Abdul Kalam a man and a personality in Hindi Biography by Kamal Maheshwari books and stories PDF | अब्दुल कलाम एक शख्स और शख्सियत

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अब्दुल कलाम एक शख्स और शख्सियत

डॉ अब्दुल कलाम एक सख्स और सख्सियत
लेखक - कमल माहेश्वरी

अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम जिन्हें हम एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानते हैं इन्हें मिसाइल मैन तथा जनता के राष्ट्रपति के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने हमें सीख दी कि जीवन में चाहे जैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो आप उस परिस्थिति का डटकर मुकाबला करें। जीवन में आपने जो भी लक्ष्य बनाकर रखा है उस लक्ष्य को हासिल करने में आप पूरी शिद्दत से जुट जाएं जब तक कि वह लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता।

एक बार की बात है दिल्ली में रक्षा मंत्रालय में उनका इंटरव्यू हुआ । इंटरव्यू बहुत अच्छा रहा। वह आशान्वित थे कि उनका चयन हो जाएगा, लेकिन उनकी रुचि वायु सेना में जाने की थी क्योंकि उनका सपना विमान में बैठकर उड़ान भरने का था। अतः वे वायु सेना में भर्ती होने के लिए दिल्ली से देहरादून रवाना हो गए । वहां उन्होंने गंगा में स्नान किया। जब वह बाहर निकले तो उन्हें आश्रम दिखाई पड़ा। यह आश्रम एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ था। कलाम के मन में वहां जाने की इच्छा हुई । आश्रम के बाहर शिवानंद आश्रम का बोर्ड लगा था । वे आश्रम के अंदर प्रवेश करना चाहते थे लेकिन उनके कदम यह सोच कर रुक गए कि मैं तो मुसलमान हूं यह आश्रम हिंदू संत का है कहीं मुझे वहां अपमानित ना होना पड़े । तभी उनके दिल ने जवाब दिया कि साधु संतों में मानवता उच्च कोटि की होती है। उन्होंने अपने दिल की आवाज सुनकर आश्रम में प्रवेश कर गए। वहां बहुत से साधु समाधि अवस्था में दिखाई दिए । उन्होंने उनका इस्तक़बाल किया। उन्हें एक साधु ने हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया। कलाम चुपचाप एक स्थान पर बैठ गए उनके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे तभी उनका सामना स्वामी शिवानंद से हुआ। उनका स्वरूप बिल्कुल महात्मा बुद्ध की तरह लगा। कलाम ने उन्हें अपना परिचय बताया तभी स्वामी जी ने उनसे उदासी का कारण पूछा कलाम ने बताया कि वायु सेना की परीक्षा में मेरा चयन नहीं हुआ इसलिए मैं उदास हूं । स्वामी जी ने धीमे और गहरे स्वर में कहा- इच्छा जो तुम्हारे मन में थी वह शुद्ध और मन की गहराई से की गई थी जो एक विस्मित कर देने वाली विद्युत चुंबकीय ऊर्जा लिए होती है यही उर्जा प्रत्येक रात को जब मस्तिष्क सुसुप्त अवस्था में होती है आकाश में चली जाती है हर सुबह यह ऊर्जा ब्रह्मांड की चेतना लिए वापस शरीर में प्रवेश करती है। नौजवान तुम नियति को पहचानो, नियति को मंजूर नहीं था कि तुम वायुसेना के पायलट बनो । नियति तुम्हें कुछ और बनाना चाहती है इसलिए अपनी असफलता को तुम भूल जाओ असमंजस से निकलकर अपने अस्तित्व के लिए सही उद्देश्य की तलाश करो अपने को ईश्वर की इच्छा पर छोड़ दो । स्वामी जी के दिव्य वचनों से कलाम की उदासी दूर हो गई वे समझ गए कि पायलट बनना मेरी नियति में नहीं था। डी टी डी एंड पी कंपनी में कलाम का चयन हो चुका था उन्हें सहायक वैज्ञानिक पद के लिए चुना गया था।
15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वर कस्बे के एक गांव धनुष्कोड़ी में मध्यम वर्ग मुस्लिम असार परिवार में इनका जन्म हुआ । इनके पिता जैनुलाब्दीन ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं थे पर बुद्धिमान थे। उनका पूरे गांव में काफी अधिक सम्मान था लोग उनकी बहुत इज्जत करते थे और उनका कहां मानते थे । कलाम के परिवार का भी गांव में बहुत सम्मान था। जैनुलाबदीन बहुत धनी व्यक्ति नहीं थे फिर भी उनके आचरण और व्यवहार की कुशलता ने उन्हें सम्मान के शिखर पर पहुंचा दिया था। नेक दिल होने के कारण लोग उनको बहुत चाहते थे। कलाम तीसरे नंबर के पुत्र थे । उनके पिता ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक गरीब घर का लड़का भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक काबिज होगा। अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिताजी जोकि भले ही कम पढ़े लिखे थे उनके दिए गए संस्कार उनको जीवन पर्यंत काम आए संस्कारों के प्रभाव से उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के प्रधान पद पर एवं 2002 में भारत के राष्ट्रपति तक गए।
कलाम बचपन से जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे । अब्दुल कलाम जब 4 वर्ष के थे तो उनके पिता उन्हें एक दिन अपने साथ मस्जिद ले गए । शाम का समय था सूर्यास्त होने वाला ही था । पक्षियों का समूह अपने डेरे की ओर चेहचाहते हुए अग्रसर हो रहा था । कुछ पक्षी मस्जिद में स्थित एक नीम के पेड़ पर बैठे थे। वे जैनुलाब्दीन और उनके बच्चों को देखते ही वहां से उड़ गए। जैनुलाब्दीन ने अरबी भाषा में नमाज अदा की। इसके बारे में अब्दुल कलाम को कुछ नहीं पता था उन्होंने इतना अवश्य अनुभव किया कि मस्जिद में कही गई पिता की
बातें ईश्वर तक जरूर पहुंच जाती है। नवाज के बाद वे अपने पिता के साथ अहाते से बाहर आए। बाहर बहुत से लोग पानी के कटोरा लिए खड़े थे। वे एक-एक करके पानी के कटोरा को जैनुलाब्दीन के सामने लाते और जैनुलाब्दीन अपने हाथ की उंगलियों को कटोरे के पानी में डुबाते जाते । फिर वह पानी बीमार लोगों को के घरों में ले जाया था। इससे बीमार लोग ठीक हो जाते और वे जैनुलाब्दीन का शुक्रिया अदा करते।
मस्जिद के उस दृश्य को अब्दुल कलाम ने बड़े गौर से देखा । उन्होंने अपने पिता से पूछा-
अब्बा ! आप पानी का कटोरा में अपनी उंगली को डाल रहे थे ?...
बेटा मैं उसमें उंगली को डालकर अल्लाह से दुआ कर रहा था कि वह पानी में इतनी शक्ति भर दें कि उसके प्रभाव से बीमार लोग ठीक हो जाए।
अब्दुल कलाम इन बातों से संतुष्ट नहीं हुए । उन्होंने पुनः अपने पिताजी से पूछा- पानी में इतनी शक्ति कहां से आएगी और इसका उपयोग क्या है?
ईश्वर इसमें शक्ति प्रदान करेगा और फिर मरीज लोग इस पानी का सेवन करेंगे । इससे उनका रोग दूर हो जाएगा । जैनुलाब्दीन ने जवाब दिया।
आपकी उंगली में ऐसी शक्ति है अब्बा ?
हां बेटा ! यह उंगलियां पानी में डूबते ही उसमें शक्ति प्रदान करती है । उस पानी को पीने से रोगियों का रोग दूर हो जाता है । अल्लाह ने शक्ति आपकी उंगली में क्यों दी और लोगों के उंगलियों में उसने ऐसी शक्ति क्यों नहीं दी ?
क्योंकि मैं सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करता हूं।
यह इबादत क्या होती है ?
नमाज क्या है अब्बा ? आप इसे क्यों पढ़ते है?
मैं अल्लाह को खुश करने के लिए नवाज पढ़ता हूं। नमाज पढ़ने से मन का आत्मविश्वास बढ़ता है। नवाज एक प्रार्थना है बेटा जो हमें अल्लाह से जोड़ती है। नवाज आपसी भाईचारे को बढ़ाती है। सच्चे मन से नमाज पढ़ने वाले व्यक्ति अपने शरीर से ब्रह्मांड का एक हिस्सा बन जाता है । फिर वह अमीर - गरीब ,जाती- पाति और ऊंच-नीच में कोई भेदभाव नहीं रखता है।
यह सुनकर अब्दुल कलाम के मन में तरह-तरह की जिज्ञासाएँ उठने लगी। वे अपने पिता को एकटक देखते रहे । पिता ने भी अपने पुत्र के चेहरे को पढ़ने का प्रयास किया । फिर वह वापस घर आ गए।
कक्षा पांचवी में किसी पाठ में पक्षी उड़ने की बात लिखी हुई थी। शिक्षक ने समझाने के लिए समुद्र के तट पर सभी बच्चों को ले गए। पक्षी के उड़ने के तरीकों को समुद्र तट पर देखते हुए उन्होंने अपना भविष्य तय कर लिया था कि एक ना एक दिन में भी इन पक्षियों की तरह आसमान में उड़ान भरूँगा।
अब्दुल कलाम गरीब परिवार से थे इनके पिता मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे। वैसे वह पांच भाई एवं पांच बहन थे और घर में तीन परिवार रहते थे। अब्दुल कलाम अपनी प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए घर-घर अखबार बांटने का काम किया करते थे और उसकी कमाई से उन्होंने अपना अध्ययन किया। उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त की। उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में कई सफलतापूर्वक उपग्रह प्रक्षेपण परियोजना में अपनी भूमिका निभाई। इसरो को परवान चढ़ाने में इनका योगदान महत्वपूर्ण रहा । उन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्र को भारतीय तकनीक से बनाया। पोकरण में 1998 में सफल परमाणु परीक्षण किया एवं परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
यहां पर उनकी यह पंक्तियां उल्लेखनीय है-
"2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है इसी कारण प्रक्षेपास्त्र को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति संपन्न हो"

अब्दुल कलाम बचपन से अनुशासन प्रिय थे और शुद्ध अनुशासन से अपना सादगी भरा जीवन व्यतीत किया था । यह शुद्ध शाकाहारी थे। बचपन में केले के पत्ते में खाना अब्दुल कलाम आज तक नहीं भूले। यह उनके परिवार की एक आदर्श परंपरा थी। वे सादगी को जीवन का सबसे बड़ा गुण मानते थे। सादगी के बिना जीवन में अच्छाइयां नहीं आती ऐसा कलाम साहब का मानना है । उनका कहना है कि सादगी मन को शांत करती है। यह ऊर्जा की बचत करती है और मस्तिष्क को तरोताजा कर रखती है । जिनके स्वभाव में सरलता और सहजता नहीं है उन्हें प्रतिभावान बनने की कल्पना नहीं करना चाहिए। कलाम साहब के लिए सभी गुण विद्यमान थे। तभी तो उन्हें देश के सर्वोच्च पद पर बैठा हुआ देखा।
इन्होंने अपनी जीवनी ' विंग्स ऑफ फायर ' लिखी । जिसमें उन्होंने युवाओं को आगामी जीवन मैं मार्गदर्शन प्राप्त हो सके उसी अंदाज में उन्होंने प्रस्तुत की। इनकी दूसरी पुस्तक उनके विचारों को प्रस्तुत करती है इस पुस्तक का नाम है ' गाइडिंग सोल्स डायलॉग आफ़ द परपज आफ लाइफ '।
एपीजे अब्दुल कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति महान वैज्ञानिक के साथ-साथ एक अच्छे शिक्षक भी थे। अपने व्यस्ततम जीवन में कलाम साहब ने पठन - पाठन से खुद को कभी दूर रहना नहीं दिया। कलाम साहब प्रतिदिन डायरी लिखे थे । उनकी डायरी लिखने का समय रात 10:00 से 11:00 के बीच होता था । इस कार्य से निवृत्त होकर ही सोते थे । वे चाहे कहीं भी कैसे भी रहे, डायरी लिखना कभी नहीं भूलते थे। उनके मित्रों का मानना है कि कलाम मिसाइल को अपनी जिंदगी का यह मकसद मानते थे । मिसाइल निर्माण की सारी प्रक्रिया उनके जुबान पर थी । उन्हें पत्र पत्रिकाओं को पढ़ने का शौक था । इन पत्र- पत्रिकाओं में शोध से लेकर या मिसाइल के बारे में जो खबरें होती है पहले रेखांकित करते हैं उसके बाद उसे अपनी डायरी में उतार लेते थे। कलाम साहब बड़े भावुक और अत्यधिक संवेदनशील व्यक्ति थे। वे वीणा बजाने में दिलचस्पी लेते थे। कर्नाटक संगीत से उन्हें विशेष लगाव था। वे एकांत में वीणा लेकर बैठ जाते थे और तन्मयता से तरह-तरह की धुन निकालते थे। वीणा के मधुर स्वरों में वे सब कुछ भूल जाते थे। वीणा वादन से उन्हे मानसिक विश्राम मिलता था। इससे भी खुद को तरोताजा महसूस करते थे । उन्होंने लगभग 34 किताबें लिखी । लेकिन सबसे उल्लेखनीय कृति इंडिया 2020 थी। इसमें भारत को एक महाशक्ति बनाने की कार्य योजना है। जिसमें ज्ञान के भंडार के साथ-साथ युवाओं को अपने भाभी भविष्य निर्माण के लिए मार्गदर्शन दिया। विंग्स ऑफ़ फायर में आशावादिता पूरी किताब में नजर आती है। यह उनकी आत्मकथा है जिसमें उनके जीवन यात्रा का विवरण मिलता है कि एक गरीब परिवार का लड़का जो अपने संस्कार के फलस्वरुप देश का महान वैज्ञानिक और फिर राष्ट्रपति के पद पर पहुंचा।
जीवन को नई दिशा देने उन्होंने कई विचार मंत्र दिए जो बहुत से लोगों ने उन मंत्रों को अपनाकर अपना जीवन सफल बनाया।
1. उन्होंने कहा कि दफ्तर हमेशा समय से छोड़ो नहीं तो आपकी सामाजिक जिंदगी खत्म हो जाएगी
2. वे मानते थे कि अपने काम से प्यार करने का मतलब है अपने देश से प्यार करना
3. अपने काम से प्यार करो, अपनी कंपनी से नहीं, आप नहीं जानते कि कंपनी आपको कब प्यार करना बंद कर दे ।
4.महान सपने देखो और उन्हें पूरा करने में जुट जाओ, महान सपने जरूर पूरे होते।
5. कुछ चीजें हम बदल नहीं सकते इसलिए उन्हें वैसे ही स्वीकार करना उचित है।
अब्दुल कलाम का काम के प्रति समर्पण और राष्ट्रवादी सोच के लिए हमेशा देश के युवाओं को प्रेरित करते रहे । कलाम का अनगिनत योगदान है लेकिन अपने सबसे बड़े योगदान अग्नि और पृथ्वी मिसाइल का विकास के लिए सबसे प्रसिद्ध थे। महान मिसाइल मैन भारत के राष्ट्रपति बने । उनके इस कार्यकाल में सेना और देश ने कई मील के पत्थर हासिल किये। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल सफल राष्ट्रपति के तौर पर आज भी याद की जाता है। उन्होंने पूर्ण निष्ठा के साथ देश की सेवा की । राष्ट्रपति कार्यालय को छोड़ने के बाद में फिर से अपने पुराने काम पठन- पाठन की ओर जाते हैं जहां पर वे छात्रों को पढ़ाने का काम करते थे। उन्होंने देश की कई प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए काम किया। उनके मतानुसार देश के युवा बहुत प्रतिभाशाली है। इनको इनकी योग्यता सिद्ध करने का अवसर दिया जाना चाहिए। उन्होंने देश के युवाओं के हर अच्छे काम में सहयोग दिया ।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सादगी और सत्य निष्ठा के व्यक्ति थे। वह काम में इतने व्यस्त रहते थे कि देर रात तक काम करते रहते थे और सुबह जल्दी उठते थे । उनके काम को भारतीय संगठन और समितियों द्वारा सम्मानित किया गया। उनके जीवन मंत्र में उन्होंने कहा कि दफ्तर हमेशा समय से छोड़ो नहीं तो आपकी सामाजिक जिंदगी खत्म हो जाएगी । इस जीवन मंत्र से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपना काम समय पर करना चाहिए और यदि आप किसी दफ्तर में काम करते हैं तो आप दफ्तर का काम समय से पूरा करके तब तक छोड़ देना चाहिए क्योंकि दफ्तर के बाद आपकी निजी सामाजिक जिंदगी भी इंतजार करती है। आपके परिवार, दोस्त एवं यार भी है , उनको भी आपको समय देना पड़ेगा नहीं तो आप पूरा समय ऑफिस में निकाल देंगे तो इससे आपकी सामाजिक जिंदगी पर असर पड़ेगा लगभग खत्म हो जाएगी ।
उन्होंने देश प्रेम को काम से जोड़ कर देखा। उन्होंने कहा था कि जो व्यक्ति अपने काम से प्यार करता है वह देश से प्यार करता है । इसके संबंध में मेरा मानना है कि, जो व्यक्ति अपने काम के प्रति लगनशील होगा उससे वे स्वयं तो संतुष्ट होगा साथ ही अपने देश के विकास में भी योगदान देगा। एक राष्ट्र के रूप में हम लोगों की निंदा जैसी आत्मघाती प्रवृत्ति को त्याग कर देना चाहिए। हमें देश के भविष्य की खातिर एक ठोस कार्रवाई की शुरुआत कर देनी चाहिए । इस दिशा में भारत ने पहली ठोस कार्रवाई 1857 में की थी। जब देश में पूरी तरह आजाद होने के बीज बोए गए थे । अब इसकी ठोस कार्रवाई हमें करनी है देश को पूरी तरह विकसित देश बनाने की। हम सभी की सफल कार्रवाई हमें अपने विकसित देश के सपने को साकार करने के अधिक निकट लाएगी।
चलता ही जाता हूं मैं निरंतर,
मंजिल है कहां बता ए खुदा,
जिस शांति सत्य और ज्ञान की खोज में,
चलता ही रहा ,चलता ही रहा
वह शांति सत्य वह ज्ञान अभी नहीं मिला,
ऐ खुदा सुन ये दुआ,
में रहूं या ना रहूं , पर यह सफर जारी रहे।।
यदि आप शिक्षक हैं, भले ही किसी आप हैसियत वाले हैं तो आपको एक विशेष भूमिका निभानी है क्योंकि भाबी पीढ़ियों के निर्माण में सबसे ज्यादा कार्य आपको ही करना पड़ेगा । पूर्व में एक काल ऐसा भी रहा है जहाँ शिक्षकों को गुरुओं के रूप में आदर दिया जाता था । आज हालत इसके बिल्कुल उलट है । आज शिक्षकों की उपेक्षा की जाती है। परंतु आपको यह कार्य करना चाहिए , उन्हें विकसित भारत की परिकल्पना के संदेश को अपने ढंग से अपने विद्यार्थियों को दें दूसरी कार्य, भारत के बारे में जानकारी को नवीनतम बनाएं। शिक्षकों को अपने ज्ञान के अलावा अपनी योग्यता में भी निरंतर वृद्धि करते हुए अपनी सोच के विस्तार बढ़ाते रहना चाहिए ताकि वह अपने विद्यार्थियों के सोच को भी विस्तृत करने में प्रोत्साहित करे ।
" असली शिक्षा एक इंसान की गरिमा को बढ़ाती है और उसके स्वाभिमान में वृद्धि करती है यदि हर इंसान द्वारा शिक्षा के वास्तविक अर्थ को समझ लिया जाता है और उसे मानव गतिविधि के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ा जाता है तो यह दुनिया रहने के लिए कहीं अच्छी जगह होती है"

उन्होंने अपनी पुस्तक भारत 2020 में एक जगह लिखा है हाल ही में मुझे स्कूल में माता-पिता शिक्षक सम्मेलन में जाने का मौका मिला । मुझसे कहा गया कि मैं बच्चों को प्रौद्योगिकी के कुछ पहलुओं और भारत का रूपांतरण कैसे हो सकता है इस बारे में बताऊँ। मैंने कहा देखिए! मैं बच्चों को कोई संदेश नहीं देना चाहूंगा क्योंकि वे खुद एक संदेश के साथ पैदा हुए हैं। वह नए प्रश्न और ताजगी लिए होते हैं उनसे कुछ कहने के स्थान पर मैं उनके माता-पिता और शिक्षकों से अपील करना चाहूंगा कि वह इन बच्चों पर अपनी कुंठाओं का बोझ ना लादें और उनके नए और ताजे पन को बना रहने दे। उन्हें प्रसन्न रहने दे। अपकी निराशाएँ कुंठाए उनके निर्मल मन को प्रदूषित कर देगी। उन्हें निराशाएँ देने की बजाय आशाएं दी जाये। उनमें सुनहरे भविष्य के लिए कुछ करने की या बनने की महत्वाकांक्षा है उन्हें हर तरह से प्रोत्साहित कीजिए। इससे उनका भी भला होगा और देश का भी । यही संदेश इन्होंने अपनी पुस्तक इंडिया 2020 के माध्यम से पाठकों को भी दिया।
एपीजे अब्दुल कलाम के मन में एक प्रश्न था कि क्या हम महज विकसित दुनिया के दिखाए गए प्रगति चिन्हों पर चल रहे हैं और क्या हम पहले से ज्यादा तेजी से ही आगे की और बढ़ना है। आज हमारे सामने सबसे बड़ा मुद्दा सारे देश की गरीबी को समूल नष्ट करने का है। सब भारतीयों को पर्याप्त सामाजिक और आर्थिक अवसर प्रदान करने का है । उन्हें संपूर्ण सुरक्षा देना और उनके जीवन को गुणवत्तापूर्ण बनाने का है। सफलता कैसे हासिल की जाए और भविष्य की दृष्टि क्या हो, इसकी योजना ही सफलता के लिए प्रेरणा उत्पन्न करती है ,जो कि मैंने खुद पाया और हमेशा चीजों को साकार बनाती है।
" यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह तपना सीखो "
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद डिग्री वितरण समारोह का आयोजन किया गया । इस समारोह में कई महत्वपूर्ण लोग उपस्थित हुए, जिसमें प्रोफेसर स्पाइडर भी थे। उन्हें यह आभास होने लगा था कि कलाम का नाम एक दिन वैज्ञानिक इतिहास के सुनहरे पन्नों में लिखा जाएगा। समारोह में वैज्ञानिकी के स्नातक छात्रों को तीन कतारों में खड़ा किया गया था। इनके आगे एमआईटी के सभी प्रोफेसर बैठे हुए थे। कलाम को जब विमान की की डिग्री मिली तो उनकी आंखों में आंसू का दरिया बहने लगा । उन्हें वह दिन याद आया जब बहन जोहरा ने अपने गहने को गिरवी रख कर उनका दाखिला एमआईटी में करवाया था । यदि जोहरा ना होती तो शायद उनके हाथ में वे डिग्री भी ना होती यह सोचकर कलाम ने अपनी डिग्री को माथे से लगाया। उन्होंने यह संकल्प लिया कि मैं अब ऐसा काम करके दिखाऊंगा कि मेरी बहन बहुत खुश होगी। मैं अपने पिता की मेहनत मशक्कत की कमाई को बेकार नहीं जाने दूंगा । मेरी याद में मां का तड़पना बेकार नहीं जाएगा । मैं अपनी ऐसी पहचान बना लूंगा कि मेरे अपने का सिर हमेशा गर्व से ऊंचा उठेगा । यह भी कहेंगे कि हमारा कलाम हमारे घर परिवार वह देश का गौरव है।
उनका सोचना था कि सत्य की राह पर चलने वालों को निराश नहीं होना चाहिए। सत्य एक ऐसी शक्ति है जिसमें हर किसी का विकास हो सकता है। जब भी वह निराश होते तो उन्हें शिवानंद की बातें याद आ जाती और उनकी निराशा पल भर में दूर हो जाती और उनके अंदर एक नया आत्मविश्वास जाग जाता था। उनकी सारी चिंताएं पल भर में दूर हो जाती थी। मैं मन ही मन इन पंक्तियों को गुनगुनाने लगते थे-
ले मैं भूल जाता हूं सब कुछ
कोई मलाल नहीं करता
कोई शिकवा नहीं करता
कुछ भी नहीं चाहता
छोड़ दिया मैंने सब कुछ तुझ पर
तू जो राह निकाले वही मेरी राह है।
कलाम साहब को दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं था। वे देश के हर वर्ग के सांचे में फिट बैठ थे। उन्हें सभी जाति धर्म के लोगों से प्रेम था तथा सभी जाति धर्म के लोग भी उनसे प्रेम करते थे। वे भारत के हर व्यक्ति का पूरा-पूरा प्रतिनिधित्व करते थे। आडंबर से उन्हें चिढ़ थी। इन्हीं विशेषताओं के कारण पूरा देश उनका दीवाना था। बच्चे बूढ़े और जवान सभी उन्हें अपना कहते थे। राष्ट्रपति होने के बाद भी उन्हें अपने पद पर बिल्कुल भी घमंड नहीं था। सामान्य इंसान की भांति में सब से मिलते थे। सादगी से उन्होंने अपना जीवन व्यतीत किया ऐसे महात्मा पुरुष को मेरा सलाम आपका नाम हमेशा अमर है और अमर रहेगा।


संदर्भ ग्रंथ सूची
1.अग्नि की उड़ान (विंग्स आफ फायर ) लेखक- एपीजे अब्दुल का नम एवं विनोद कुमार तिवारी
2.भारत 2020 लेखक - डॉक्टर अब्दुल कलाम एवं वाई सुंदर राजन
3.वैज्ञानिक राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम लेखक- मान चंद खंडेला
4. वैज्ञानिक जगत का अनमोल रतन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम लेखक - विनोद कुमार तिवारी
5.हमारे पथ प्रदर्शक ए पी जे अब्दुल कलाम लेखक- अरुण कुमार तिवारी
6. क्या है कलाम लेखक - आर रामनाथन
7. महाशक्ति भारत लेखक - डॉ अब्दुल कलाम