कहानी को समझने के लिए पिछले भाग अवश्य पढ़ें यह कहानी का भाग 7
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रेणुका और रवीना इस वक्त अपनी सीट पर बैठे हुए थे, रवीना की बाजू में आशीष बैठा हुआ था और रेणुका की तरफ अनिल और राजू,,, दोनों लड़कियों को इन तीनों लड़कों ने बीच में बैठा लिया था,,,
कुछ ही मिनट बाद हॉल के अंदर स्क्रीन का उजाला फैल गया था और उसमें हॉलीवुड की मूवी शुरू हो गई थी ,वहां अब फिल्म का ही शोर गूंजने लगा था,,,,
आशीष ,रवीना की हथेली को अपनी हथेली से पकड़ लेता है और थोड़ा मजबूती से दबाता है,,,,
रवीना, बेहद धीमे से उसके कान के पास आकर,"" क्या कर रहे हो मेरी उंगलियां तोड़ोगे क्या'',
आशीष अपनी आवाज में थोड़ी मदहोशी लाते हो,," इतने दिनों के बाद मिलने आई हो तुम्हें तो मेरी बिल्कुल भी परवाह नहीं रहती", और फिर हथेली को छोड़कर उसके कंधे के ऊपर से हाथ डाल लेता है और थोड़ा अपनी तरफ झुका लेता है,,,,,
रवीना थोड़ा धीमे पर तीखी आवाज में ,,"मेरी बहन बराबर में बैठी है बेवकूफ आराम से बैठो"',,
आशीष ,अपनी आवाज में नाराजगी लाते हुए ,,"तुम्हें भी क्या जरूरत थी इस गांव की गवार लड़की को अपने साथ लाने की ,पर चलो कोई बात नहीं अब ले आई हो तो "",और फिर अपने होठों को रवीना के कानों के पास ले आता है,,,,,
रवीना ,अपनी हथेली से उसके चेहरे को दूर कर देती है ""रहने दो,,,,"""
आशीष ,,"अच्छा ठीक है"", और फिर अपनी जेब में हाथ डालकर,," यह देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं"",,,
रवीना आशीष जी हथेली पर रखी चीज को अपनी उंगलियों से उठा लेती हैं,,"" यह क्या है"",
आशीष ,,""मेरी जान खास तुम्हारे लिए लेकर आया हूं इसे मुंह में रख लो तुम्हें ऐसा आनंद आ जाएगा जैसा आज तक किसी नशे में नहीं आया होगा ,,यह बहुत ही कीमती नशा है ,सिर्फ तुम्हारे लिए एक गोली ले कर आया हूं,,,""
रवीना के चेहरे पर अब नशे की गोली को देखकर एक अलग ही भाव आने लगे थे ,,उसका दिल नशा करने के लिए मचलने लगा था, पर दूसरे ही पल,,"" नहीं आशीष यहां यह सब ठीक नहीं हैं वैसे भी मेरे साथ अभी रेणुका है मैं उसके सामने यह नशा नहीं कर सकती ऊपर से नशा करने के बाद मैं रेणुका के साथ कैसे घूम फिर सकती हूं, पहले उसे भी हमें अपने जैसा बनाना होगा, "",,,,
आशीष ,,""अरे तो इसे अपने पर्स में रख लो बाद में ले लेना ,,अच्छा मेरे लिए क्या लाई हो तुम,,,"''
रवीना ,,"""तुम्हारे लिए मुझे क्या लाना था""",,,
आशीष चेहरे पर नाराजगी का भाव लाते हुए ,,"क्या कह रही हो यार तुम्हें मैंने कहा था ना मुझे पैसों की जरूरत है और तुमने कहा था कि मैं अरेंजमेंट कर दूंगी तो क्या हुआ,, लगता है अब तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो,,,""
रवीना उस नशे की गोली को पर्स में रखते हुए,,"अरे यार मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं ,,तुम बार-बार यह बात मत बोला करो अभी मुझे मौका नहीं मिला है पापा ने मुझे ज्यादा पैसे देने भी बंद कर दिए हैं, थोड़ा बहुत पैसा मां से निकलवा कर ले आती हूँ उसी से मेरा काम चल रहा है,,"""
आशीष ,अपनी आवाज में गुस्सा लाते हुवे,," तुम अपने मां-बाप की इकलौती बेटी हो तुम्हें किस बात का डर है एक ही बार में उनकी पूरी तिजोरी खाली कर दो फिर हम आराम से अपनी दुनिया बसाएंगे ,जहां तुम्हारे और मेरे अलावा कोई नहीं होगा,, वैसे भी बाद में तुम्हारे पिता की सारी संपत्ति तुम्हें ही मिलने वाली है अगर तुम पहले ही थोड़ा-बहुत ले लोगी तो क्या फर्क पड़ जाएगा,,,"""'
रवीना ,,"मैं भी यही सोच रही हूं पर अभी मौका नहीं मिल पा रहा है पापा ने घर में जो तिजोरी लगाई है उसका कोड वर्ड भी नया लगा दिया है,,"""
रेणुका ,,"अरे रवीना इस सीन को देखो कितना खतरनाक सीन है मुझे तो इसे देखकर हैरानी हो रही है,,""
रवीना ,अब एकदम से रेणुका की तरफ आ गई थी,," हां रेणुका'',,
आशीष ,,अब दोबारा से रवीना की हथेली को पकड़ लेता है और अपने होठों पर लगाकर चूमने लगता है ,अब रवीना उसे कुछ नहीं कह रही थी,,,,,
अब फिल्म में एक रोमांटिक सीन आने लगा था ,हीरो और हीरोइन पानी में काफी करीब दिखाए जा रहे थे,,,,,
रेणुका की तरफ बैठा अनिल तिरछी नजरों से रेणुका की तरफ देखता है और फिर धीरे से अपना हाथ उसकी हथेली पर रख देता है,,,,,
रेणुका ,यह देख कर अपना हाथ एक तरफ कर लेती है, और फिर अपना ध्यान सामने लगा लेती हैं,,,
अनिल ,,अब अपनी जेब में हाथ डालता है फिर एक प्लास्टिक की डब्बी बाहर निकालता है उसमें रखी पतली पिंन को सावधानी से अपनी अंगुलियों में दबा लेता है,, अब वह धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ाता है ,,और फिर उस पतली पिन को रेणुका की जांघ में एकदम से चुभा देता है ,,,और तेजी से अपना हाथ पीछे खींच लेता है,,,,,,,
रेणुका को ऐसा लगा जैसे किसी मच्छर ने एकदम से उसे काट हो ,,,अब वह उस जगह को मसलने लगी थी फिर उसे अपनी जांघ में एक सरसराहट का एहसास होने लगा था जो अब धीरे-धीरे तेजी से आगे बढ़ रहा था,,,
रेणुका दिल की गति बढ़ने लगी थी,,,""यह मुझे क्या हो रहा है शरीर में अजीब सी बेचैनी क्यों होने लगी है "",,और फिर वह रवीना का कंधा पकड़ लेती है ""चलो रवीना बाहर चलो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है,,""
रवीना ,,"क्यों क्या हुआ अभी तो तुम एकदम ठीक थी"",,,
पास बैठे अनिल के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी,," क्या हुआ रेणुका मैडम आप ठीक तो है ना"",,, और फिर उसके कंधे को एकदम से कसकर पकड़ लेता है,,,, और पुरुष स्पर्श का देने की कोशिश करता है,,,,
रेणुका अपने हाथ से उसका हाथ अपने कंधे पर से हटा देती है ,,,वह अपनी जगह से खड़ी हो जाती है,,"" चलो रवीना घर चलो मेरी तबीयत ठीक नहीं है""',,,,,
रवीना ,,"""ठीक है चलो "",,और अपनी सीट से खड़ी हो जाती है,,,
आशीष ,," क्या हुआ बैठो रवीना, इतनी अच्छी फिल्म चल रही है हम इतने दिनों के बाद आये हैं और तुम ऐसे खड़ी हो रही हो जाने के लिए "",,और उसका हाथ पकड़ कर वापस सीट पर बैठा देता है,,,,,,
अनिल ,,""अरे रवीना जी आप फिकर मत कीजिए आप दोनों आराम से फिल्म देखिए ,हम रेणुका मैडम को घर छोड़ कर आ जाते हैं चलिए रेणुका मैडम,,,,,""""
रेणुका, जिसे अपने पूरे बदन पर कांटे चुभने का एहसास होने लगा था, उसकी आंखें भारी होने लगी थी जुबान सूखने लगी थी,, वह अब और खड़ी नहीं रह सकती थी ,,,,इसलिए वह तेजी से बाहर की तरफ निकल गई थी,,,,
आशीष ,,अपने होठों मक्कारी भरी मुस्कान ले आता है ,, अनिल और राजू को ,,""जल्दी से जाओ रेणुका को घर छोड़ कर आ जाना''',,,
अनिल और राजू भागते हुवे बाहर आ गए थे और उन दोनों ने रेणुका की दोनों बाजूये पकड़ ली थी,,"" चलिए आइए हम आपको गाड़ी में बैठा देते""',,,,
रेणुका के जिस्म में एक बेचैनी सवार होती जा रही थी और यह दोनों लड़के अब अपने जिस्म को उस से टकराने लगे थे,,,,,
रेणुका,,"" कुछ तो गड़बड़ है मेरी जांघ में कुछ पिन जैसा चुभा था ,,और उसके बाद ही मेरे साथ यह हो रहा है,,""
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राजू पार्किग से गाड़ी निकाल लाया था और अनिल ने रेणुका को पिछली सीट पर बैठा दिया था और खुद भी उसी के पास सट कर बैठ गया था,,,,,,,
राजू ,,अब मुस्कुराते हुए गाड़ी को तेजी से एक दिशा की तरफ भगा ले जाता है,,,,,
रेणुका की आंखें अब बंद हो रही थी,, वह अपने आप संभालने की अंदर से कोशिश कर रही थी ,,पर दवाई का असर उस पर बढ़ता जा रहा था,,,,
क्रमशः
क्या करने वाले हैं आशीष ,अनिल और राजू मिलकर क्या रेणुका अपने आपको बचा पाएगी ,इन तीनों से जानने के लिए बने रहे कहानी के साथ,,,,,