घटना नानी के गांव मानपुर की है।यह गांव उस समय बिहार के बहुत ही पिछड़े गांवों में से एक था।पहाड़ियों और जंगल से घिरा हुआ। इसे डाकुओं का इलाका भी कहा जाता था।नानी के पिता सात भाई थे सभी लठैत और दबंग थे।पूरे गाँव पर उनका दबदबा था।लोग तो ये भी कहते थे कि वे रात को डकैती का काम भी करते थे।सात भाइयों की सात बेटियां थी,पर कुल को आगे ले जाने वाला कोई बेटा न था।एक यही दुःख सातों भाइयों को सताता था।नानी के पिता सबसे ज्यादा दुःखी रहते थे क्योंकि भाइयों में सबसे बड़े वही थे।एक दिन उनकी कुंडली को देखकर एक पंडित ने डरते -डरते उनसे कहा कि अगर वे सारे बुरे काम छोड़कर पूजा -पाठ और पुत्रेष्ठि यज्ञ करें तो उनके यहां पुत्र जन्म सम्भव है।बहुत पूजा -पाठ करने के बाद नानी का एक भाई हुआ।परिवार ही नहीं पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गईं।
मानो गोकुल के कान्हा का जन्म हुआ है।नानी के भाई का नाम कान्हा ही रखा गया।छह महीने तक कान्हा हृष्ट -पुष्ट और नीरोग रहा पर उसके बाद सूखने लगा।झाड़ -फूंक और वैद्य की औषधि भी कुछ काम न आई और एक दिन वह चल बसा।पूरे गांव में रोना पीटना शुरू हो गया।कान्हा को जंगल के एक वीरान स्थान पर दफ़न कर दिया गया।
कुछ महीने गुजर गए।घर परिवार के लोग उस सदमें से उबर रहे थे कि अचानक नानी के पिता को एक ऐसी खबर मिली कि वे चौंक पड़े।उन्होंने अपने भाइयों के सिवा अन्य किसी को भी उस खबर के बारे में नहीं बताया।बात फैल जाने से उन्हें कोई कदम उठाने में परेशानी होती और शायद उनके मकसद में सफलता भी नहीं मिलती।
उन्हें खबर मिली थी कि उनके बेटे को किसी डायन ने तंत्र -मंत्र से मारा था।कान्हा की वह स्वाभाविक मौत नहीं थी।वह अब भी जिंदा है और पूरी तरह उस डायन के कब्जे में है।डायन रात के सन्नाटे में जंगल जाती है।तंत्र का दीपक जलाती है फिर कब्र से बच्चे को निकालती है ।उसे तेल मालिश करती है ।दूध पिलाती है और उसको खिलाती है,नाचती है।आधे घण्टे बाद वह दीपक बुझा देती है।दीपक के बुझते ही बच्चा मर जाता है।फिर वह उसे पहले की तरह मिट्टी से ढंक कर वापस चली जाती है। उस दीपक में ही बच्चे की जान है।अगर दीपक के जलते ही बच्चे को उठा लिया जाए तो बच्चा हमेशा के लिए जिंदा रह सकता है।
बड़ी ही अविश्वसनीय बात थी।पर प्रत्यक्षदर्शी ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह झूठ नहीं बोल रहा।एक दिन किसी कार्यवश वह आधी रात को जंगल की तरफ से गुजर रहा था तो एक जगह पर रोशनी देखकर छुप गया था और फिर पेड़ की आड़ से उसने यह सारा दृश्य देखा।वह बहुत डर गया था क्योंकि डायन पूरी तरह से नग्न होकर बच्चे के चारों तरफ नाचती है।उसके नृत्य को देखकर बच्चा किलकारी मारकर हँसता है। नाचते नाचते डायन थोड़ी दूर चली जाती है तब बच्चा रोने लगता है।उसके रोने की आवाज सुनकर डायन हँसती है और फिर उसके सामने आकर नाचने लगती है।उस आदमी की बात सुनकर नानी के पिता और उनके भाइयों ने एक योजना बनाई और अमावस्या की रात को उस योजना को अंजाम देने का फैसला किया।
अमावस्या की काली मध्य रात्रि को जब पूरा गांव गहरी नींद में था।काले लबादे में आठ लोग जंगल की तरफ जा रहे थे।उनके हाथ में रस्सी,बोरा ,कम्बल और हथियार थे।
जंगल में पहुंचकर वे लोग अतिरिक्त सावधान हो गए ताकि वह डायन न सावधान हो जाए।दबे पांव वे कब्र के स्थान के करीब पहुंच गए और दूरी बनाकर झाड़ियों के पीछे छिप गए। थोड़ी देर बाद ही उन्होंने डायन को आते देखा ।वह निश्चिंत थी कि मध्य रात्रि को जंगल की तरफ कोई नहीं आ सकता।सबसे पहले उसने कब्र से मिट्टी हटाई और बच्चे को निकाला।बच्चा मृतप्राय था पर बिल्कुल स्वस्थ और ताजा दिख रहा था।डायन ने एक कम्बल बिछाकर उसपर बच्चे को लिटा दिया और फिर अपने कपड़े उतारने लगी।उसके बाद उसने अपने झोले से एक विचित्र सा ताँबें का दीया निकाला ।उझमें तेल डाला बत्ती सजाई और मंत्र पढ़ते हुए उसे जला दिया।दिए के जलते ही बच्चा जी उठा और उसे देखकर हँसने लगा।डायन ने उसे गोद में उठाकर ऑयर किया और फिर उसे अपनी दोनों टांगों पर लिटाकर उसकी मालिश करने लगी।मालिश करने के बाद उसने बोतल में भरा दूध निकाला और बच्चे को पिलाने लगी।जल्द ही बच्चे ने पूरी बोतल खाली कर दी।अब डायन बच्चे के साथ खेल रही थी।फिर उसने बजने वाले पायल पहने और नाचना शुरू किया।छम -छम..छमा -छम ..छम.।नाचते- नाचते वह थोड़ी दूर तक चली जाती फिर बच्चे के रोने पर वापस आ जाती।
नाना और उनके भाई इस दृश्य को देखकर बड़ी मुश्किल से अपने क्रोध और डर पर कब्ज़ा किए हुए थे।
अब योजना पर काम करने का अवसर निकट था।इस बार ज्यों ही डायन बच्चे से दूर हुई चीते की फुर्ती से नाना और उनके भाई उस जगह पर पहुंच गए।एक नाना ने बच्चे को उठा लिया और उसे लेकर भागे दूसरे नाना ने दीए को इस तरह ढंक लिया कि डायन उसे बुझा न पाए।डायन घबराकर दिए कि तरफ लपकी ताकि उसे बुझाकर बच्चे को मार दे पर एक नाना के लाठी प्रहार ने उसे वहीं पर धराशाई कर दिया ।एक नाना ने बेसुध डायन को रस्सी से बांधकर बोरे में डाल दिया और बोर को घसीटते हुए गांव की तरफ ले चले।नन्हे कान्हा को जीवित देखकर पूरा गाँव हतप्रभ था।चारों तरफ खुशी की लहर दौड़ गई थी।
नानी के वे भाई पूरे 100 साल जीए।जब वे मरे तो उनके अपने सात बेटे थे।