Muje ishq hua hai - 3 in Hindi Love Stories by Rajesh Kumar books and stories PDF | मुझे इश्क़ हुआ है - भाग 3

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मुझे इश्क़ हुआ है - भाग 3

ये सिलसिला यूं ही आगे बढ़ता गया। अभी कोई ज्यादा उम्र तो थी नही, प्यार महोब्बत के बारे में जानकारी इतनी तो नही थी। मगर जो मेरे साथ चल रहा था वो बहुत ही हसीन चल रहा था। हम लोग 9 वीं क्लास में थे मैं अपने गांव से दूर शहर में जाकर पढ़ रहा था। तो थोड़ा इन चीजों से डरता भी, मगर जब कोई दिल में बस जाए और ख़्वावों पर कब्ज़ा कर ले तो फिर क्या कहने। ना जाने कब एक चेहरा मुझे दिखा और धीरे धीरे मैं उस चेहरे में खुद को तलाशने लगा और आंखे आपस में प्यार लूटाने लगी पता ही नही चला। बस जब वो सामने नही होती तब बैचेनी सी होती। वक्त कब किसकी सुनता है वो तो आगे बढ़ता जाता है। ना ही वो किसी के लिए ठहरता है। अब हमारा प्यार भी धीरे धीरे बढ़ रहा था।मैं उससे सब कुछ कहना चाहता था मगर वही डर कि यदि उसे मुझसे प्यार नही हुआ तो फिर क्या होगा। कहीं बात बिगड़ न जाए, कहीं वो अपने घरवालों से शिकायत ना कर दे और बात तूल ना पकड़ ले यही सब चीजें मुझे डरा देतीं और मैं कह नही पाता।
वो लड़की जो उसकी सहेली थी वो उसे मुझसे दूर करना चाहती थी वो किसी और लड़के से उसकी बात कराना चाहती थी। मगर प्यार जिसके लिए होता है वो उसी को चाहता है। वैसा ही हमारे साथ भी चल रहा था। जो भी मुझे लगता मैं दो तीन लड़कों के साथ उसे साझा कर लेता उनमें से एक लड़का खुद उस लड़की से बात करना चाहता था। मगर वो नही।
उन्ही दिनों मुझे पेट में दर्द की शिकायत चल रही थी बहुत दवा लेने के बाद भी फायदा नही हो रहा था। तब मैंने घर जाने का मन बनाया। अपने पहले अहसासों, उन लम्हों जिनसे प्यार का अहसास होता है छोड़कर कौन जाना चाहेगा। फिर भी मुझे घर जाना पड़ा। वह दो दिन में अल्ट्रासाउंड कराया तो पता चला कि मुझे गुर्दे की पथरी है जिससे दर्द बना हुआ है। मेरे लिए स्कूल से दूर एक एक पल बड़ा ही कठिन गुजर रहा था। मैंने जल्द से जल्द दवाइयां लेकर और घरवालों की अनुमति से वापिस शहर आया। अगले दिन जैसे ही मैं स्कूल पहुँचा तो थोड़ा लेट हो गया जैसे ही मैं सीढ़ियों पर चढ़ने लगा ।
तभी वो मेरे सामने आ गयी एक हल्की सी हँसी आ-हा...मेरे दिल को बड़ा ही सुकून मिला। मानो उसने सारी बातें मुझसे पूछ ली हो गया। आ गए.. इतने दिनों में तुम्हें मालूम ही मेरे दिन कैसे कटे तुम्हें बिना देखे। मेरी निगाहों ने भी सारी बातें एक पल में ही उससे बता दीं।
मैं बैग रखकर प्रार्थना के लिए नीचे आया। प्रार्थना होने के बाद सभी क्लास में जाने लगे तभी वो कक्षा 1 के विद्यार्थियों के साथ क्लास में चली गयी। मैं अपनी क्लास में चला तभी विनीत ने मुझे आकर बोल कि तुझे नरेश सर बुला रहे है। मुझे थोड़ा अजीब लगा कि वो मुझे क्यों बुला रहे है। तभी मुझे अंदेशा हुआ और डर लगने लगा। मैं उनके पास पहुँचा वो मुझे एकदम अलग ले जाकर पूछने लगे कहाँ गया था-सर घर,
अच्छा।
क्यों? -सर पथरी हो गयी है। उसी की दवा लेने।
फिर उन्होंने जो पूछा मेरे पैरों तले जे जमीन निकल गयी वही हुआ जिसका डर था।....
शेष अगले भाग में-
तो बने रहिये मेरे साथ अगले भाग में बताएंगे कि जो प्यार पनप रहा था कैसे उसमें दरार आयी और फिर दोनों एक होने लगे।