Fruit of Honesty - 2 in Hindi Fiction Stories by shama parveen books and stories PDF | ईमानदारी का फल - 2

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ईमानदारी का फल - 2

फिर मनोहर ने उस सेठ का सामान उठाया और उसकी दुकान में रख दिया। और फ़िर सेठ ने मनोहर को कुछ पैसे दिए और पूछा की तुम क्या करते हो। तो मनोहर ने बताया की सेठ जी में बहुत ही गरीब इंसान हु। में खेतो में काम करता था मगर अब मुझे कोई भी काम नही देता । जिसकी वजह से में अभी बेरोजगार हु । और कितने दिनों से मेरे बीवी और बच्चे भूखे है ।
तब सेठ ने कहा की तुम मेरी दुकान में काम क्यू नही कर लेते । क्युकी मुझे तुम्हारे जैसे ही किसी ईमानदार इंसान की जरूरत है जो मेरी दुकान को संभाल ले क्युकी में काम के सिलसिले में मुझे शहर जाना पड़ता है तब मेरी दुकान में कोई भी मेरे विश्वाश का इंसान नही रहता।
तब सेठ ने कहा क्या तुम मेरी दुकान में काम करोगे। में तुम्हे हर महीने में पेसे दूंगा। मगर तुम्हे पूरी ईमानदारी के साथ काम करना होगा।बिना किसी बेईमानी के।
तब मनोहर भी खुश हो गया और उसने काम के लिए हामी भर दी। और खुशी खुशी घर गया। घर जाकर क्या देखता है की उसकी बीवी रो रही थी। और अपने बेटे को पानी पिला रही थीं। तब मनोहर ने पूछा की क्या हुआ तब उसकी बीवी ने बताया की आज सुबह से कुछ खाना ना खाने की वजह से आज मेरा बेटा चक्कर खा के गिर गया। और तब से उस की तबियत ही खराब है। तब मनोहर ने बोला की तुम परेशान मत हो आज मुझे कुछ पैसे मिले है । चलो में कुछ खाना बनाने के लिए लाता हु तब मनोहर अपने बड़े बेटे के साथ बाजार गया और कुछ घर के खाने का सामान ले आया तो फिर मनोहर की बीवी ने जल्दी जल्दी खाना बना लिया और फिर सबने मिल के खाना खा लिया। और खाना खाकर सभी बच्चे सो गए तब मनोहर ने अपनी बीवी को बताया की आज उसे एक सेठ मिला था जिसका उसने कुछ काम किया और फिर उसने मुझे पैसे दिए । और सेठ ने मुझे एक काम भी दिया है। ये सुन कर मनोहर की बीवी बहुत खुश हुई । और फिर वो दोनो भी सो गए।
फिर सुबह हुई और मनोहर उठा और उसने अपनी बीवी को भी उठाया और बोला की जल्दी जल्दी कुछ खाने का बना दो मुझे आज काम पर जाना है। फिर करुणा उठी और उसने जल्दी जल्दी खाना बनाया फिर मनोहर खाना खा के जल्दी चला गया क्युकी मनोहर का पहला दिन था इसलिए मनोहर बहुत खुश था।
अब मनोहर अपनी दुकान में पहुंच गया तो सेठ दुकान में पहले से ही था सेठ की परचून की दुकान थी जिसे की मनोहर को संभालनी थी सेठ ने मनोहर को दुकान का सारा काम समझा दिया और बोला की देखो मुझे सिर्फ ईमानदार लोग ही अच्छे लगते है इससे पहले भी मेने कई लोगो को दुकान पे रखा है मगर उन्होंने मेरे साथ धोखा किया तो मैने उन्हे निकाल दिया । देखो अगर तुम अच्छे से काम करोगे तो मे तुम्हे अच्छे से पैसे दूंगा और अगर तुमने मेरे साथ बेईमानी की तो मै तुम्हे भी निकाल दूंगा। ये सब समझा कर सेठ दूसरे काम के लिए निकल गया।