Hame tumse pyar kitna.. - 13 in Hindi Fiction Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | हमे तुमसे प्यार कितना... - 13

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हमे तुमसे प्यार कितना... - 13

विराज, गुप्ता जी की बात सुन कर, तुरंत पलट गया और अब वो उन्हे घूरने लगा।
गुप्ता जी घबराकर एक कदम पीछे हो गए।

यह देख कर विराज ने अपने कदम आगे बढ़ा लिए फिर गुप्ता जी के नज़दीक जाके उसने कहा "यही तो आपके रहते हुए भी ऐसा हुआ"

सर....मैने कुछ नही किया। गुप्ता जी ने घबराहट में ही कहा।
"सही कहा! कुछ भी नही किया आपने" विराज ने गुस्से भरी नज़रों से उन्हे घूरा।
कुछ पल रुक कर आगे कहा अगर किया होता तो दादाजी की बनाई इस कंपनी की ये हालत नही हुई होती।
आप पर भरोसा किया था डैड ने की पूरी ईमानदारी से ये कंपनी चलाएंगे....

सर मैंने कभी कोई बैमानी नही किया। अपनी जिंदगी के बाइस साल दिए हैं इस कंपनी को। और पूरी निष्ठा और ईमानदारी से ही अपना काम किया है। गुप्ता जी ने आत्मविश्वास से कहा।

आपको सफाई देने की जरूरत नहीं में ये बात जनता हूं लेकिन आपके रहते हुए बैमानी तो हुई है। विराज अब साइड में रखे सोफे पर पैर पर पैर चढ़ा कर बैठ गया था।

गुप्ता जी की नज़रे नीची हो गई वोह वहीं खड़े रहे उन्होंने कुछ नही कहा।




______________________

एक हफ्ते बाद


मां....मुझे देर हो रही है।

बेटा रुक जा तेरा टिफिन पैक करना है बस।

मां रहने दीजिए आज एक बहुत जरूरी मीटिंग है में लेट नही हो सकती वहीं कुछ खा लूंगी आप चिंता मत कीजिए।

बेटा तो खाके तोह चली जा। मेघना जी, मायरा के पास आते हुए बोली।

नही मां सच में लेट हो जायेगा।

"अरे रहने दीजिए ना मेघना जी, आप के ज़िद्द की वजह से बच्ची लेट हो जायेगी, खा लेगी बाहर आज, रोज़ तो लेही जाती है।" मायरा के पिता शेखर जी अपनी पत्नी मेघना के पास आते हुए बोले।

"थैंक्यू पापा, आई लव यू" मायरा ने अपने पापा के गाल पर किस करते हुए कहा।

मेघना की भौएं उचक गई, वोह घूर घूर कर दोनो बाप बेटी को देखने लगीं।

"आई लव यू टू मां" मायरा ने अपनी मां के भी गाल पर किस करते हुए कहा।

तभी पीछे से कायरा और रिंकू आ गए। तीनों ने बाए कह कर आपने अपने गंतव्य स्थान के लिए निकल गए।

"आप को देरी नही हो रही, अभी तक तैयार नहीं हुए" मेघना जी ने अपने दोनो हाथों की कमर पर रख कर इतराते हुए कहा।

"अजी हम सोच रहे थे की बच्चे अब बड़े हो गए हैं और अब तो मायरा कायरा नौकरी करने लगीं हैं रिंकू भी अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई में बिज़ी हो गया है", तो......

तो क्या...?

तो आप सारा दिन घर पर अकेली रहती हैं बोर हो जाती होंगी।

नही....में बोर नहीं होती मुझे बहुत काम रहता है। लेकिन आज आपको मेरी इतनी चिंता कैसे होने लगी।

वोही तो में कह रहा था काम कर कर के थक जाती होंगी क्यों ना आज में छुट्टी ले लूं और आपके साथ वक्त बिताऊं। शेखर जी ने बड़े प्यार से अपनी धर्मपत्नी मेघना जी के दोनो हाथों को अपने हाथ में ले लिया था।

मेघना जी को भी उनकी बात समझते देर नहीं लगी।
जी...नही...जाइए आप तैयार हो जाइए और ऑफिस जाइए। छुट्टी के बहाने सारा दिन मुझसे चाय बनवाते रहेंगे और अलग अलग खाने की फरमाइश करते रहेंगे।

अरे! सुनिए तो में कह रहा था....आज कहीं बाहर चलते हैं सिर्फ हम दोनो हाथ में हाथ डाल कर घूमेंगे जैसे नई नई शादी के बाद जाया करते थे, पुरानी यादें ताजा करेंगे।

धत! भूलिए मत तीन तीन बच्चों के बाप हैं आप वोह भी जवान बच्चों के, कोई कहे गा बुढ़ापे में बूढ़ा बूढ़ी इश्क लड़ा रहें हैं।

कम से कम अपने आप को तो बूढ़ा मत कहिए, मेरी नज़रों से देखिए कितनी खूबसूरत हैं आप। शेखर जी ने अपनी पत्नी के माथे पर अपने प्यार की एक निशानी छोड़ दी थी उनके ललाट को चूम के।💞😚🤫

मेघना जी शर्मा के अंदर किचन की तरफ चली गई थी।

और बेचारे महेश जी मुस्कुराते हुए तेज़ आवाज़ में बोले चाय बना के लेते आइए गा कुछ जरूरी बात भी करनी है जल्दी आइए गा।

"जब देखो इन्हे चाय पिलवालो...इसके अलावा कुछ सूझता ही नही" मेघना जी ने यह सुनकर मुंह बनाया फिर बड़बड़ करती हुई चली गईं।

मायरा स्कूटी पर बैठी ऑफिस जाने के लिए निकल चुकी थी लेकिन रास्ते में ही उसकी स्कूटी का टायर पंचर हो गया अब वो परेशान हो गई उसे देर हो रही थी " इसे भी अभी ही धोखा देना था"

वोह आसपास ऑटो या टैक्सी देखने लगी।
तभी एक चमचमाती हुई काली रंग की गाड़ी आ कर रुकी। गाड़ी को देख कर लग रहा था की बहुत महंगी होगी।

गाड़ी में बैठा ड्राइवर तुरंत ही बाहर आया उसने पूछा क्या हुआ है मैम कोई प्राब्लम है क्या आप ऐसे क्यों खड़ी है?

मायरा को समझ नही आया की वोह कौन है और ऐसे क्यों पूछ रहा है "मैने तो किसी से लिफ्ट भी नही मांगी थी" "फिर ये मेरी मदद के लिए क्यों रुके" उसने मन में ही सोचा।

वोह अभी चुपचाप खड़ी ही थी उसने अभी तक कोई जवाब भी नही दिया था। वोह अपनी सोच में ही गुम थी उसने बोलने के लिए जैसे ही मुंह खोला तभी गाड़ी की बैक सीट का दरवाज़ा खुला। और उसका ध्यान उसी ओर चला गया की कौन है जिसने उसे बीच सड़क पर अकेला देख कर मदद करने के लिए गाड़ी रोकी।

गाड़ी का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आते ही ड्राइवर तुरंत उस ओर चला गया और दरवाज़ा खोलने लगा एक लंबा चौड़ा आदमी रौबदार शख्सियत के साथ बाहर निकला।

"हम्मम! तुम्हारी और मेरी मुलाकात ऐसे बीच सड़क पर ही क्यों होती है?"

मायरा पहचान चुकी थी ये कोई और नही वोह खड़ूस आदमी है। मायरा उसे देख रही थी वो कुछ नही बोली। और विराज उसकी तरफ बढ़ रहा था।

विराज की नज़र स्कूटी के टायर पर पड़ी जो पंक्चर था। विराज ने ड्राइवर को स्कूटी ठीक कराने को कहा और अपनी गाड़ी की चाबी उससे ले ली।

नही!....में ठीक हूं मुझे मदद की जरूरत नहीं, आप जाइए। मायरा ने ड्राइवर को रोक दिया।

विराज को उसकी ना करना पसंद नहीं आया। उसने फिर ड्राइवर को इशारा किया और फिर मायरा की तरफ देख कर कहा, "खा नही जाऊंगा तुम्हे और तुम्हारा स्कूटर भी सही सलामत तुम्हारे ऑफिस पहुंच जाएगा, चलो तुम्हे ऑफिस छोड़ दूं।"

"नही मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना, में ऑटो ले लूंगी"
मायरा ने विराज से कहा फिर पलट कर विराज के ड्राइवर को देखने लगी जो उसके स्कूटी को साइड में लगा रहा था। मायरा ने देखा और अपनी स्कूटी की तरफ कदम बढ़ाया ही था की अचानक किसी ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे जाने से रोक दिया।

"ये क्या बत्तमीजी है" मायरा ने झल्लाते हुए कहा।

"गाड़ी इधर है तुम वहां कहां जा रही हो"

"मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना"

"मैने पूछा नही है, गाड़ी में बैठो"

"अजीब जबरदस्ती है में तुम्हे जानती नही पहचानती नही ऐसे कैसे बैठ जाऊं। में बस अपनी और अपने परिवार की सुनती हूं तुम्हारी क्यों सुनूं।" मायरा को गुस्सा आने लगा था।

विराज ने उसकी कलाई छोड़ दी।

क्योंकि मायरा को जल्दी ऑफिस पहुंचना था उसे देर हो रही थी इसलिए उसने तुरंत वहां से निकलने में भलाई समझी मन तो था उसका खरी खोटी सुनाने का लेकिन फिर जल्दी से ऑटो रुकवाया और उसमे बैठ कर चली गई।

विराज उसे जाते हुए देखता रहा फिर गाड़ी स्टार्ट कर वोह भी निकल गया। रास्ते में गाड़ी चलाते वक्त उसके दिमाग बहुत सारी बातें घूमने लगी। सच में कोई भी शरीफ और समझदार लड़की की किसी की गाड़ी में क्यों बैठेगी वोह भी किसी अजनबी की। वोह एक अजनबी ही तो है और पहली मुलाकात के बाद तो वो नफरत करती होगी। पर में यहां उसके लिए रुका ही क्यों? विराज को उसकी कलाई पकड़ना और उसका छुड़वाने के लिए कोशिश करना याद आ गया। विराज का जबदस्ती करना और उसका आंखों में देख कर बिना डरे बात करना सब उसकी आंखों के सामने घूम ही रहे थे। की तभी उसका फोन बजने लगा उसने फोन स्पीकर पर किया।

हैलो! विराज के फोन स्पीकर करते ही कहा।

हैलो लैला...! सामने से किसी ने कहा।

सुनते ही विराज के एक्सप्रेशन गहरा गए।











कहानी अभी जारी है...



धन्यवाद🙏