“शायद कभी रमेश ही यह पैकेट लेकर आए होंगे और आलमीरा में रखकर बताना भूल गए होंगे । यह लड़की भी न ! आजकल बातें बनाना बहुत सीख गयी है।” खुद से ही मन ही मन बातें करते हुए पुष्पा, अनोखी को वह फ्रॉक पहना देती है ।
फ्रॉक पहनकर अनोखी पूरे घर में इधर-उधर इतराती हुई घूमने लगती है और सबको बताती है कि देखो पापा उसके लिए कितना सुंदर फ्रॉक लेकर आए हैं ।
इसी तरह से ही कुछ दिन बीते । अनोखी और उसके पापा की बातें कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं ।
तभी एक दिन दोपहर में ।
घर पर सब आराम कर रहें थें । अनोखी अपनी बुआ-अनिला के पास आकर तुतली आवाज़ में बताती है कि पापा बीमार हैं और हमें बुला रहें हैं । चलो न, उन्हे डॉक्टर से दिखला दो ।
फिर, अनोखी भागकर अपनी माँ के पास जाती है और पापा के बीमार होने की बात बताती हुई उनसे मिलने की ज़िद्द करने लगती है ।
पुष्पा और अनिला, दोनों मिलकर उसे शांत करने का प्रयास करते हैं , लेकिन कोई फायदा होते नही दिखता । रो-रोकर अनोखी पूरा घर अपने सिर पर उठा लेती है ।
शाम को जब विमलेश काम से लौट कर आता है तो अनोखी भाग कर उसके पास जाती है और पापा से मिलवाने की ज़िद्द करते हुए कहती है-“चाचू, पापा बीमार है और तकलीफ में हैं । उन्होने हमसे मदद मांगी है” ।
अनोखी के इस नए ज़िद्द से सब परेशान थें । पहले तो अनिला ने उसे समझाया कि बेटा पापा भगवान जी के पास चले गये हैं और लौटकर कभी नहीं आएंगे । पर अनोखी यह सब सुनने को तैयार ही नहीं थी ।
जब अनोखी किसी की एक भी न सुनी, तो अनिला ने पूछा-“अच्छा, बताओ । पापा को क्या तकलीफ हैं ? कहाँ हैं तुम्हारे पापा”?
“शहर में नदी तट से थोड़े अंदर एक जगह है । पापा पिछले कुछ दिनों से अपने दोस्तों के साथ वही हैं, लेकिन तकलीफ में हैं ।”अनोखी ने बताया ।
उसकी बातों को सुन अनिला ने कुछ न कहा और पुष्पा से पुछी - “भाभी, शहर में ऐसी कोई नदी है, यह बात अनोखी को कैसे पता है ? क्या आपलोग कभी उसे लेकर गये हो ?
“अनोखी आजतक शहर कभी नहीं गयी । हो सकता है कि वह किसी से उस नदी के बारे में बातें करती सुनी हो और अपने कल्पना से बोल रही हो ।” - पुष्पा ने अनिला को बताया ।
कुछ और दिन बीतें । लेकिन अनोखी की -शहर में पापा तकलीफ में हैं- वाली बात खत्म होने का नाम ही नही ले रही थी ।
घर में किसी को उसके बात पर ध्यान न देते देख अब तो वह आस-पड़ोसियों से भी मदद मांगने लगी कि कोई उसे ले चलो और उसके पापा को बचा लो ।
अनोखी की बातें सुन पड़ोसी भी अब घर पर आकर रमेश के बारे में पूछ-मात लगें ।
अनिला और पुष्पा ने विमलेश से निवेदन किया कि एकबार अनोखी को शहर में उस जगह पर लेकर जाएँ। जिससे अनोखी को मन में तसल्ली हो जाएगी कि उसकी बातें मनगढ़ंत हैं ।
अगले दिन, विमलेश और अनिला, अनोखी को लेकर शहर में नदी के उसी तट पर पहुंचे, जहां अनोखी ने बताया था । नदी में ज्यादा पानी नहीं था ।
नदी तट पर पहुँचकर अनोखी ने विमलेश और अनिला को नदी में उतरकर थोड़ा अंदर चलने का इशारा किया । न चाहते हुए भी विमलेश उसे गोद में लिए नदी में उतरा और थोड़ा अंदर आया ।
थोड़ा ही अंदर आने पर विमलेश के पैरों से कुछ टकराया और बड़े मुश्किल से उसने खुद को और अनोखी को संभाला । ...