछ भी पूछने से उसे बुरा लग जायेगा और उसके बेवजह के गुस्से से वह अच्छे से वाक़िफ़ थी।
जितनी शांत वह दिखती थी उससे कही ज्यादा गुस्सेल थी वह।
कुछ भी सीधे तौर पर उसे पूछना विनी को मुनासिफ नहीं लगा और उसने कहाँ
"चलती हू... कल मिलते है। "
जाते जाते प्यारी सी मुस्कान दे गयी
जिसे देख कर काफी हद तक वह सहज हो गयी थी।
रात को सोई तो आँखों मे नींद की जगह आँसुओं ने ले रखी थी
जान से भी ज्यादा जिसे चाहा उसने
वह इंसान उससे आज कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता था।
वो टूट कर बिखर चुकी थी
वो चाहती की विनी को अपना हाल बता दे।
पर कहती भी क्या
उसकी तो पसंद था वो।
रुद्र
पर इस नाम से क्यों उसे कोई शिकवा नहीं। क्यों आज भी इतना ही प्यार करती है वो उस इंसान से जिसने ये तक कह डाला की उसके जैसी लड़कियों की लंबी लाइन है उसके पीछे।
वह अपमान का घुट पी के रह गयी
उसे ऐसे अपमान की उम्मीद नहीं थी रुद्र से।
यही सोचते सोचते वह सो गई
निंदियाँ ने उसे अपने आगोश में ले लिया
जिसे कोई नहीं पसंद करता उसका पहला प्रेम होती है ये निंदियाँ।

**********
कॉलेज की कैंटीन में एक टेबल पे
विनी काव्या वीर राज निशि और पीहू बेठे थे
ये आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे
हाँ यहाँ एक सीट खाली थी जो किसी के लिए छोड़ी गयी थी।
सब आपस में गप्पे लड़ाने में बिजी थे तो वही काव्या का ध्यान इन सब से दूर कहीं था।
तभी रुद्र कैंटीन में आया
उसे आते सबसे पहले निशि ने देखा
उसने पहले एक मुस्कान दी और फिर कहा
"अरे रुद्र
यहाँ आओ
तुम्हारे लिए सीट रखी है हमने"
रुद्र उसे अनसुन कर के दूर पड़ी खाली सीट पर जाकर बेठ जाता है।
दोस्तों में खास तौर पर फ़मोउस माने जाने वाले रुद्र का ये बर्ताव सिर्फ काव्या के लिए नहीं बल्कि दूसरे दोस्तों के लिए भी आश्चर्य वाला था
पर रुद्र ऐसा बिहेव क्यों कर रहा था
ये सबके लिए एक प्रश्न था
ऐसा क्या हुआ उस शाम को काव्या और रूद्र के बीच......?