चलिए बाते तो होती रहेगी आज भी कल भी.....
शुरू करते है कहानी को बिना किसी नौटंकी के साथ और हा अपने विचार या फिर समीक्षा जरूर दे चाहे अच्छा हो या बुरा।
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जगह:- शिवपुर (शिवपुर का जंगल)
शिवपुर नाम की जगह जहा सिर्फ एक इंसान का ही राज चलता है और वो है "भवानी"। रहने को तो भवानी मां दुर्गा का नाम है पर और देवी(भगवान) को श्रेणी में आता है पर वास्तविक में ये नाम जिस इंसान का है उसका इससे दूर दूर तक कोई भी नाता नहीं है। एक तरह से राक्षस कहा जाए तो कोई गलत नही होगा, न जाने कितने ही परिवार, कितनो को जिदगीयाँ बर्बाद की होगी इसने कोई गिनती नहीं है। गैर कानूनी कामों का शहंशाह आइए चलते है इसकी दुनिया में।
"शिवपुर" वैसे तो सुनने के ये नाम बहुत ही मनमोहक लग रहा है और होगा भी क्यों न साक्षात भगवान भोले नाथ जी के नाम से है ये जगह। हर तरह से संपन्न जगह पर कहते है ना की हर अच्छी जगह में कोई न कोई बुराई होती ही है वैसे ये जगह दो तरह से जानी जाती है:- पहली अपनी शिव मंदिर के लिए एंड दूसरी किसके लिए उसका जिक्र ऊपर हो ही गया है। किसी में भी इतनी हिम्मत नही की इनसे पंगा ले इनके मर्जी के बिना एक पत्ता भी नही हिलता है यह पे(सिर्फ कहने के लिए बाकी किसी पत्ते को हिलने से रोक सके ये किसी के बाप में दम नहीं{जोक्स अपार्ट अपने पे मत लीजिएगा})।
वैसे रहने को तो ये इस जगह के बाहर रहता है जंगलों के बीच पर इसका जो दहशत है न वो यह तक फैली है।
शिवपुर से थोड़ी दूर जंगल में एक कच्ची और पक्की दोनों से ही मिश्रित जगह जो सीधा जाती है भवानी के महल,भवन जो भी कह लो वह पर जाती है वहा पर कुछ पार्टी या फिर कह ले कुछ गेट टूगेदर हो रहा होता है। वहा पर कई सारे मंत्री, बिजनेसमैन,व्यापारी और पुलिस डिपार्टमेंट के बड़े - बड़े अधिकारी , इंस्पेक्टर मौजूद होते है।
बात करें उस हवेली की तो यह जंगल के बीचों बीच किसी शेर की गुफा की तरह विराजित थी। पूरे जंगल में जगह जगह गार्ड्स गुंडे जैसे कई लोग सुरक्षा के लिए लगे हुए है। वो हवेली बाहर से जितना शानदार दिख रहा था अंदर से उससे कही ज्यादा भव्य था, नए नए शानदार फ्रेम्स, शोपीस और सजाने के कई समान थे बीचों बीच हाल के जस्ट ऊपर एक बहुत बढ़िया और लाइटिंग से भरपूर झूमर लटक रहा है जो की इस जगह को और भी शानदार बना रहा था।
हॉल में सभी लोग पार्टी करने में व्यस्त थे और इस शानदार हवेली के मालिक का इंतजार कर रहे थे वही वो अपने कमरे में तैयार हो रहा होता है।
तभी अचानक से सभी तरफ अंधेरा छा जाता है और इस विशाल भवन के मालिक का आगमन होता है। बात की जाए भवानी की तो उसकी उम्र 36-38 के आस पास ही होगी,हल्की भूरी आंखें जिसमे मक्कारी और दरिंदगी साफ पता चलती थी बॉडी वेल डिजाइन और ताकतवर है। अपने फेस पे घटिया सी स्माइल लेके साथ में अपनी इंपोर्टेंट सी सिगार लिए सीढ़ियों से नीचे आ रहा होता है। उसके साथ मे उसकी पत्नी बेटा और बेटी होते है वो भी बहुत अच्छे दिख रहे होते है। (वैसे इसमें उसके फैमिली का उतना ज्यादा रोल नहीं है फिर भी उनके नाम है:- पत्नी:- सरोज, बेटी:- काया, बेटा:- वंश।)
बेटा तो पुरा अपने बाप के नक्शे कदम में चल रहा होता है घर में बस दोनो मां बेटी है जो इनसे थोड़ा अलग है। इनके साथ में भवानी का एक भाई भी है जो की सेम अपने भाई की कैटेगरी में ही आता है जो की फिलहाल अभी कही और पार्टी कर रहा होता है।
नीचे आकर भवानी अपनी बीवी और बेटी को कुछ गेस्ट के पास छोड़ कर अपने अजीज दोस्तों या कह के अपने क्राइम पार्टनरों के पास एक रूम में जाता है साथ में वंश भी जाता है क्योंकि ज्यादातर डील्स को वही संभालता था।
अंदर रूम में
बाहर पार्टी पूरे मजे में चल रही होती है अंदर इनका कुछ अलग ही प्रोग्राम चल रहा होता है।
अंदर रूम में
सभी एक टेबल के इर्द गिर्द बैठे हुए होते है टेबल में कई ब्रांड्स के वाइन🍷 शराब बीयर्स और कई तरह के दारू भी पड़े हुए होते हैं। सभी अपने अपने ग्लास में पेग बना के पी रहे होते है और कुछ डिस्कस कर रहे होते है।
एक आदमी(अधिराज):- पार्टनर(भवानी) और तो अच्छा चल रहा है ना अपना काम।
भवानी:- अभी तो सब सही है पार्टनर बस ऐसे ही सब चलता रहे।
अधिराज:- जब तक हम सब एक साथ है पार्टनर हमारा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता।
भवानी:- (एक विक्ट्री वाली स्माइल देता है)
साइमन(एक और बंदा):- वो डायमंड(लड़की तस्करी वाला) वाले कनटेनर का क्या हुआ भवानी साहब।
भवानी:- वो कनटेनर आज रात तक मुंबई पहुंच जाएगा उसकी डिलीवर रिसीव करने के लिए छोटे है वहा। (भवानी का छोटा भाई:- जयराज)
साइमन:- ओ............ तो फिर एक दो आइटम इधर भी भेज देना भवानी साहब।
अधिराज(साइमन की बात का समर्थन करते हुए):- बात तो पते की है साइमन ने पार्टनर। वैसे भी बहुत दिन हो गए कोई अच्छा सा आइटम नही मिला।
(शब्दों को सीरियसली न लीजिएगा यह सिर्फ डिमांड के हिसाब से यूज की गई है)
भवानी:- वो तो बाद में भी मिल जायेगा पर सबके लिए आज का जुगाड हो चुका है बस कुछ देर इंतजार कर लो।
अधिराज के साथ सभी के चेहरों पे खुशी साफ देखी जा सकती थी।
भवानी:- ये सब तो चलता रहेगा पहले कुछ काम की बात करले।
फिर वो वंश को इशारे से अपने पास बुलाता है और उसके कान में कुछ कहता है उसके बाद वंश अपने फोन से कुछ करने लगता है।
चावला (एक और साथी इन सब का):- वहा पर कोई प्रॉब्लम तो नही होगी न।
भवानी:- नहीं कोई प्रॉब्लम नहीं होगी जयराज सब संभाल लेगा। और वैसे भी वह का पुलिस डिपार्टमेंट के आला अधिकारी हमारे साथ है वर्ना मि. अभिमन्यु तो है ही हमारे साथ।
मि.अभिमन्यु जो की वीडियो कॉलिंग के जरिए उन सब से जुड़े हुए होते है वो एक तेज हसी के साथ इस बात की सहमति दे देता है।
ठीक उसी समय वंश फोन पे बात करके आता है और सबसे कहता है।
वंश:- चाचू से बात हो गई है वो सब संभाल लेंगे।
इसी तरह वो सब कुछ न कुछ काम की बातें और शराब पी रहे होते है उसके बाद वो लोग अपने अपने कमरे जिसमे उनके लिए इंतजाम किए होते है वो सब उसमे चले जाते है और भवानी वंश के साथ अपने फैमिली के पास चला जाता है।
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जगह:- मुंबई (सनशाइन डिस्को एंड बार) {काल्पनिक नाम}
वही दूसरी तरफ मुंबई में जयराज फुल टू लड़कियों और शराब के साथ मजे ले लेकर टाइम पास कर रहा होता है।
जयराज(एक लड़की से):- तो मेरी जान मजा आ रहा है ना।
वो लड़की हा में सर हिलाती है तो जयराज हस्ते हुए उस कहता है।
जयराज(हस्ते हुए):- रात को इससे भी ज्यादा मजा आयेगा।
इतना कह कर वो उस लड़की को किस करने लग जाता है वो लड़की भी मजे से उसका साथ देने लगती है। तभी डिस्को में एक लड़की जो की बहुत देर से उन दोनो को देख रही होती है वो एक तरफ देखती है वहा पर एक साया उसको कुछ इशारा करता है तो वो लड़की हा में सर हिला के डीजे को को इशारे से कहती है।
डीजे भी हा में सर हिला देता है।
तभी सभी तरफ अंधेरा छा जाता है और बैकग्राउंड मे म्यूजिक बजता है और उस म्यूजिक के साथ एक लड़की डांस के एक स्टेप लेते हुए आती है। चुकी उस समय लाइट सिर्फ उस लड़की के उपर पड़ रही होती है इस वजह से न चाहते हुए भी जयराज के साथ साथ सबकी नजर उस तरफ चली जाती है और जब जयराज इस ओर देखता है तो देखता ही रह जाता है वो ये भूल जाता है की वो अभी किसके साथ था।(वैसे तो इस लड़की(सॉरी अभी इसका नाम नही सोचा है चलिए मारिया ही रख देते है इसका नाम)के रूप का वर्णन करूंगा नही काबा के मोला ये सब आबेच नि करे😀😉😉)
फिर गाना चलता है जिसपे मारिया(नो लड़की😉) डांस करने लगती है:-
मैंने तेरे लिए छोड़ा है ज़माना
जारा तेरा इरादा तो बता
ऐसे नज़रें तू मुझसे चुरा ना
जारा तेरा इरादा तो बता
छाया है मुझपे तेरा ही नशा
कम्बख्त दिल ये कहाँ जा फंसा
मैं तेरी दीवानी, तू मेरा दीवाना
समझ ले नज़र का इशारा
गली गली में फिरता है
तू क्यूं बनके बंजारा
आ मेरे दिल में बस जा
मेरे आशिक़ अवारा (×2)
मारिया जयराज के पास जाके उससे चिपक कर डांस करते हुए
तेरा कसूर है ना मेरा कसूर
दोनों के दोनों पास हो के भी दूर
तेरी वजह से मैं तो सो ही नहीं
मेरी वजह से तू भी जागा जरूर
तू मेरी मोहब्बत से बचना सकेगा
समझ जानेमन ये इशारा
गली गली में फिरता है
तू क्यूं बनके बंजारा
आ मेरे दिल में बस जा
मेरे आशिक़ अवारा (×2)
डांस के बीच में ही मारिया जयराज के पॉकेट में एक पर्ची जैसा कुछ रखती है जिसको देख के जयराज खुश होके उसके पीछे जाने लगता है वो ये भी भूल जाता है की वो आया किस काम के लिए था।
वो मारिया के पीछे जाता है तो अंदर जाके उसे मारिया कही नजर ही नहीं आती तो वो उस पर्ची को निकाल के देखता है जिसपे लिखा है
👄
"I am waiting"
251
(थोड़ा डिटेल में:- एक कागज में ऊपर की तरफ लिबिस्टिक से होटों का निशान होता है और उसके नीचे आई एम वेटिंग साथ में 251 लिखा होता है।)
उसको देख के तो जयराज के आंखों के सामने वो और मारिया एक दूसरे की बाहों में खोए हुए दिखने लग जाता है वो जब पास से एक वेटर जा रहा होता है वो उसको रास्ते से हटने के लिए बोलता है तभी वो अपने ख्यालों से बाहर आता है।
वेटर:- एक्जूस मि सर थोड़ा रास्ते से हटेंगे आप।
जयराज (अपनी खुशी को कंट्रोल करते हुए):- ओ.......ओके (वो वेटर जाने लगता है तो उसको रोक के बोलता है) एक मिनट ये रूम नंबर 251 किस ओर है(थोड़े एटीट्यूड में बोलता है जस्ट लाइक घमंड भरी आवाज में)
वेटर एक ओर इशारा करता है और जाने लगता है उसको रोक के जयराज उसकी तरफ कुछ पैसे फेक कर "जा मजे कर तू भी क्या याद रखेगा के किससे मिला था तू"
वो पैसे सीधे उस वेटर के मुंह पे पड़ता है तो वो अपनी आंखें बंद कर लेता है और फिर अपनी आंखें खोल के उस ओर देखता है जिस ओर देखता है जिस ओर जयराज गया होता है।
वेटर(जिसकी आंखें गुस्से से लाल हो चुकी होती है):- पहली बार किसी को देख रहा हु जो अपनी ही मौत पे खुश होके पैसे फेक रहा है(फिर उन पैसों को देख के) पाप की कमाई है इसकी इज्जत करेगा भी कैसे।
फिर वो वहा से एक तिरछी स्माइल यू सिटी बजाते हुए वहा से चला जाता है। उस सिटी की आवाज जयराज के कानो पर भी पड़ती है पर वो उसे ज्यादा ध्यान नहीं देता।
रूम नं. 251 में:-
रूम नंबर 251 के बाहर जाकर जयराज एक दम फॉर्मल और थोड़े एक्साइटेड होकर नोक करता है। अंदर से आवाज आती है आ जाओ.......जयराज अंदर आता है तो उसे वहा पर कोई दिखाई नही देता तो वो आवाज लगाता है।
जयराज:- कोई है..........
जयराज ध्यान से सुनता है तो उसे पता चलता है की बाथरूम से हल्की हल्की पानी की आवाज आ रही है तभी अंदर आवाज आती है।
मारिया:- बस पांच मिनट आती हू।
बस पांच मिनट सुन के जयराज का दिल बाग बाग हो जाता है तभी बाथरूम का दरवाजा खुलता है और अंदर से मारिया एक शॉर्ट और बहुत हॉट सी ड्रेस पहन कर बाहर आती है। बाहर आके वो वही पर रखी शराब की बोतल से पेग बनाती है और एक बार जयराज की तरफ देखती है जैसी कह रही हो के आपके लिए भी बनाऊं के नही। जयराज इशारे से ही बनाने के लिए बोलता है।
मारिया(पेग बनाते हुए):- लगता है बहुत बेकरार थे हमसे मिलने के लिए(लास्ट में एक हॉट सी स्माइल पास करती है)
जयराज(मारिया के हाथ को पकड़ के अपनी तरफ खींचते हुए):- ये सब छोड़ो और तुम तो सीधे मेरे बाहों में आओ.......
मारिया(उसकी पकड़ से छूटकर दूर जाते हुए):- इतनी भी क्या जल्दी है बाबू, अभी तो पुरा रात पड़ी है।
जयराज(मारिया की बात सुनके उसे याद आता है की वो यह किस लिए आया है):- ओह शीट..!!. ये कैसे भुल गया मैं (फिर मारिया की तरफ देखते हुए) सॉरी बेबी अभी जाना पड़ेगा मुझे,तुमसे ना मिलता हु रात में।
ऐसा बोल के जयराज बाहर जाने को होता है के तभी मारिया उसके हाथ को पकड़ के अपनी तरफ खींचती है और उसको गले लगाते हुए कहती है...
मारिया:- इतनी भी क्या जल्दी है मेरे राजा कम से कम एक पेग तो पीते जाओ।
(फिर अभी को कुछ देर पहले बनाया गया पेग जिसमें उसने उससे छुप कर कुछ पाउडर टाइप का चीज मिलाया होता है।)
जयराज भी मारिया के होटों को किस करते हुए वो ग्लास अपने हाथ मे ले लेता है और किस करने के बाद वो ग्लास जल्दी से खाली कर देता है और वहा से जाते हुए मारिया से कहता है...
जयराज:- मैं बस यू गया और यू आया मेरी जान इंतजार करना।
मारिया(एक दम धीरे से जिसको जयराज सुन नहीं पाता):- बचेगा तभी तो यह आ पाएगा।
जयराज उस रूम से बाहर निकलने के लिए दरवाजे तक आता ही है के उसे कुछ हल्का सा चक्कर जैसा कुछ आता है पर वो ध्यान नहीं देता। वो दरवाजे तक पहुंच कर उसको खोलने को होता है के वो अपना सर पकड़ के वही पर बेहोश होकर गिर पड़ता है। उसके पास आकर कहती है......
मारिया:- ये तो गया साला।
उसको जैसे ही एक लात मारने को होती है वैसे ही उस कमरे के दरवाजे पर दस्तक होती है और उधर से कुछ कहने के बाद मारिया दरवाजे को खोलती है तो बाहर एक व्हाइट हुड्डी पहने एक बंदा खड़ा होता है जिसने अपने हाथो में दस्ताने पहने और आंखों में चस्मा साथ में मास्क के साथ बहुत ही हैंडसम लग रहा होता है।
हुड्डी वाला बंदा:- कहा है वो।
मारिया उसको जयराज की तरफ इशारा करके बता देती है वो वहा पड़ा हुआ है वो बंदा मारिया की तरफ देखता है फिर अंदर की तरफ चला जाता है और फिर खिड़की से बाहर देख कर मारिया से कहता है।
हुड्डी वाला बंदा:- ध्यान से सब कुछ साफ कर देना और यह ये तुम्हारे साथ आया है करके किसी को मालूम तो नही।
मारिया:- नही किसी को नही मालूम और हा सबकुछ अच्छे से साफ हो जाएगा और वैसे भी मुझे यह कोई ज्यादा जानता भी नहीं मैं सिर्फ आज ही के शो के लिए आई थी यहां कल सुबह की फ्लाइट है मेरी।
हुड्डी वाला बंदा:- ओके.......और उस पर्ची को अच्छे से रख के कही और जला देना। अमाउंट पहुंच जाएगा तुम्हारे अकाउंट में जिस दिन तय हुआ था और ये कुछ गिफ्ट तुम्हारे फैमिली के लिए और हा बस आज के बाद ऐसे काम मत करना। (मारिया को एक बैग देते हुए कहता है)
मारिया:- (पहले हा में सर हिलाती है फिर कहती है) कौन स मैं हमेशा ये काम करती हु बस एक ही तो बार कर रही हु वो भी तेरे कहने पर। चल अब तू भी निकल जल्दी मुझे भी ये सब साफ करके निकलना है।
वो बंदा हा मे सिर हिलाके जयराज को अपने कंधे मे लटका के खिड़की के थ्रू बाहर निकल कर अपनी कार से निकल जाता है।
मारिया भी वहा से सब साफ करके निकल जाती है।
अंधेरी रात में एक बंद कारखाने का सीन
पूरे कमरे हल्की हल्की रोशनी फैली हुई होती है और जयराज खुर्सी में बंधा होता है। जयराज को हल्का हल्का होश आता है तो वो आस पास को देखते हुए सोचता है की ये मैं कहाँ आ गया वो अपने हाथ पैर को हिलाने की कोशिश करता है पर वो उसमे भी नाकामयाब रहता है क्योंकि वो पूरी तरह से बंधा हुआ होता है। वो आवाज लगाने के लिए अपना मुंह खोलने की कोशिश करता है पर ये क्या वो भी बंधा हुआ होता है।
जयराज(अपने आप से मन में):- ये मैं कहा आ गया? कौन लाया मुझे? मुझे तो आज कंटेनर की डिलीवरी लेना था? (जैसे जैसे कई बात उसके दिमाग में घूम रहे होते है)
उसकी सोच की गति तब रुकती है जब उसे किसी के आने का अहसास होता है तो वो सामने देखता है। उसे एक साया जैसा कुछ दिखता है और वो साया उसके सामने आके उसके पास थोड़ी दूर में रखी कुर्सी पर बैठ जाता है। उस जगह पर उतनी पर्याप्त लाइट नहीं होती जिससे की वो उसे अच्छे से देख पाए। जयराज अपने आप में ही सोच रहा होता है की ये कौन है और मुझे क्यों लाया है यहा?
सामने वाला बंदा:- चल तेरी कुछ मदद कर देता हु तू सोच रहा होगा के मैं तुझे यहां क्यों लाया हु है ना।
(कुछ देर रुक कर) अबे बोल ना (ये बोलके उसके हाथ में चाकू से एक वार कर देता है)
(फिर खुद ही) अरे.. रेरेरे.... माई फॉल्ट तेरा तो मुंह ही बंद है तो तु कैसे बोलेगा।
ये बोलके वो जयराज का मुंह खोल देता है तो उसके मुंह से एक दर्द भरी कराह निकल जाती है।
जयराज(दर्द में):- तू.....तू है कौन औ....और मुझे यह क्यों लाया है। तू..तू जानता नहीं मैं कौन हूं।
वो बंदा:- अच्छा तो मुन्ना को मेरा नाम जानना है तो चल तेरी ये ख्वाहिश पूरी कर देता हु मेरा नाम.........(थोड़ा रुक कर) च... च... च.. तू आखिर जान कर क्या करेगा तू तो मरने वाला है और फिकर मत कर तेरे दोस्तों को भी बहुत जल्द तेरे पास भेजूंगा।
फिर वो बंदा जयराज के मुंह को बंद कर देता है और वो अपने साथ एक मशीन लाया होता है जिसमें से आग की चिंगारी जैसे कुछ द्रव्य पदार्थ निकलता है जो की किसी भी चीज को काटने में सक्षम है। (ये सिर्फ ऐसे ही ली गई है अगर ऐसी कोई चीज है तो उसका नाम नई पता मेरे को अगर नही है तो मान लीजिएगा 😉😉)
वो बंदा(अपना काम करते हुए कहता है):- वैसे कहा जाता है की अगर किसी मारने वाले इंसान की आखिरी ख्वाइश पूरी की जाए तो पुण्य मिलता है। है ना............... पर अभी मेरा मन नहीं है कोई पुण्य उन्य कमाने का सोरी बॉस तो जान नही पाएगा के आखिर तुझे किसने मारा और क्यों..................
फिर वो बंदा ये सब बात करके उस मशीन को चालू करता है और उसके उसमें से बहुत ही ज्यादा तेज और गर्म चिंगारी या फिर कहा जाए तो एक पतली रेखा जैसी कोई चीज निकल रही होती है उसकी वजह से आस पास रोशनी और बढ़ जाती है जिसकी वजह से जयराज को उसका चेहरा देखने को मिल जाता है। उस बन्दे ने अपने फेस को मास्क से कवर किया होता है, उसकी आंखें एक दम लाल हो रखी होती है जैसे एक दम कलर वाली लाल मिर्च। उसकी आंखों का कलर हल्की भूरी और काली होती है। माथे पे उसके बाल यह वहा बिखरे हुए होते है जो की पसीने की वजह से चिपक भी गए होते है। वो उस मशीन को लेके उसकी तरफ बढ़ता है तो जयराज छटपटाने लगी है पर वो नाकामयाब ही होता है इसमें।
वो बंदा एक पल में ही वो मशीन उसके दिल के सामने कर देता है और पल भर में ही वो उसके शरीर के आर पार हो जाता है। जयराज का मुंह बंद होने की वजह से उसकी घुटी हुई सी चीख वही निकल जाती है और वो पल भर में अपनी जान से हाथ खो देता है। वो बंदा उसके बेजान शरीर के ऊपर मिट्टी तेल डालकर उसको "स्वाहा" कहते हुए जला देता है और वह से सब सामान साफ करके निकल जाता है।
(ये था अपने हीरो और उसके बदले की हल्की सी झलक हा मानता हु उतनी दमदार नही हुई पर का करो आइसेनेच आइस मोला लिखे ता लिख देहेन।)
वही दूसरी तरफ भवानी के पास ये खबर पहुंच जाती है की उसका कंटेनर पुलिस के हाथो आ चुका है और उसमे रखी सभी लड़कियां सुरक्षित रेस्क्यू की जा चुकी है। साथ में उसका भाई भी मिसिंग है। गुस्से में भवानी अपने फोन को फेक देता है और अपने सिर को पकड़ के जोर से चीख पड़ता है।
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{कर्ण बाबा श्रेया का परिचय}
अगले दिन
जगह:- इंटरनेशनल हवाई अड्डा (मानपुर)
(वैसे ये न एक काल्पनिक जगह है इसको बेकार में सर्च करके अपना टाइम खराब न करिएगा। वैसे ये जगह हा मानपुर अपने आप में ही एक संपन्न शहर है जस्ट लाइक मुंबई (मान लो😉) )
वहा के एयरपोर्ट पे एक लड़की अपने पापा के साथ किसी का बेसब्री से इंतजार कर रही होती है और अपने हाथ में रखी घड़ी को बार देख रही होती है।
[वैसे बात करे उस लड़की की तो वो जींस शर्ट पहने और साथ में उसकी मासूम सी शक्ल हा कभी कभी अगर मन हो तो सलवार सूट भी पहन लेती थी उम्र 23-24 के आस पास होगी। और जो दूसरा इंसान है उसकी बात करे तो वो थे यह के टॉप बिजनेसमैन में से एक मि. एके. सिंघानिया उम्र 40 अपने बिजनेस मैन अवतार में थे। और जो लड़की थी वो थी इनकी बेटी श्रेया।]
श्रेया:- पापा फ्लाइट को तो लैंड हुए कितना टाइम हो गया अभी तक आए क्यों नहीं वो.......(फिर बेचैनी से सामने देखने लगती है)
बाबा (मि. एके. सिंघानिया इनको हम बाबा ही बोलेंगे):- अरे सबर कर अभी आए हुए कितना टाइम हुआ है हमे बस 10 मिनट।
श्रेया उनको घूर के देखती है तो बाबा उसको एक तरफ देखने के लिए इशारा कर देते है। श्रेया उस ओर देखती है तो वहा एक 26-27 साल का लड़का सूट पहने हल्की दाढ़ी और मूंछ के साथ आंख हल्की भूरी और काली अपना बैग लिए चल कर आ रहा होता है उसने एक हाथ में अपना चस्मा भी पकड़ा होता है और एक हाथ में बाग को खींचते हुए ला रहा होता है। उसको देख के श्रेया चीखते हुए उसके तरफ भागती है सीधे उसके गले लग के रोने लगती है।
(हा तो प्रिय पाठक गण आप सब समझ होंगे के ये महाशय है कौन हा जी ये है अपने हीरो "कर्ण सिंघानिया")
कर्ण सिघानियां(हल्के से हस्ते हुए):- हे... हे..तू तो रोने लगी यार सिर्फ एक हफ्ते के लिए ही तो गया था मैं।
श्रेया:- हां तो आपको भी तो पता है की भाई मैं आपसे एक पल के लिए भी अलग नही रह सकती फिर तो ये एक हफ्ते की बात थी।
कर्ण(श्रेया के सिर को सहलाते हुए):- तू भी न यार चल बाबा इंतजार कर रहे वहा वो देख।
फिर श्रेया अपने आशु को पोछती है और कर्ण के बैग को पकड़ते हुए ले जाती है। कर्ण बाबा के पास पहुंच कर उनके पैर छूते हुए।
कर्ण:- प्रणाम बाबा। (हमर छतीसगढ़ी मा कहे तो पाव परत हव का बबा 👍😀)
बाबा(कर्ण को गले से लगाते हुए,m):- जीते रही मेरे बेटे और हमेशा ऐसे ही खुश रहो।
फिर तीनों ऐसे ही यह वहा की बात करते हुए अपनी गाड़ी तक आ जाते है और वहा से अपने घर(सिंघानिया मैनसन) की ओर निकल पड़ते है।
गाड़ी में
कर्ण और श्रेया एक साथ पीछे और बाबा आगे ड्राइवर के साथ बैठे हुए होते है। श्रेया कर्ण के बाह को पकड़ कर उसके कंधे पर सिर रख के बैठी हुई होती है।
कर्ण:- वैसे बाबा आज न एक मेंबर मिसिंग था वो कहां है।
बाबा कुछ बोलते उससे पहले ही श्रेया बोल पड़ती है।
श्रेया:- आप ही लोगो ने उन्हें काम में बिजी कर रखा है और खुद ही पूछ रहे है की कोई तो मिसिंग है।
श्रेया अचानक से ये बोल पड़ती है फिर ये बोल के तीनों की तरफ देखती है जो अपनी हसी कंट्रोल कर रहे होते है तो अपने हाथ से ही अपने चेहरे को छुपा लेती है। सभी जो अभी तक अपनी हसी कंट्रोल कर रहे होते है वो हस पड़ते है।
श्रेया:- क्या काका अब आप भी हस रहे है हम पे।
काका(ड्राइवर):- अब का करे बिटिया आप बात ही ऐसे करी है।
श्रेया भी हस के शर्मा कर कर्ण के गले लग जाती है।
कर्ण:- लगता है बाबा अपनी छोटी की जल्दी से जल्दी शादी का देनी चाहिए किसी को ये जुदाई सही नही जा रही।
बाबा भी हा में सिर हिला कर इस बात का समर्थन दे देते है। ऐसे ही हसी मजाक करते हुए सब अपने घर पहुंच जाते है।
"सिंघानिया मैंशन"
एक दम राजा महाराजाओं जैसा एक विशाल और एक दम ऑसम वाला मैंशन होता है सभी जरूरी चीज़ों से लेस।
दरवाजे पर कर्ण को रोककर एक ओल्ड एज की औरत(मान लिया जाय"अम्मा" हा अब इनको अम्मा ही कहेंगे) आरती लेने की तैयारी कर रही होती है कर्ण भी श्रेया को अपनी तरफ खीच कर खड़ा कर देती है। अम्मा दोनो को आरती करती है और बारी बारी दोनों भाई बहनों की नजर उतारती है फिर अंदर आने को कहती है, कर्ण अम्मा के पाव छू कर आशीर्वाद लेके अंदर आ जाता है अम्मा भी उनको आशीर्वाद देके किचेन में पानी लेने चली जाती है।
कर्ण अंदर आकर सबसे कह कर अपने रूम में चला जाता है फ्रेश होने।
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कर्ण का कमरा
कर्ण का कमरा बहुत ही सुंदर लग रहा होता है। कर्ण के कमरे का रंग आसमानी ब्लू में होता है जो की उस कमरे को सुंदरता में चार चांद लगा रहा होता है। अपने रूम में आकर कर्ण सीधे आईने के पास जाता है और अपने कोट और टाई को निकालते हुए सीधे आईने में खुद को देखता है:-
कर्ण(आईने में देखते हुए खुद को):- आज खुश तो बहुत होंगे न तुम अपनी तलाश में एक पायदान ऊपर जो पहुंच चुके हो न (थोड़ी देर रुकता है और फिर हल्के से हस्ते हुए) आज कुछ हल्का सा सुकून मिल रहा है मुझे।
फिर वो टाई और अपने कोट को वही अपने बेड पे रख कर अपने कमरे में बने स्टडी रूम में जाता है। स्टडी रूम में जाके कर्ण बुक रैक के पास जाके एक बुक को अंदर की तरफ प्रेस करता है तो बगल में एक सीक्रेट रूम का दरवाजा खुलता है। कर्ण उस रूम के अंदर जाता है और वहा के लाइट को चालू करता है तो वहा पर भवानी समेत उसके सभी साथी की पिक्स लगी हुई होती है। वहा पे जाके कर्ण जयराज के पिक पे कट का निशान लगा देता है।
कर्ण(गुस्से में सभी फोटोस को देखते हुए):- तुम सब की बरबादी ही मेरा लक्ष्य है तभी मुझे सुकून मिलेगा।
फिर वो उस रूम को बंद करके अपने रूम में वापस आ जाता है और फ्रेश होके वो कुछ कुछ करता है फिर वहा से निकल कर अपने रूम में आके फ्रेश होकर नीचे चला जाता है।
नीचे हॉल में
नीचे हॉल में सभी बैठे हुए होते है तो वो भी उनके पास बैठ कर उनसे बात करने लग जाता है। तभी एक लड़का एक बुक लाके कर्ण के सामने कर देता है।
वो लड़का :- वेलकम बैक सर।
कर्ण:- अरे अब आप भी हमे सर बोलेंगे (फिर श्रेया को तरफ देखते हुए) देखिए भाई आप हमे तो ये सर वर मत बोलिए क्योंकि यह कोई है जो बाद में हमे कहती है के कोई उनको बहुत काम करवाते है।
वो लड़का बस हल्का सा हस कर रह जाता है।
श्रेया(हल्के से गुस्से से देखते हुए):- क्या भाई आप भी शुरू हो गए पापा और अम्मा क्या कम थे जो आप भी शुरू हो गए।
वो लड़का (कबीर) अभी भी हल्का हल्का मुस्कुरा के सभी को देख रहा होता है।
कर्ण:- अरे हमारे पीछे कौन हमारी बहन को तंग करता था भाई जरा हमे भी तो बताए (कबीर की तरफ देखते हुए) अरे जमाई बाबू आप बैठिए न खड़े किस लिए है और ये सर वर मत बोला करिए हमको अच्छा नही लगता हमारी गुडिया की ही तरह आप हमे भैया बोला करिए ऐसे घर में बाकी तो ऑफिस में ये सब चलता रहता है।
कबीर :- जी भैया।
कबीर ये बोल कर बाबा और अम्मा का आशीर्वाद लेके सोफे पे सब के साथ बैठ कर बाते करने लग जाता है। ऐसे ही सभी बातें करते रहते है फिर डिनर करने के लिए डाइनिंग टेबल पर चले जाते है एयर सभी डिनर करके चले जाते है।
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अगले दिन सुबह
श्रेया सुबह से ही पूरे घर को अपने सिर पर उठा के रखी होती है क्योंकि बात ये होती की वो अपने कॉलेज कर्ण के साथ जाना चाहती थी पर कर्ण माना कर रहा होता है आखिर कार कर्ण को हार माननी ही पड़ती है।
कर्ण तैयार होकर श्रेया का इंतजार कर रहा होता है आज कर्ण अपने नॉर्मल ड्रेस में होता है। जस्ट लाइक ब्लैक जींस व्हाइट टीशर्ट ऊपर के डेनिम जैकेट साथ में एक स्टाइलिश चस्मा कूल मिला कर बहुत ही हैंडसम लग रहा होता है। दरहसल वो ना सिर्फ आज इस शहर को घूमने के लिए निकला होता है तो रास्ते में वो श्रेया को उसके कॉलेज छोड़ते हुए निकल जाता है।
इसी तरह पूरा दिन ऐसे ही निकल जाता है और रात को भी थोड़ी बहुत बात करके सभी अपने अपने रूम मे सोने के लिए निकल जाते है।
कर्ण भी अपने रूम में सोने आ जाता है और दिन भर के थकान की वजह से जल्दी सो जाता है। आधी रात को कर्ण सपने में देखता है की कुछ लोग उनको दौड़ा रहे होते है (जो पिछले भाग में बताया गया वो सीन्स एक के बाद एक उसके आंखों के सामने चलने लगते है और फिर वही मारने वाला सीन देख के वो सपने में ही चिल्ला पड़ता है।)
मां...........................
कर्ण की आवाज इतनी तेज और दर्द भरी होती है की उसकी आवाज बाबा और श्रेया के रूम तक साफ पहुंच सुनाई पड़ती है। बाबा,श्रेया और अम्मा सभी कर्ण की रूम की तरफ दौड़ पड़ते है वहा पहुंच कर वो लोग देखते है की कर्ण अपने बेड के एक किनारे पे डर कर खुद में सिमट कर बैठा हुआ होता है वो अपने सिर को अपने दोनों घुटनों के बीच में छुपा के बैठा होता है।
श्रेया दौड़ कर कर्ण के पास जाकर बैठ जाती है श्रेया को अपने पास देख के वो उसके गले लग कर रोनें लगता है बाबा और अम्मा भी उसके आस पास बैठ जाते है। चारों के ही आंखों से आंसु गिर रहे होते है पर उनमें से ज्यादा कर्ण ही रो रहा होता है। श्रेया कर्ण के सिर को अपने गोद में रखके उसके सर को सहलाने लगती है कर्ण भी उसके मातृत्व के अहसास को पा के धीरे धीरे अपनी गहरी नींद में चला जाता है।
कर्ण सो चुका होता है पर इसके चेहरे पे आंसुओ के निशान और चेहरे पर दर्द साफ देखा जा सकता है।
श्रेया (कर्ण को देखके इमोशनल होते हुए):- इनकी जिंदगी में सुकून कब आएगा पापा।
बाबा (श्रेया को गले लगाते हुए):- जल्दी ही आयेगा बेटा।
फिर सभी भी अपने अपने रूम में सोने चले जाते है पर बाबा वही कर्ण के साथ सो जाते है।
क्रमश:
मिलते है अगले पार्ट में
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[इसका अगला पार्ट जल्दी ही आ सकता है या फिर मेरी पहली स्टोरी खत्म होने के बाद क्योंकि वो स्टोरी ज्यादा लंबी होगी नही यही कोई होगी दो ढाई घंटे के आस पास और मेरे ख्याल से उसका शायद डेढ़ घंटे के करीब की कहानी पूरी हो ही चुकी है तब तक लिए एंजॉय कीजिए इस भाग को और "आपकी नजरों ने समझा स्टोरी का अगला पार्ट बहुत जल्द आ जायेगा आप सब के सामने]
गाना जो यूज किया गया है:-
Song - Gali Gali
Singer – Neha Kakkar
Music – Tanishk Bagchi
Lyrics – Rashmi Virag
Star – Yash, Srinidhi Shetty
Director – Prashanth Neel
Label – T-Series
[वैसे अभी तक न जाने कितनी ही कहानियां पढ़ चुका हु और पढ़ ही रहा हु अगर किसी को भी ये कहानी किसी कहानी की कॉपी लगे तो संपर्क करें।]