Noukrani ki Beti - 45 in Hindi Human Science by RACHNA ROY books and stories PDF | नौकरानी की बेटी - 45

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नौकरानी की बेटी - 45

अन्वेशा ने कहा अरे नानी चेतन भी आया है क्या हम कुछ देर तक बातें करते हैं और फिर जल्दी से खाना दो ।कृष्णा ने कहा हां चलो अब देते हैं।

फिर कुछ देर बाद अन्वेशा,चेतन और नानी मिल कर खाना खाने लगे।
चेतन ने कहा वाह नानी बहुत अच्छा।इसे भी सीखा देना।कृष्णा ने कहा हां ठीक है।चेतन ने कहा घर क्या खाली लग रहा है। मैं तो आनंदी मैम का आइडियल हुं!पर मुझे बहुत कुछ सीखना है और भी। अन्वेशा ने कहा हां वही बाकी है मां सिर्फ़ मेरी है हां मैं उनको किसी के साथ बांट नहीं सकती हुं हां।चेतन ने हंसते हुए कहा देखा नानी कितनी जल रही है शादी के बाद मेरी भी मां बन जाएंगी समझी। कृष्णा ने कहा अच्छा अब लड़ो मत दोनों ठीक से खाना खाओ वरना जब आनंदी को पता चलेगा तो नाराज़ हो जाएगी। अन्वेशा ने कहा हां इसको ही खिलाओ मैं तो डाइट में हुं।चेतन खुब हंसने लगा। अन्वेशा ने कहा हां हंसो और हंसो मैं जा रही हुं सोने।
फिर खाना खा कर चेतन जाने लगा और वो बोला कि बिलकुल बच्चों जैसी है। कुछ समझती नहीं। कृष्णा ने कहा हां बेटा बहुत ही जतन से पाला है आनंदी ने। उसके जीवन का आधार है ये।चेतन ने कहा हां नानी अगर किसी भी तरह की कोई जरूरत हो तो मुझे एक फोन किजिएगा। कृष्णा ने कहा हां बेटा जरूर। फिर चेतन चला गया।

आनंदी कनाडा पहुंच कर घर पर फोन करके बताया कि वो ठीक से पहुंच गई हैं।

आनंदी अपनी पुरी जिंदगी में एक ही कोशिश कि थी कि समर्पण एनजीओ को उस ऊंची बुलंदी पर ले जाना जिसके लिए ही वो कनाडा गई थी।
कनाडा में आनंदी ने एक होटल बुक करवाया । वहां जाकर फे्स् होने के बाद आनंदी नीचे खाना खाने पहुंच गई। वहां सभी आनंदी का इंतजार कर रहे थे। आनंदी सभी लोगों को अभिवादन करती है।
उधर घर पर जहां अन्वेशा ने कहा नानी आज घर कितना खाली सा हो गया है। कब आएगी मां।

कृष्णा ने कहा हां बेटा।
फिर खाना खा कर सो गए।
अन्वेशा को अब डाक्टरी का दूसरा साल हो गया था।
सुबह उठते ही अन्वेशा कालेज के लिए निकल गई।
फिर इसी तरह एक हफ्ते बीत गए और फिर आनंदी लौट आई।

कृष्णा ने कहा कैसा रहा आनंदी।
आनंदी ने कहा हां मां सब कुछ अच्छे से हो गया।
अब शायद कनाडा में भी अपना एक समर्पण एनजीओ खोलने की शुरुआत कर दी है।

अन्वेशा ने कहा वाह मां गुड जाबॅ।।
फिर इसी तरह आनंदी का अवकाश खत्म होने वाला था।

लंदन में देखते देखते चार साल बीत गए।

अन्वेशा की मेडिकल की पढ़ाई बहुत ही अच्छे से हो रहा था उसको गोल्ड मेडल मिला रहा था।


आनंदी ने कहा ये देखो अन्वेशा का एक साल और बचा है मेडिकल का।

आनंदी ने कहा क्या तुम वापस इंडिया जाओगी।?

अन्वेशा ने कहा हां मां पर एम डी करने के बाद।

आनंदी ने कहा हां बहुत अच्छा।

पर मेरी अवकाश समाप्त हो रही है।

कृष्णा ने कहा हां पर ये पढ़ाई पूरी करके ही जायेगी।

आनंदी ने कहा हां मां पर मेरे साथ तो रीतू दी थी पर वो भी यूरोप में जाकर सेट्ल हो गई।

मुझे अन्वेशा की चिंता रहेगी।


अन्वेशा ने कहा हां मां मुझे पता है।।

पर मैंने भी कुछ करने की सोच रही थी और फिर मैं तुम्हारी बेटी हुं।

आनंदी ने कहा हां मुझे विश्वास है तुम पर।

देखो बेटा एक बात कभी मत भुलना की जिंदगी में कभी भी किसी को तकलीफ़ में देखो तो उसकी सहायता करो।

दूसरों को भी ये शिक्षा देना की आप अगर किसी की सहायता करते है तो कोई और दूसरे का सहायता करेगा।

अन्वेशा ने कहा हां मां चेतन इसलिए आपका फैन हैं।
आनंदी हंसने लगे।।


क्रमशः