अजय और प्रियांशु की बातों के विरोधाभास में उलझी रुपाली की पूरी रात करवटें बदलते हुए बीत गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस पर विश्वास करे और किस पर ना करे।
सुबह-सुबह लगभग चार बजे प्रियांशु का फ़ोन आया। रुपाली ने तुरंत ही फ़ोन उठाया, "हैलो प्रियांशु "
"हैलो रुपाली, तुम अभी तक सोई नहीं?"
"नहीं, नींद नहीं आ रही है।"
"क्यों क्या हुआ? टेंशन कर रही हो ना कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ?"
"नहीं ऐसा कुछ नहीं है।"
"तुम झूठ बोल रही हो, मैं जानता हूँ तुम्हें। मुझे दुःख तो इस बात का है रुपाली कि तुमने अजय को इतना कुछ बोलने ही क्यों दिया? पहला वाक्य सुनते ही तुम्हें उसे चुप करा देना चाहिए था। मेरे पास तो यदि भगवान भी आकर तुम्हारे बारे में कुछ बोले तो मैं उन्हें भी वापस लौटा दूँ। विश्वास करके पूरी बात सुनने की बात ही जाने दो। तुम मेरे प्यार को पहचान ही नहीं पाईं। मेरा प्यार आजमाना चाहती हो तो ठीक है। तुम कहो तो अंकल आंटी से कल ही बात करने आ जाता हूँ। पढ़ाई पूरी होने से पहले ही शादी करने का वादा करने। तुम्हारी यदि ऐसी इच्छा है तो यही सही। ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा, पढ़ाई ठीक तरह नहीं हो पाएगी। अच्छा कैरियर भी शायद ना बन पाए। क्योंकि मैं पापा पर इस तरह अपनी जवाबदारी नहीं डाल सकता। इसलिए जो भी, जैसे भी नौकरी मिलेगी कर लूँगा। प्राइवेट परीक्षा देता रहूँगा।"
रुपाली का दिल पिघल गया। उसने कहा, "प्रियांशु प्लीज़ ऐसी सब बातें मत करो ना। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है और हम अपनी पढ़ाई पूरी करके, अपना कैरियर बनाने के बाद ही शादी करेंगे। आई लव यू प्रियांशु।"
"आई लव यू टू रुपाली। चलो थोड़ी देर सो जाओ। अपने मन और दिमाग को सुकून से रहने दो, समझीं।"
"हाँ ठीक है तुम भी सो जाओ।"
"अरे अब शादी का वादा करने के बाद सो जाओ कैसे बोल सकती हो तुम? अब तो तुम्हारे बिना…"
"चलो हटो सो जाओ, अभी तो बहुत लंबा इंतज़ार करना है।"
"करूंगा ना रुपाली चाहे जितना लंबा इंतज़ार करना पड़े लेकिन अब तो तुमको पाकर ही चैन मिलेगा।"
इधर अब अजय जब भी रुपाली को फ़ोन करता वह हर बार उसका फ़ोन काट देती। अजय परेशान हो रहा था कि अब वह क्या करे। वह सोच रहा था जो लड़की बचपन से केवल उसी के साथ घूमती फिरती थी, उसी से अपने दिल की हर बात करती थी, कभी-कभी हंसते-हंसते उसके कंधे से टिक जाती थी, आज वही लड़की उसका फ़ोन काट रही है। उससे बात तक नहीं कर रही। सिर्फ़ इस प्रियांशु की वज़ह से। यदि यह प्रियांशु नहीं होता तो रुपाली उसी की होती। वह उसके असीम प्यार को स्वीकार कर लेती। उसका तन मन सब ईर्ष्या और क्रोध की अग्नि में जल रहा था।
आज सोमवार का दिन था रुपाली कॉलेज में प्रियांशु के साथ बातें कर रही थी। अजय दूर से उन्हें देख रहा था। वह सोच रहा था कि प्रियांशु के जाने के बाद आज वह फिर से रुपाली से बात करेगा। इस समय ईर्ष्या ने अजय को अपने वश में कर रखा था। अवसर देखकर अजय ने चुपके से प्रियांशु की बाइक की हवा निकाल दी ताकि रुपाली उसके साथ ना जा सके।
उधर प्रियांशु ने कहा, "रुपाली चलो मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ। उसके बाद मुझे पैकिंग भी तो करनी है। सिर्फ़ दो दिन ही बाकी रह गए हैं। फिर एक महीने बाद हमारे पेपर भी तो हैं। तुम भी अच्छे से पढ़ाई करना, मैं भी ख़ूब मन लगाकर पढ़ूँगा। मैं चाहता हूँ हमें अच्छे से अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल जाए और वहाँ से कोई बड़ी कंपनी हमें कैंपस इंटरव्यू में सिलेक्ट करके अच्छी नौकरी की ऑफर दे दे।"
"हाँ तुम ठीक कह रहे हो प्रियांशु, तुम हॉस्टल में रहते हो वरना मैं तुम्हें पैकिंग में मदद करने आ जाती। क्योंकि अब वापस इस हॉस्टल में तो आना नहीं होगा ना?"
"नहीं रुपाली एक वीक एग्जाम के समय तो रहना ही पड़ेगा। अभी तुम्हारे पापा मुझे तुम्हारे घर रहने के लिए इजाज़त थोड़े ही देंगे। अभी मैं ऑफीशियली उनका दामाद कहाँ बना हूँ।"
"चलो अब मुझे छोड़ते हुए तुम भी हॉस्टल पहुँच जाओ। घर पर माँ इंतज़ार कर रही होगी, काफी समय हो गया है।"
प्रियांशु ने रुपाली को बाइक पर बिठाया किंतु उसकी बाइक के टायर की हवा निकली हुई थी।
"ओह नो," कहते हुए प्रियांशु ने कहा, "उतरो रुपाली किसी ने टायर की हवा निकाल दी है। बिल्कुल नए टायर हैं अपने आप तो हवा नहीं निकल सकती।"
इतने में सुधीर वहाँ आ गया और उसने पूछा, "क्या हो गया प्रियांशु?"
"देख ना यार किसी ने हवा निकाल दी। रुपाली को घर छोड़ना था।"
"कोई बात नहीं तू मेरी बाइक ले जा। यह ले चाबी।"
"थैंक यू यार।"
प्रियांशु और रुपाली बाइक पर बैठे और वे दोनों हवा के झोंके के समान वहाँ से निकल गए। रुपाली ने अजय को हवा निकालते हुए देख लिया था लेकिन वह चुप रही क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि कॉलेज में किसी तरह का तमाशा हो। वह यह भी नहीं चाहती थी कि अजय और प्रियांशु के बीच झगड़ा हो।
अजय देखता ही रह गया। वह गुस्से में था, उसने सोचा आज शाम को वह रुपाली के घर जाएगा और यह पूरा मामला अंकल आंटी को बता देगा। वह बता देगा कि रुपाली एक ग़लत लड़के के प्यार के जाल में फँस रही है। वह उसे बचाने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह उसे ही ख़लनायक समझ रही है।
रत्ना पांडे वडोदरा गुजरात
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः