The Ajents - 4 in Hindi Fiction Stories by Shamad Ansari books and stories PDF | द एजेंटस - 4

Featured Books
  • શ્રાપિત પ્રેમ - 18

    વિભા એ એક બાળકને જન્મ આપ્યો છે અને તેનો જન્મ ઓપરેશનથી થયો છે...

  • ખજાનો - 84

    જોનીની હિંમત અને બહાદુરીની દાદ આપતા સૌ કોઈ તેને થંબ બતાવી વે...

  • લવ યુ યાર - ભાગ 69

    સાંવરીએ મનોમન નક્કી કરી લીધું કે, હું મારા મીતને એકલો નહીં પ...

  • નિતુ - પ્રકરણ 51

    નિતુ : ૫૧ (ધ ગેમ ઇજ ઓન) નિતુ અને કરુણા બીજા દિવસથી જાણે કશું...

  • હું અને મારા અહસાસ - 108

    બ્રહ્માંડના હૃદયમાંથી નફરતને નાબૂદ કરતા રહો. ચાલો પ્રેમની જ્...

Categories
Share

द एजेंटस - 4

गज़ब का है दिन सोचों ज़रा दिव अपने सपने में मस्ती करता ही है की तभी वह अपने पलंग से गिर जाता है और धम्म सी आवाज़ आती है। फिर दिव अपने सर को सेहलाता है और फिर अपनी आँखे खोलता है देखता है अरे ये तो सुबह हो चुकी है , सिकंदर अपने कमरे के बाथरुम से नहा - धो के निकालता है और कमरे की अलमारी से ब्लैक जीन्स और सफ़ेद रंग की शर्ट पहनता है । विक्रम तो बिलकुल तैयार हो के निचे हॉल में बैठा सबका इंतजार कर रहा था , शिवा और अशोका भी तैयार हो के सीढ़ियों से निचे उतर ही रहे थे की वे दोनों के कदम एकदम से ही रुक जाते है । वो भोंचोंके हो के बस खड़े - खड़े विक्रम को ही देख रहे थे , तभी दिव अपने कमरे से बाहर निकल के अपने मुँह से सिटी बजाते हुवे सीढ़ियों से निचे उतर ही रहा था की उसने देखा अरे ये दोनों पागल यहां मूर्ति बने कियों खड़े है , वह हस्ते हुवे उन दोनों के पास रुक जाता हैं और बोलता है अबे सुबह को ही नशा वशा करके बैठे हो किया ।
फिर शिवा कहता है अबे हम दोनों का तो पता नहीं लेकिन विक्रम जरूर करके बैठा है , फिर दिव कहता है भाई आप पागल हो गए हो किया कैसी बेहकी बेहकी बाते कर रहे हो तभी अशोका कहता है अरे तू ज़रा निचे विक्रम को तो देख तू भी पागल होने वाले वाला है तभी सिकंदर अपने कमरे से बहार निकल के किसी को चलते चलते फ़ोन करने लगता है , लकिन उसका फ़ोन लगता नहीं है और वह भी सीढ़ियों से निचे जाता है और वह देखता है की ये तीनो बीच सीढि पे खड़े है और निचे विक्रम तो पहले अपने होने से किसी को फ़ोन करता है और उसके बगल में रखे दूसरे फ़ोन में रिंग बजती है और दिव खुद ही उस फ़ोन को उठाता है और अपनी आवाज़ को लड़की की तरह बना के बोलता है हेलो विक्रम कैसे हैं मै बस आपके ही फ़ोन का इंतजार कर रही थी फिर विक्रम अपने फ़ोन से अपनी असली आवाज़ में बोलता है अच्छा अनीता जी देरी के लिए माफ़ी चाहूंगा आप बताइये आप कैसी है ?????
तभी मिस अनीता रसोईघर से निकल के आ रही है ये सब सिकंदर देख लेता है और वह तेज आवाज़ में बोलता है विक्रम अच्छा तो कबसे निचे बैठा है भाई है अनीता जी के संग , विक्रम अनीता का नाम सुन के उसका फ़ोन तुरंत निचे रख के फ़ोन काट देता है और कहता है बस तुम सब का ही इंतज़ार कर रहा था ।
फिर मिस अनीता उन सभी से कहती है की चलिए आप सभी के एडमिशन यूनिवर्सिटी में करने जाना है । फिर वह कहती है अच्छा मैं अपना फ़ोन यही पे भूल गई थी, आप में से किसी ने देखा है किया ? ..
फिर दिव विक्रम की तरफ देखते हुए कहता है की हमने तो सब देखा है न कियों विक्रम। फिर विक्रम कहता है की हां हां... यही पे है ये लिजिये टेबल पे ही रखा था। तो शिवा विक्रम को घूरते हुए कहता मिस अनीता,विक्रम आपके फ़ोन को इस्तेमाल कर रहा था। फिर मिस अनीता मुस्कुराते हुए अंदाज में कहती है लगता है आपको मालूम नहीं है की मेरा फ़ोन बहुत जाइए सिक्योर है मैं एक रॉ एजेंट हूँ... इतना आसान काम नहीं है की मेरे फ़ोन का लॉक कोई ओपन कर सके।
फिर सब विक्रम की तरफ एकटक देखने लगे उन चरों को लगने लगा की विक्रम तो लॉक खोलने में उस्ताद हो गया है कियोंकी विक्रम तो इन सभी का फ़ोन का लॉक खोल के गेम खेलता था तब तो इनको लगता था की ये तो हमारे फ़ोन का लॉक पहले देख लेता है और तब खोलता है। लकिन विक्रम ने आज एक रॉ एजेंट के फ़ोन का लॉक खोला इसका मतलब तो यही है की ये तो उस्ताद बन गया है। फिर मिस अनीता कहती है चलिए वरना हम लेट हो जायेंगे........