आलेख - मच्छर सभी को क्यों नहीं काटते
हम सभी जानते हैं और मानते भी हैं कि छोटा दिखने वाला मच्छर बहुत ख़राब जीव है . यह हमारे ऊपर या आसपास मंडराता गूंजता रहता है और यही हमारा खून पीता है तो कभी बीमारी फैलाता है . पर क्या आप जानते हैं कि मच्छर सभी के खून नहीं पीता है या शायद उसे सभी का खून अच्छा नहीं लगता है . वैज्ञानिकों ने शोध कर कहा है कि मच्छर हर किसी का खून नहीं पीता है .
मच्छर के प्रकार और उनसे होने वाले रोग - वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया में मच्छरों की करीब 3500 प्रजातियां हैं . एनाफिलीज नामक मच्छर से मलेरिया होता है हालांकि पश्चिमी और अन्य विकसित / विकासशील देशों ने इस पर नियंत्रण पा लिया है फिर भी अनेक देशों में यह अभी भी मौजूद है .WHO के अनुसार दुनिया में प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा लोग मच्छरों के काटने से मरते हैं . एडीज आइजीप्ति नामक मच्छर ( येलो फीवर ) से डेंगू , येलो फीवर , ज़ीका , चिकुनगुनिया आदि रोग फैलते हैं .फाइलेरिया रोग मुख्यतः क्यूलेक्स नामक मच्छर से होता है . जब मच्छर किसी ज़ीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटता और फिर किसी दूसरे व्यक्ति को भी काटता है तो ज़ीका वायरस से वह व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है . ये मूव करते रहते हैं और कुछ मील का सफर आसानी से तय कर बीमारी को दूर तक फैला सकते हैं .
मच्छर सभी को क्यों नहीं काटते - देखा गया है कि करीब 20 - 25 प्रतिशत लोगों को ही मच्छर काटते हैं या ज्यादा परेशान करते हैं . मच्छर के आप पर आकर्षित होने के 85 % कारण जेनेटिक हैं , जैसे आपका ब्लड ग्रुप या त्वचा छिद्र से लैक्टिक एसिड या यूरिक एसिड का स्राव . वैज्ञानिकों ने जुड़वाँ बच्चों के दो पर प्रयोग कर देखा है कि किसी जोड़े शिशु के शरीर के गंध को वे पसंद करते तो किसी दूसरी जोड़ी के गंध को नापसंद , यह ट्विन्स के समान जेनेटिक गुण के चलते होता है . वैज्ञानिकों के अनुसार नीचे लिखे लोगों को मच्छर के काटने की ज्यादा संभावना रहती है , जिन्हें मॉस्किटो मैग्नेट भी कहते हैं -
1 . प्रेग्नेंट महिला , इनका बॉडी तापमान ज्यादा होता है और CO2 भी ज्यादा छोड़ती हैं ( शायद शिशु की साँस का भी )
2 . मोटे लोग ( वे CO2 , ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड साँस में छोड़ते हैं )
3 . ‘ O ‘ ब्लड ग्रुप वाले लोग ( A और B ग्रुप की तुलना में बहुत ज्यादा )
4 . शराब पीये लोग और व्यायाम करने के बाद ( इनमें मेटाबोलिक रेट ज्यादा होता है और ये ज्यादा CO2 छोड़ते हैं ) .
5 . जिनका बॉडी टेम्परेचर ज्यादा हो और त्वचा पर पसीना हो
6 . जिनकी त्वचा छिद्र से लैक्टिक एसिड , यूरिक एसिड , और ऑक्टेनॉल निकलते हों ( मच्छर अपने एंटीना से इन्हें आसानी से पहचान कर आकर्षित होते हैं ) . बॉडी ओडर में अमोनिया भी हो सकता है जिस से वे आकर्षित होते हैं . पर सभी के शरीर की गंध एक समान नहीं होती है .
7 . अगर आप चल रहे हों ( मच्छर आपको आसानी से पहचान लेता है )
8 . मच्छर डार्क कलर के कपड़ों पर जल्दी आकर्षित होता है
9 . अगर आपने एक या ज्यादा दिनों से स्नान नहीं किया हो और शरीर से पसीने की बू आ रही हो , मलेरिया के मच्छर ज्यादा इसी तरफ आकर्षित होते हैं .
अगर आप उपरोक्त लोगों के निकट हैं तो आपको मच्छर से ज्यादा खतरा नहीं है क्योंकि वे उन्हीं लोगों के पास जायेंगे . वैज्ञानिकों का कहना है कि जो उपरोक्त श्रेणी में नहीं हैं उनके शरीर से एक प्रकार का नेचुरल रसायन निकलता है जो मच्छरों को दूर रख सकता है पर इस तरह का केमिकल अभीतक लैब में विकसित नहीं हो पाया है . अमेरिका के CDC ( सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ) के डॉ जेनेट के अनुसार कुछ मच्छर रात को सोते समय काटना ज्यादा पसंद करते हैं तो कुछ सुबह या शाम में . उनके अनुसार ऐसे मच्छरों के लार में एक केमिकल होता है जिसके चलते वे हमें काटते तो हैं पर पता बाद में चलता है .
मॉस्किटो मैग्नेट मच्छरों से कैसे बचें - जिन्हें मच्छरों से ज्यादा परेशानी है उनके बचने के कुछ उपाय हैं -
1 . व्यायाम और वर्कआउट के बाद स्नान जरूर करें . यथासंभव खुले में व्यायाम न करें . ऐसा करने से वहां CO2 ज्यादा होगा और मच्छर आकर्षित होंगे .
2 . यथासम्भव हल्के रंग के पूरी बांह के कपड़े पहनें .
3 . सुबह और शाम को मच्छर ज्यादा एक्टिव रहते हैं , अगर संभव हो तो उस समय खुले में न जाएँ . दोपहर में वे सोते हैं .
4 . अपने घरों के आसपास पानी जमा न होने दें . जहाँ ऐसी संभावना हो वहां दवा स्प्रे करें .
5 . जहाँ मच्छर ज्यादा हों , मॉस्किटो रिपेलेंट क्रीम लगाएं .
6 . मॉस्किटो ट्रैप डिवाइस का इस्तेमाल करें .
मच्छरों को सबसे ज्यादा क्या आकर्षित करता है - ऐसा नहीं है कि मच्छर मनुष्य के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं . वैज्ञानिकों के अनुसार सिर्फ मादा मच्छर ही काटती हैं और वे भी रीढ़ वाले जीव पर ज्यादा , इन्हें काटने से उनको अंडोत्पादन के लिए प्रचुर पौष्टिक तत्व मिलते हैं . अगर उन्हें विकल्प मिले तो आदमी की जगह वे छोटे कीट या जानवरों को पसंद करते हैं . हालांकि मच्छर कुछ दूर तक उड़ कर जा सकते हैं पर न तो वे हवा में अच्छे तैराक हैं न ही उनकी दृष्टि अच्छी है . वे अपने शिकार के लिए जीवों के मूवमेंट , रंग , महक ( CO2 , लैक्टिक एसिड आदि ) पर ज्यादा निर्भर करते हैं .
मच्छर का छोटा सा ब्रेन भी बहुत चतुर है , वह अपने शिकार को उसके तापमान और महक से भी पहचान लेता है . वैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्य से होने वाली महक और पौधों की महक में कुछ समानता है . उनका कहना है कि वे मनुष्य को पौधे या फूल समझ कर उनका खून चूसते हैं . वे प्रकृति से बुरे नहीं हैं बल्कि वैज्ञानिकों का अनुमान है कि फ़ूल पौधों और आदमी की महक में समानता की गलतफहमी से संयोजवश या दुर्घटना स्वरुप मच्छर ने कभी आदमी का खून चूस लिया हो और इसका स्वाद उन्हें अच्छा लगा हो और कुछ हजार वर्षों से उनकी यह आदत रही है . पौधों से प्राप्त शुगर या मधु मच्छरों के जीवन के लिए महत्व रखता है . इसकी तलाश में वे बाग़ बगीचों में फूल पौधों पर मंडराते रहते हैं .
मच्छर कुछ छोटे कीटों के भी दुश्मन हैं खास कर छोटी चीटियों के . वे चींटी से मधु या चीनी छीन लेते हैं . मच्छर अपने एंटीना की मदद से चींटी के सर पर से मीठा चुरा ले भागते हैं .
मच्छरों से लाभ भी - मच्छर हमारे लिए कुछ अच्छा काम भी करते हैं . मच्छर मरने के बाद बायोमास देते हैं , उनके डीकंपोज होने ( सड़ने ) पर पौधों को पौष्टिक तत्व मिलते हैं . इसके अलावा फूलों के पराग के प्रसार , पॉलिनेशन , में उनका बड़ा योगदान है .