रहस्यमय मौत
क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट आ चुका था। ख़ून किसने किया, कैसे किया और कब किया ये हम में से एक तो जानता ही था जो कि खूनी था या शायद हम में से कोई खूनी था ही नहीं। सवाल बहुत सारे थे और सब के दिमाग में थे पर जवाब हम नहीं जानते थे पर क्राइम ब्रांच वालों को देखकर डर सब रहे थे मानों हम सब के मन में एक खूनी छुपा हो। क्राइम ब्रांच वालों की नज़र में शक के घेरे में वो सब थे जो उस ३ घंटे के बीच समीर पांडेय के रूम में गये थे।
मशहूर डायरेक्टर समीर पांडेय कि रहस्यमय मौत की जांच करने क्राइम ब्रांच के तीन ऑफिसर उनकी मौत की करीब आधे ही घंटे में हमारी होटल में आ पहुंचें थे, अभिजीत राघव और सोनाली। तीनों दिखने में बड़े ही काबिल और होनहार ऑफिसर दिखते है। हमारी होटल मरीन व्यू जो की गोवा की सब से मशहूर होटलों में से एक है। जहां ज्यादातर बड़े बड़े फिल्मस्टार, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर आते थे।
अभिजीत: आप सब में से समीर पांडेय के कमरे में जो भी गया था मतलब कि उनके होटल में एंटर होने से लेकर उनके खून तक, किसी भी वजह से चाहे पानी देने, खाना देने उनकी लॉन्ड्री वगेरह वगेरह जो कोई भी अंदर गया हो वो सब पहले यहां आगे आ जाए।
सोनाली: देखो हमने सीसीटीवी चेक किया और बाद में कोई सामने आया तो उसकी अच्छे से ख़ातिरदारी होगी इससे अच्छा ख़ुद सामने आ जाओ और सच उग्लदो बाकी हमें अपना काम करना आता है।
पूर्वा (रिसेप्शनिस्ट) और में (गौरव होटल का स्टाफ इनचार्ज) हम दोनों आगे आ गए। हमारे पास और कोई विकल्प भी नहीं था। हम दोनों को पसीने छूट रहे थे। दोनों बहुत गभराए हुए थे।
राघव: ओह तो आप दोनों गये थे। बताइए कितने बजे और क्या करने गए थे।
पूर्वा: सर यकीन कीजिए मेंने कुछ नहीं किया। में तो बस शिवानी मैम का इंटरवयू समीर सर के साथ ख़तम हुआ उसके बाद बस ऐसे ही सर से पूछने गयी थी कि उन्हें कुछ खाना ऑर्डर करना हो या और कुछ...
अभिजीत: जुठ। ये तो फ़ोन पर भी पूछा जा सकता था ना? फ़िर कमरें में?
सोनाली: सच सच बोलो वरना एक तमाचा लगाऊंगी।
पूर्वा: नहीं में बताती हूं। में .... में.... वो में...
सोनाली: ज्यादा शानी मत बन। जल्दी बोल वरना .... (सोनाली मेडम ने अपना हाथ पूर्वा को तमाचा मारने के लिए उठाया)
पूर्वा: नहीं मुझे मत मारना में बताती हूं। मेंने कोई ख़ून नहीं किया। दरअसल यहां रिसेप्शनिस्ट की नौकरी मिलने से पहले में मॉडलिंग करती थी। में बॉलीवुड में आगे बढ़ना चाहती थी। पर मुझे एक्स्पोज़र नहीं मिला और घर में पैसों की जरूरत थी मेंने ६ महीने पहले ही यहां रिसेप्शनिस्ट की नौकरी अपना ली। पर मेरे अंदर एक्ट्रेस बनने का कीड़ा अभी भी था। जब भी कोई एक्टर, डायरेक्टर या प्रोड्यूसर यहां आते थे तो में काम कि लालच में किसी भी बहाने से उन्हें मिलने जाती थी। १ महीने पहले ही समीर सर यहां आये थे। तब उन्होंने मुझे वादा किया था कि तुम काफ़ी होनहार हो और अच्छी दिखती भी हो तो एक बार में तुम्हें किसी फ़िल्म के लिए रेकमेंड जरूर करूंगा। में उनसे बस यही पूछने गयी थी कि उन्होंने मुझे लॉन्च करने के बारे में कुछ सोचा या नहीं। और उन्होंने मुझसे कहा की वो मुझे जानते ही नहीं है और ऐसे ही किसी को वे लॉन्च नहीं कर सकते उसके लिए कितने ओडिशन होते है, सिलेक्शन पेनल होती है। वो कुछ नहीं कर सकते। बस उनके यह कहने के बाद में वहां से चली आई। और उनके मना करने की वजह से ही में थोड़ी अपसेट थी। पर मेंने कोई खून नहीं किया। अरे आप सीसीटीवी में देख सकते है और हमारी सिस्टम में भी चेक कर सकते थे। मेरे डेस्क पे आ जाने के बाद क़रीब २० मिनिट के बाद उनके कमरे से रिक्वेस्ट बेल बजी थी...
राघव: रिक्वेस्ट बेल? वो क्या होता है?
गौरव (में): सर वो हमारी होटल की एक ख़ास सिस्टम है। रिक्वेस्ट बेल हर एक वीआईपी कमरें में लगाई गई है। ये सिस्टम हमारे होटल के महेमानो को कोई भी सुविधा मिलने में विलंब न हो इस लिए बनाई गई है। फ़ोन पर रिक्वेस्ट करने के बाद कई बार ऐसा होता है के पूरी चैन फॉलो होने के चक्कर में फर्स्ट ऐड़, सुई धागा या कोई भी आपत्तकालीन मदद तुरंत मिले इस लिए ये सिस्टम...
इससे जिस फ्लोर पर कमरें से रिक्वेस्ट बेल बजती है वहां उस फ्लोर का स्टाफ इनचार्ज तुरंत पहुंच कर उनको जो भी अति आवश्यक मदद की ज़रूरत हो वो पूरी करता है। सर में गौरव इस होटल का इनचार्ज और उस फ्लोर का इनचार्ज भी जहां समीर सर...
में ही गया था उनकी बेल सुनकर तुरंत करीब ३ बार लगातार बेल बजी थी। पूर्वा बिल्कुल ठीक कह रही है। मेंने उसे समीर सर के रूम से बाहर निकलते देखा था। तब कोई चिख़ या चिल्लाने की आवाज़ भी नहीं सुनी थी। समीर सर की बेल सुनते ही में उनके कमरें के पास गया। मेंने बहुत आवाज़ दी पर सर ने दरवाज़ा नहीं खोला इस लिये मेंने राजेश को समीर सर के रूम की डुप्लिकेट चाबी लाने को कहां। और जब मेंने दरवाज़ा खोला तो सर बेड़ पे ख़ून से लतपत पड़े थे। उनका हाथ चाकू के उपर था। और मेंने चिल्लाके सब को आवाज़ दी। सर में जब उनके कमरें में गया तब वो पहले से मर चूके थे। आप चाहे तो राजेश से पूछ सकते है। वो मेरे साथ ही था।
अभिजीत: राजेश!!! कहीं ऐसा तो नहीं के डुप्लिकेट चाबी से राजेश ने ही समीर पांडेय का ख़ून किया और फ़िर चुपचाप अपनी जगह जा के बेठ गया।
गौरव: सर आप चाहे तो सीसीटीवी देख सकते है। मेंने बताया ना में वहां का फ्लोर इनचार्ज था। मेंने कोई आवाज़ ही नहीं सुनी। और राजेश तो आया ही नहीं वहां।
राघव: अभिजीत हमें इन सब के बयान से पहले सीसीटीवी फुटेज देख लेनी चाहिए। क्या पता उससे कुछ बड़ा सबूत मिल जाए।
अभिजीत: ठीक है। वैसे भी मेंने आते ही मेनेजर से कहा था की हमें सीसीटीवी फुटेज देखनी है पर सिक्योरिटी रीज़न का बहाना.....
अखिल (मेनेजर): सर हमारी होटल रावल ग्रुप के एसोसिएशन का हिस्सा है उनकी रजामंदी के बिना हम सीसीटीवी जहां से ऑपरेट होता है वो कमरा खोल भी नहीं सकते।
और सर वो हमारी होटल का भूतिया कमरा है। वहां समीर पांडेय के अलावा कोई नहीं रुकता। हम वो कमरा किसी गेस्ट को देते ही नहीं है। वहां लोगों को आधी रात को अजीबोगरीब आवाज़ सुनाई देती है। कभी नल में से खून निकलता है और पता नहीं और क्या क्या? हमारा होटल स्टाफ भी उस कमरे में तब ही जाता है जब ये समीर सर आये हुए हो। वरना उस कमरे की सफ़ाई भी नहीं होती।
अभिजीत: ये क्या बेवकूफ़ जैसी बातें कर रहे हो। भूतिया कमरा? कुछ भी? तुम ये कहना चाहते हो की भूत ने खून किया है? पागल हो क्या? अपने स्टाफ को बचाने के लिए भूत की कहानी हमें मत सुनाओ समझे। तुम्हारे ही किसी स्टाफ ने खून किया है। हम उसका पता लगा लेंगे। तुम काम की बात करो। अब तो मिल गई ना परमिशन। चलो अब दिखाओ। राघव, में सीसीटीवी चेक करने जा रहा हूं। तब तक तुम अपने तरीके से तहकीकात जारी रखो और देखो फोरेंसिक वाले डेडबोडी को लेने आए के नहीं और उनसे कहना जल्द से जल्द हमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट चाहिए।
राघव: जी सर। में समीर पांडेय जिस कमरें में रुका था उसकी अच्छी तरह से तलाशी लेता हूं। शायद वहां से कुछ सुराग मिल जाए।
सोनाली: तब तक में इन सबका बयान लेती हूं।
वो तीनों ऑफिसर अपने काम में बट गए थे। सोनाली मेडम बाकी स्टाफ से समीर सर की पूछताछ कर रही थी। हमारी चिंता अभी भी बरकरार थी उल्टा और बढ़ रही थी। कहीं वो १ साल पुराना राज़.... नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता।
कुछ ही देर में पूरी क्राइम ब्रांच की टीम हमारे सामने एक बार फ़िर आ गई।
अभिजीत: पूर्वा के समीर पांडेय के रूम में जाने से पहले और २ लोग उनके कमरे में गए थे। हम अभी अभी सीसीटीवी चेक करके आ रहे है। कौन है वो? हमनें पहले ही कहा था के जो भी उनसे मिला हो वो सामने आ जाये तो किसको कम सुनाई देता है? हां? किसके कानों में मेल भरा है?
उनकी आवाज़ गुस्से से बढ़ रही थी। और सुनकर शिवानी मेडम डरते डरते आगे आये।
शिवानी: सर में .... में गयी थी। हम ... मेरा मतलब है। मुझे और साहिल को समीर सर ने हमारी फ़िल्म जादूगरी की स्क्रिप्ट पर ज़रूरी चर्चा करने के लिए बुलाया था। हम दोनों करीब १ घंटे सर के पास ही थे। बीच में ये गौरव यहां का स्टाफ इनचार्ज स्नेक्स के कर अंदर आया था। आप उसे पूछ सकते है। हम बातें ही कर रहे थे। फ़िर साहिल को फ़ोन आया और वो चला गया। उसके बाद हमें नहीं पता के क्या हुआ? हम होटल से निकलने ही वाले थे क्यूंकि हम दोनों यहां नहीं रुके। वो तो बस समीर सर के साथ मीटिंग के सिलसिले में आए थे।
अभिजीत: साहिल कहां है?
साहिल हम सब के पीछे छुपा हुआ था वो आगे आया।
साहिल: मेरी कोई गलती नहीं है। में तो समीर के रूम से कब का निकल गया था। मुझे जरूरी फ़ोन आया था। और उसके बाद जब में बात ख़तम करके होटल के कॉरिडोर के पास आया। शिवानी नीचे ही वेटिंग एरिया में बेठी स्क्रिप्ट देख रही थी। हम होटल से निकल ही गए होते पर हम दोनों वहीं बेठ कर स्क्रिप्ट पर चर्चा करने लगे और पता चला कि समीर ने आत्महत्या की है।
राघव: उन्हों ने आत्महत्या नहीं की। उनका ख़ून हुआ है। और आप ही में से कोई खूनी है। वो हम बहुत जल्दी पता लगा ही लेंगे। तब तक आप में से कोई इस होटल से बाहर नहीं जाएगा। यहां जो भी गेस्ट रुके है उन सब के नाम पता और सारी जरूरी माहिती सोनाली तुम अभी के अभी ले लो। और जब तक तहकीकात ख़तम नहीं हो जाती कोई समीर पांडेय वाले कमरें में नहीं जाएगा। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद हम जल्द ही आएंगे वापस।
हमारी परेशानी और डर बढ़ता जा रहा था। उनका सच में ख़ून हुआ था या मौत? या फ़िर वो १ साल पुरानी धटना...
हमारी होटल को सिल लगा दिया था। ना कोई आ सकता था ना ही कोई बाहर जा सकता था। २ दिन हो गए थे। हम सब शक के घेरे में थे और सब डर भी रहे थे कि हो न हो हम सब के बीच एक खूनी है।
और शाम ७ बजे क्राइम ब्रांच के वही तीनों ऑफिसर पोस्टमॉर्टम का रिपोर्ट लेकर होटल पर आये। हम सबके पसीने छूट रहे थे। पूर्वा भी काफ़ी गभराई हुई थी।
अभिजीत: समीर पांडेय की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई है। उनका खून चाकू लगने की वजह से ही हुआ है। और ना कोई खाने में जहर ना ही कोई हाथाफाई ना ही शरीर पर कोई चोट के निशान। और तो और उस चाकू पर भी उन्हीं की उंगलियों के निशान पाये गए है। ना किसी ने कोई चिल्लाने की आवाज़ सुनी ना किसिके कोई अनबन। आख़िर ऐसा कैसे हो सकता है? और वो रिक्वेस्ट बेल? वो समीर पांडेय ने मरने से पहले बजाई या उनका कोई ख़ून कर रहा था और उन्होंने मदद के लिये ... या फ़िर पूर्वा के समीर पांडेय के रूम से निकलने के बाद उनको किसीने चाकू मारा और उसने ही बेल बजाई...
राघव: समीर पांडेय ठीक ५ बजे होटल में दाख़िल होता है। १ घंटे तक ना वो बाहर निकला ना उसके कमरे में कोई गया। फ़िर शिवानी और साहिल अपनी स्क्रिप्ट के विषय में चर्चा करने जाते है जो १ घंटे तक समीर पांडेय के रूम में होते है। उस दौरान उनके रूम में गौरव होटल का स्टाफ इनचार्ज स्नेक्स देने आता है। फ़िर साहिल फ़ोन पे बात करते बाहर जाता है और उसके ठीक २५ मिनिट बाद शिवानी भी नीचे कॉरिडोर की और जाती है। ५ मिनिट बाद पूर्वा जो कि होटल की रिसेप्शनिस्ट है वो कमरें में जाती है। जिसको कोई लेनादेना है ही नहीं समीर से पर वो कोई मनघिड़त कहानी सुनाती है। वो १० मिनिट कमरे में रुकती है। उसके बाद अंदर कोई ना आया ना कोई बाहर गया। और फ़िर अचानक २० मिनिट के बाद ठीक ८ बजे ३ बार रिक्वेस्ट बेल बजती है जो की ज़ाहिर सी बात है उसी कमरे के अंदर से ही कोई बजा सकता है। क्यूंकि उसमें कोई छेड़खानी हो ही नहीं सकती जैसे की मेनेजर अखिल ने हमें पूरा उसका बंधारण समझाया। तो फ़िर जो कुछ भी हुआ वो उन २० मिनिट में ही हुआ है पर क्या हुआ ऐसा? कमरें में आने का ना कोई और रास्ता है। फ़िर कैसे? और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार समीर की मौत ७.४० ही हो चुकी थी। मतलब कि पूर्वा के रूम के बाहर जाने के ठीक बाद फ़िर उस कमरे से रिक्वेस्ट बेल कैसे? ये एक रहस्यमय मौत है, पहली बार ऐसा हो रहा है कि हमारी क्राइम ब्रांच की टीम भी ये तय नहीं कर पा रही है कि आख़िर मरा हुआ इन्सान रिक्वेस्ट बेल कैसे बजा सकता है? सारे सबूत इसी तरफ़ इशारा कर रहे है कि, समीर पांडेय ने ख़ुद को चाकू मारा जो कि उनके उंगलियों के निशान इस बात की पुष्टि करते है। और रिक्वेस्ट बेल का राज़ पता नहीं। ये केस अभी तो यहां क्लोज़ हो रहा है पर इस रिक्वेस्ट बेल की तहकीकात करने हम जरूर आयेंगे।
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उस हादसे को १५ दिन बीत गए थे। सब कुछ होटल में एकदम नॉर्मल लग रहा था। पूर्वा अभी भी उस हादसे को ले कर डरी हुई थी। मेरी और पूर्वा की नाइट शिफ्ट चल रही थी। उस रात मेंने पूर्वा को चूपके से होटल के समीर पांडेय वाले कमरें में जाते हुए देखा। में तुरंत उसके पीछे गया। कमरे का दरवाज़ा आधा खुला था। में वहीं खड़ा रह गया। पूर्वा की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी।
"कौन है यहां? मेंने पूछा कौन है इस कमरें में?"
"श्श्श!!! चिल्लाओ मत। समीर की आवाज़ बाहर नहीं गई थी। पर तुम्हारी जायेगी। कोई सुन लेगा तो तुम पकड़ी जाओगी।"
में पूरा सदमे में था। आख़िर मेरा शक सही निकला। १ साल पुराना रहस्य ही इस धटना का रचयिता था।
"कौन हो तुम? मुझे दिखाई क्यूं नहीं देती? तुम्ही ने वो रिक्वेस्ट बेल बजाई थी ना? और चाकू पर..."
"श्श्श!!! बाहर तुम्हारा आशिक़ खड़ा है। उसे अन्दर ले को और दरवाज़ा बन्द करदो। वरना कोई और सुन लेगा।"
पूर्वा बाहर आई और उसने मुझे अंदर बुलाया और दरवाज़ा बन्द किया।
"१ साल पुरानी बात है। गौरव मुझे अच्छे से जानता भी है। मेरी आवाज़ सुनकर मुझे पहचान लिया होगा ना गौरव? में कीर्ति हूं। कभी इस होटल की रिसेप्शनिस्ट हुआ करती थी। मुझे भी बिल्कुल तुम्हारी तरह एक्ट्रेस बनना था। बहुत कोशिशें की थी पर परिणाम कुछ नहीं। "डायरेक्टर समीर पांडेय" यह नाम मेरी ज़िन्दगी और मौत का एक मात्र रहस्य है। में अपना काम इस होटल में पूरे डेडिकेशन से करती थी। जब जब ये समीर यहां आता मुझे अपने कमरें में बुलाता और मेरे साथ घंटो बीतता। कभी प्यार तो कभी जबरजस्ती सब आज़माता। में बहुत तंग आ गई थी। ये सब में इस लिए झेल रही थी क्यूंकि उसने मुझे वादा किया था के वो मुझे बॉलीवुड में काम दिलायेगा। पर एक दिन मेंने उसके हर बार के वादों का हिसाब मांगा।
कीर्ति: "समीर आप हर बार वादा करते है। आख़िर ४ महीने हो गए है। आप हर अगले हफ़्ते आते है। मेरा इस्तमाल करते है। और फ़िर एक वादा। आख़िर कब मिलेगा मुझे काम? कब?"
समीर: "कैसा काम? कैसा वादा? बक्वास ना करना मेरे साथ। तुम हर बार अपनी मर्ज़ी से आती हो यहां मेरे साथ सोने के लिए। धेट्स इट। मेंने कोई वादा नहीं किया। और हां तुम्हारे जैसी हज़ार रोज़ मिलती है तो क्या में सब को काम दूंगा। बेवकूफ़। पता नहीं कहां कहां से आ जाते है पागल लोग। जाओ अब निकलो यहां से।"
समीर की उस बात का मुझे बहुत आघात लगा। में सोने जाती थी या उसने मेरा इस्तमाल किया जैसे वो सब लड़कियों का करता होगा। उसने नीचता की सारी हदें लांघ दी थी। उससे बात करने का या उसके खिलाफ़ कोई कार्यवाही करने का सोचना भी मुम्किन नहीं था। क्यूंकि उसका बहुत बड़ा नाम था। कोई मेरी बात सुनता ही नहीं। उल्टा मेरी बदनामी होती। उसी रात जब वो होटल से निकला तब इसी कमरें में जहां वो हर बार रुकता था। यहीं मेंने आत्महत्या करली। मेंने मरने से पहले इसी दीवार पर लिखा था। "में वापस आऊंगी। तुम्हे मार के ही मेरी आत्मा अमर होगी।" होटल का पूरा स्टाफ और समीर हर एक इन्सान समझ गया था की मेरी मौत आत्महत्या नहीं एक ख़ून है। "क्यूंकि कोई भी आत्महत्या के पीछे दरअसल एक खूनी ज़रूर होता है।" और मेरी कहानी में वो विलन और कोई नहीं समीर पांडेय था।
उस दिन के बाद होटल वालों ने अपनी शाख के लिए मेरी आत्महत्या कोई हादसा बता कर बात को कहीं मेरी कब्र के आसपास ही दफ़न कर दिया। पर कुछ किस्से कुछ हादसे कुछ बातें छिपाई नहीं छिपती। उस कमरें में कोई भी रह नहीं पाता था। सिवाय उस समीर के। सब को अलग अलग घटना से में वहां से भगा ही देती थी। मेरी मौत के बाद समीर ३ बार इस होटल में आया। डर तो उसे नहीं था कि मेरी आत्मा उसे कुछ करेगी या कुछ भी होगा उसके साथ। क्यूंकि वो भूत होते है ये बात वो मानता ही नहीं था। पहले तो वो हर हफ़्ते यहां आता था पर कुछ कारणवश पिछले कुछ महीनों से यहां दिखा ही नहीं था। और आख़िरकार उसकी मौत उसे यहां खींच ही लाई। एक बार वो अपनी मीटिंग ख़तम करके तुरंत निकल गया। दूसरी बार जब आया तो वो किसी और कमरें में रुका था क्यूंकि मेंने उसे पार्किंग में ही अपनी झलक दिखा दी थी। पर इस बार जब वो आया होटल के सारे कमरें बुक थे। उसे इस कमरें में आना ही पड़ा।
समीर आया। अपनी वाइफ से फ़ोन पे बातें की। फ़िर आराम किया। फ़िर साहिल और शिवानी आये। फ़िर तुम आयी। मेंने देखा तुम्हारी आंख में वहीं बात थी जो एक साल पहले मेरी आंखों में थी। वो तुम्हारे करीब आ रहा था उसने तुमसे कहां अगर तुम्हे एक्ट्रेस बनना है तो एक रात....
तुम उसके गंदे इरादे समझ गई थी और बाहर जाना चाहती थी कि उसने तुम्हारे साथ जबरजस्ती करने की कोशिश की और ख़ुद को बचाने के चक्कर में पास के टेबल पर पड़ा चाकू तुमने उसे मार दिया। तुम डर गई। और उसका हाथ चाकू पे रखकर वहां से बाहर निकल गई। अब तक की कहानी सही थी ना?
पूर्वा ने डरते हुए हां कहां। और फ़िर वही सवाल पूछने लगी। आख़िर वो रिक्वेस्ट बेल?
हां। तुम्हारे जाने के बाद मुझे उस दरिंदे के मरने की बेहद खुशी हुई। पर में नहीं चाहती थी की एक दूसरी कीर्ति मरे या किसी भी झमेलें में फसे। इसी लिए उस चाकू से तुम्हारी उंगलियों के निशान मेंने ही मिटाएं। और वो रिक्वेस्ट बेल समीर का हाथ पकड़कर उससे मेंने बीएमएचआई बजवाई ताकी तुम पर शक की सुई कभी ना अटके। और शायद उसकी चिख़ भी कोई सुन लेता अगर तुम्हारे शरीर का इस्तमाल करकर मेंने ही इस समीर को एक हाथ से मुंह दबाकर दूसरे हाथ से चाकू न मारा होता।
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