Mera Hero - 10 in Hindi Fiction Stories by Priya Maurya books and stories PDF | मेरा Hero (भाग-10) श्रुति-शौर्य ऑन झील डेट

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मेरा Hero (भाग-10) श्रुति-शौर्य ऑन झील डेट

शौर्य श्रुति को कार मे बैठाए एक झील के पास ले आता है। दोनो कार से उतरते है । श्रुति बाहर का नजारा देखकर बहुत खुश हो जाती है। खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी मे झील का पानी चांदी की तरह चमक रहा था। ऊपर से मन्द मन्द हवा पुरे वातावरण मे मिठास घोल रही थी।


श्रुति खुश होते हुये झील के किनारे एक बड़े से पत्थर पर बैठ कर अपने पैरो से पानी मे मारते हुये खेलने लगती है। शौर्य उसे इतना खुश देख खुद भी मुस्कुराते हुये उसके बगल मे आ बैठता है। दोनो एक दुसरे के साथ बैठकर बाते कर रहे थे। शौर्य-" पता है श्रुति यह मेरी सबसे फ़ेवरिट जगह है। जब भी मुझे अच्छा नही लगता तो मै यहा आ जाता हूँ। इस जगह के बारे मे किसीको नही पता है।" श्रुति उसके आँखो मे झाकते हुये पूछती है-" तो मुझे क्यू लाये।"


शौर्य उसके गाल खीचते हुये शरारत से-" क्योकि तुम मेरी गर्लफ्रैंड हो ना इसलिए ।" श्रुति-" क्या ...।" शौर्य उसको कमर से अपनी तरफ खीचते हुये-" क्यू तुमने ही तो बोला था उस दिन मानसी से।" श्रुति को कुछ समझ नही आ रहा था की वो क्या बोले फिर भी वो कहती है-" तो क्या हुआ कहने से कोई गर्लफ्रैंड नही बन जाता है और मुझे छोडो तुम क्या कर रहे हो ये ।"


शौर्य-" नही छोडूंगा... और हा तुमने सही कहा तुम मेरी गर्लफ्रैंड नही हो सकती ।" श्रुति गुस्से से उसे देखते हुये-" क्यू।" शौर्य आंख मटकाकर कुछ सोचते हुये-" तुम कहा जंगली बंदरिया और मै कहा इतना हैण्डसम ।"


श्रुति मुह फुलाते हुये उसे मारने लगती है और शौर्य हसने लगता है। आश्चर्य की बात यह थी की जिस शौर्य पर हाथ उठाने क्या ऊची आवाज मे भी बात करने की किसी की हिम्मत नही होती थी वो आज एक लड़की से खुशी खुशी मार खा रहा था। कुछ देर तक दोनो लड़ते झगड़ते रहते है फिर श्रुति बोलती है-" फोटो खीचते है साथ मे शौर्य।" शौर्य अपनी मोबाइल निकाल के दे देता है ।


दोनो ढेर सारी फोटो साथ मे खीचते है।फिर श्रुति जल्दी से सारी फोटो शौर्य के मोबाइल से अपने मोबाइल पर सेंड कर लेती है। यह सब करते हुये वो बहुत प्यारी लग रही थी और शौर्य उसे देखे जा रहा था। कुछ देर तक श्रुति खामोश होकर पानी को देखती है और शौर्य उसे। कुछ देर तक देखते देखते उसकी कब आंख लग जाती है और वो शौर्य के कंधे पर ही सिर रख कर सो जाती है।


शौर्य उसे प्यार से कसकर पकड लेता है। कुछ देर मे उसके मन मे ना जाने क्या आता है की वो मोबाइल निकाल के दोनो को ऐसे पकड़े हुये फोटो खिच लेता है और मोबाइल पॉकेट मे रख श्रुति के माथे पर किस कर के उसके बाल सहलाने लगता है।


कुछ देर बाद जब शौर्य को लगता है उसे जाना चाहिये तो वो श्रुति को उठता है। श्रुति भी उठकर उसके साथ कार मे बैठ जाती है। रास्ते मे आते समय उसे एक आइसक्रीम की दुकान दिखती है। श्रुति शौर्य से-" कार रोको शौर्य।" शौर्य कार रोक श्रुति से पूछता है-" क्या हुआ श्रुति कुछ चाहिये क्या।" श्रुति-" शौर्य मुझे आइसक्रीम खाना है।" शौर्य उसे डांटते हुये-" इतनी रात को आइसक्रीम खाओगी तो कोल्ड हो जायेगा।" लेकिन श्रुति जिद्द करने लगती है। शौर्य हार मानकर दो आइसक्रीम लाकर उसे दे देता है।


फिर कार मे बैठ कर कार स्टार्ट कर देता है।श्रुति आइसक्रीम खाते हुये उसे देखती है और बोलती है-" तुम क्यू नही खा रहे हो आइसक्रीम।" शौर्य उसके तरफ देखते हुये-" मै ड्राईविंग कैसे करूंगा फिर और तुम्हे लेट भी हो रहा है। "


श्रुति इतना सुनते ही झट से दुसरी आइसक्रीम से एक चम्मच निकाल उसके मुह की तरफ बढ़ा देती है। शौर्य कभी उसे तो कभी आइसक्रीम को देख रहा था। श्रुति-" ऐसे क्या देख रहे हो खाओ अब मै खिला रही हू ना।" शौर्य मुस्कुरा कर आइसक्रीम खा लेता है।


कुछ देर मे ही दोनो श्रुति के पीजी पहुचते है। श्रुति कार से उतरती है तो देखती है गेट तो बन्द हो चुका है। श्रुति शौर्य से -" अब क्या करू अन्दर कैसे जाऊ ।" शौर्य -"रुको मै कुछ करता हू। " फिर शौर्य बाउँड्री की दिवार पर चड जाता है और श्रुति के कमरे की खिडकी तक आता है ।


फिर श्रुति को भी खिच के बाउँड्री पर चड़ा देता है। श्रुति अब मै खिडकी तक कैसे पहुचू।"


शौर्य उसे कमर से पकड के उठाते हुये कहता है जल्दी से अन्दर जाओ नही तो अभी वार्डन आ जायेगी। श्रुति जैसे ही खिडकी के उस पार कूदती है उसे वार्डन की अवाज सुनाई देती है-" कौन है बाहर।" शौर्य घबरा कर अभी बाउँड्री से कूदने ही वाला था की श्रुति धीरे से बोलती है-" शौर्य ......।" शौर्य आते हुये बोलता है-" अब क्या हुआ।" श्रुति को नही पता क्या हो जाता है बो झुककर खिडकी से बाहर शौर्य के गालों पर किस कर के जल्दी से दरवाजे बन्द कर अन्दर भाग जाती है।


इधर शौर्य इस शॉक से उभरा भी नही था की वार्डन लाईट लिये इधर ही आने लगती है। शौर्य जल्दी से दिवार से उतर के अपने कार मे बैठ जाता है। और श्रुति के किस को सोचते हुये अपने गालों पर हाथ रख लेता है और मुस्कुरा कर कार से शिन्घानिया विला की ओर चल देता है। श्रुति अन्दर जाती है तो देखती है अंजलि सो गयी थी तो वो भी जल्दी से अपने ड्रेस चेंज कर सोने आ जाती है और बहुत थकने के कारण उसे नींद भी बहुत जल्दी आती है।


शिन्घानिया विला मे----


दादी सोफे पर बैठे शौर्य का इन्तजार कर रही थी। तभी शौर्य मुसकुराते हुये अन्दर आता है और दादी सोचने लगती है की आखिर इसे क्या हो गया जो इतना मुस्कुराएँ जा रहा है।


दादी और शौर्य खाना खाके अपने कमरे मे चले जाते है। शौर्य अपने बेड पर लेता आजके श्रुति के साथ बिताये लम्हे को सोच आहे भर रहा था। आज उसके आँखों मे नींद का निशान नहीं था। शौर्य अपनी मोबाइल निकाल श्रुति और अपनी तस्वीरे देखने लगता है। तभी उसकी नजर उसे तस्वीर पर पड़ती है जिसमे श्रुति सो चुकी थी और वो उसे पकडे हुये था।


वो मुस्कुरा कर उसे अपने वॉलपेपर पर सेट कर देता है। इधर दादी दरवाजे के पीछे से छुपकर शौर्य की सारी हरकते देख रही थी। और मन ही मन सोच रही थी आज कुछ तो हुआ है। जो शौर्य इतना बदला-बदला सा है। इतना सोच वो चली जाती है।शौर्य भी कुछ घंटो बाद नींद के आगोश मे चला जाता है।


दुसरे दिन सब कॉलेज पहुचते है। तो ऐडमिनिस्ट्रेटिव हेड आने वाली परीक्षा का एनाउंसमेंट करते है। अब सभी अपनी अपनी पढ़ाई मे लग जाते है ।


लगभग 20-25 दिन बाद परीक्षा थी। धीरे-धीरे यह दिन भी गुजर जाता है। और परीक्षा का भी दिन आता है।


अबतक रोहित और अविका का रिलेशन भी सबके सामने आ चुका था। अंजलि और श्रुति कॉलेज गेट पर पहुचती है। वही पर उन्हे शौर्य, रोहित और अविका भी मिल जाते है। सब एक दुसरे को बेस्ट लक बोलकर अपने अपने रुम खोजते हुये चले जाते है। सबका एग्ज़ाम अच्छा गया था। लगभग 1-2 हफते मे एग्ज़ाम भी खत्म हो जाते है। एग्ज़ाम के बाद 2 हफते की छुट्टी थी।


अंतिम दिन सभी बाहर जाने का प्लान बनाते है। अंजलि-" कहा चले।" रोहित-" चलो होटेल चलते है।" तभी श्रुति और अविका बोलती है-" पानी पूरी खाने चले।" सभी उनको घुरने लगते है। लेकिन फिर अंजलि भी पानी पूरी की रट लगाने लगती है। अब रोहित और शौर्य के पास कोई चारा नही था।


सभी एक स्ट्रीट वेंडर के पास आते है। श्रुति चहकते हुये-" भैया एकदम तीखी पानी पूरी बनाना।" अविका भी बार बार कह के खूब तीखी पानी पूरी बनवाती है। इधर शौर्य और रोहित बस सोच रहे थे वो इतनी तीखी पानी पूरी खायेंगे कैसे। अब जब खाने की बारी आती है तो श्रुति अंजलि और अवीका एक के बाद एक खाए जा रही थी। और शौर्य - रोहित की दो मे ही हालत खस्ती हो चुकी थी।


रोहित सबसे बोलता है-" अब मेरे से नही होगा तुम सब ही खाओ।" तभी अवीका एक पानी पुरि उठाकर उसके मुह मे डाल देती है और बोलती है-" खाओ सिधे से समझे।" अब बेचारा रोहित क्या करे एक के बाद एक अविका के हाथो से वो खाए जा रहा था। शौर्य उसे ऐसे खाते देख सोचने लगता है-" अब तो ऐसे खा रहा है जैसे कोई सक्कर का घोल पिला रहा है। काश मुझे भी श्रुति ऐसे खिलाती तो मै पूरी मिर्ची भी खा लेता।"


लेकिन श्रुति को इन सब से कोई मतलब नही था वो बस आपना ही खाए जा रही थी। जब सब खा लेते है तो कार मे वापस बैठ जाते है।


कार चलाते हुये शौर्य बोलता है-" तुम लोग 2 हफ्ते क्या करने वाले हो।" अविका मुह बनाते हुये-" बोर होने वाले है।" श्रुति और अंजलि बोलती है-" हम सोच रहे है क्यो ना आगरा जाये मम्मी पापा से मिले भी बहुत दिन हो गये।" रोहित शान्ति से सबकी डिस्कशन सुन रहा था।


तभी शौर्य बोलता है-" तुम सब मेरे साथ ट्रेनिंग कैम्प क्यू नही चलते मेरे मामा जी ने स्पैशली तुम सबको इनविटेशन भेजा है।" तीनो लडकिया सोचते हुये बोलती है-" पहले घर पर तो पुछ ले।" शौर्य -" ठीक है किसी तरह सबको मना लेना।" इधर रोहित शौर्य की यह करने की वजह समझ रहा था। फिर शौर्य श्रुति- अंजलि को उनके पीजी छोड अविका- रोहित को उनके घर छोड देता है।


आखिरकार वो अपने विला मे आ जाता है। और अपने मामा को फ़ोन करके बोलता है-" मामा जी मैने उन सबको तो कैम्प मे आने के लिये मना लिया है लेकिन उनके पैरंट्स मान जायेंगे तभी वो आयेंगे।" मामा -" ठीक है शौर्य लेकिन कुछ भी कर के उन्हे तुम्हे ट्रेनिंग दिलवानी होगी नही तो बहुत मुस्किल मे फस सकते है सब। " फिर दोनो अपने प्लान को डिस्कश करने लगते है।


दुसरी तरफ श्रुति और अंजलि अपने घर फ़ोन करके सबको मना रही थी।श्रुति अपने पापा से-" पापा मुझे बस जाना है तो जाना है।" श्रुति के पापा बार बार जिद्द की वजह से मान जाते है और उसे इजाजत भी दे देते हैं।


इधर अंजलि काल पर अपने मम्मी पापा से-" श्रुति और भी बहुत सारे लोग तो जा रहे है ना पापा।" उसकी मम्मी-" लेकिन तुम्हे वहा जाने की क्या जरुरत।" की श्रुति अंजलि से फ़ोन ले कर उसके मम्मी पापा को मनाने लगती है। आखिरकार वो भी मान ही जाते है।


अविका अपने घर मे अपने मम्मी से बोलती है लेकिन उसकी मम्मी नही मानती है की उसके पापा आकर बोलते है-" अरे जी जाने दो इसको आखिर फौजी की बेटी है कुछ तो आना चाहिये इनको।" फिर अविका की तरफ मुड़ के बोलते है-" बेटा जी आप जाईये हम आपके साथ है।"


अविका भी खुश होकर उनके गले लग जाती है। फिर तीनो शौर्य को यह बात बताती है और शौर्य भी कल ही निकलने की बात बोल समान पैक करने को बोलता है ।


शाम के 6 बज रहे थे श्रुति और अंजलि सामान पैक कर रही थी की श्रुति बोलती है -" यार मुझे थोडा लो फील हो रहा है मै बगल वाले पार्क से होकर आती हूँ ।" अंजलि भी कपड़े बैग मे डालते हुये-" तो जा ना।" श्रुति भी पीजी से निकाल कर पार्क मे चली जाती है।