एक दिन हमारी मुलाकात,-- एक अमेरिकन से हो गई ।
हम भारतीय सदा से विनम्र ,--नम्रता से पेश आए।
हाथ जोड़कर नमस्कार किया और हालचाल पूछने लगे।
पर अमेरिकन सदा से गर्वीला,-- अकड़ गया हमसे।
और अपने अग्नि -अस्त्र आदि की ,---देने लगा धमकी।
हमने सोचा--- यह सीधे मुॅह हाथ नहीं आएगा।
धमकी का जमाना है ,तो हमने भी दे डाली उसे धमकी ।
हमने कहा--- ए अमेरिकन!
तू अग्नि प्रक्षेपास्त्र की बात करता है?
क्या तू नहीं जानता? कि-- विश्व की सबसे पहली
फायर प्रूफ लेडी,-- भारत में ही बनी थी ।
नाम था---" होलिका "--उसमें आग नहीं लगती थी
इसीलिए फायर ब्रिगेड नहीं होती थी।
वह तो, हिरण्य कश्यप ने निर्दोष प्रहलाद को
आग में जलाने का षड्यंत्र रचा था।
इसीलिए भगवान ने शॉर्ट सर्किट कर दिया
और होलिका जल गई।
इतने पर भी,-- अमेरिकन को समझ नहीं आई।
उसने फिर से दादागिरी दिखाई।
हमने उसे फिर समझाया -'--ए अमेरिकन !
हमको तुम दादागिरी मत बताना।
क्या तुम नहीं जानते कि--- सबसे पहली दादागिरी
तो हमने ही चलाई ।
विश्व प्रसिद्ध दादा तो भारत में ही हुए थे
नाम था ---"शनि देव "
जिस पर भी दृष्टि डाल दें ,-‐-स्वाहा हो जाए।
मानव तो मानव ,---देवता भी उनका प्रभाव जानते हैं।
रे अमेरिकन !तेरी दादागिरी तो थोड़े समय की है।
शनि दादा के नाम से तो आज भी विश्व काँपता है।
और उन के एजेंट आज भी हफ्ता वसूली करने,
हर शनिवार को आते हैं ।
शनि दादा की बात सुनकर
अमेरिकन कुछ सकुचाया ।
पर वह फिर बोला---' तुम तो
न जाने किन किताबों की बात करते हो
हमारे कारनामों के चर्चे तो
विश्व के समाचारों में छाए पड़े हैं।
जैसे ही उसने समाचार की बात कही।
हमें भी एक बात याद आ गई
हमने कहा ---ए अमेरिकन !
कौन से समाचारों की बात करते हो?
सबसे बड़े समाचार दाता और विश्व के प्रथम पत्रकार
तो भारत में ही हुए थे ---नाम था --"नारद"।
बड़े निर्भय पत्रकार थे।
सच्चे संवाददाता थे।
आंखों देखी सत्य घटना की खबर सुनाते थे।
वे मानव दानव और देव किसी से नहीं घबराते थे।
निर्भय होकर तीनों लोकों में समाचार पहुंचाते थे।
और जब किसी लोक की,---" अति गोपनीय खबर "
उन्हें यदि सुनानी होती थी,
तो तुरंत ---"इंटरनेट "---का प्रयोग करते थे ।
और --"नारायण नारायण डॉट कॉम "--पर
तुरंत सारी खबर विष्णु भगवान को सुना देते थे ।
यदि समाचार देने की प्रेरणा ,नारद से न मिली होती
तो विश्व का कोई भी--'" समाचार पत्र ",
"रेडियो" और "इंटरनेट "--का आविष्कार ना हुआ होता।
आविष्कार की बात सुनकर अमेरिकन को ताव आ गया।
वह बोला ----तुम्हारे अविष्कार?
हमारे अविष्कार की बराबरी नहीं कर सकते।
उसकी चुनौतीपूर्ण बात सुनकर ,-'--हमें भी ताव आ गया।
हमने कहा ----ऐ अमेरिकन !
तुम कौन से? और कैसे अविष्कारों की बात करते हो?
आविष्कारों की दुनिया में हम तुमसे कहां पीछे हैं?
जरा हमें समझाओ।
वह बोला मेडिकल साइंस की दुनिया में
हमने सैकड़ों अविष्कार किए हैं।
"प्लास्टिक सर्जरी ","हार्ट सर्जरी ,"और न जाने कितनी
है कोई सर्जरी का आविष्कार तुम्हारी इंडिया में?
हमने फिर कहा ---ऐअमेरिकन!
हमसे? और सर्जरी की बात करते हो?
क्या तुम्हें नहीं मालूम कि---
विश्व की"--- पहली सर्जरी "--तो भारत में ही हुई थी।
और नहीं तो क्या?
गणेश की सिर की सर्जरी क्या तेरे बाप ने की थी?
इतना सुनते ही वह बौखलाया
और बोला--- हमने तो मानव का क्लोन बनाया
हमने कहा ---तुम फिर भ्रम में हो।
क्लोन का विचार भी सबसे पहले
श्री राम के मन में ही आया।
इसीलिए उन्होंने अपनी "असली सीता "को
अग्नि में प्रवेश कराकर
"सीता के क्लोन "--को रावण तक पहुंचाया।
क्लोन के इस मर्म को तो
श्री राम के भाई लक्ष्मण भी नहीं समझ पाए
तो फिर तुम कैसे समझोगे?
उसने कहा हमने टेस्ट ट्यूब बेबी का आविष्कार किया है ।
हमने कहा ---यह कौन सी नई बात है?
भारत में तो-'" टेस्ट और ट्यूब "--की जरूरत ही नहीं है।
यहां तो---" खंबे से "नृसिंह "---",घड़े से कुंभज "
"धरती से सीता "-'और -'--"कान से कर्ण"-- पैदा होते हैं।
यहाँ तो इतने चमत्कारिक अविष्कार हुए-हैं
जिन्हें तुम गिन भी नहीं पाओगे ।
समझना तो दूर की बात है।
इति